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मोदी सरकार की योजनाओं से महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने लिया रिकॉर्ड होमलोन

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देश के आर्थिक रूप से कमजोर और गरीब लोगों का सपना होता है कि अपनी जमीन और अपना घर हो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनको वित्तीय सहायता देकर उनके सपने को पूरा कर रहे हैं। मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की, जो गरीबों के लिए वरदान साबित हो रही हैं। इन योजनाओं का लाभ लेकर आर्थिक रूप से कमजोर लोग जमीन और घर का मालिक बन रहे हैं। इन योजनाओं के लाभार्थियों में ज्यादातर महिलाएं हैं। 

प्रधानमंत्री आवास योजना या स्वामित्व योजना से ग्रामीण इलाकों में महिलाओं का सशक्तिकरण हो रहा है। इन योजनाओं के तहत महिलाएं होम लोन लेने में पहली बार बड़ी तादाद में आगे आई हैं। आंकड़ों के मुताबिक ऐसा पहली बार हुआ है कि 16 प्रतिशत महिलाओं ने होम लोन लिया है। यहीं नहीं देश के कुछ जिलों में तो होम लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या 80 प्रतिशत को पार कर गई है।

देश में गुजरात से लेकर छत्तीसगढ़ तक 20 ऐसे जिले हैं, जहां महिलाओं ने  पीएम आवास योजना के तहते 50 से लेकर 86 प्रतिशत होम लोन लिया है। इन 20 जिलों में सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाली महिलाओं की संख्या छोटे शहरों में ही रही है। इसमें से 6 जिले छत्तीसगढ़, 3-3 जिले गुजरात और हरियाणा के हैं। यहां कुल आबादी में महिलाओं की आबादी औसत 49 प्रतिशत है। गुजरात के डांग में 86 प्रतिशत, बिहार के अरवल में 75 प्रतिशत, गुजरात के बातोड़ में 63 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश के बागपत में 56 प्रतिशत, उत्तराखंड के उधम सिंह नगर में 50 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा में 50 प्रतिशत महिलाओं ने होम लोन लिया है।

वित्तवर्ष 2022 में तीसरे और चौथे स्तर के शहरों में नए लोन की वृद्धि दर 36 प्रतिशत रही जो 2019 में 33 प्रतिशत थी। छोटे जिलों में होम लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। 2022 में होम लोन पोर्टफोलियो 10 प्रतिशत की दर से बढ़ा था। तीसरे व चौथे स्तर के शहरों की वृद्धि दर पहले और दूसरे स्तर के शहरों से ज्यादा रही। मकानों की कीमतें भी बीते साल तीसरे व चौथे स्तर के शहरों में ही ज्यादा बढ़ी थीं।

चौथे स्तर के जिलों में कर्ज में सबसे ज्यादा बढ़त उत्तर प्रदेश के 6 जिलों में रही है। इसमें इटावा, बाराबंकी, पीलीभीत, चंदौली, मिर्जापुर व अमरोहा हैं। तीसरे स्तर के जिलों में 30-50 लाख रुपये और 50 लाख से एक करोड़ रुपये के कर्ज की ज्यादा मांग रहती है। हालांकि नए होम लोन में वित्तवर्ष 2019 की तुलना में 2022 में सबसे ज्यादा वृद्धि पंजाब, हरियाणा के जिलों में रही है। होम लोन का बाजार 24 लाख करोड़ रुपये है। पांच साल में दोगुना होकर 48 लाख करोड़ रुपये होगा।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मोदी सरकार तीन करोड़ से ज्यादा पक्के घरों का निर्माण कर चुकी है। सभी घर मूलभूत सुविधाओं से युक्त हैं और ये घर महिला सशक्तिकरण के प्रतीक बन गए हैं। इसके तहत घरों को महिला के नाम पर या संयुक्‍त स्‍वामित्‍व में उपलब्‍ध कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की क्रेडिट से जुड़ी सब्सिडी योजना के तहत 18 लाख प्रतिवर्ष तक की आय के मध्‍यम आय वर्ग के परिवारों को पहली बार घरों के लिए धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है। घर के कारपेट एरिया को बढ़ाकर 200 वर्गमीटर कर दिया गया है।

स्वामित्व योजना अप्रैल 2020 में शुरु की गई थी। यह योजना ग्रामीण इलाकों में उन लोगों को फायदा पहुंचा रही है, जिनके पास अपनी जमीन का मालिकाना हक नहीं था। जिनकी जमीन किसी भी सरकारी रिकॉर्ड में शामिल नहीं हुई थी। उन लोगों का बकायदा रजिस्ट्रेशन हो रहा है। इस योजना के जरिए उन्हें मालिकाना हक भी मिल रहा है और उनकी जमीन पर पहले कब्जा होने का डर रहता था वो डर भी दूर हुआ है। मोदी सरकार इस योजना के जरिए ग्रामीणों की जमीनों का रिकॉर्ड भी तैयार कर रही है।

