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पीएम मोदी के विजन से भारत में बना स्टार्टअप इकोसिस्टम, इन 7 पहल से एंटरप्रेन्योर्स को मिला अनुकूल माहौल, बिजनेस को लगे पंख

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत लगातार नया-नया मुकाम हासिल कर रहा है। जिस तरह सरकार स्टार्टअप सेक्टर को सुविधाएं और प्रोत्साहन दे रही है, उससे देश में यूनिकॉर्न बनने वाले स्टार्टअप्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि का ही कमाल है कि स्टार्ट-अप्स की दुनिया में झंडे गाड़ने के बाद भारत अब उभरते यूनिकॉर्न का ‘बादशाह’ बनने की ओर बढ़ रहा है। पीएम मोदी ने 2016 में जब स्टार्टअप इंडिया योजना की पहल की थी, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि भारत इतनी जल्दी इस बुलंदी पर पहुंच जाएगा। मोदी सरकार के लगातार प्रोत्साहन मिलने के कारण भारत के नित-नए यूनिकॉर्न स्टार्टअप दुनिया में निरंतर नया मुकाम हासिल करते जा रहे हैं। भारत के स्टार्टअप्स में निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है। स्टार्टअप्स के लिए ऐसी कई पहल की गई जिसने भारत में स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और उद्यमियों को अपना व्यवसाय शुरू करने और विकसित करने के लिए अधिक अनुकूल वातावरण बनाने में मदद की।

1. स्टार्ट-अप इंडिया (Start-up India): उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए यह सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है। इसमें स्टार्टअप्स के लिए टैक्स छूट, फंडिंग और मेंटरशिप जैसे कई उपाय शामिल हैं।

पीएम मोदी ने पहचाना भारत में उद्यमशीलता की भावना, स्टार्टअप को मिली रफ्तार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन की वजह से महामारी के चलते लोगों के जीवन की उपयोगिता और रहन-सहन में आए अनदेखे बदलावों ने दुनिया भर में अर्थव्यवस्था के विकास का इंजन बन चुकी स्टार्ट-अप कंपनियों की तरक़्क़ी को रफ़्तार दी है। भारत में यूनिकॉर्न की लहर नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई है। देश में यूनिकॉर्न की संख्या 107 हो गई है। आज वैश्विक स्तर पर हर 10 में से 1 यूनिकॉर्न का उदय भारत में हो रहा है। भारत में 5 मई 2022 तक 100 यूनिकॉर्न थे जिनका कुल मूल्‍यांकन 332.7 अरब डॉलर था। भारत में उद्यमशीलता की भावना देश के कोने-कोने में मौजूद है। सभी 36 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 647 जिलों में स्टार्टअप के प्रसार से यह बिल्‍कुल स्पष्ट है। घरेलू स्टार्टअप परिवेश आत्मनिर्भरता के मिशन की दिशा में प्रभावी ढंग से काम कर रहा है। आत्‍मनिर्भर भारत का दृष्टिकोण स्टार्टअप परिवेश में गहराई से निहित है और वह आगामी वर्षों में भी जारी रहेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2023 में ऑटो, फिनटेक, क्लीनटेक, एग्री-टेक, लाइफस्टाइल डीप टेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्लाइमेट टेक जैसे क्षेत्रों में स्टार्टअप नई बुलंदी हासिल करेंगे।

2. मेक इन इंडिया (Make in India): इस पहल का उद्देश्य कंपनियों को भारत में अपने उत्पादों का निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित करना है, और इसमें कई उपाय शामिल हैं जैसे कि कर में छूट और विनिर्माण में निवेश करने वाली कंपनियों के लिए सब्सिडी।

