गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए कभी नरेन्द्र मोदी ने वाइब्रेंट गुजरात इन्वेस्टमेंट समिट के जरिए पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था। पहली ऐसी समिट कराने से वैश्विक औद्योगिक निवेश को गुजरात लाने में सफलता मिली तो उसके बाद वहां कई समिट हो चुके हैं। पीएम मोदी के नक्शेकदम पर चलते हुए अब ऐसा ही इन्वेस्टमेंट समिट राजस्थान में होने जा रहा है। पीएम मोदी खुद जयपुर के एग्जीबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर में राइजिंग राजस्थान ग्लोबल समिट का उद्घाटन 9 दिसंबर को करेंगे। वे उद्घाटन सत्र को संबोधित भी करेंगे। तीन दिवसीय समिट प्रदेश में निवेश बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य सरकार आयोजित कर रही है। पीएम मोदी का दूसरा राजस्थान दौरा भी इसी माह 17 दिसंबर को होगा। इसमें वे प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘पार्वती-कालीसिंध-चंबल ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट’ (PKC-ERCP) का शिलान्यास करेंगे।
गुजरात की तरह राजस्थान में भी बनेगा इन्वेस्टर फ्रेंडली माहौल
राजस्थान सरकार निवेश की पक्की गारंटी के लिए ना सिर्फ एढ़ी-चोटी का जोर लगा रही है, बल्कि पिछली समिट की कमियों के सबक लेते हुए पुख्ता इंतजाम कर रही है। यह भी पहली बार है कि सरकार ने उन करीब 25 देशों, जहां करार हुए हैं या निवेश आने की संभावना है, उनके लिए एक-एक आईएएस को पूरी तरह से जिम्मेदारी सौंपी है। इनका काम निवेश आने से लेकर उसके बाद रनिंग के दौरान आने वाली दिक्कतों को दूर करने का भी रहेगा। इन देशों में यूएई, यूके, अमेरिका, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, रूस, फ्रांस, बेल्जियम, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, कतर, स्पेन, इटली, फिनलैंड, सऊदी अरब, इसराइल, डेनमार्क, जापान, हाँगकांग, दक्षिण कोरिया व सिंगापुर शामिल हैं। सरकार की इस पहल से गुजरात की तरह यहां भी इन्वेस्टर फ्रेंडली माहौल बनेगा। राजस्थान निवेश फ्रेंडली है, इसके एक नहीं कई कारण हैं। यह देश की राजधानी दिल्ली से सटा हुआ है। इसका बहुत बड़ा हिस्सा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में शामिल है। दिल्ली से जयपुर के बीच गुरुग्राम, धारुहेड़ा, बवाल, भिवाड़ी, नीमराणा, कोटपूतली जैसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र पहले से ही हैं। देश के सबसे महत्वपूर्ण दिल्ली-मुम्बई फ्रेट इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का करीब 39 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान से गुजरता है।
पीएम मोदी रखेंगे पीकेसी- ईआरसीपी की आधारशिला
करीब 7 महीने बाद पीएम मोदी का जयपुर का कार्यक्रम बना है। इससे पहले वे लोकसभा चुनाव के दौरान यहां आए थे। मोदी ने 23 अप्रैल को टोंक में जनसभा को संबोधित किया था। वहीं, जयपुर के कोटपूतली में पीएम मोदी की 2 अप्रैल को सभा हुई थी। राइजिंग राजस्थान का शुभारंभ करने के बाद पीएम मोदी एक बार फिर राजस्थान आएंगे। वे यहां पीकेसी-ईआरसीपी की आधारशिला रखेंगे। पीएम मोदी की 17 दिसंबर को सांगानेर के दादिया में जनसभा होगी। इस मौके पर मोदी पीकेसी-ईआरसीपी का शिलान्यास करेंगे। इस प्रोजेक्ट से प्रदेश के 21 जिलों को पीने और सिंचाई का पानी मिलेगा। इस प्रोजेक्ट में अधिकतर जिले पूर्वी राजस्थान के हैं।