प्रधानमंत्री द्वारा सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत को बढ़ावा देने के लिए एक केन्द्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में 24 अप्रैल, 2020 को प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना (गांवों का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत तकनीक के साथ मानचित्रण) का शुभारम्भ किया गया था। इस योजना में मानचित्रण और सर्वेक्षण की आधुनिक तकनीक साधनों के इस्तेमाल से ग्रामीण भारत में बदलाव की क्षमता है।

इस योजना की मदद से ग्रामीणों के लिए लोन और अन्य वित्तीय लाभ लेने के लिए ग्रामीणों द्वारा संपत्ति को एक वित्तीय संपदा के रूप में इस्तेमाल करने का मार्ग प्रशस्त होता है। इस योजना में 2021-2025 के दौरान पूरे देश में लगभग 6.62 लाख गांवों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। योजना के पायलट चरण को महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और पंजाब व राजस्थान के चुनिंदा गांवों में 2020-21 के दौरान लागू किया गया था।

मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनसे महिलाएं सशक्त और आत्मनिर्भर बन रही हैं…

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ साल के कार्यकाल में महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं जिसका लाभ बड़े पैमाने पर देश की महिलाओं को मिल रहा है। मोदी सरकार का उद्देश्य है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनें और पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ें। एक महिला अगर किसी भी तरह का दुख झेलती है तो उसको जल्द से जल्द मदद प्रदान करने के लिए मेडिकल सपोर्ट, कानूनी सहायता, अस्थायी रूप से रहने के लिए स्थान, मानसिक और भावनात्मक सहयोग आदि की जरूरत पड़ती है। महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ें, इसके लिए सरकार ने अहम योजनाएं शुरू की हैं। 

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना

भारत में आजादी के बाद से महिलाओं के कल्याण को लेकर सैकड़ों स्कीमें बनीं लेकिन इसके बावजूद देश के हजारों गांवों में अभी भी ऐसी महिलाएं थी जिन्हें दिन के तीन पहर चूल्हे के सामने बैठकर खाना पकाना पड़ता था। ऐसा इसलिए था क्योंकि हमारे देश में लाखों ऐसे घर हैं जिनके पास रसोई गैस उपलब्ध नहीं था। जिसके कारण उनको बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लेकिन नए भारत में 2016 के बाद से सब कुछ बदल चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल का तीसरा बरस शुरू होने से पहले 1 मई 2016 को देश में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की गई। बीते साल 10 अगस्त को इस योजना के दूसरे चरण प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 2.0 की शुरुआत हुई जिसमें महिलाओं को गैस सिलेंडर के साथ खाना पकाने के दूसरे उपकरण भी दिए जाने लगे हैं। इस योजना ने जहां महिलाओं को चूल्हे के धुएं से ​मुक्ति प्रदान की वही उज्ज्वला स्कीम मोदी सरकार की लोकप्रिय योजनाओं में शुमार की गई।

क्या है प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के माध्यम से देश की 18 वर्ष से अधिक उम्र की एपीएल, बीपीएल तथा राशन कार्ड धारक महिलाओं को रसोई गैस उपलब्ध करवाई जाती है। इस योजना का संचालन केंद्र सरकार के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा किया जाता है। इस योजना के पहले तीन वर्षों में सरकार ने 8000 करोड़ का लक्ष्य तय किया था, जिसमें लाभार्थी महिलाओं के खातों में 1600 रुपये ट्रांसफर किए जाने थे। योजना के पहले चरण में 14743862 लाभार्थियों को उत्तर प्रदेश में गैस कनेक्शन प्रदान किए गए। 30 जुलाई 2021 तक इस योजना के माध्यम से 79995022 लाभार्थियों को लाभ पहुंचा है। योजना के पहले चरण में आठ करोड़ महिलाओं को उज्जवला का लाभ दिया गया जिसे 2019 में पूरा किया गया।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 2.0

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 2.0 की शुरुआत 10 अगस्त 2021 को की गई। इसके तहत महिलाओं को रसोई गैस सिलेंडर के साथ फ्री गैस चूल्हा दिया जाता है जिसके अंतर्गत लाभार्थियों को रिफिल एवं हॉट प्लेट, एलपीजी गैस कनेक्शन के साथ निशुल्क प्रदान की जाती है। लाभार्थियों को गैस स्टोव खरीदने के लिए ब्याज मुक्त लोन भी मुहैया करवाया जाता है। इस योजना को प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा महोबा जिले से लॉन्च किया गया। आज बड़ी संख्या में महिलाएं इस योजना का लाभ उठा रही हैं।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना

वर्ष 2011 की जनगणना में कन्या लिंगानुपात में कमी को ध्यान में रखते हुए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जनवरी 2015 को की गई थी। केंद्र सरकार का उद्देश्य इस योजना द्वारा बेटियों के प्रति समाज में होने वाले नकारात्मक रवैये के प्रति जागरूकता फैलाना और विभिन्न योजनाओं के जरिए उनका कल्याण करना है। इसके अलावा बच्चियों को पढ़ाई के लिए प्रेरित कर महिला सशक्तिकरण की ओर अग्रसर करना भी इस योजना का मकसद है। यह योजना उन महिलाओं की काफी मदद करती है, जो घरेलू या किसी भी तरह की हिंसा से पीड़ित हैं। इसमें महिलाओं को यह सुविधा दी गई है कि मदद के समय वे कभी भी पुलिस, कानून और चिकित्सा जैसी सुविधाएं ले सकती हैं। इसके लिए महिलाओं को टोल फ्री नंबर 181 पर फोन करना होगा। जिसके बाद उन्हें सभी तरह की मदद प्रदान कराई जाएगी।

सुकन्या समृद्धि योजना

मोदी सरकार की तरफ से लागू इस योजना की शुरुआत देश के साथ उत्तर प्रदेश में 22 जनवरी 2015 को की गई थी। यह स्कीम 10 साल से कम उम्र की बच्चियों को उच्च शिक्षा देने और उनका भविष्य सुरक्षित करने के लिए शुरू की गई थी। भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही सुकन्या समृद्धि योजना एक खास तरह की स्कीम है और इसका उद्देश्य देश में बेटियों के भविष्य को सुरक्षित करना है। देश में बड़े पैमाने पर अभिभावक अपनी बेटियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए इस स्कीम में निवेश करना पसंद करते हैं। सुकन्या समृद्धि योजना बेटियों के लिए चलाया जा रहा एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट प्लान है। वर्तमान समय में इस स्कीम में निवेश किए गए पैसों पर आपको सालाना 7.6 प्रतिशत का रिटर्न मिलता है। वहीं सुकन्या समृद्धि योजना में कई बड़े बदलाव हो रहे हैं। नियमों में हुए बदलाव के अंतर्गत खाते में गलत ब्याज डलने पर उसको पलटने के प्रावधान को हटाया गया है। इससे पहले नियम था कि बेटी 10 साल में ही खाते को ऑपरेट कर सकती थी। वहीं बदले गए नियमों के आधार पर बेटी 18 साल की होने से पहले खाते को ऑपरेट नहीं कर सकेगी। बेटी के 18 साल होने से पहले अभिभावक ही उसके सुकन्या समृद्धि योजना में खाते को ऑपरेट कर सकेंगे। सुकन्या समृद्धि योजना के खाते में हर साल 250 रुपये जमा करना जरूरी है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो इस स्थिति में आपके खाते को डिफॉल्ट माना जाता है। आप बैंक और पोस्ट ऑफिस की किसी भी ब्रांच में जाकर अपनी 10 साल तक की बेटी के लिए खाता खुलवाकर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।

फ्री सिलाई मशीन योजना

फ्री सिलाई मशीन योजना का शुभारंभ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश की महिलाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए किया गया है। देश की महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने और उनके इरादों को मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार ने मुफ्त सिलाई मशीन योजना चलाई है जिसके तहत महिलाओं को मुफ्त सिलाई मशीन दी जा रही है। सरकार का यह प्रयास है कि देश की महिलाओं को सशक्त बनाया जाए। प्रधानमंत्री ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुफ्त सिलाई मशीन परियोजना शुरू की है। जिन महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई के काम में रुचि है और इसको अपना प्रोफेशन बनाना चाहती हैं। उनके लिए यह योजना काफी फायदेमंद है। इस फ्री सिलाई मशीन योजना से महिलाएं सिलाई मशीन प्राप्त करके घर बैठे अपना काम शुरू कर सकती हैं और अच्छी आमदनी अर्जित कर सकती हैं। इस योजना का लाभ ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रो की आर्थिक रूप से कमजोर महिलाएं उठा सकती हैं। 20 साल से 40 साल तक की महिलाएं इस योजना का लाभ उठा सकती हैं। मोदी सरकार की तरफ से उत्तर प्रदेश में भी 50 हजार से ज्यादा महिलाओं को फ्री में सिलाई मशीनें दी जा रही हैं।

