प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की प्रगति की चमक पूरे विश्व में दिखाई दे रही है। पीएम मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ का विजन दिया जो आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में एक मजबूत पिलर के रूप में काम कर रहा है। इस विजन के बाद देश के युवा नौकरी पाने की होड़ में शामिल होने के बजाय अपना उद्यम शुरू करने में रुचि ले रहे हैं और नौकरी मांगने के बजाय देने के काबिल बन रहे हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि आज भारत निर्यात के मोर्चे पर झंडे गाड़ रहा है। आज पूरी दुनिया ‘मेक इन इंडिया’ पर भरोसा कर रही है। इसलिए भारत में बनी चीजों की विदेशों में मांग बढ़ती जा रही है। आत्मनिर्भर भारत अभियान और मेक इन इंडिया की सफलता इस बात से समझी जा सकती है कि अपना उद्योग शुरू कर चुके या करने वाले बड़ी संख्या में युवक-युवतियों ने उद्यम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया है। पिछले दो वर्षों में उद्यम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की संख्या 28 लाख से बढ़कर 1.5 करोड़ से अधिक पहुंच गई है। यह देश की आर्थिक आत्मनिर्भरता और समृद्धि का परिचायक है। प्रधानमंत्री मोदी के ऊर्जावान नेतृत्व में MSME सेक्टर अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन कर उभर रहा है।
पिछले 2 वर्षों में उद्यम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की संख्या 28 लाख से बढ़कर 1.5 करोड़ से अधिक तक पहुंचना हमारे देश की आर्थिक आत्मनिर्भरता और समृद्धि का परिचायक है।
प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के ऊर्जावान नेतृत्व में MSME सेक्टर अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन कर उभर रहा है।#MSME pic.twitter.com/m4aysg0VFK
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उद्यम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की संख्या 1.5 करोड़ से अधिक हुई
सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम के मंत्री नारायण राणे ने ट्वीट कर बताया कि पिछले 2 वर्षों में उद्यम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की संख्या 28 लाख से बढ़कर 1.5 करोड़ से अधिक तक पहुंचना हमारे देश की आर्थिक आत्मनिर्भरता और समृद्धि का परिचायक है।
अगस्त 2022 में उद्यम पोर्टल ने एक करोड़ पंजीकरण पूरे किए
एमएसएमई मंत्रालय ने अगस्त 2022 में अपने उद्यम पोर्टल पर ऐतिहासिक 1 करोड़ पंजीकरण की महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने का गौरव हासिल किया। इस अवसर पर केन्द्रीय एमएसएमई मंत्री नारायण राणे कहा कि एमएसएमई मंत्रालय की योजनाओं का लाभ उठाने और बैंकों के प्राथमिकता वाले क्षेत्र को ऋण देने के लिए एक पहचान के रूप में एमएसएमई के लिए इसकी बहुत उपयोगिता है। राणे ने सकल घरेलू उत्पाद, निर्यात और रोजगार सृजन में एमएसएमई द्वारा किए गए योगदान पर भी जोर दिया।
उद्यम पंजीकरण पोर्टल 1 जुलाई, 2020 को शुरू किया गया
संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश और कारोबार पर आधारित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की संशोधित परिभाषा को 26 जून, 2020 को अपनाने के बाद उद्यम पंजीकरण पोर्टल 1 जुलाई, 2020 को शुरू किया गया था। संशोधित परिभाषा ने विनिर्माण और सेवा उद्यमों के बीच के अंतर को दूर कर दिया। उद्यम पोर्टल सीबीडीटी और जीएसटीएन के डेटाबेस से जुड़ा हुआ है। यह पूरी तरह से ऑनलाइन है, इसके लिए किसी भी प्रकार के लिखित प्रमाण की आवश्यकता नहीं है, और यह एमएसएमई के लिए व्यवसाय को सुगम बनाने की दिशा में एक कदम है।
