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प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना : एक करोड़ 28 लाख महिलाओं को मिला 5,280 करोड़ रुपये का लाभ

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार महिला सशक्तीकरण की दिशा में अभूतपूर्व काम कर रही है। मोदी सरकार ने पिछले पांच वर्षों के कार्यकाल में कई ऐसे कार्य किए हैं, जिनसे न सिर्फ महिलाओं में विश्वास जागा है बल्कि वो आत्मनिर्भर भी हुईं हैं।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना से अब तक 1 करोड़ 28 लाख से अधिक महिलाओं को लाभ पहुंचा है और इसके तहत कुल 5,280 करोड़ से अधिक की राशि दी जा चुकी है। PMMVY डायरेक्ट बेनिफिट योजना है और इसके तहत गर्भवती महिलाओं को नकद लाभ सीधे उनके बैंक खाते में भेजा जाता है ताकि वे पौष्‍टिकता आवश्‍यकताओं को बढ़ा सकें। यह योजना एक जनवरी 2017 से लागू है। इस योजना के तहत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिला व माताओं को 6,000 रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।इसके अलावा मिशन इंद्रधनुष योजना के अंतर्गत 3.61 करोड़ बच्चों एवं 91.45 लाख गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण का कार्य पूरा हो चुका है।
 
आइए एक नजर डालते हैं महिलाओं के उत्थान के लिए उठाए गए मोदी सरकार के दूसरी अन्य योजनाओं के बारे में…

तीन तलाक की कुप्रथा से मुक्ति

प्रधानमंत्री मोदी आधी आबादी के हक की लड़ाई में हमेशा सबसे आगे रहे हैं। पीएम मोदी के कारण ही देश के करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को 1400 साल पुरानी तीन तलाक की कुप्रथा से मुक्ति मिली। मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के दलदल से निकालने वाले बिल को लेकर हर बार राज्यसभा में हार का सामना करना पड़ता था, लेकिन पीएम मोदी ने कभी हार नहीं मानी। मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए वे हमेशा आगे रहे और आखिरकार उन्हें कामयाबी मिल ही गई। आज देशभर की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक कुप्रथा से मुक्ति मिल गई है। 

हज के लिए ‘महरम’ की अनिवार्यता खत्म

प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास से भारतीय मुस्लिम महिलाएं अब बिना महरम के हज यात्रा पर जा सकती हैं। गौरतलब है कि आजादी के 70 वर्षों बाद पीएम  मोदी की पहल पर भारत की मुस्लिम महिलाओं को अकेले भी हज यात्रा पर जाने का हक मिला है।

51 हजार रुपये का ‘शादी शगुन’

केंद्र सरकार उन अल्पसंख्यक लड़कियों को 51,000 रुपये की राशि बतौर शादी शगुन दे रही है जो स्नातक की पढ़ाई पूरी करेंगी। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की अधीनस्थ संस्था मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन ने मुस्लिम लड़कियों की मदद के लिए यह कदम उठाने का फैसला किया। 

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

प्रधानमंत्री मोदी ने बेटे और बेटियों के बीच के भेदभाव को खत्म करने और बेटियों के प्रति समाज की सोच को बदलने के उद्देश्य से 22 जनवरी 2015 को इस अभियान की शुरुआत की थी। पहले इसे देश के 100 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया था, दूसरे साल में इसे 161 जिलों में विस्तार दिया गया। योजना को पहले ही साल के अंत तक ही 58 जिलों में जन्म के समय लिंग अनुपात में वृद्धि दर्ज की गई। दूसरे वर्ष में 104 जिलों में जन्म के समय लिंगानुपात में बढ़ोत्तरी हुई। इस अभियान को बड़ी सफलता मिल रही है और अब इसे देश के सभी जिलों में लागू किया गया है।

