प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने आज एक बड़ी रणनीतिक और आर्थिक उपलब्धि हासिल की है। भारत और न्यूजीलैंड ने व्यापार की दुनिया में एक नए अध्याय की शुरुआत की है। दोनों देशों ने आज, 22 दिसंबर को एक व्यापक, संतुलित और भविष्योन्मुखी मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता न केवल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करता है, बल्कि ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य की ओर एक बहुत बड़ी छलांग है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समझौते को भारत की आर्थिक संप्रभुता और वैश्विक विस्तार के बीच एक सेतु बताया है। उनके नेतृत्व में यह भारत के सबसे तेजी से संपन्न होने वाले मुक्त व्यापार समझौतों में से एक बन गया है। पीएम मोदी का स्पष्ट निर्देश था कि समझौता ऐसा हो जो ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा दे और भारतीय प्रतिभा को वैश्विक मंच पर सम्मान दिलाए।
The India-NZ partnership is going to scale newer heights. The FTA sets the stage for doubling bilateral trade in the coming 5 years.
India welcomes investment worth over USD 20 billion from New Zealand across diverse sectors. Our talented youth, vibrant startup ecosystem and…
— Narendra Modi (@narendramodi) December 22, 2025
इस डील की नींव 16 मार्च 2025 को रखी गई थी, जब वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और न्यूजीलैंड के मंत्री टॉड मैक्ले के बीच औपचारिक वार्ता शुरू हुई। प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत निगरानी और कूटनीतिक सक्रियता का ही परिणाम है कि महज 5 औपचारिक दौर की वार्ताओं में यह ‘ऐतिहासिक’ समझौता हकीकत बन गया।

इस समझौते की सबसे बड़ी उपलब्धि निवेश के मोर्चे पर है। न्यूजीलैंड ने अगले 15 वर्षों में भारत में 20 बिलियन डॉलर (लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपये) के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। यह भारी-भरकम पूंजी भारत के बुनियादी ढांचे, विनिर्माण और नवाचार के क्षेत्रों में नई जान फूंकेगी, जिससे लाखों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे।

व्यापारियों और निर्यातकों के लिए यह किसी ‘जैकपॉट’ से कम नहीं है। अब न्यूजीलैंड जाने वाले भारतीय सामानों पर कोई सीमा शुल्क यानी Duty नहीं लगेगा। कपड़ा, रत्न-आभूषण, चमड़ा, फुटवियर, हस्तशिल्प और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में भारत की पकड़ मजबूत होगी। एमएसएमई क्षेत्र के सामान अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में ज्यादा प्रतिस्पर्धी होंगे, जिससे सीधे तौर पर भारतीय श्रमिकों और कारीगरों की जेब में पैसा पहुंचेगा।
यह केवल सामानों का आदान-प्रदान नहीं है, बल्कि ‘प्रतिभा’ का भी मेल है। न्यूजीलैंड ने भारत को अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी ‘सेवा प्रस्ताव’ दिया है। अब हर साल 5,000 भारतीय कुशल पेशेवरों को न्यूजीलैंड में काम करने के लिए प्रवेश मिलेगा। इसमें आईटी एक्सपर्ट्स, इंजीनियरों के अलावा आयुष चिकित्सक, योग प्रशिक्षक, भारतीय रसोइए और संगीत शिक्षकों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसके साथ ही भारतीय युवाओं के लिए वहां पढ़ाई के बाद काम करने और स्थायी करियर बनाने के रास्ते आसान कर दिए गए हैं।

अक्सर व्यापार समझौतों में खेती को लेकर चिंता रहती है, लेकिन पीएम मोदी ने इसे भारतीय किसानों के लिए ‘अवसर’ में बदल दिया है। न्यूजीलैंड भारत में कीवी, सेब और शहद के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करेगा। भारतीय किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री, फसल कटाई के बाद की आधुनिक तकनीक और बेहतर आपूर्ति श्रृंखला का लाभ मिलेगा। साथ ही भारत ने अपने संवेदनशील डेयरी सेक्टर को इस समझौते से बाहर रखकर करोड़ों पशुपालकों के हितों की रक्षा की है।
भारत की ‘विश्व की फार्मेसी’ वाली छवि को इस समझौते से और मजबूती मिली है। अब न्यूजीलैंड में भारतीय दवाओं और मेडिकल डिवाइसेस को मंजूरी मिलना आसान होगा। साथ ही, आयुष प्रणालियों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलने से भारत ‘ग्लोबल हेल्थ हब’ के रूप में उभरेगा। इसके अलावा, भारतीय वाइन और स्पिरिट को GI Tag की कानूनी सुरक्षा देने के लिए न्यूजीलैंड अपने कानूनों में बदलाव करेगा।

यह समझौता व्यापार को बढ़ावा देने के साथ-साथ हमारे किसानों, छात्रों और महिलाओं के लिए अवसरों की नई दुनिया खोलेगा। भारत-न्यूजीलैंड एफटीए प्रधानमंत्री मोदी की उस सोच का परिणाम है जहां भारत अब दुनिया की ‘बैक-बेंच’ पर नहीं, बल्कि ‘ड्राइविंग सीट’ पर बैठकर वैश्विक आर्थिक नियमों को तय कर रहा है।