एमएसएमई के तहत 1.7 करोड़ महिलाओं को रोजगार मिलेगा
केन्द्रीय एमएसएमई मंत्री नारायण राणे कहा कि उद्यम पोर्टल पर 25 महीनों की अवधि में, 1 करोड़ एमएसएमई ने स्वैच्छिक आधार पर पंजीकरण कराया है और घोषणा की है कि वे 7.6 करोड़ लोगों को रोजगार देंगे, जिनमें 1.7 करोड़ महिलाएं हैं। उद्यम डेटा साझा करने के लिए एमएसएमई मंत्रालय ने पर्यटन मंत्रालय और एनएसआईसी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर, उद्यम पंजीकरण के लिए डिजी लॉकर सुविधा भी शुरू की गई।
एमएसएमई की परिभाषा –
सूक्ष्म उद्यम :– इस श्रेणी के उद्यम में प्लांट, मशीनरी एवं उपकरण में निवेश 1 करोड़ रूपये से अधिक नहीं होता हैं, और सालाना टर्नओवर 5 करोड़ रूपये से अधिक नहीं होता है।
लघु उद्यम :– इस श्रेणी के उद्यम में प्लांट, मशीनरी एवं उपकरण में निवेश 10 करोड़ रूपये तक होता हैं और सालाना टर्नओवर अधिकतम 50 करोड़ रूपये तक होता है।
मध्यम उद्यम :– इस अंतिम श्रेणी के उद्यम में प्लांट, मशीनरी एवं उपकरण में निवेश 50 करोड़ रूपये और सालाना करोबार 250 करोड़ रूपये तक का होता है।
जिला स्तर और क्षेत्रीय स्तर पर सिंगल विंडो सिस्टम
एमएसएमई मंत्रालय ने जिला स्तर और क्षेत्रीय स्तर पर सिंगल विंडो सिस्टम के रूप में एमएसएमई के लिए एक मजबूत सुविधा तंत्र स्थापित किया है। इस सिंगल विंडो सिस्टम के तहत उन उद्यमियों की मदद की जाएगी, जोकि किसी कारण से उद्यम पंजीकरण में दर्ज होने में सक्षम नहीं हैं। यानि कि जिनके पास वैध आधार संख्या नहीं हैं, वे सिंगल विंडो सिस्टम से सम्पर्क कर सकते हैं। ऐसे लोगों को अपने आधार नामांकन रिक्वेस्ट या पहचान, बैंक फोटो पासबुक, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस अपने साथ ले जाना होगा। इसके बाद ही सिंगल विंडो सिस्टम उन्हें आधार नंबर प्राप्त करने के बाद उद्यम के रूप में पंजीकरण करने की सुविधा प्रदान करेगा।
देश भर में ‘चैंपियन कण्ट्रोल रूम्स’
जिला स्तर पर उद्यमियों की सुविधा के लिए जिला उद्योग केंद्र (डीआईसी) को जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह एमएसएमई मंत्रालय ने देश भर में ‘चैंपियन कण्ट्रोल रूम्स’ को उद्यमियों को पंजीकरण में सुविधा प्रदान करने के लिए कानूनी रूप से जिम्मेदार बनाया है। यदि किसी उद्यम के पास पहले से उद्यम रजिस्ट्रेशन नंबर है, तो उसे अपनी जानकारी को उद्यम पंजीकरण पोर्टल में ऑनलाइन अपडेट करना होगा। इसमें उन्हें पिछले वित्तीय वर्ष के लिए आईटीआर और जीएसटी रिटर्न का विवरण और स्वयं के आधार पर आवश्यक अन्य अतिरिक्त जानकारी देनी हो सकती हैं।
उद्योगों को अधिकतम लाभ देने के लिए शुरू किया गया उद्यम पंजीकरण
उद्यम पंजीकरण जिसे एमएसएमई पंजीकरण के रूप में भी जाना जाता है, एक सरकारी पंजीकरण है जो एक मान्यता प्रमाण पत्र और एक अद्वितीय संख्या के साथ प्रदान किया जाता है। यह छोटे/मध्यम व्यवसायों या उद्यमों को प्रमाणित करने के लिए है। इस सुविधा को शुरू करने के पीछे केंद्रीय उद्देश्य भारत में मध्यम या लघु-स्तरीय व्यवसायों या उद्योगों को अधिकतम लाभ प्रदान करना है।
पंजीकृत लघु उद्योग क्रेडिट गारंटी जैसी योजनाओं का ले सकते लाभ
नए एमएसएमई शुरू करने के लिए उद्यम पंजीकरण अनिवार्य नहीं है। हालांकि, योजना के माध्यम से, पंजीकृत MSMEs मंत्रालय की योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं, जैसे कि क्रेडिट गारंटी योजना, सार्वजनिक खरीद नीति, और सरकारी निविदाओं में अतिरिक्त बढ़त और विलंबित भुगतानों से सुरक्षा।
‘चैंपियन्स’ से बनेगा एमएसएमई सेक्टर चैंपियन!