ईआरसीपी से प्रदेश के कई जिलों को मिलेगा जल संकट से छुटकारा
विधानसभा चुनाव-2023 में ईआरसीपी बड़ा मुद्दा बना था। भाजपा ने अपने घोषणा में इसका वादा किया था और इसे अब पूरा भी करने जा रही है। प्रदेश में सरकार बदलते ही सीएम भजनलाल शर्मा ने जल शक्ति मंत्रालय की मध्यस्थता में मध्यप्रदेश के साथ इस परियोजना को लेकर एमओयू किया। विधानसभा उपचुनाव से पहले ही सरकार पीएम मोदी के हाथों परियोजना का शिलान्यास कराना चाहती थी। आचार संहिता के चलते ऐसा नहीं हो पाया था। प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के दूसरे कार्यकाल में साल 2017 में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का खाका तैयार किया गया था। इसके अंतर्गत पार्वती, चंबल और कालीसिंध नदी को जोड़ने की योजना है। इसके जरिए पूर्वी राजस्थान के जयपुर, झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, गंगापुर सिटी, ब्यावर, केकड़ी, दूदू, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, डीग और जयपुर ग्रामीण को जल संकट से छुटकारा मिलेगा। पेयजल के साथ किसानों को सिंचाई के लिए भी जरूरत का पानी मिल सकेगा।
पीएम मोदी जनवरी में भी एक महीने में दो बार आए थे
साल 2024 की शुरुआत में भी पीएम मोदी एक महीने में दो बार जयपुर आए थे। जयपुर में आयोजित हुई डीजी-आईजी कॉन्फ्रेंस के चलते मोदी 5 से 7 जनवरी तक जयपुर में ठहरे थे। इस दौरान वे प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार प्रदेश बीजेपी कार्यालय भी पहुंचे थे। यहां पीएम मोदी ने मंत्री-विधायक और पार्टी पदाधिकारियों के साथ डिनर भी किया था। इसके बाद मोदी 25 जनवरी को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ जयपुर पहुंचे। इस दौरान मोदी ने मैक्रों के साथ शहर की चारदीवारी में रोड शो भी किया था। वहीं, शॉपिंग के साथ फेमस साहू टी-स्टॉल पर चाय भी पी थी।
राजस्थान समिट से पहले सीएम रोज ले रहे एक नया संकल्प
राइजिंग राजस्थान ग्लोबल समिट 9,10 और 11 दिसंबर को जयपुर में आयोजित होगी। इससे पहले सीएम भजनलाल शर्मा समिट को सफल बनाने के लिए 10 दिन तक रोज एक नया संकल्प ले रहे हैं। सीएम शर्मा ने कहा कि राइजिंग राजस्थान समिट का उद्घाटन दिवस पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित होगा। यह समिट सूरज की ताकत से प्रदेश के विकास में नया सवेरा लाएगा। उन्होंने कहा- हमारी प्राथमिकता है कि प्रदेश में बिजली की आपूर्ति के लिए अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाए। राज्य सरकार की अनुकूल निवेश नीतियों से राजस्थान अक्षय ऊर्जा निवेशकों की पसंद बना हुआ है। आज राजस्थान देश में अक्षय ऊर्जा उत्पादन में पहले स्थान पर है। उन्होंने कहा कि हम प्रदेश को 2027 तक ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं।
इन वजहों से है राजस्थान में निवेश फ्रेंडली माहौल