सुकन्या समृद्धि योजना

यह योजना बेटी, बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का ही विस्तार है जिसे 2 दिसंबर 2014 को लांच गया था। योजना के अंतर्गत 0-10 साल की कन्याओं के खाते डाकघर में खोले जा रहे हैं। इन खातों में जमा राशि पर 8.1 प्रतिशत की दर से वार्षिक ब्याज दिया जा रहा है। बालिकाओं के सुनहरे और सुरक्षित भविष्य के लिए बनाई गई इस योजना के तहत उन्हें पूरी शिक्षा और 18 साल की होने पर शादी के खर्च की व्यवस्था सुनिश्चित होती है। यह योजना बालिकाओं और उनके माता-पिता को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए लागू की गई है, जिसमें छोटे निवेश पर ज्यादा ब्याज दर की व्यवस्था है। सुकन्या समृद्धि योजना अभिभावकों के लिए वरदान सिद्ध हो रही है।

10वीं, 12वीं की लड़कियों को स्कॉलरशिप
नौंवी और 10वीं कक्षा में पढ़ाई करने वाली मुस्लिम बच्चियों को 10 हजार रुपये की राशि प्रदान की जा रही है। पहले 11वीं और 12वीं कक्षा में पढ़ाई करने वाली मुस्लिम लड़कियों को 12 हजार रुपये की छात्रवृत्ति मिल रही थी। यह योजना केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की अधीनस्थ संस्था मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन के तहत शुरू की गई।

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना
इस योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे के परिवार की महिलाओं को एलपीजी का मुफ्त कनेक्शन दिया जा रहा है। जिन महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन मिले हैं उन्हें धुएं से मुक्ति मिल गई है और उनकी जिंदगी बदल गई है। अब तक 8 करोड़ से अधिक कनेक्शन दिए जा चुके हैं। ये एक समाज कल्याण योजना है, जिसे ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर लागू किया गया है।

मातृत्व अवकाश, मातृत्व लाभ
वर्तमान सरकार ने नया मातृत्व लाभ संशोधित कानून एक अप्रैल 2017 से लागू कर दिया है। संशोधित कानून के तहत सरकार ने कामकाजी महिलाओं के लिए वैतनिक मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ा कर 26 सप्ताह कर दी है। इसके तहत 50 या उससे ज्यादा कर्मचारियों वाले संस्थान में एक तय दूरी पर क्रेच सुविधा मुहैया कराना अनिवार्य है। महिलाओं को मातृत्व अवकाश के समय घर से भी काम करने की छूट है। मातृत्‍व लाभ कार्यक्रम के 1 जनवरी 2017 से लागू है। योजना के अंतर्गत गर्भवती और स्‍तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो जीवित शिशुओं के जन्‍म के लिए तीन किस्‍तों में 6,000 रुपये का नकद प्रोत्‍साहन दिया जाता है।

महिला हेल्पलाइन

यह योजना हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए 24 घंटे तत्काल और आपातकालीन सहायता प्रदान करने के लिए है। ये योजना विशेष रूप से परिवार, समुदाय, कार्यस्थल निजी और सार्वजनिक दोनों स्थानों पर हिंसा की शिकार सभी महिलाओं के लिए है।

मोबाइल फोन में पैनिक बटन और जीपीएस

केंद्र सरकार की ओर से सभी फीचर और स्मार्ट मोबाइल फोन में पैनिक बटन की सुविधा सुनिश्चित की गई है। मोबाइल फोन में 5 और 9 नंबर का बटन इसके लिए निर्धारित है, स्मार्ट फोन में ऑन-ऑफ बटन को तीन बार हल्के से प्रेस करना होता है। सरकार ने यह तय कर दिया है कि 1 जनवरी 2018 से सभी मोबाइल फोन में जीपीएस की सुविधा देना अनिवार्य होगा। पैनिक बटन सीधे 112 नंबर से जुड़कर सहायता उपलब्ध कराएगा।

महिला शक्ति केंद्र
महिला शक्ति केंद्र अलग-अलग स्तर पर काम कर रही है। इसके तहत केंद्रीय स्तर पर नॉलेज सपोर्ट और राज्य स्तर पर महिलाओं को संसाधन सहयोग मुहैया किया जा रहा है। इसके तहत राज्य सरकार, जिले और ब्लॉक स्तर पर भी महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर महिला शक्ति केंद्र को सहयोग दिए जाने का प्रावधान है। महिला शक्ति केंद्र को दूर दराज के इलाकों में बढ़ावा देने के लिए छात्रों को भी इससे जोड़ा जा रहा है। 3 लाख से भी ज्यादा स्वयंसेवी छात्रों को इस स्कीम से जोड़ा गया है। महिला शक्ति केंद्र और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर जागरूकता फैलाने वाले छात्रों को समाज सेवा के लिए प्रमाणपत्र भी दिए जाने की व्यवस्था की गई है।