कोरोना काल में प्रधानमंत्री मोदी ने जून 2020 में चैंपियन्स यानी क्रिएशन एंड हार्मोनियस एप्लीकेशन ऑफ मार्डन प्रोसेसेज फॉर इंक्रीजिंग द आउटपुट एंड नेशनल स्ट्रेंथ नाम के पोर्टल को लॉन्च किया। ये पोर्टल अपने नाम की तरह ही एमएसएमई की छोटी-छोटी इकाइयों की हर तरह से मदद कर उन्हें चैंपियन बनाएगा। चैंम्पियन्स पोर्टल को एमएसएमई का इन छोटी इकाइयों के लिए वन स्टॉप साल्यूशन माना जा रहा है। चैंपियन्स देश का पहला ऐसा पोर्टल है जिसे भारत सरकार की मुख्य केन्द्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली यानी सीपी ग्राम्स से जोड़ा गया है। यानी अगर किसी ने सीपीग्राम्स पर शिकायत कर दी तो ये सीधे चैंपियन्स पोर्टल पर आ जाएगी। पहले ये शिकायत मंत्रालयों को भेजी जाती थी जिसे मंत्रालय के सिस्टम पर कापी किया जाता था। इससे शिकायतों को निपटाने की व्यवस्था तेज होगी।
एमएसएमई सेक्टर में 12 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग, कुटिर उद्योग और गृह उद्योग मिलकर 12 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार देते हैं। इनके लिए 3 लाख करोड़ रुपये का कोलैटरल फ्री ऑटोमैटिक लोन का प्रवाधान किया गया है। किसी को अपनी ओर से किसी तरह की गारंटी देने की जरूरत नहीं है। इसकी समय-सीमा भी चार वर्ष की होगी। पहले एक वर्ष में मूलधन वापस नहीं करना पड़ेगा। 31 अक्टूबर, 2020 से इस स्कीम का फायदा उठाया जा सकता है। इस योजना का लाभ लेकर 45 लाख यूनिट बिजनस ऐक्टविटी दोबारा शुरू कर सकते हैं और उनके यहां नौकरियां बचाई जा सकती हैं।
एमएसएमई: कौशल विकास कार्यक्रम के तहत सिलाई का प्रशिक्षण
एमएसएसई वंचित समाज के महिलाओं को एक महीने तक सिलाई और कटाई का प्रशिक्षण देता है। एमएसएमई का यह कार्यक्रम उद्यमिता एवं कौशल विकास कार्यक्रम के तहत आयोजित किया जाता है, जिससे महिलाओं में कौशल विकास हो सके। ताकि वो आर्थिक रूप से आत्म निर्भर हो सकें। सिलाई प्रशिक्षण के साथ साथ इन महिलाओं को सरकारी स्कीम और सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं के बारे में भी बताया जाता है। साथ ही प्रशिक्षण पूरा होने के बाद जो महिलाएं चाहती हैं उन्हें सब्सिडी और ऋण की सुविधा उपलब्ध कराकर पूर्ण रूप से उद्योग से जोड़ा जाता है।
मेक इन इंडिया ने किस तरह कपड़े, कालीन से लेकर खिलौना उद्योग को फिर से जीवित कर दिया, इस पर एक नजर-
चीनी उत्पादों को बाय-बाय, अब मेक इन इंडिया पिचकारियों की धूम
होली के बाजार में अब मेक इन इंडिया की पिचकारियों की धूम रहती है। होली सहित अधिकांश पर्वों पर बाजारों में चीनी उत्पादों ने घुसपैठ बना रखी थी, लेकिन चीनी उत्पादों पर प्रतिबंध के बाद मेक इन इंडिया के तहत बने भारतीय उत्पादों की बेहतर क्वालिटी, कीमत ने अब मेड इन चाइना को पछाड़ दिया है। अब होली के बाजार में मेक इन इंडिया के उत्पादों का बोलबाला रहता है। व्यापारियों का भी कहना है कि अब भारतीय पिचकारियां सहित अन्य सामग्री काफी बेहतर क्वालिटी में बाजारों में आई हैं और लोगों के बीच इसकी खूब डिमांड है।
दो साल में मेक इन इंडिया खिलौने का निर्यात 2600 करोड़ रुपये पर पहुंचा