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान

देश भर में गर्भवती महिलाओं को व्‍यापक एवं गुणवत्तापूर्ण प्रसव-पूर्व जांच सुनिश्चित करने के लिये ही प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान को 2016 में शुरू किया गया था। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान भारत सरकार की पहल है, जिसके तहत प्रत्येक माह की निश्चित नौ तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को व्यापक और गुणवत्तायुक्त प्रसव पूर्व देखभाल प्रदान करना सुनिश्चित किया गया है। इस अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उनकी गर्भावस्था के दूसरी और तीसरी तिमाही की अवधि (गर्भावस्था के चार महीने के बाद) के दौरान प्रसव पूर्व देखभाल सेवाओं का न्यूनतम पैकेज प्रदान किया जाएगा। इसके तहत चिकित्सकों व विशेषज्ञों द्वारा दूसरी या तीसरी तिमाही की सभी गर्भवती महिलाओं को कम से कम एक प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित करना है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) देश में तीन करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया है।

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना को केंद्र सरकार द्वारा 10 अक्टूबर 2019 को आरंभ किया गया था। इस योजना के अंतर्गत गर्भवती महिला तथा उनके शिशु को विभिन्न प्रकार की निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती है जिससे कि गर्भवती महिलाएं एवं उनके बच्चों की मृत्यु दर में गिरावट लाई जा सके। सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना के तहत वह परिवार जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अपने परिवार की गर्भवती महिला की सही से देखभाल नहीं कर पाते या जिनके परिवार वाले हॉस्पिटल्स का खर्चा तक नहीं उठा पाते हैं उन महिलाओं को इस योजना के अंतर्गत पूरी देखभाल की जाएगी, जिसमे महिला के गर्भवती होने के 6 महीने से लेकर बच्चे के जन्म के 6 महीने तक मुफ्त इलाज, दवाइयां और स्वास्थ्य से सम्बंधित अन्य सेवाएं सरकार द्वारा प्रदान की जाएंगी और इसके अलावा महिला की डिलीवरी के समय घर से हॉस्पिटल तक ले जाने का खर्चा भी मुफ्त में होगा। इस योजना के तहत प्रसव से पहले गर्भवती महिला चार बार अपना फ्री में चेकअप करवा सकती हैं जिससे उन्हें अपने होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में पता चलता रहेगा। योजना का लाभ देश की सभी गर्भवती महिला ले सकेंगी इसके लिए उन्हें ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर आवेदन फॉर्म व इससे सम्बंधित जानकारी प्राप्त करनी होगी।

प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना

प्रधानमंत्री गर्भावस्था सहायता योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा 6000 रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। गर्भवस्था सहायता योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 1 जनवरी 2017 को की गयी थी। प्रधानमंत्री गर्भावस्था सहायता योजना 2021 के अंतर्गत पहली बार गर्भधारण करने वाली तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओ को यह आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। गर्भावस्था सहायता योजना को Matritva Vandana Yojana 2022 के नाम से भी जाना जाता है। प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के अंतर्गत महिलाओं को बच्चे का जन्म होने पर 6000 रुपए की राशि प्रदान की जाती है। यदि परिवार में दूसरी बेटी जन्म लेती है तो उस स्थिति में भी अब सरकार 6000 रुपए की राशि प्रदान करेगी। सरकार द्वारा पहले यह राशि 3 किस्तों में प्रदान की जाती थी अब इसे 2 किस्तों में प्रदान की जाएगी। यह योजना देश की महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार करने में कारगर साबित हो रही है, इसके अलावा महिलाओं के जीवन स्तर में भी सुधार आया है।

प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना

नवम्बर 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला शक्ति केंद्र योजना की शुरुआत की। महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर शुरू की गई इस योजना के अंतर्गत 640 जिलों में महिला शक्ति केन्द्र बनाने का लक्ष्य रखा गया। ये केंद्र महिला केन्द्रित योजनाओं को महिलाओ तक सुविधा पूर्ण तरीकों से पहुंचाने के लिए गाँव, ब्लॉक और राज्य स्तर के बीच कड़ी का काम और जिला स्तर पर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजनाओं को भी मजबूती प्रदान करेगी। इस योजना की शुरुआत देश के 115 अति पिछड़े जिलों के ब्लॉकों से की गई। स्वयंसेवक छात्र व एनजीओ परिवर्तन एजेंट के रूप में आंगनवाड़ी की महिला सदस्यों के साथ मिलकर ग्रामीण महिलाओं को सरकार द्वारा चलायी जाने वाली महिलाओं के हित की योजनाओं, बच्चों के पोषण, लिंग समानता, महिलाओं के अधिकार आदि के बारे में जागरूकता लाने का काम करेंगे जिससे महिलाओं को स्वावलंबी और सशक्त बनाया जा सके और नवजात बच्चों को कुपोषण की समस्या से निजात पाया जा सके तथा बच्चियों की शिक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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