• केंद्र और राज्य में सरकार : वर्तमान में केन्द्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार है। कई उद्योग ऐसे हैं, जिन्हें स्थापित करने के लिए केन्द्र के भी विभिन्न मंत्रालयों से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) चाहिए होती है। खासकर वन व पर्यावरण संबंधी मामलों में। संयोग से केन्द्रीय वन व पर्यावरण मंत्री भी राजस्थान से सांसद (अलवर) भूपेन्द्र यादव हैं। ऐसे में उद्योगपतियों व निवेशकर्ताओं को यह विश्वास दिलाया जाएगा कि उनका निवेश न केवल सुरक्षित रहेगा बल्कि वे आसानी और शीघ्रता से अपने उद्योग स्थापित कर सकेंगे। उन्हें सरकारी, ब्यूरोक्रेसी और विभिन्न एजेंसियों के स्तर पर होने वाली देरी का सामना नहीं करना पडे़गा।
• राजधानी और एनसीआर से नजदीक : राजस्थान देश की राजधानी दिल्ली से सटा हुआ है। राजस्थान के अधिकांश शहर-कस्बों से दिल्ली-गुरुग्राम-फरीदाबाद-नोएडा-गाजियाबाद की दूरी 1 से 5 घंटे की ही है। राजस्थान का बहुत बड़ा हिस्सा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में शामिल है। दिल्ली से जयपुर के बीच गुरुग्राम, धारुहेड़ा, बवाल, भिवाड़ी, नीमराणा, कोटपूतली जैसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र पहले से ही हैं।
• बेहतर एनवायरमेंट : देश भर में किसी भी प्रदेश की तुलना में राजस्थान में पर्यावरण संबंधी मुसीबतें (बाढ़, भूकम्प, तूफान, चक्रवात, बिजली गिरने की घटनाएं) सबसे कम हैं।
• कम अपराध : देश के अधिकांश प्रदेशों की तुलना में राजस्थान को अपराधों के मामले में शांत प्रदेशों में गिना जाता है।
• बड़े उद्योगपतियों की भूमि : देश में गुजरात, महाराष्ट और पंजाब के बाद सबसे ज्यादा लोग राजस्थान से हैं, जो विदेशों में रहते हैं। उनका इंडस्ट्रियल नेटवर्क स्थानीय उद्योगपतियों को मदद देता है। राजस्थान की भूमि से बिड़ला, बजाज, मित्तल, मोदी, सिंघानिया, बांगड़ जैसे औद्योगिक समूह निकले हैं, जिन्होंने देश-विदेश में नाम कमाया है।
• इंडस्ट्रियल कॉरिडोर : देश के सबसे महत्वपूर्ण दिल्ली-मुम्बई फ्रेट इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का करीब 39 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान से गुजरता है। इस कॉरिडोर से जयपुर, भरतपुर, अजमेर, कोटा, उदयपुर व बांसवाड़ा संभाग सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।
• पर्याप्त जमीन : देश भर में राजस्थान एक मात्र ऐसा राज्य है, जिसके पास उद्योगों को देने के लिए पर्याप्त जमीन है। किसी अन्य प्रदेश के पास राजस्थान से ज्यादा जमीन नहीं है।
• भौगोलिक स्थिति : राजस्थान की भौगोलिक स्थिति भी उपयुक्त। मुम्बई, दिल्ली, अहमदाबाद, इंदौर, सूरत आदि उद्योग-व्यापार के केन्द्रों के आसपास स्थित है।
• समुद्र तट से नजदीकी : गुजरात और महाराष्ट्र के समुद्र तटों की नजदीकी भी प्लस पॉइंट है। जोधपुर, उदयपुर, बाड़मेर, जालोर, सिरोही, पाली, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, डूंगरपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, कोटा, झालावाड़ जैसे इलाकों से 4 से 10 घंटों में समुद्री तटों तक पहुंचा जा सकता है। वहां तक पहुंचने के लिए राजस्थान से 7 नेशनल हाईवे, रेल नेटवर्क और हवाई मार्ग की पर्याप्त सुविधाएं हैं। यह नजदीकी औद्योगिक उत्पादों को इंटरनेशनल मार्केट तक पहुंचाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।