वर्ष 2014 से पहले भारत के बाजार चीन के खिलौने से अटा पड़ा रहता था। जो चीन कल तक वैश्विक खिलौना निर्माण का पावरहाउस था आज बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी अपनी खिलौना निर्माण ईकाई भारत में खोलना चाह रही है। यह सब पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के प्रयासों से ही यह करिश्मा संभव हुआ है। यही वजह है कि सिर्फ 2 साल में भारत का खिलौना निर्यात 300 करोड़ से 2600 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। आज भारत का खिलौना उद्योग चीन पर आयात निर्भरता को कम करने के लिए देश के अभियान में एक उम्मीद की किरण बन गया है। इसके चलते एक ओर भारत में खिलौनों का निर्यात बढ़ा तो वहीं खिलौनों का आयात भी घट गया। इससे न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली बल्कि खिलौना उद्योग के फलने-फूलने से लोगों को रोजगार भी मिला है।
मेक इन इंडिया ने वाद्ययंत्र निर्माण उद्योग में जान फूंकी, निर्यात 4 गुना बढ़ा
भारतीय वाद्ययंत्रों का निर्माण पहले बड़े स्तर पर नहीं किया जाता था लेकिन मेक इन इंडिया अभियान के बाद इसके निर्माण में भी तेजी आई और अब भारतीय वाद्ययंत्रों का बड़े पैमाने पर निर्यात किया जाता है। भारतीय वाद्ययंत्रों (म्यूजिकल इंट्रूमेंट्स) का निर्यात अप्रैल-दिसंबर 2013-14 में 65 करोड़ रुपये का हुआ था जबकि अप्रैल-दिसंबर 2022-23 में करीब गुना बढ़कर 242 करोड़ रुपये हो गया। इन आंकड़ों से आप कल्पना कर सकते हैं कि जहां आजादी के 65 वर्षों बाद 2013 तक 65 करोड़ निर्यात होता था वहीं पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले 9 साल में यह बढ़कर 242 करोड़ रुपये हो गया।
कालीन उद्योग को मिला नया जीवन, निर्यात 11 हजार करोड़ रुपये
मेक इन इंडिया के तहत भारत के कालीन उद्योग को भी नया जीवन मिला है। वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर सेक्टर पर ध्यान दिया और इसकी वजह से आज कालीन निर्यात नए रिकार्ड बना रही है इससे जुड़ा उद्योग भी फल-फूल रहा है। वित्त वर्ष 2013-14 के अप्रैल-दिसंबर अवधि में कालीन निर्यात 7,127 करोड़ रुपये थी। वहीं 2022-23 में इसी अवधि में डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़कर 11,274 करोड़ रुपये हो गया। यह पीएम मोदी के विजन से ही संभव हो पाया कि कालीन निर्यात पिछले नौ साल में दोगुना के करीब पहुंचने वाला है।
मेड इन इंडिया का कमाल, 2.5 अरब डॉलर से अधिक के आईफोन का एक्सपोर्ट
पहले भारत में चीन में निर्मित सस्ते स्मार्ट फोन की बड़ी मांग थी, लेकिन अब भारत में बने आईफोन की मांग पूरी दुनिया में बढ़ गई हैं। एप्पल ने 2022-23 के पहले नौ महीने यानी पिछले साल अप्रैल-दिसंबर माह में भारत से 2.5 बिलियन डॉलर से अधिक के आईफोन का एक्सपोर्ट किया, जो पूरे वित्त वर्ष 2021-22 (FY22) में किए गए निर्यात का लगभग दोगुना है। तेजी से बढ़ती संख्या इस बात की ओर इशारा करती है कि कैसे एप्पल अपने उत्पादन को चीन के बाहर स्थानांतरित कर रही है। इस क्षेत्र के जानकारों मुताबिक भारत में आईफोन बनाने वाले फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी समूह और विस्ट्रॉन कॉर्प ने साल 2022-23 के पहले नौ महीने में एक-एक अरब डॉलर से ज्यादा के एप्पल के साजो-सामानों का निर्यात किया है। एप्पल के लिए प्रोडक्शन करने वाली एक और कंपनी पेगाट्रॉन कॉर्प भी इस महीने के अंत तक करीब 50 करोड़ डॉलर के Gadgets निर्यात करने वाली है।
दुनिया को भा रहा भारत के दही व पनीर का स्वाद, निर्यात 5 गुना बढ़ा
भारत के दही व पनीर के निर्यात के बारे में पहले बात भी नहीं की जाती थी लेकिन पीएम मोदी के मेक इन इंडिया विजन से इस सेक्टर ने भी अपने उत्पादन और क्वालिटी को बेहतर अपने को साबित किया है। इससे निर्यात भी लगातार बढ़ रहा है और इसका स्वाद दुनिया को पसंद आ रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2013 में जहां दही-पनीर का निर्यात करीब 54 करोड़ रुपये का था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह पांच गुना से ज्यादा बढ़कर 276 करोड़ रुपये हो गया।
