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आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया के देशों को एकजुट करने में कामयाब हुए पीएम मोदी

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संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम नरेन्द्र मोदी के सिंहनाद से दुनिया में भारत का मान बढ़ा है। एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक की ओर से कराए गए सर्वे में यह बात उभर कर सामने आई है कि प्रधानमंत्री मोदी आतंकवाद से लड़ाई में दुनिया को साथ लाने में सफल रहे हैं। सर्वे में 66 फीसदी लोगों ने माना है कि आतंकवाद के मुद्दे पर पीएम मोदी दुनिया के देशों को एकजुट करने में कामयाब हुए हैं। पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में बेबाकी से आतंकवाद पर अपनी बात रखते हुए चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्हें सख्त लहजे में चेतावनी दे डाली थी कि, यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने के लिए न हो। यही नहीं, संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रासंगिकता पर भी सवाल उठाते हुए कहा था कि,  हमें सतर्क रहना होगा कि अफगानिस्तान की नाजुक स्थितियों का कोई देश अपने स्वार्थ के लिए टूल की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश न करे। वहीं, सर्वे में 34.08 फीसदी लोगों का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम मोदी का भाषण कोई बड़ी भूमिका नहीं निभा सका है।

इशारों-इशारों में पाकिस्तान को दी नतीहत, आतंकवाद उसके लिए भी बड़ा खतरा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। अपने 22 मिनट 5 सेंकड के भाषण में उन्होंने अफगानिस्तान, कोरोना और आतंकवाद पर अपनी बात रखी। पीएम ने इशारों-इशारों में पाकिस्तान को नसीहत भी  दी। उन्होंने कहा कि रिग्रेसिव थिंकिंग के साथ जो देश आतंकवाद का पॉलिटिकल टूल के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें समझना होगा कि आतंकवाद उनके लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है। समाचार पत्र ने इसे बारे में लोगों से पूछा था कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण से पीएम मोदी क्या आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया भर के देशों को एकजुट करने में कामयाब हुए? इस पर 65.92 फीसदी लोगों को कहना है कि हां, संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण से पीएम मोदी आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया भर के देशों को एकजुट करने में कामयाब हुए हैं। बता दें कि पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण के दौरान आतंकवाद पर अपनी बात रखते हुए कहा था कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने के लिए न हो। हमें सतर्क रहना होगा कि वहां की नाजुक स्थितियों का कोई देश अपने स्वार्थ के लिए टूल की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश न करे। इस समय अफगानिस्तान की जनता, वहां की महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों को हमारी मदद की जरूरत है। इसमें हमें अपना दायित्व निभाना ही होगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन के साथ मुलाकात में भी आतंकवाद को लेकर की थी चर्चा
इससे पहले पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन के साथ मुलाकात के दौरान भी आतंकवाद को लेकर चर्चा की थी। दोनों देशों ने कहा कि वे सभी आतंकी गुटों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की व्हाइट हाउस में पहली द्विपक्षीय वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया, दोनों देश वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ साझा जंग में साथ खड़े हैं। बयान में दोनों नेताओं ने किसी भी रूप में आतंक के छद्म इस्तेमाल की निंदा की और आतंकवादी समूहों को किसी भी तरह की सैन्य, वित्तीय सहायता को रोकने के महत्व पर जोर दिया था। दोनों नेताओं ने कहा थी कि आतंकवाद विरोधी संयुक्त कार्य समूह और आंतरिक सुरक्षा संवाद के जरिये भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग को और मजबूत किया जाएगा। इस प्रक्रिया में खुफिया जानकारी साझा करना और कानूनी प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सहयोग भी शामिल है।

पीएम मोदी संग बैठक में अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने भी पाकिस्तान को आतंक पर लगाई लताड़

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की बैठक पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी है। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने बैठक में पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई और कहा कि पाकिस्तान को हर हाल में आतंक का साथ छोड़ना होगा, साथ ही आतंकवादी संगठनों पर कार्रवाई करनी होगी। ताकि इससे अमेरिका और भारत की सुरक्षा पर असर नहीं पड़े। अमेरिका की धरती से पाकिस्तान को मिली लताड़ से साफ है कि आतंक पर पाकिस्तान दुनिया के सामने बेनकाब हो चुका है। और अमेरिकी इस क्षेत्र में सुरक्षा के लिए भारत के साथ अपने रिश्तों को कितनी तवज्जो देता है।

प्रधानमंत्री मोदी हर वक्त करते हैं काम, 20 सालों से नहीं ली कोई छुट्टी नहीं

नरेन्द्र मोदी और ‘कर्मयोगी’ एक-दूसरे के पर्यायवाची बन चुके हैं। नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रसेवा को सर्वोपरि रख जिस ऊर्जा और उत्साह के साथ 7 अक्टूबर, 2001 को एक सेवक के रूप में अपनी यात्रा की शुरुआत की थी, वो आज 20 साल बाद भी प्रधानमंत्री के रूप में यथावत जारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिन-रात देश के लिए काम करते हैं। 20 सालों में उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के नाते और प्रधानमंत्री के तौर पर कभी कोई छुट्टी नहीं ली। ऐसा करने वाले वे देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अमेरिका दौरा 4 दिनों का था, ऐसे में उनके पास जो भी समय उपलब्ध थे, उन्होंने उसका भरपूर उपयोग किया। उन्होंने अपने अमेरिका दौरे में 65 घंटों के भीतर 24 बड़ी बैठकों में हिस्सा लिया। इनमें से 4 लंबी बैठकें तो फ्लाइट में ही हुईं। फ्लाइट में ही उन्होंने कई आधिकारिक फाइलों को भी निपटाया। ।  2014 में कठिन परिस्थितियों में प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागड़ोर संभालते ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से एक-एक कर निपटना आरंभ किया। कोरोना महामारी को बड़ी चुनौती मानते हुए प्रधानमंत्री मोदी विशेषज्ञों की कोर टीमों के साथ हर रोज 18 घंटे तक काम करते रहे हैं। वे जब तक जागते हैं, तब तक जनता और देश की सेवा का ही चिंतन करते हैं।

राष्ट्रहित सर्वोपरि, आत्मनिर्भर भारत का संकल्प पूरा करने के लिए बिना रुके, बिना थके जुटे हुए हैं

प्रधानमंत्री मोदी को कर्मयोगी इसलिए भी कहा जाता है, क्योंकि जनता के प्रतिनिधि के रूप में सार्वजनिक जीवन में आने से पहले या बाद भी, उन्होंने कभी-भी अपने व्यक्तिगत हित या पारिवारिक हित के लिए कोई कार्य नहीं किया। यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश को ही अपना परिवार बना लिया है और सेवा की अलख को अखंड बनाए रखा है। इसके साथ ही आत्मनिर्भर भारत का संकल्प पूरा करने के लिए बिना रुके, बिना थके जुटे हुए हैं।

 

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