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लालू परिवार की 6 करोड़ की संपत्ति जब्त, जमीन के बदले नौकरी केस में ED की कार्रवाई, कभी सर्वेंट क्वार्टर में रहते थे…आज करोड़ों की संपत्ति

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राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू यादव और उनके परिवार को बड़ा झटका लगा है। जमीन के बदले नौकरी घोटाले को लेकर ईडी ने लालू यादव और उनके परिवार की संपत्ति अटैच किया है। इसमें गाजियाबाद और बिहार की संपत्ति शामिल है। इसके अलावा ईडी ने यूपी में लालू यादव की बेटी हेमा यादव की संपत्ति को भी जब्त किया है, साथ ही ईडी ने तेजस्वी यादव के दिल्ली स्थित ‘डी ब्लॉक’ वाली प्रॉपर्टी को भी अटैच किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब्त की गई संपत्तियों की कीमत 6 करोड़ से अधिक बताई जा रही है। इस केस को लेकर ईडी लालू राबड़ी और तेजस्वी समेत परिवार के कई सदस्यों से पूछताछ कर चुका है। लालू यादव कभी सर्वेंट क्वार्टर में रहते थे, लेकिन आज उनके परिवार के नाम करोड़ों की संपत्ति है। यह सब उन्होंने हासिल किया सत्ता की सीढ़ियां चढ़ते और घोटालों को अंजाम देकर। घोटालों की फेहरिस्त लंबी है, इनमें चारा घोटाला, मिट्टी घोटाला, जमीन के बदले नौकरी घोटाला और बेनामी संपत्ति प्रमुख रूप से शामिल हैं। केवल चारा घोटाले में ही कुल 950 करोड़ रुपये के गबन किए जाने का आरोप है। भारतीय मतदाताओं को अब जागरूक होने की जरूरत है और ऐसे भ्रष्ट नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए जिससे भारत भ्रष्टाचार मुक्त हो सके और देश विकास की राह पर आगे बढ़ता रहे।

सर्वेंट क्वॉर्टर में रहने वाला बन गया करोड़ों का मालिक
लालू यादव एक समय बिहार की राजधानी पटना में सर्वेंट क्वार्टर में रहते थे। उनके बड़े भाई पटना के बिहार वेटरनरी कॉलेज में चपरासी थे। कॉलेज के ही सर्वेंट क्वॉर्टर में रहते थे। यहीं से लालू 10 A नंबर की बस पकड़कर बीए की पढ़ाई करने बिहार नेशनल कॉलेज (BN College) जाते थे। जहां पर उनकी राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई। सर्वेंट क्वार्टर में रहना कोई शर्मिंदगी की बात नहीं है। काम कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता। लेकिन सवाल तब उठता है जब सर्वेंट क्वार्टर में रहने वाला करोड़ों की संपत्ति की मालिक बन जाता है।

घोटालों से जुटाई अकूत संपत्ति, फिर कहते हैं- फंसाया जा रहा
लालू यादव ने पिछले 40-50 साल में जिस तरह से बिना किसी बिजनेस के तरक्की हासिल की है अगर वह आम लोगों के लिए भी संभव हो जाए तो इस देश से गरीबी ही खत्म हो जाए। घोटालों को अंजाम देकर अवैध संपत्ति जुटाई गई और उसके बाद उनके खिलाफ जब कानूनी कार्रवाई होती है तब वो कहते है कि उन्हें फंसाया जा रहा है।

जमीन के बदले नौकरी घोटाला में बिना विज्ञापन दे दी नौकरी
जमीन के बदले नौकरी घोटाले का पूरा मामला रेलवे भर्ती से संबंधित है। लालू यादव 2004-2009 तक यूपीए सरकार में रेलमंत्री थे। इस दौरान उन पर और उनके परिवार पर जमीन के बदले लोगों को नौकरी देने का आरोप है। सीबीआई ने मामले में लालू के साथ उनके परिवार पर भी केस दर्ज किया है। लालू प्रसाद यादव पर आरोप है कि उन्होंने रेलमंत्री रहते हुए बिना कोई विज्ञापन जारी किए रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरी के लिए कई लोगों की भर्ती की थी। मामले में यह भी साफ हुआ है कि बिना विज्ञापन जारी किये की गई इस भर्ती में जिन अभ्यर्थियों का चयन हुआ उन्हें नौकरी के बदले अपनी जमीन देनी पड़ी। कई लोगों को तो आवेदन देने के 3 दिन में ही नौकरी दे दी गई थी।

लैंड फॉर जॉब घोटालाः लालू, राबड़ी और तेजस्वी के खिलाफ चार्जशीट
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में लैंड फॉर जॉब घोटाला यानि नौकरी के बदले जमीन घोटाले से संबंधित मामले में पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू यादव, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव और कई अन्य के खिलाफ जुलाई 2023 में आरोप पत्र दायर किया। बिहार में ये घोटाला 14 साल पहले का है। समीकरण कुछ ऐसे थे कि केंद्र में यूपीए की सरकार थी और लालू यादव रेल मंत्री थे। यूपीए का कार्यकाल घोटालों के लिए जाना जाता है। इन दिनों देश में परिवारवादी पार्टियों के बुरे दिन आए हुए हैं। पहले ठाकरे परिवार और फिर पवार परिवार की सियासत का अंजाम सामने है। अब इसके बाद लगता है कि लालू परिवार का समय आ गया है।

क्या है नौकरी के बदले जमीन घोटाला?
यह घोटाला उस समय हुआ जब लालू प्रसाद कांग्रेस नीत केंद्र की यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री थे। आरोप है कि 2004-09 की अवधि के दौरान भारतीय रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में समूह ‘डी’ पदों पर विभिन्न व्यक्तियों को नियुक्त किया गया था और इसके बदले में संबंधित व्यक्तियों ने तत्कालीन रेल मंत्री प्रसाद के परिवार के सदस्यों को और इस मामले में लाभार्थी कंपनी ‘एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड’ को अपनी जमीन हस्तांतरित की थी।

नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में 600 करोड़ रुपये के लेनदेन
नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में सीबीआई राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी से पूछताछ कर चुकी है। इसके अलावा ईडी ने राजद प्रमुख के परिवार के परिसरों में छापे मारे थे। ईडी ने छापेमारी के बाद कहा था कि उसने एक करोड़ रुपये की आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक नकदी बरामद की है और अपराध में इस्तेमाल 600 करोड़ रुपये के लेनदेन का पता लगाया है।

तेजस्वी का 150 करोड़ का मकान और 600 करोड़ रुपए की संपत्ति
प्रवर्तन निदेशालय ने 10 मार्च 2023 को छापेमारी की थी जिसमें दिल्ली के पॉश इलाके न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में तेजस्वी यादव के 150 करोड़ की कीमत के बंगले जानकारी सामने आई। कागजों में चार मंजिल वाले इस बंगले की बिक्री की कीमत सिर्फ 4 लाख रुपए दर्ज की गई है। इतना ही नहीं, रेड के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने लालू यादव की बेटी और तेजस्वी यादव की बहन रागिनी यादव के घर पर रेड के दौरान करोड़ों रुपए कीमत के आभूषण और नकदी बरामद किए। रागिनी यादव के यहां से 54 लाख रुपए की नकदी और करोड़ों रुपए का 1.5 किलोग्राम आभूषण बरामद किए गए। ED ने कहा कि छापे में लगभग 600 करोड़ रुपए की आपराधिक आय वाली संपत्ति का पता चला है। इसमें 350 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति और 250 करोड़ रुपए के लेनदेन के रूप में है।

घोटाले का पैसा रियल एस्टेट व विभिन्न क्षेत्रों में निवेश किए गए
लालू प्रसाद के परिवार और उनके सहयोगियों की तरफ से रियल एस्टेट समेत विभिन्न क्षेत्रों में किए गए और निवेश का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है। इस मामले में तेजस्वी यादव और उनकी बड़ी बहन और सांसद मीसा भारती भी पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष भी पेश हुई थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनका बयान धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया गया था।

लालू, राबड़ी से हो चुकी है पूछताछ
इस मामले को लेकर सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी से बीते मार्च के महीने में घंटों पूछताछ की थी। जिसके बाद आरजेडी ने केंद्र पर जोरदार हमला बोलते हुए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था।

लालू के बेटे-बेटियों के नाम से खरीदी जमीन का ब्योरा मांगा
इससे पहले मई में रेलवे में नौकरी के बदले जमीन मामले की जांच के क्रम में सीबीआइ ने लालू परिवार के सभी सदस्यों के नाम से खरीदी गई संपत्ति का ब्योरा मांगा था। साल 2004 से 2009 तक तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद, मंत्री तेजप्रताप एवं मीसा भारती समेत लालू की सभी सात बेटियों के नाम से खरीदी, गिफ्ट की गई या लीज पर दी गई अचल संपत्ति का विवरण मांगा गया था।

नौकरी देने के नाम पर कौड़ियों के भाव ली गई जमीन
सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि लालू यादव को पटना में 1.05 लाख वर्ग फीट जमीन दी गई। इन जमीनों का सौदा नकद में और बेहद कम कीमत पर किया गया। CBI जांच में पाया कि लालू यादव और उनके परिवार ने बिहार में 1.05 लाख वर्ग फीट की जमीन सिर्फ 26 लाख रुपए में हासिल की थी। वहीं, उस समय के सर्किल रेट के अनुसार उन जमीनों की कुल कीमत 4.40 करोड़ रुपए के करीब थी। सीबीआई ने यह पाया कि जमीन की खरीद के मामले में अधिकतर जमीनों के लिए नकद में पैसे दिए गए थे। सीबीआई ने यह पाया कि 7 लोगों से करोड़ों रुपए की जमीन लेकर 12 लोगों को नौकरी दी गई थी। इन जमीनों को या तो सीधे लालू परिवार को बेच दिया गया, गिफ्ट कर दिया गया या फिर अन्य लोगों के जरिए रूट करके अंतत: लालू परिवार को दे दी गई।

लैंड फॉर जॉब घोटाला में 18 मई 2022 को केस दर्ज हुआ
CBI ने इस मामले में पिछले साल 18 मई 2022 को केस दर्ज किया था। जुलाई में CBI ने भोला यादव को गिरफ्तार किया था जो कि उस समय लालू यादव के रेलमंत्री रहते हुए उनके ओएसडी थे। 10 अक्टूबर 2022 को ही सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें 16 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इसके बाद 27 फरवरी 2023 को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू फैमिली समेत 14 आरोपियों को समन जारी किया था। सभी आरोपियों को 15 मार्च को अदालत में पेश होने को कहा गया था।

लैंड फॉर जॉब स्कैम’ में इनके खिलाफ भी चार्जशीट
लैंड फॉर जॉब स्कैम’ के मामले में एक चार्जशीट दायर की गयी है। उसमें रेलवे की तत्कालीन जीएम सौम्या राघवन, तत्कालीन सीपीओ कमलदीप मैनराय, रेलवे में नियुक्त कथित लाभार्थी राजकुमार सिंह, मिथिलेश कुमार, अजय कुमार, संजय कुमार, धर्मेंद्र कुमार, विकास कुमार और अभिषेक कुमार और कथित बिचौलिए रवींद्र राय, किरण देवी, अखिलेश्वर सिंह और रामाशीष सिंह के नाम शामिल हैं।

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