दुनिया भारतीय चॉकलेट से कर रही मुंह मीठा, निर्यात दोगुना बढ़ा
मेक इन इंडिया से देश के चॉकलेट उद्योग को पंख लग रहे हैं। पूरी दुनिया में जहां चॉकलेट इंडस्ट्री में ठहराव आ चुका है वहीं भारत में 13 प्रतिशत की दर से चॉकलेट उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2013 में भारतीय चॉकलेट का निर्यात जहां 304 करोड़ रुपये था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह दोगुना से ज्यादा बढ़कर 677 करोड़ रुपये हो गया। ट्रेड प्रमोशन काउंसिल आफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार साल 2025 में भारत में कोको उत्पादन दोगुना होने के साथ 30 हजार टन होने की उम्मीद है। ऐसे में भारत के चाकलेट उद्योग को बड़ी मात्रा में कच्चे माल के रूप में चाकलेट मिलेगा और भारत चाकलेट के प्रमुख निर्यातक देशों में शामिल हो जाएगा।
भारत ने 7,034 करोड़ रुपये की रक्षा सामग्री का निर्यात किया
भारत ने मेक इन इंडिया के तहत 1 नवंबर 2022 तक 7000 करोड़ का रक्षा निर्यात किया है। इस तरह चालू वित्त वर्ष में 15000 करोड़ रुपये रक्षा निर्यात किए जाने की उम्मीद है। आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, भारत ने इस साल 1 नवंबर तक 7,034 करोड़ रुपये की रक्षा सामग्री का निर्यात किया है। वर्ष 2021-22 में भारत ने 12,814 करोड़ रुपये का के रक्षा निर्यात किया था। 2014-15 के बाद से इसमें उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, उस दौरान यह आंकड़ा मात्र 1940.64 करोड़ था।
आदिवासी हैंडीक्राफ्ट ने विदेशों में की 12 करोड़ डॉलर से अधिक की कमाई
देश के निर्यात में हैंडीक्राफ्ट का हिस्सा बढ़ता जा रहा है। हैंडीक्राफ्ट का करीब 30 फीसदी की दर से निर्यात बढ़ रहा है। हाल ही के आंकड़ों के मुताबिक आदिवासी हस्तशिल्प ने विदेशी बाजारों में 12 करोड़ डॉलर से अधिक की कमाई की है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में बताया कि भारत अब सबसे बड़े हस्तशिल्प निर्यातक देशों में से एक है, जिसमें आदिवासी हस्तशिल्प विदेशी बाजारों में 120 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई करते हैं। आज दुनिया के 90 से अधिक देश भारत के हस्तशिल्प उत्पादों को खरीदते हैं।
इलेक्ट्रिल मशीनरी निर्यात साढ़े तीन गुना बढ़ा
अप्रैल-दिसंबर 2013 में इलेक्ट्रिल मशीनरी का निर्यात 47,008 करोड़ रुपये था जो कि अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह साढ़े तीन गुना बढ़कर 1,64,293 करोड़ रुपये हो गया। भारतीय इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्री दशकों से खराब गुणवत्ता से ग्रस्त रहा है। इस वजह से इसके उत्पाद वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे थे। पीएम मोदी ने मेक इन इंडिया का विजन दिया जिससे अब यह सुनिश्चित होगा कि घरेलू उत्पाद विश्व स्तर पर बराबरी वाले दर्जे के हों। भारतीय गुणवत्ता के भरोसे को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाना होगा और इससे उन वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी, जो भारत को चीन प्लस वन की रणनीति देखने के इच्छुक हैं।
