Home समाचार पीएम मोदी के विकास मॉडल का कमाल, लगातार 9 साल से गुजरात...

पीएम मोदी के विकास मॉडल का कमाल, लगातार 9 साल से गुजरात जीडीपी ग्रोथ में नंबर वन, टॉप चार में भाजपा शासित प्रदेश

SHARE

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से गुजरात का विकास मॉडल नए रिकार्ड बना रहा है। गुजरात राज्य लगातार 9 साल से GDP ग्रोथ के मामले में पहले नंबर पर बना हुआ है। यही वजह है कि देशभर में गुजरात के विकास मॉडल का उदाहरण दिया जाता है। यानी देश के सभी राज्यों की तुलना में पिछले नौ वर्षों में सबसे तेजी से गुजरात राज्य की जीडीपी बढ़ी है। वहीं टॉप चार राज्यों में भाजपा शासित प्रदेश आते हैं। जीडीपी ग्रोथ के मामले में कर्नाटक दूसरे, हरियाणा तीसरे और मध्य प्रदेश चौथे नंबर पर है। आरबीआई की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुकाबिक, गुजरात का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (Gross State Domestic Product-GDP) वित्त वर्ष 2012 में 6.16 लाख करोड़ रुपये से 8.2 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर वित्त वर्ष 21 में 12.48 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह महाराष्ट्र के बाद भारत में दूसरा सबसे बड़ा राज्य सकल घरेलू उत्पाद भी है, जिसकी जीएसडीपी 18.89 लाख करोड़ रुपये है। यही वजह है कि गुजरात की जनता को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और उनकी पार्टी पर भरोसा कायम है और ये बात बार-बार साबित हो चुकी है। ये भरोसा नारों-वादों से नहीं, 27 साल के संघर्ष और राज्य की लगातार बेहतर हुई अर्थव्यवस्था से पैदा हुआ है। भारतीय अर्थव्यवस्था भी पिछले दस वर्षों में 5.4 प्रतिशत की वार्षिक गति से बढ़ी है। वित्त वर्ष 2012 में देश की जीडीपी का आकार 87.36 लाख करोड़ रुपये था जो अब वित्त वर्ष 22 में 147.36 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

जीडीपी ग्रोथ में कर्नाटक दूसरे, हरियाणा तीसरे और मध्य प्रदेश चौथे नंबर पर

जीडीपी ग्रोथ के मामले में टॉप चार राज्यों में भाजपा शासित प्रदेश हैं। कर्नाटक दूसरे नम्बर पर आता है। जिसकी अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2012 में 6.06 लाख करोड़ रुपये से 7.3 प्रतिशत की सीएजीआर से वित्त वर्ष 21 में 11.44 लाख करोड़ रुपये हो गई है। वहीं कर्नाटक चौथी सबसे बड़ी राज्य अर्थव्यवस्था है। वित्त वर्ष 21 में 5.36 लाख करोड़ रुपये की जीएसडीपी के साथ हरियाणा तीसरे स्थान पर है। वित्त वर्ष 2012 में राज्य का जीएसडीपी 2.97 लाख करोड़ रुपये था, राज्य की अर्थव्यवस्था में सालाना 6.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 6.7 प्रतिशत सीएजीआर के साथ मध्य प्रदेश सबसे तेजी से बढ़ते राज्यों की सूची में चौथे स्थान पर है। राज्य ने वित्त वर्ष 21 में सकल घरेलू उत्पाद में 3.16 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 21 में 5.65 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि देखी गई। एमपी के बाद आंध्र प्रदेश है, जिसने वित्त वर्ष 2012 में 3.79 लाख करोड़ रुपये से वित्त वर्ष 21 में 6.70 लाख करोड़ रुपये को छूने के लिए 6.5 प्रतिशत की वार्षिक जीएसडीपी वृद्धि दर दर्ज की है। आंध्र प्रदेश राज्य की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी थी। आंध्र प्रदेश का पड़ोसी राज्य तेलंगाना 6.1 प्रतिशत के नौ साल के सीएजीआर के साथ सूची में छठे स्थान पर है। वित्त वर्ष 21 में जीडीपी 3.59 लाख करोड़ रुपये (FY12) से बढ़कर 6.10 लाख करोड़ रुपये हो गई। इसके बाद वित्त वर्ष 21 में 5.8 प्रतिशत, 5.8 प्रतिशत सीएजीआर और 12.46 लाख करोड़ रुपये की जीएसडीपी के साथ तमिलनाडु है। ओडिशा 5.73 प्रतिशत सीएजीआर और 3.81 लाख करोड़ रुपये के सकल घरेलू उत्पाद के आकार के साथ आठवें स्थान पर है।

