प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को गुजरात के केवडिया में पीठासीन अधिकारियों के 80वें अखिल भारतीय सम्मेलन के समापन सत्र को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दिन गांधी जी के प्रेरक विचारों और सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिबद्धता को याद करने का है। उन्होंने सन् 2008 में आज ही के दिन हुए मुंबई आतंकी हमले में मारे गए लोगों को भी याद किया। उन्होंने सुरक्षाबलों के शहीदों के प्रति भी श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि आज भारत एक नये प्रकार के आतंकवाद से संघर्ष कर रहा है। उन्होंने सुरक्षाबलों को भी नमन किया।
आज का दिन पूज्य बापू की प्रेरणा को, सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिबद्धता को प्रणाम करने का है।
ऐसे अनेक प्रतिनिधियों ने भारत के नवनिर्माण का मार्ग तय किया था
देश उन प्रयासों को याद रखे, इसी उद्देश्य से 5 साल पहले 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया था: PM
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आज की तारीख, देश पर सबसे बड़े आतंकी हमले के साथ जुड़ी हुई है।
2008 में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने मुंबई पर धाबा बोल दिया था।
इस हमले में अनेक भारतीयों की मृत्यु हुई थी। कई और देशों के लोग मारे गए थे।
मैं मुंबई हमले में मारे गए सभी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं: PM
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आपातकाल का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि 1970 का यह प्रयास सत्ता के विकेन्द्रीकरण के प्रतिकूल था, लेकिन इसका जवाब भी संविधान के भीतर से ही मिला। संविधान में सत्ता के विकेन्द्रीकरण और उसके औचित्य की चर्चा की गई है। आपातकाल के बाद इस घटनाक्रम से सबक लेकर विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका आपस में संतुलन बनाकर मजबूत हुए। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह इसलिए संभव हो सका, क्योंकि 130 करोड़ भारतीयों का सरकार के इन स्तंभों में भरोसा था और यही भरोसा समय के साथ और मजबूत हुआ।
संविधान के तीनों अंगों की भूमिका से लेकर मर्यादा तक सबकुछ संविधान में ही वर्णित है।
70 के दशक में हमने देखा था कि कैसे separation of power की मर्यादा को भंग करने की कोशिश हुई थी, लेकिन इसका जवाब भी देश को संविधान से ही मिला: PM
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प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे संविधान की दृढ़ता समस्याओं से निपटने में हमारी मदद करती है। भारतीय चुनाव पद्धति के लचीलेपन और कोरोना महामारी के प्रति इसकी प्रतिक्रिया से यह साबित हुआ है। उन्होंने संसद सदस्यों की इस बात के लिए प्रशंसा की कि उन्होंने हाल के समय में कोरोना के खिलाफ जंग में मदद के लिए अपने वेतन में कटौती स्वीकार कर अपना योगदान दिया।
इस दौरान संसद के दोनों सदनों में तय समय से ज्यादा काम हुआ है।
सांसदों ने अपने वेतन में भी कटौती करके अपनी प्रतिबद्धता जताई है।
अनेक राज्यों के विधायकों ने भी अपने वेतन का कुछ अंश देकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपना सहयोग दिया है: PM
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प्रधानमंत्री मोदी ने एक राष्ट्र, एक चुनाव पर विचार-विमर्श करने का आह्वान किया। उन्होंने हर स्तर पर – लोकसभा, विधानसभा अथवा स्थानीय पंचायत स्तर पर – समानांतर चुनाव कराने की बात की।उन्होंने कहा कि इसके लिए समान मतदाता सूची बनाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस काम के लिए विधायिका के क्षेत्र में डिजिटल नवाचार का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने परियोजनाओं को लंबित रखने की प्रवृत्ति के खिलाफ आगाह किया। उन्होंने सरदार सरोवर परियोजना का उदाहरण दिया, जो कई वर्षों तक लंबित रही और जिसकी वजह से गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान के निवासियों को उन महत्वपूर्ण लाभों से वंचित रहना पड़ा, जो उन्हें इस बांध के अंतत: निर्मित हो जाने से प्राप्त होने वाले थे।
अब हमारा प्रयास ये होना चाहिए कि संविधान के प्रति सामान्य नागरिक की समझ और ज्यादा व्यापक हो।
आजकल आप लोग सुनते हैं KYC..
Know Your Customer डिजिटल सुरक्षा का अहम पहलू है।
उसी तरह KYC यानि Know Your Constitution हमारे संवैधानिक सुरक्षा कवच को भी मज़बूत कर सकता है: PM
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श्री मोदी ने कर्तव्य पालन के महत्व पर जोर दिया और कहा कि कर्तव्य पालन को अधिकारों, गरिमा और आत्मविश्वास बढ़ाने वाले महत्वपूर्ण कारक की तरह लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा,‘हमारे संविधान की बहुत सारी विशेषताएं हैं, लेकिन उनमें से एक विशेषता कर्तव्य पालन को दिया गया महत्व है। महात्मा गांधी इसके बहुत बड़े समर्थक थे। उन्होंने पाया कि अधिकारों और कर्तव्यों के बीच बहुत निकट संबंध है। उन्होंने महसूस किया कि जब हम अपना कर्तव्य पालन करते हैं, तो अधिकार खुद-ब-खुद हमें मिल जाते हैं।’
हमारे कानूनों की भाषा इतनी आसान होनी चाहिए कि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी उसको समझ सके।
हम भारत के लोगों ने ये संविधान खुद को दिया है।
इसलिए इसके तहत लिए गए हर फैसले, हर कानून से सामान्य नागरिक सीधा कनेक्ट महसूस करे, ये सुनिश्चित करना होगा: PM
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प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान के मूल्यों का प्रसार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह केवाईसी- नो योर कस्टमर डिजिटल सुरक्षा की कुंजी है, उसी तरह केवाईसी – नो योर कांस्टिट्यूशन, संवैधानिक सुरक्षा की बड़ी गारंटी हो सकताहै।उन्होंने कहा कि हमारे कानूनों की भाषा बहुत सरल और आम जन के समझ में आने वाली होनी चाहिए, ताकि वे हर कानून को ठीक से समझ सकें। उन्होंने कहा कि पुराने पड़ चुके कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया भी सरल होनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि एक ऐसी प्रक्रिया लागू की जाए, जिसमें जैसे ही हम किसी पुराने कानून में सुधार करें, तो पुराना कानून स्वत: ही निरस्त हो जाए।
Addressing the All India Presiding Officers Conference. https://t.co/vwPvZRWMff
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2020