आइए देखते हैं प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले नौ साल में किस तरह मेक इन इंडिया को ग्लोबल बनाने में सफलता हासिल की है और दूसरे देश के सीईओ किस तरह भारत की तरफ आकर्षित हो रहे हैं…
'We know that India is going to grow in the next few years and it's the right time to invest here. The world needs a program like #MakeinIndia' says Rolf Habben Jansen, CEO of Hapag-Lloyd@PMOIndia @narendramodi@makeinindia @MEAIndia pic.twitter.com/7CDq6EvHLE
— DD News (@DDNewslive) February 25, 2023
20 साल में भारत बहुत आगे होगाः सीईओ रोल्फ हेबन
जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज 25-26 फरवरी, 2023 को दो दिवसीय भारत दौरे पर आए थे। उनके साथ जर्मनी की प्रमुख कंपनियों के सीईओ भी आए थे। जर्मन कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के एक समूह ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी। इसके बाद इन सीईओ ने कहा कि भारत आर्थिक विकास की नई उड़ान भर रहा है। आज दुनिया को मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रम की जरूरत है। जर्मन कंपनी हापाग लॉयड के सीईओ रोल्फ हेबन ने कहा कि दुनिया को मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रम चाहिए, और इससे हुए उत्पादन को निर्यात करने वाले भी। बुनियादी ढांचे में अच्छा विकास इसमें मदद करेगा। हम जानते हैं कि अगले 20 साल में भारत बहुत आगे बढ़ने वाला है।
भारत उत्पादन की दुनिया में अव्वल बनेगाः सीईओ क्लेमेंस रेथमन
रेथमन कंपनी के सीईओ क्लेमेंस रेथमन ने कहा कि भारत आकर आपको यहां की संस्कृति को स्वीकार करना होता है। इस महान और सुंदर देश में आकर आप ऐसा नहीं कह सकते कि हम जैसा चाहते हैं, उन्हें वैसा व्यवहार करना होगा। रेथमैन ने कहा कि भारत में कौशल और प्रतिभा है। इन संसाधनों का उपयोग करना सौभाग्य है और भारत उत्पादन की दुनिया में बड़ा हो जाएगा। रेथमैन ने कहा कि यहां आपको कार्यबल मिलता है। जबकि जर्मनी में कार्यबल की कमी है। आपके पास इतने सारे बुद्धिमान युवा हैं, जो कुछ करना चाहते हैं।
'We see real potential in India, DHL has been working in India for more than 45 years. India is a good market for us & we see the momentum here', says Dr Tobias Meyer, CEO of Deutsche Post DHL Group@PMOIndia @MEAIndia pic.twitter.com/0PD4baAXrD
— DD News (@DDNewslive) February 25, 2023
भारत में वास्तविक संभावनाएं दिख रहींः सीईओ डॉ. टोबियस मेयर
डॉयचे पोस्ट डीएचएल समूह के सीईओ डॉ. टोबियस मेयर ने कहा कि भारत में बुनियादी ढांचे के विकास-बीज डाले जा रहे हैं, उनकी फसल जल्द तैयार होगी। हम यहां वास्तविक संभावनाएं और चीजें आगे बढ़ते देख रहे हैं।
भारत में टिकाऊ काम की व्यापक संभावनाएंः सीईओ क्रिश्चियन क्लीन
एसएसपी के सीईओ क्रिश्चियन क्लीन ने कहा कि भारत में हम हजारों स्टार्ट-अप के साथ काम कर रहे हैं। यहां टिकाऊ तरीके से काम करने की ऊंची संभावनाएं हैं। हम यहां अपना निवेश दोगुना करने जा रहे हैं।
“India at forefront of leading nations with increased self-confidence”: TUV NORD Chairman Dirk Stenkamp after meeting PM Modihttps://t.co/Gz83GRkTCR pic.twitter.com/7vbSxkeiuc
— narendramodi_in (@narendramodi_in) February 26, 2023
भारत आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने वाले देशों में सबसे आगेः सीईओ डर्क स्टीनकैंप
