Home समाचार विश्व स्वास्थ्य संगठन में पीएम मोदी की धमक, भारत संभालेगा नेतृत्व

विश्व स्वास्थ्य संगठन में पीएम मोदी की धमक, भारत संभालेगा नेतृत्व

SHARE

पूरे विश्व में कोरोना जैसी फैली महामारी से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यशगान पूरी दुनिया में हो ही रहा है, लेकिन उनके नेतृत्व की धमक विश्व स्वास्थ्य संगठन में एक साल पहले सुनाई देने लगी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का ही प्रताप है कि भारत को वैश्विक स्वास्थ्य संगठन में निर्णायक भूमिका निभाने का मौका मिलने जा रहा है। अगले महीने यानि 22 मई के बाद डब्ल्यूएचओ में भारत को मुख्य भूमिका मिल जाएगी। अगले महीने वैश्विक संगठन की वार्षिक बैठक के बाद भारत को जेनेवा स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुख्यालय में नेतृत्व करने की भूमिका मिल जाएगी।

मोदी के नेतृत्व के भरोसे मिली यह अहम भूमिका

विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी वैश्विक संस्था के कार्यकारी बोर्ड के नेतृत्व करने जैसी अहम भूमिका भारत को बहुत ही कठिन समय में मिल रहा है। डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी बोर्ड के चेयरमैन पद पर भारतीय प्रतिनिधि की नियुक्ति उस समय हो रही है जब पूरे विश्व के साथ ही यूएन की यह वैश्विक एजेंसी भी बैश्विक महामारी कोरोना संकट के दौर से गुजर रही है। संकट कितना भी गंभीर क्यों न हो लेकिन विश्व विरादरी को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर पूरा विश्वास है। यह विश्वास सिर्फ कोरोना संकट से निपटने के कारण नहीं है बल्कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भरोसा और विश्वास उनके पहले कार्यकाल से है। तभी तो भारत की इस भूमिका का निर्णय एक साल पहले ले लिया गया था।

22 मई के बाद भारत को मिलेगा प्रमुख पद

हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक भारत को मिलने वाले इस बड़े दायित्व के बारे में दिल्ली और जिनेवा के राजनयिकों ने इस बात की पुष्टि कर दी है। मालूम हो कि 22 मई को विश्व स्वास्थ्य संगठन की वार्षिक बैठक होने वाली है। इसी बैठक में अगले चेयरमैन का दायित्व भारत को मिलेगा। क्योंकि एक साल के लिए इस पद को संभाल रहे जापान के प्रतिनिधि का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इसलिए इस सम्मेलन के बाद डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी बोर्ड की पहली बैठक में ही भारत यह महत्वपूर्ण पद ग्रहण करेगा। इस प्रकार जापान के स्थान पर भारत यह दायित्व संभालेगा।

एक साल पहले भारत के नाम पर बनी सर्वसम्मति

ऐसा नहीं है कि भारत को यह महत्वपूर्ण रातों-रात मिल गई हो। भारत को यह दायित्व मिलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत और समर्थ नेतृत्व तथा कुशल कूटनीति का महत्वूर्ण योगदान है। तभी तो एक साल पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्व एशिया समूह ने भारत के पक्ष में सर्वसम्मति से अपनी सहमति दे दी थी। डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी बोर्ड में भारत को तीन साल का कार्यकाल देने पर सहमति जताई गई थी। इसी समूह ने रोटेशन के माध्यम से भारत को कार्यकारी बोर्ड का एक साल के लिए चेयरपर्सन के पद के लिए नामांकित किया था।       

 महानिदेशक के साथ करेंगे काम भारतीय प्रतिनिधि

डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी बोर्ड के चेयरपर्सन के रूप में भारत के नामित प्रतिनिधि को इसके महानिदेशक के साथ मिलकर काम करना होगा। इस कार्यकार्य बोर्ड में 34 सदस्य हैं जिनका नेतृत्व भारतीय प्रतिनिधि को करना होगा। बोर्ड के चेयरपर्सन के लिए विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा लिए गए फैसलों और तय की गई नीतियों को लागू करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही बोर्ड के व्यावहारिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक को अपने सभी महत्वपूर्ण निर्णय के लिए बोर्ड के चेयरपर्सन को भरोसे में लेने के साथ उनकी सलाह पर काम करना जरूरी होगा।

प्रशासन समिति का भी सदस्य होगा भारत

डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी बोर्ड के चेयरपर्सन के साथ ही भारत अब प्रशासन समिति का भी सदस्य होगा। इतना ही नहीं भारत अब कार्यक्रम बजट का भी सदस्य होगा। इससे साफ होता है कि अब विश्व स्वास्थ्य संगठन में भारत की काफी अहम भूमिका होने वाली है। प्रशासन समिति और कार्यक्रम बजट का सदस्य भारत इंडोनेशिया के स्थान पर होने वाला है।

डब्ल्यूएचओ में भी बजेगा पीएम मोदी का डंका

अगर सबकुछ सही रहा और देश की तरह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्पष्ट और पारदर्शी नीति ठीक से विश्व स्वास्थ्य संगठन में भी कार्यान्वित हो पाई तो न केवल विश्व लाभान्वित होगा बल्कि मोदी का डंका एक बार फिर पूरे विश्व में बजेगा। इतने बड़े दायित्व मिलने के साथ ही भारत के सामने उतनी ही बड़ी चुनौती होगी जिसे निपटना जरूरी होगा। भारत के सामने सबसे पहले लगातार फैल रही कोरोना महामारी पर अंकुश लगाना होगा। भारत शुरू से ही कोविड-19 के प्रकोप को लेकर पारदर्शिता के साथ जवाबदेही और डब्ल्यूएचओ में सुधार के पक्ष में है।

Leave a Reply Cancel reply