प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक (Single use plastic) के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की अपील की थी। साथ ही इसे लेकर दो अक्टूबर को देश भर में अभियान चलाने की भी घोषणा की थी। पीएम मोदी की इस अपील का असर भी जल्द दिखाई देने लगा है। लोकसभा सचिवालय ने मंगलवार को संसद भवन परिसर में प्लास्टिक की बोतलों और सिंगल यूज्ड प्लास्टिक के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद रेलवे और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया है। रेलवे मंत्रालय ने पर्यावरण को प्लास्टिक के खतरे से बचाने के लिए अपने सभी रेलवे इकाइयों को इसके इस्तेमाल पर रोक लगाने का निर्देश दिया है, जो 2 अक्टूबर से लागू होगा।
50 माइक्रोन से कम के नहीं होने चाहिए प्लास्टिक बैग
रेल मंत्रालय ने साफ कहा है कि भारतीय रेल को कूड़ा उत्पादक के तौर पर जाना जाता रहा है। इसलिए प्लास्टिक और पॉलीथीन बैग को लेकर 2016 में जो नियम बने हैं, उन्हें फौरन लागू किया जाए। इस नियम के तहत एक बार इस्तेमाल में आने वाले प्लास्टिक बैग 50 माइक्रोन्स से कम के नहीं होने चाहिए।
Ministry of Railways has directed all railway units to enforce a ban on single-use plastic material, with less than 50 microns thickness from 2 Oct, to minimize generation of plastic waste and its eco- friendly disposal. Strict enforcement is to be from 2 Oct. pic.twitter.com/ftAAMjEnOa
— ANI (@ANI) August 21, 2019
रेल मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें निर्देश दिए गए हैं….
(1) एक बार उपयोग वाली प्लास्टिक (Single use plastic) सामग्री पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
(2) सभी रेलवे वेंडरों को प्लास्टिक के बैग का उपयोग करने से बचना होगा।
(3) कर्मचारियों को प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग कम करना चाहिए, प्लास्टिक उत्पादों की रिसाइक्लिंग कर इसका फिर से इस्तेमाल करना चाहिए और इसके साथ ही फिर से उपयोग में लाए जा सकने वाले सस्ते बैगों का उपयोग करना चाहिए, ताकि प्लास्टिक के स्टॉक में कमी आ सके।
(4) आईआरसीटीसी विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी के हिस्से के रूप में प्लास्टिक की पेयजल वाली बोतलों को लौटाने की व्यवस्था लागू करेगा।
(5) प्लास्टिक की बोतलों को पूरी तरह तोड़ देने वाली मशीनें जल्द से जल्द उपलब्ध कराई जाएंगी।
(6) प्लास्टिक के कचरे के सृजन को न्यूनतम स्तर पर लाने और इसके पर्यावरण अनुकूल निपटारे की व्यवस्था करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
ईको फ्रेंडली बैग के इस्तेमाल पर जोर
रेलवे मंत्रालय के आदेश के मुताबिक रेलवे के सभी वेंडर्स को प्लास्टिक के कैरी बैग का इस्तेमाल बंद करने लिए जागरुक करने को कहा गया है। साथ ही सलाह दी गई है कि दोबारा इस्तेमाल में आने वाले पर्यावरण के अनुकूल बैग यानी की ईको फ्रेंडली बैग का इस्तेमाल किया जाए।
प्लास्टिक बोतलों को तोड़ने वाली लगेगी मशीन
रेलवे बोर्ड ने IRCTC को भी निर्देश दिया है कि प्लास्टिक की पीने की बोतलों को वह वापस बोतल निर्माता कंपनियों को भेजे। इसमें कहा गया है कि इस तरह के कूड़े को इकट्ठा करना भी बोतल बनाने वालों की ज़िम्मेदारी है। प्लास्टिक बोतलों को मशीन से तोड़कर ख़त्म करने के लिए ऐसी मशीनों को बड़ी संख्या में इस्तेमाल करने की भी सलाह रेल मंत्रालय ने दी है।
02 अक्टूबर को दिलाई जाएगी शपथ
रेल मंत्रालय ने रेलवे की सभी यूनिटों को निर्देश भी दिया है कि प्लास्टिक के उपयोग में कमी लाने की शपथ 02 अक्टूबर, 2019 को दिलाई जाएगी। इसके अलावा, रेलवे की सुविधाओं का उपयोग करने वालों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) संबंधी उपाय अपनाए जाएंगे। इसी दिन से ‘प्लास्टिक फ्री रेलवे’ अभियान भी शुरू हो जाएगा।
पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने जहां आज सामाजिक समस्याओं को सुलझाने में अपनी जिम्मेदारी निभाई है, वहीं पर्यावरण संतुलन और संरक्षण में अभूतपूर्व पहल की है। 26 सितंबर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन में उन्होंने ‘क्लाइमेट चेंज’ के साथ ‘क्लाइमेट जस्टिस’ की बात सामने रखी थी। इसके बाद पेरिस डील पर अमेरिका के मुकरने के बाद जिस तरह से दुनिया ने भारत की ओर आशा भरी नजरों से देखा और प्रधानमंत्री मोदी ने जिस अंदाज में ‘इंटरनेशनल सोलर अलायंस’ का गठन किया, यह वही व्यक्तित्व कर सकता है, जिन्हें वर्तमान ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ी की भी चिंता हो। ऐसी ही सकारात्मक सोच का परिणाम है कि भारत के वन क्षेत्र में वृद्धि हुई है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए पीएम मोदी की पहल
30 नवम्बर, 2015 को पीएम मोदी की पहल से बना ‘अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन’
2014 से इथेनॉल ब्लेंडिंग के जरिये 4 साल में 4000 करोड़ रुपये विदेशी मुद्रा की बचत
बायोमास को बायोफ्यूल बनाने के लिए 12 आधुनिक रिफाइनरी बना रही मोदी सरकार
02 अक्टूबर, 2014 से स्वच्छता अभियान का आरंभ, 39 से बढ़कर 95 हुआ सेनिटेशन कवरेज
‘नमामि गंगे’ के तहत गंगा संरक्षण मिशन में तेजी, 2019-20 तक निर्मल होगी गंगा
संयुक्त राष्ट्र के ‘चैंपियंस ऑफ अर्थ’ सम्मान से सम्मानित
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संयुक्त राष्ट्र के ‘चैंपियंस ऑफ अर्थ’ सम्मान से सम्मानित किया गया। 03 अक्टूबर, 2018 को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतरेस स्वयं नई दिल्ली आए और उन्होंने अपने हाथों से पीएम मोदी को यह अवॉर्ड दिया। आपको बता दें कि पीएम मोदी भारत की ऐसी पहली शख्सियत हैं जिन्हें इस सम्मान के लिए चुना गया। दरअसल उन्होंने बीते पांच वर्षों में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में वह काम किया है, जो आजादी के बाद 67 वर्षों तक कोई नहीं कर पाया। ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की अवधारणा और ‘सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’ के संकल्प और ‘प्रकृति में परमात्मा’ देखने के भारत की परम्परा पर चलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया को ‘प्रकृति से प्रेम’ की नयी दिशा दिखाई है।