टीयूवी नॉर्ड के सीईओ डर्क स्टीनकैंप ने कहा कि मैं शुरू से मेक इन इंडिया के बारे में जानता हूं। इसी वजह से कई जर्मन कंपनियों को भारत आकर उत्पादन करने में सहयोग दे रहा हूं। डर्क स्टेनकैंप ने कहा कि भारत बढ़े हुए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने वाले देशों में सबसे आगे है। इंडिया आज उस मुकाम पर है, जहां से वह आर्थिक विकास की एक नई उड़ान भर सकता है। स्टेनकैंप ने कहा कि ‘मैं शुरू से ही मेक इन इंडिया पहल के बारे में जानता हूं और हम भारत आने और भारत में उत्पादन शुरू करने के लिए कई जर्मन कंपनियों का समर्थन कर रहे हैं। भारत में मेक इन इंडिया का हिस्सा बनने के लिए जर्मन मित्तलस्टैंड में एक पहल चल रही है। इसके साथ ही कई छोटे और मध्यम आकार के जर्मन उद्यमों के भारत आने और मेक-इन-इंडिया का हिस्सा बनने के लिए भी एक पहल चल रही है। उन्होंने कहा कि भारत में ग्रोथ और बिजनेस के विस्तार की अपार संभावनाएं हैं।
Under PM @narendramodi’s leadership, India is building a technology base for Solar energy and Green Hydrogen. India can make itself a good base for manufacturing, R&D and Engineering, says Dr. Peter Podesser, CEO, SFC Energy.@PMOIndia @MEAIndia #MakeInIndia pic.twitter.com/wOAb3n3A8w
— DD News (@DDNewslive) February 25, 2023
उत्पादन के साथ ही शोध-विकास में भी काम करेंगेः सीईओ पीटर पोडेस्सर
एसएफसी एनर्जी के सीईओ पीटर पोडेस्सर ने कहा कि मेक इन इंडिया में हम न केवल उत्पादन, बल्कि शोध और विकास की भी नई संभावनाएं देख रहे हैं।
We're proud to be a trusted partner of the Indian govt. We're expanding a lot here as India is a fast growing market and for us a key market in Asia. We are proud to be here in India: Susanne Wiegand, CEO, RENK on her meeting with PM Modi pic.twitter.com/ucZy11vmqI
— ANI (@ANI) February 25, 2023
पीएम मोदी के साथ बैठक में शामिल होना सम्मान की बातः सीईओ सुजैन वीगैंड
रेंक (Renk) की सीईओ सुजैन वीगैंड ने कहा कि वे भारत सरकार के एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में यहां आकर गर्व महसूस कर रही हैं। उनकी कंपनी भारतीय सेना और नौसेना को ड्राइव सॉल्यूशंस की सप्लाई कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत का तेजी से बढ़ता सीमेंट बाजार भी एक बिजनेस संभावना है। वीगेंड ने कहा कि यहां आना और पीएम मोदी के साथ बैठक में शामिल होना सम्मान की बात है, ऐसी बैठक सराहनीय हैं। हम भारत सरकार के विश्वसनीय सहयोगी हैं, नौसेना सहित सशस्त्र बलों को आपूर्ति भी कर रहे हैं।
India has huge potential in Green Energy, Infrastructures & Healthcare with investments under #MakeinIndia initiatives. India has huge population of young people, digital affinity as well as a lot of pace says Roland Busch, President & CEO, Siemens AG@narendramodi @MEAIndia pic.twitter.com/PsGt5SPAfI
— DD News (@DDNewslive) February 25, 2023
भारत के लिए कई संकेत सकारात्मक, हो रहा भारी निवेशः सीईओ रोलैंड बुश
सीमंस एजी के सीईओ रोलैंड बुश ने कहा कि कई संकेत सकारात्मक हैं। यहां केवल ऊर्जा नहीं, बल्कि हरित ऊर्जा क्षेत्र में काफी निवेश हो रहा है। यह परिवहन से लेकर उत्पादकता तक सुधार सकता है। यहां 1.6 करोड़ एमएसएमई की मौजूदगी है।
"We are very happy to be a partner of India": CEO of SAPhttps://t.co/EWCAAFCZu9 pic.twitter.com/YKTk3P0RoZ
