प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने थाईलैंड की अपनी यात्रा के दौरान बैंकॉक में वहां की प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा से मुलाकात की। गवर्नमेंट हाउस पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी की अगवानी प्रधानमंत्री शिनावात्रा ने की और उनका औपचारिक स्वागत किया। यह उन दोनों की दूसरी मुलाकात थी। इससे पहले, दोनों नेताओं ने अक्टूबर 2024 में वियनतियाने में आसियान से संबंधित शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की थी।
दोनों नेताओं ने भारत और थाईलैंड के बीच राजनीतिक आदान-प्रदान, रक्षा और सुरक्षा भागीदारी, रणनीतिक जुड़ाव, व्यापार और निवेश पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्टार्ट-अप, नवाचार, डिजिटल, शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन सहयोग बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने मानव तस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी और साइबर घोटालों सहित अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराधों का मुकाबला करने के लिए सहयोग को गहरा करने के तरीकों पर भी विचार-विमर्श किए।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया और बिम्सटेक, आसियान और मेकांग गंगा सहयोग सहित उप-क्षेत्रीय, क्षेत्रीय और बहु-पक्षीय मंचों में निकट सहयोग स्थापित करने के तरीकों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने भारत-थाईलैंड कांसुलर वार्ता की स्थापना का भी स्वागत किया, जो दोनों देशों के बीच लोगों से लोगों के संपर्क को और सुगम बनाएगा।
सद्भावना के एक प्रतीक के रूप में थाई सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा को चिह्नित करने के लिए 18वीं शताब्दी के रामायण भित्ति चित्रों को दर्शाते हुए एक विशेष डाक टिकट जारी किया।
दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों का जिक्र करते हुए, प्रधानमंत्री को थाईलैंड की प्रधानमंत्री शिनावात्रा द्वारा पाली में बौद्ध धर्म के पवित्र ग्रंथ ‘तिपिटक’ का एक विशेष संस्करण भेंट किया गया।
भारत और थाईलैंड के बीच घनिष्ठ सभ्यतागत संबंधों को और मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री ने गुजरात से खुदाई करके लाए गए भगवान बुद्ध के अवशेषों को थाईलैंड भेजने की पेशकश की, ताकि लोग उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट कर सकें। पिछले साल, भगवान बुद्ध और उनके दो शिष्यों के पवित्र अवशेष भारत से थाईलैंड आए थे और 40 लाख से अधिक लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी थी।
थाईलैंड के साथ भारत के संबंध हमारी ‘एक्ट ईस्ट’ नीति, आसियान के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी, विजन महानगर और हिन्द-प्रशांत के हमारे दृष्टिकोण का एक अभिन्न स्तंभ हैं। दोनों देशों के बीच निरंतर बातचीत ने सदियों पुराने संबंधों और साझा हितों पर आधारित एक मजबूत और बहु-आयामी संबंध को जन्म दिया है।