मोदी राज में वैश्विक स्तर पर मेक इन इंडिया का बढ़ा दबदबा

देश में मेक इन इंडिया का नया इकोसिस्टम विकसित करने के साथ ही भारत को मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट के नए ग्लोबल चैंपियन बनाने पर जोर दिया है। इसका परिणाम है कि सैन्य हथियार बनाने में भारत तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है। आज दुनिया भर में मेक इन इंडिया का दबदबा बढ़ा है। सैन्य उपकरण बनाने वाली दुनिया की टॉप 100 कंपनियों में 3 भारतीय कंपनियां शामिल हैं। मेक इन इंडिया योजना देश ही नहीं विदेशों में भी लोकप्रियता के झंडे गाड़ रही है। मेक इन इंडिया के उत्पादों की अमरिका, ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी सहित 42 से अधिक देशों में जबरदस्त मांग है। इन देशों में भारत में निर्मित आयुर्वेद, प्राकृतिक उत्पादों, हीरे व रत्नजड़ित आभूषण और गृह सज्जा के उत्पाद सबसे ज्यादा निर्यात हो रहे हैं। ‘मेक इन इंडिया’ ने पिछले आठ सालों में विनिर्माण अवसंरचना, निवेश, नवोन्मेषण और कौशल विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है। प्रधानमंत्री मोदी के कुशल और गतिशील नेतृत्व में ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम ने देश को एक अग्रणी वैश्विक विनिर्माण और निर्यातक के रूप में पहचान दिलाई है। भारत आज मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात के मामले में बड़ी उपलब्धि हासिल कर रहा है।

3. डिजिटल इंडिया (Digital India) : इस पहल का उद्देश्य देश के डिजिटल बुनियादी ढांचे में सुधार करना और स्टार्टअप्स के लिए ऑनलाइन ग्राहकों तक पहुंचना आसान बनाना है।

Digital Payment सात साल में 10 से 80% के पार पहुंचा, महिलाएं भी बनीं ताकत

देश से भ्रष्टाचार को खत्म करने लिए पीएम मोदी का डिजिटल लेन-देन पर खासा जोर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के विजन पर चलते हुए अब तक कैश पर आधारित रही अर्थव्यवस्था में अब पेमेंट के तरीकों में व्यापक बदलाव आ रहा है। देश के सबसे बड़े त्योहार दिवाली के हफ्ते में यह बात और अच्छे से साबित हो गई। अब कैश के बजाए लोग ऑनलाइन पेमेंट को प्राथमिकता देने लगे हैं। जहां 2015 में डिजिटल पेमेंट 10 प्रतिशत से भी कम था, वहीं साल 2022 में यह 80 प्रतिशत तक पहुंच गया है। दो दशक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि दिवाली के मौके पर भी बाजार में कैश फ्लो नहीं बढ़ा, क्योंकि लोगों ने अपने स्मार्ट फोन के जरिए ज्यादा पेमेंट किया। दिल्ली एनसीआर में यूपीआई लेन-देन 442 फीसदी बढ़ा है। दिल्ली-एनसीआर के लोग खाने-पीने के साथ ही ट्रेवल के लिए डिजिटल पेमेंट का उपयोग तेजी कर रहे हैं।

4. स्टैंडअप इंडिया (Standup India): इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के बीच क्रेडिट, परामर्श और प्रशिक्षण तक पहुंच प्रदान करके उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से जॉब क्रिएटर बने युवा: अब तक 36.25 करोड़ लोगों को दिए गए 19.82 लाख करोड़ रुपये

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को वित्तीय सहायता देने के लिए शुरू की गई मुद्रा योजना के कारण बड़े स्तर पर स्वरोजगार को बढ़ावा मिला है। इस योजना ने अल्प समय में ही कई लोगों की जिंदगी बदल दी है। मुद्रा योजना के कारण युवा जॉब सीकर की जगह जॉब क्रिएटर बन रहे हैं। इस योजना के लाभार्थियों में ज्यादातर महिलाएं हैं। कई लोगों के पास हुनर तो है, लेकिन पूंजी की कमी की वजह से अपने हुनर का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोगों को प्रोत्साहन देने और उनके हाथों को काम देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने 8 अप्रैल, 2015 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरूआत की थी। योजना शुरू होने के बाद से अब तक 36.25 करोड़ से अधिक लोगों को मुद्रा लोन दिया जा चुका है। योजना के शुभारंभ के बाद से 29 जुलाई, 2022 तक 19.82 लाख करोड़ रुपये की धनराशि के 36.25 करोड़ से अधिक ऋण स्वीकृत किए गए हैं।

5. अटल इनोवेशन मिशन(Atal Innovation Mission): इस पहल का उद्देश्य पूरे भारत में अटल टिंकरिंग लैब्स और अटल इनक्यूबेशन केंद्रों की स्थापना करके देश में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना है, जो स्टार्टअप्स को संसाधन और सहायता प्रदान करते हैं।