— narendramodi_in (@narendramodi_in) February 26, 2023
भारत का भागीदार बनकर खुश हूंः सीईओ क्रिश्चियन क्लेन
सॉफ्टवेयर कंपनी SAP के सीईओ क्रिश्चियन क्लेन भी पीएम मोदी के साथ हुई बैठक में शामिल थे। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि भारत की स्थिरता के लिए उच्च आकांक्षाएं हैं। भारत सप्लाई चेन में कार्बन के उपयोग को कम करने और ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग करना चाहता है। ये सब आधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ-साथ चलता है। उन्होंने कहा कि वह भारत का भागीदार बनकर खुश हैं। ये सभी सीईओ जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज (German chancellor Olaf Scholz) के साथ भारत आने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं। गौरतलब है कि ओलाफ स्कोल्ज 25-26 फरवरी तक भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आए थे।
अर्जेंटीना ने 15 और मिस्र ने 20 तेजस विमानों को खरीदने में दिखाई रुचि
बेंगलुरु में आयोजित एयरो इंडिया शो 2023 में मेक इन इंडिया का जलवा दिखाई दिया। इस शो का आकर्षण एचएएल के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस रहा। इस लड़ाकू विमान की मांग बढ़ती जा रही है और इसे खरीदने में कई देशों ने दिलचस्पी दिखाई। एचएएल के अध्यक्ष व महानिदेशक सीबी अनंतकृष्णन ने 14 फरवरी, 2023 को बंगलुरू में जारी एयरो इंडिया 2023 में बताया कि अर्जेंटीना ने 15 और मिस्र ने 20 तेजस विमान को खरीदने में रुचि दिखाई है। बोत्सवाना और मलयेशिया से भी तेजस की खरीद को लेकर बात हो रही है। उन्होंने कहा कि जल्द हम इन देशों को भारत में निर्मित विमान देंगे। भारत जल्द ही रक्षा क्षेत्र के निर्यात में भी सबसे आगे होगा। उन्होंने बताया कि एचएएल अपने हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर बेचने के लिए फिलीपींस के साथ भी बातचीत कर रही है। इनके अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया भी ‘तेजस’ विमान में दिलचस्पी दिखाने वाले देशों में शामिल हैं।
तेजस ने चीन-रूस को पछाड़कर फाइटर जेट प्रतियोगिता जीती
एलसीए तेजस ने विदेशों में भी अपना जलवा दिखाया। इसने जुलाई 2022 में मलेशिया फाइटर जेट प्रोग्राम प्रतियोगिता को जीता था। इस कम्पटीशन में तेजस ने चीन के जेएफ-17, दक्षिण कोरिया के एफए-50, रूस की तरफ से मिग-35 और याक-130 प्लेन को पछाड़ा था। इसके बाद भारत का तेजस हल्का लड़ाकू विमान मलेशिया के लिए टॉप पसंद के रूप में उभरा। उस समय मलेशिया ने रूसी मिग-18 विमानों के अपने पुराने बेड़े को बदलने के लिए कम से कम 18 तेजस कॉम्बैट एयरक्राफ्ट खरीदने में रुचि दिखाई थी।
पहली बार मरम्मत के लिए भारत आया अमेरिकी नौसेना का जहाज
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मेक इन इंडिया मुहिम रंग ला रही है। आज दुनिया भर में इसका दबदबा बढ़ा है। अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश भी भारत की तकनीकी सफलता का लोहा मानने लगे हैं और अपनी नौसेना के जंगी जहाज को मरम्मत के लिए भारत भेज रहे हैं। अमेरिकी नौसैनिक पोत ‘चार्ल्स ड्रयू’ मरम्मत एवं संबद्ध सेवाओं के लिए 6 अगस्त, 2022 को चेन्नई के कट्टूपल्ली में कंपनी ‘लार्सन एंड टुब्रो’ (एलएंडटी) के शिपयार्ड में पहुंचा। यह पहली बार है, जब कोई अमेरिकी पोत मरम्मत कार्य के लिए भारत पहुंचा। रक्षा मंत्रालय ने इसे ‘मेक इन इंडिया’ के लिए ‘‘उत्साहजनक’’ करार दिया।