कामकाजी महिला छात्रावास

कामकाजी महिलाओं को जरूरी सहयोग मुहैया करने के लिए 190 से ज्यादा होस्टेल खोले जा रहे हैं। इन होस्टल में 19 हजार से ज्यादा महिलाएं रह सकेंगी। इसके अलावा कई और सुधार गृह भी बनाए जा रहे हैं। इन सुधार गृहों में 26,000 लाभार्थ‍िंयों को फायदा मिलेगा।

वन स्टॉप सेंटर
हिंसा की श‍िकार हुई महिलाओं के लिए ‘वन स्टॉप सेंटर्स’ भी खोले जा रहे हैं। 150 से भी ज्यादा जिलों में इनकी स्थापना किया जाना है। इन केंद्रों को महिला हेल्पलाइन के साथ जोड़ा जाएगा और ये 24 घंटे आपातकालीन सेवा मुहैया कराएंगे। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की तरफ से महिला पुलिस स्वयंसेवियों की भागीदारी बढ़ाई जाएगी।

महिलाओं के लिए पुलिस फ़ोर्स में 33% आरक्षण

महिला सशक्तिकरण की दिशा में पुलिस भर्ती में महिलाओं को 33% आरक्षण देने का एक बड़ा निर्णय किया गया है। यह राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में अभी से ही अलग-अलग स्तर पर पुलिस बालों में महला आरक्षण लागू कर दिया गया है।

नारी शक्ति पुरस्कार
विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए महिलाओं और संस्थाओं को सम्मानित किया जाता है। सम्मानित की जाने वाली महिलाएं समाज सुधार, विज्ञान, बिजनेस, खेल, मनोरंजन और कला जगत जैसे अलग-अलग क्षेत्रों से संबंध रखती हैं।

एसिड अटैक की पीड़िताओं को दिव्यांगों जैसी मदद

देश में एसिड अटैक से पीड़ित महिलाओं के लिए कोई योजना नहीं थी। पहले की किसी भी सरकार ने इसके बारे में नहीं सोचा। मोदी सरकार ने एसिड अटैक से पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए The Rights of Persons with Disabilities Act, 2016 में परिवर्तन कर एसिड अटैक को दिव्यांगता की श्रेणी में शामिल किया है। अब एसिड अटैक से पीड़ित महिलाएं को दिव्यांगों को मिलने वाली आर्थिक और दूसरी मदद जी जा सकती है।

मृत्यु प्रमाणपत्र में विधवा का नाम दर्ज करना जरूरी

पति की मृत्यु होने पर पत्नी का नाम विधवा के रूप में मृत्यु प्रमाण पत्र पर लिखना अनिवार्य कर दिया गया है। देखने में यह बहुत छोटी सी बात लगती है, लेकिन महिलाओं को अपने अधिकार पाने के लिए इससे बहुत मदद मिलेगी। अक्सर देखा जाता है कि पति की मृत्यु होने के बाद महिलाओं को अपने अधिकार पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता था, इस बदलाव के बाद महिलाओं को मदद मिलेगी।

महिला जनप्रतिनिधियों को प्रशिक्षण

इस कार्यक्रम का उद्देश्य पंचायतों की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की क्षमता, शासन संचालन और उनका कौशल बढ़ाना है, ताकि वो गांवों का प्रशासन बेहतर तरीके से चला सकें। पंचायती संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को कई बार काम में मुश्किलें पेश आती हैं। इसलिए महिला सरपंचों तथा निचले स्तर पर महिला प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित करने के लिए देशव्यापी कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। इसका सीधा लाभ शासन-प्रशासन में महिलाओं की भागीदारी के रूप में मिल रहा है। 

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