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पूर्व प्रधानमंत्री ‘भारत रत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी के विजन को साकार कर रहे पीएम मोदी

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प्रधानमंत्री अक्सर अपने संबोधनों में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र करते हैं। देश के इन्फ्रास्टक्चर में वाजपेयी जी के योगदान को देखते हुए पीएम मोदी ने उन्हें ‘भारत मार्ग विधाता’ का नाम दिया है।

दरअसल अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी दूरदर्शी सोच के कारण देश के चहुंमुखी विकास का मार्ग प्रशस्त किया था। उन्होंने प्रधानमंत्री रहते ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर और महानगरों को जोड़ने के लिए स्वर्ण चतुर्भुज योजना की शुरुआत की थी, जिससे देश में औद्योगिक विकास के साथ सामाजिक सांस्कृतिक को भी बल मिला। उन्होंने तब कहा था कि यह ‘भारत की भाग्य रेखा’ है। प्रधानमंत्री मोदी उनके इसी विजन को आगे बढ़ाते हुए इसे और विस्तार दे रहे हैंं।

सागरमाला परियोजना
सागरमाला परियोजना की घोषणा 15 अगस्त 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी। ये योजना देश के सभी बंदरगाहों को आपस में जोड़ने के लिए इसलिए इसे सागरमाला नाम दिया गया। इसके तहत गैर प्रमुख बंदरगाहों को नई तकनीक से लैस करना और समुद्र व्यापार को बढ़ावा देना शामिल है। यूपीए सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया, लेकिन मोदी सरकार इस पर 70 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है। रेल मंत्रालय ने भी 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से 21 बंदरगाह-रेल संपर्क परियोजनाओं पर काम शुरू कर दिया है।

भारतमाला परियोजना
मोदी सरकार ने 10 करोड़ रुपये की भारतमाला परियोजना को रफ्तार दे दी है। इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी), जिसे 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा लॉन्च किया था, सहित सभी मौजूदा राजमार्ग परियोजनाओं को समाहित किया गया है। इसमें 5.35 लाख करोड़ की लागत से 34,800 किमी हाइवे का निर्माण किया जाएगा। 9000 किमी लंबा इकनॉमिक कॉरिडोर बनाया जाएगा। इसमें 6000 किमी लंबी इंटर कॉरिडोर, 2000 किमी फीडर रूट्स, 2000 किमी बॉर्डर और इंटरनैशनल कनेक्टिविटी रोड भी शामिल है।

सभी गांव में सड़क
वर्ष 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के सभी गांवों को सड़क से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना शुरू की थी। पीएम मोदी अटल जी के उसी सपने को पूरा करने में लगे हुए हैं। उन्होंने लक्ष्य तय किया है कि 2019 तक देश के हर गांव को पक्की सड़क से जोड़ दिया जाएगा। दिसंबर, 2017 तक गांवों में रहने वाले 1,78,184 आवासीय इलाकों में से 85 प्रतिशत को सभी मौसम में कारगर सड़कों से जोड़ दिया गया है। शेष 15 प्रतिशत गांवों को मार्च 2019 तक सड़कों से जोड़ दिया जाएगा। गौरतलब है कि 2014 में सिर्फ 57 प्रतिशत आवासीय इलाके सड़क मार्ग से जुड़े थे। गौरतलब है कि मोदी सरकार में करीब 140 किलोमीटर रोजाना सड़कों का निर्माण हो रहा है।

नदी जोड़ो परियोजना
नदियों को जोड़ने की परियोजना सबसे पहले यह विचार 158 साल पहले एक अंग्रेज आर्थर थॉमस कार्टन ने रखा था। डेढ़ सौ वर्षों में भी नदियों को आपस में जोड़ने की अवधारणा सिरे नहीं चढ़ सकी। अटल बिहारी वाजपेयी ने नदी जोड़ो परियोजना पर जोरशोर से पहल की, लेकिन यह तब भी अमल में नहीं आ सकी। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे साकार रूप देने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं और नदी जोड़ो परियोजना के काम को रफ्तार देने का फैसला किया है। इस परियोजना पर 40,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

पूर्वी क्षेत्र का विकास
दिसंबर 2017 में मिजोरम में हाइड्रो प्रोजेक्ट का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी न अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा उनके कार्यकाल के दौरान उत्तर-पूर्व के विकास के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए गए थे। हमने इस दृष्टि को आगे बढ़ाया है और पूर्वोत्तर की प्रगति के लिए संसाधनों को समर्पित कर रहे हैं। वास्तविकता भी यही है। 28 अप्रैल को जब मणिपुर के लायसांग में बिजली पहुंची तो वह देश का अंतिम गांव बन गया जहां बिजली पहुंचाई गई। इसी तरह अगरतल्ला में रेलवे स्टेशन बन गया, ढोला सादिया पुल का उद्घाटन हो गया और 102 रणनीतिक सड़कों का निर्माण भी द्रुत गति से हो रहा है। इसी तरह गोरखपुर, सिंदरी, बरौनी जैसे खाद कारखाना का जीर्णोद्धार भी किया जा रहा है। 

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