दिल्ली जीडीपी ग्रोथ के मामले में नौवें स्थान पर

5.67 प्रतिशत की वार्षिक जीएसडीपी वृद्धि दर के साथ दिल्ली इस सूची में नौवें स्थान पर है, क्योंकि दिल्ली की जीडीपी का आकार वित्त वर्ष 2012 में 3.44 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 21 में 5.65 लाख करोड़ रुपये हो गया है। भारत का दसवां सबसे तेजी से बढ़ने वाला प्रमुख राज्य असम है, क्योंकि इसने वित्त वर्ष 21 में 5.3 प्रतिशत का सीएजीआर और 2.28 लाख करोड़ रुपये का जीएसडीपी पोस्ट किया है। 3.9 प्रतिशत की विकास दर के साथ केरल, 4.1 प्रतिशत सीएजीआर के साथ जम्मू और कश्मीर और 4.2 प्रतिशत सीएजीआर के साथ झारखंड भारत के सबसे धीमी गति से बढ़ने वाले प्रमुख राज्य हैं। छोटे राज्यों में मिजोरम में वित्त वर्ष 21 में 14.4 हजार करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था के आकार के साथ 7.9 प्रतिशत की सबसे तेज विकास दर है, जबकि राज्य की जीडीपी के साथ मेघालय 23.75 हजार करोड़ रुपये के साथ पिछले नौ वर्षों के लिए 2 प्रतिशत की सबसे धीमी जीडीपी वृद्धि दर्ज की गई है।

नीति आयोग की रिपोर्ट में विकास के 16 पैमानों में 14 पर गुजरात का प्रदर्शन शानदार

नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals) सूचकांक के मुताबिक विकास के 16 पैमानों में 14 पर गुजरात का शानदार प्रदर्शन रहा है। गुजरात स्वास्थ्य और इंफ्रस्ट्रक्चर Infrastructure में 1st Rank पर है। रहने लायक शहर एवं मोहल्ले के मामले में तीसरे नंबर पर है। शान्ति, न्याय एवं मजबूत संस्थाओं के मामले में 2nd Rank पर है। गरीबी हटाने में 16वें नंबर पर है। इतना ही नहीं विकास के मामले में बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए वर्ष 2004 से लेकर 2014 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुजरात को 285 अवार्ड प्रदान किए हैं। इसके साथ ही गुजरात में वाइब्रेंट समिट की वजह से कई नई व्यावसायिक इकाइयां स्थापित हुई हैं। इससे गुजरात देश-विदेश में टूरिज्म हब के रूप में भी विकसित हुआ है। वर्तमान में राज्य में 10 लाख सूक्ष्म, मध्यम और बड़ी औद्योगिक इकाइयों द्वारा लगभग 26 लाख रोजगार सृजित किए गए हैं। लेकिन झूठ के महारथी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि बीजेपी ने राज्य में 27 साल में कुछ नहीं किया। नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्यों के इस सूचकांक (Sustainable Development Index) में सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय मापदंडों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति का मूल्यांकन किया जाता है। इसमें 16 पैमाने हैं, जिनके आधार पर राज्यों को नंबर दिए जाते हैं, इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं- गरीबी की समाप्ति यानी कौन सा राज्य गरीबी को खत्म करने में कितना सफल रहा है। अच्छा स्वास्थ्य और जीवन स्तर, साफ पानी और स्वच्छता, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा यानी पढ़ाई ऐसी हो, जिसमें क्वालिटी भी हो और अच्छा काम और आर्थिक विकास। इन सभी पैमाने पर गुजरात का प्रदर्शन शानदार रहा है। यही वजह है कि गुजरात के लोग 27 साल से बीजेपी शासन को पसंद करते आ रहे हैं।

