किसान आंदोलन में अचानक ग्लोबल सेलिब्रिटीज की एंट्री ने सबको हैरान कर दिया था। जिन लोगों को किसान आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है, वो भी किसानों के समर्थन में ट्वीट करने लगे। इससे आशंका जतायी गई कि सेलिब्रिटीज के ट्वीट एक सोची समझी प्लानिंग का हिस्सा हैं। इसी बीच पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के एक ट्वीट ने आशंकाओं की पुष्टि कर दी और साजिश के सारे सबूत दुनिया के सामाने रख दिए। सबूतों से पता चलता है कि भारत के खिलाफ तारीखों के हिसाब से कैंपेनिंग का पूरा एक्शन प्लान तैयार किया गया था।
भारत को बदनाम करने की यह पूरी साजिश कनाडा में रची गई थी, क्योंकि कैंपेनिंग का पूरा एक्शन प्लान तैयार करने के पीछे पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का नाम सामने आया है, जो कि कनाडा का एक एनजीओ है। इसके को फाउंडर के रूप में एम ओ धालीवाल का नाम सामने आया है। सोशल मीडिया पर वायरल प्लानिंग के पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन में पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का लोगो लगा हुआ है। पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के वेबसाइट पर किसानों से जुड़े प्रोपगैंडा मटेरियल की भरमार है। जानकारी के मुताबिक, उनकी सोशल मीडिया साइट्स पर एंटी-नेशनल, प्रो-खालिस्तान सामग्री मिली है।
पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन नामक समूह ने लोगों को भड़काने और सोशल मीडिया पर सरकार विरोधी माहौल बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। उसके वेबसाइट पर लिखा गया कि सरकार किसानों की जान ले रही है। 1984 में हुए दंगों का डर भी दिखाया गया कि सरकार किसानों के दमन के लिए फिर ऐसा कुछ कर सकती है। 26 जनवरी के आंदोलन को रोकने के लिए केंद्र सरकार 1984 जैसा कुछ कर सकती है। दिलचस्प बात ये है कि इस समूह द्वारा एक वेबसाइट तैयार की गई है जिसका नाम है ‘आस्क इण्डिया व्हाय’ यानि, ‘भारत से पूछो, क्यों’?
Left: One of the founders of Canada-based Poetic Justice Foundation, which owns the website AskIndiaWhy referred in document shared by @GretaThunberg
Right: An event by Poetic Justice Foundation pic.twitter.com/UAbThusLrU
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) February 4, 2021
दरअसल, जो डॉक्यूमेंट शेयर किया गया था उसमें यह तक बताया गया था कि लोग क्या लिखकर सोशल मीडिया पर किसानों को समर्थन दे सकते हैं। अब कुछ लोग यह भी आरोप लगा रहे हैं कि कांग्रेस ने भी इस प्रोपगैंडा को सपोर्ट किया। लेखक आनंद रघुनाथन ने ट्वीट करके दावा किया कि केरल प्रदेश महिला कांग्रेस ने किसानों के समर्थन में जो ट्वीट किया था उसमें लिखा वाक्य वही है जो उस टूलकिट में लिखा हुआ था।
Just phenomenal, the detailing and effort that went into making that Anarchist ‘Breaking India’ Tool Kit. Hope our Intelligence Agencies unearth the kingpin and the mastermind who is paying for all this.
As for Greta, she should be given a Padma for making that goldmine public.
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) February 3, 2021
03 फरवरी को ग्रेटा थनबर्ग ने जो डॉक्यूमेंट ट्वीट किए, उन दस्तावेज में उल्लेख किया गया है कि ‘पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन’ द्वारा ही किसानों के आंदोलन के लिए विरोध प्रदर्शन की सामग्री और सोशल मीडिया टेम्पलेट बनाए गए थे। अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इस संगठन ने 26 जनवरी की हिंसा को लेकर भी खूब माहौल बनाया था-
इस संगठन ने अपनी वेबसाइट ‘AskIndiaWhy’ पर लिखा है, “हम सबसे सक्रिय रूप से #FarmersProtest में शामिल हैं, जिसने दुनिया भर में भारतीय प्रवासियों को किसानों के प्रति भारत की दमनकारी नीतियों के लिए एक विद्रोह के रूप में सक्रिय किया है।” किसानों के विरोध को इस संगठन ने ‘दुनिया के सबसे लम्बे चले किसान आंदोलनों में से एक’ के रूप में बताया है, जैसा दुनिया ने कभी नहीं देखा। भारत सरकार पर हमला करते हुए यह संगठन कहता है, “प्रधानमंत्री मोदी के फासीवादी शासन में भारत ने खुद को एक क्रूर हिंदू राष्ट्रवादी शासन के रूप में पेश किया है।”
इस डॉक्यूमेंट में एमओ ढोलीवाल नाम के एक व्यक्ति का भी जिक्र सामने आया है, जो कि पोएटिक जस्टिस फॉउंडेशन का एक सदस्य है। एमओ ढोलीवाल ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स पर सितंबर, 2020 में खुद को खालिस्तानी समर्थक बताया है। इस पोस्ट में ढोलीवाल ने ‘स्वतंत्र पंजाब’ की जमकर वकालत भी की है।
गौरतलब है कि कि ग्रेटा थनबर्ग ने दो एक्शन प्लान को लेकर ट्वीट किए थे। एक एक्शन प्लान में पोएटिक जस्टिस फॉउंडेशन के 26 जनवरी तक के एक्शन प्लान का भी जिक्र किया गया है। उनके इस ट्वीट के बाद ही लोगों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हों गईं और देखते ही देखते वो सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगीं। विवाद बढ़ता देख ग्रेटा थनबर्ग ने ये ट्वीट्स डिलीट कर दिए थे।