एआईएम समर्थित स्टार्टअप ने जुटाए 2000 करोड़ रुपए

अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) ने राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र (Innovation Ecosystem) एकीकृत करने पर काम किया है। एआईएम ने निर्माण के लिए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ द्विपक्षीय संबंध बनाए हैं। पिछले वर्षों में एआईएम ने देश भर में नवाचार गतिविधियों को एकीकृत करने के लिए एक संस्थागत तंत्र प्रदान करने के लिए काम किया है। अपने कार्यक्रमों के माध्यम से इसने लाखों स्कूली बच्चों में इनोवेशन लाया है। एआईएम समर्थित स्टार्टअप ने सरकारी और निजी इक्विटी निवेशकों से 2000 करोड़ रुपए से अधिक जुटाए हैं और कई हजार नौकरियों का सृजन किया है। एआईएम के कार्यक्रमों में कुल मिलाकर 34 राज्य और संघ शामिल हैं।

एआईएम द्वारा हासिल किए जाने वाले लक्ष्यों में 10,000 अटल टिंकरिंग लैब्स, 101 अटल इनक्यूबेशन सेंटर तथा 50 अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर की स्थापना करना और अटल न्यू इंडिया चैलेंजेस के माध्यम से 200 स्टार्टअप्स का समर्थन करना शामिल है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार लाभार्थियों की स्थापना और समर्थन की प्रक्रिया में 2000 करोड़ रुपये से अधिक का कुल बजट व्यय किया जाएगा। अटल इनोवेशन मिशन को 2015 में नीति आयोग के तहत स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य स्कूल, विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थानों, MSME और उद्योग स्तरों पर देश भर में नवाचार और उद्यमिता का एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है। एआईएम ने बुनियादी ढांचे के निर्माण और संस्था निर्माण दोनों पर ध्यान केंद्रित किया है।

6. व्यापार करने में आसानी(Ease of Doing Business): सरकार ने व्यवसाय स्थापित करने और चलाने के लिए नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बनाने सहित भारत में व्यापार करने में आसानी को बेहतर बनाने के लिए भी महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं।

मोदी सरकार ने आठ वर्षों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए किए कई सुधार

मोदी सरकार ने पिछले 8 वर्षों में भारत में व्यापार को आसान बनाने (Ease of Doing Business) के लिए कई उपाय किए हैं। कई सुधार उपायों को लागू किया गया और विकास की रफ्तार में बाधा डालने वाले कई पुराने कानूनों को हटा दिया गया। भारत में किए गए सुधारों का असर अब दिखाई देने लगा है और यही वजह है कि भारत की अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी एवं यूक्रेन संकट के समय भी मजबूत बनी हुई है। निर्यात के मोर्चे पर सरकार ने हाल के महीनों में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। मार्च 2022 को समाप्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो दुनिया भर की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज है।

भारत तेजी से ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग में तरक्की कर रहा है। इसकी वजह पहले के पेचीदे कागजी नियम-कानून के बजाय प्रक्रिया का ऑनलाइन और आसान हो जाना है। अब कंपनी के रजिस्ट्रेशन से लेकर टैक्स भरने, रिटर्न पाने की प्रक्रिया पारदर्शी और आसान हुई हैं। कंपनी की रजिस्ट्रेशन फीस खत्म कर के, केवल लीगल ड्यूटी और स्टॉम्प ड्यूटी शुल्क ही लिए जाते हैं। माइक्रो स्मॉल मीडियम इंटरप्राइजेज (MSME) का सबसे ज्यादा ख्याल रखा जा रहा है। चाहे उन्हें ट्रेडमार्क लेने पर 50% की छूट हो या ऑनलाइन रीफंड और रिटर्न क्लेम करने की सुविधा हो। पहले कंपनियों को कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड (PF) से लेकर ISO सर्टिफिकेट के लिए अलग-विभागों में जाकर लाइन लगानी पड़ती थी। अब ये सब काम घर बैठे ऑनलाइन हो जाते हैं।

7. इनोवेशन सेल (Innovation Cell): सरकार ने स्टार्टअप्स और उद्यमियों को फंडिंग, मेंटरशिप और नेटवर्किंग के अवसरों के रूप में सहायता प्रदान करने के लिए एक इनोवेशन सेल की स्थापना की है।

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