कपड़ा निर्यात में देशभर की तुलना में अकेले 12% हिस्सा गुजरात का

नीति आयोग राज्यों और संघ प्रशासित क्षेत्रों के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण के क्षेत्र में इनकी प्रगति को पैमाना बनाता है और इसी के आधार पर इनकी रैंकिंग करता है। गुजरात के विकास की बात करें तो यहां से कपड़े सबसे ज्यादा निर्यात किए जा रहे हैं, देश भर की तुलना में अकेले 12% हिस्सा गुजरात का है। गुजरात की जीडीपी बहुत हद तक कपड़ा उद्योग पर निर्भर है, एक अनुमान के मुताबिक गुजरात की पूरी जीडीपी में तकरीबन 23% योगदान कपड़ा उद्योग का है। गुजरात की 16% उपजाऊ जमीन पर कपास की खेती हो रही है, यह देशभर में से पहले स्थान पर है। इसके बाद भी केजरीवाल कह रहे हैं कि गुजरात में 27 साल में कुछ विकास का काम नहीं किया गया।

‘वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन’ से गुजरात की अर्थव्यवस्था को मिली गति

‘वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन’ की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान 2003 में की थी। इस सम्मेलन में राज्य के विकास में काफी योगदान दिया है। इसकी शुरुआत राज्य में निवेशकों को आकर्षित करने, प्रदेश के सामाजिक-आर्थिक विकास में तेजी लाने और औद्योगिक क्षेत्र में पर्याप्त रोजगार पैदा करने के व्यापक उद्देश्य के साथ की गई थी। 2003 में पहला वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन शुरू होने के बाद 2019 तक यह द्विवार्षिक सम्मेलन आयोजित होता रहा। गुजरात ने पिछले दो दशकों में वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्रों में काफी प्रगति की है। ऐसा इसलिए संभव हुआ है, क्योंकि वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन की वजह से देश-विदेश के निवेशक और व्यवसायी राज्य में विभिन्न प्रकार के व्यवसाय और निवेश कर रहे हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नेता और प्रतिनिधिमंडलकों का भी इसमें सक्रिय योगदान रहा है। वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल ट्रेड शो के माध्यम से उत्पादों को प्रदर्शित करके उपभोक्ताओं का एक व्यापाक आधार भी विकसित किया जा रहा है।

यहां वो 10 प्रमुख आर्थिक कारण गिना रहे हैं जिससे गुजरात में आमतौर पर समृद्धि दिखती है और जिसने साढ़े 6 करोड़ गुजरातियों का दिल जीता है।

गुजरात की अर्थव्यवस्था के टॉप 10 फैक्टर, जिसने जीता जनता का भरोसा

उद्योगों में आगे

गुजरात देश का एक सबसे विकसित औद्योगिक राज्य है। केमिकल, पेट्रोकेमिकल, डेयरी, दवा एवं फार्मास्यूटिकल, सीमेंट, जेम्स एवं ज्वेलरी, कपड़ा और इंजीनियरिंग उद्योग में गुजरात देश का अगुवा राज्य है। यहां 800 से अधिक बड़े और 4,53,339 छोटे, मझोले और मध्यम उद्योग लगे हुए हैं। 2016-17 में यहां 46.1 लाख टन क्रूड पेट्रोलियम का उत्पादन हुआ। यह विश्व का 72 % और भारत का 80% हीरे का प्रोसेस करता है। इस साल नवंबर में इसके पास देश के 101.9 MMTPA रिफाइनिंग की क्षमता थी, जो देश का 41.57 प्रतिशत है। राज्य की नई कपड़ा नीति के तहत एक लाख नए रोजगार के अवसर दिए जाने का भी लक्ष्य तय किया गया है। जापान के साथ अहमदाबाद से मुंबई के बीच हाई स्पीड रेल कॉरिडोर पर करार ने राज्य में औद्योगिक विकास की संभावना को नई ऊंचाइयां दी हैं।

निर्यात में आगे

भारत की जनसंख्या के मात्र 5% जनसंख्या वाला राज्य गुजरात देश से होने वाले सामानों के निर्यात का 25% भागीदार है। क्षेत्रफल के हिसाब से SEZ में यह देश का प्रथम राज्य है। यही नहीं, यहां 29,423.9 क्षेत्र में SEZ के विकास का काम चल रहा है जो भारत में सबसे बड़ा है।

विदेशी निवेश का बड़ा ठिकाना

किसी देश की आर्थिक प्रगति का एक बड़ा पैमाना अकेले उसकी एफडीआई क्षमता से आंकी जा सकती है। गुजरात एफडीआई को किस तरह से आकर्षित कर रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन साल में वहां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश दोगुना बढ़ गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2015 में गुजरात में कुल एफडीआई 1.53 अरब डॉलर था, जो 2016-17 में बढ़कर 3.36 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इससे पहले वित्त वर्ष यानी 2015-16 में गुजरात में एफडीआई का प्रवाह 2.24 अरब डॉलर था।

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी आगे

अगर जीडीपी विकास के हिसाब से देखें तो इस क्षेत्र में भी गुजरात देश का एक अव्वल राज्य बना हुआ है। नीति आयोग के मुताबिक मौजूदा दर पर साल 2004-05 में गुजरात का जीडीपी विकास दर 20.34% थी, जो कि वर्तमान में भी दूसरे राज्यों की तुलना में बहुत अधिक यानी दहाई अंकों में है।

निर्माण क्षेत्र में भी अव्वल

गुजरात में मौजूदा समय में इंफ्रास्ट्रक्चर के 502 बड़े प्रोजेक्टर पर काम चल रहे हैं। इन प्रोजेक्ट पर कुल 2.90 लाख करोड़ की लागत आने वाली है। 30 अप्रैल के नीति आयोग के आंकड़ों के अनुसार इन प्रोजेक्ट में पीपीपी मॉडल, सरकारी और निजी क्षेत्र के प्रोजेक्ट शामिल हैं।

व्यापारिक बंदरगाहों में आगे

एक बड़े और 44 साधारण बंदरगाहों ने गुजरात से निर्यात को भी सशक्त बनाया है। विश्वस्तरीय मुंद्रा बंदरगाह समेत कई और नए बंदरगाह के शुरू होने के बाद राज्य से निर्यात की क्षमता और बढ़ने वाली है। अकेले मुंद्रा बंदरगाह की क्षमता 2000 लाख टन प्रति वर्ष रखी गई है।

बिजली उत्‍पादन में भी आगे

बिजली उत्‍पादन के क्षेत्र में भी गुजरात ने पिछले 10 सालों में दूसरे राज्यों के मुकाबले बहुत बेहतर काम किया है। नीति आयोग के अनुसार 2006 में वहां 70,669 मेगावॉट प्रति घंटे की दर से बिजली का उत्पादन हुआ जो 2015 तक बढ़कर 1.39 लाख मेगावॉट प्रति घंटा तक पहुंच गया।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में पहली बार देश टॉप 100 स्थान पर पहुंचा है। वहीं पूरे देश की बात करें तो ईज ऑफ डूइंग बिजनेस मानकों में गुजरात का स्कोर 71.2 रहा है। मौजूदा समय में इस क्षेत्र भी गुजरात देश का एक अगुवा राज्य बना हुआ है।

जीएसटी अपनाकर आगे बढ़ता गुजरात

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर देश में जीएसटी के तहत एक टैक्स की व्यवस्था लागू हुई है। गुजरात ने इसे भी बहुत शानदार तरीके से अपना लिया है। यूं तो पूरा गुजरात कारोबारी माहौल के लिए विख्यात है, लेकिन इसके बिजनेस कैपिटल सूरत में लोगों ने जिस तरह से जीएसटी को अपनाया है वो इसकी सफलता को बयां कर रहा है। सूरत जिले की 16 में से 14 सीटें जीतकर बीजेपी ने साबित किया है कि व्यापारियों ने इसे अपना लिया है।

नोटबंदी से नहीं आई कारोबार में रुकावट

गुजरात चुनाव का परिणाम भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी सरकार के नोटबंदी जैसे फैसले पर भी मुहर है। अगर नोटबंदी के चलते कारोबार जगत को किसी तरह का ज्यादा नुकसान होता तो वो बीजेपी को इस तरह से कभी भी गले नहीं लगाते, जैसा कि वहां का परिणाम आया है। अलबत्ता कुछ समय के लिए नोटबंदी के फैसले ने व्यापार जगत को परेशानी में जरूर डाला, लेकिन वे जल्दी संभल गए और राज्य में विकास की गाड़ी को आगे बढ़ाने के लिए पहले की तरह ही जुटे रहने का निर्णय लिया। 

Leave a Reply