प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मानवता की सफलता युद्ध के मैदान में नहीं, बल्कि सामूहिक शक्ति में है। सोमवार 23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र में भविष्य के लिए शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि ‘मानवता की सफलता हमारी सामूहिक शक्ति में है, युद्ध के मैदान में नहीं।’
इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि विश्व शांति एवं विकास के लिए, वैश्विक लक्ष्यों में सुधार आवश्यक हैं। अफ्रीकी संघ को नई दिल्ली समिट में जी20 की स्थाई सदस्यता, इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए, एक तरफ आतंकवाद जैसा बड़ा खतरा है, तो दूसरी तरफ साइबर, मैरीटाइम, स्पेस जैसे अनेक संघर्ष के नए-नए मैदान भी बन रहे हैं। इन सभी विषयों पर, ग्लोबल एक्शन को ग्लोबल एम्बिशन से मेल खाना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने करीब पांच मिनट के अपने संबोधन में कहा कि जब हम वैश्विक भविष्य की बात कर रहे हैं, तो मानव केंद्रित दृष्टिकोण ही होनी चाहिए। सतत विकास को प्राथमिकता देते हुए, हमें कल्याण मानव, भोजन, स्वास्थ्य सुरक्षा भी सुनिश्चित करना होगा। भारत में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालकर हमने दिखाया है कि, सतत विकास सफल हो सकता है। सफलता का हमारा यह अनुभव, हम ग्लोबल साउथ के साथ साझा करने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग के लिए संतुलित नियमन आवश्यक है। हमें ऐसी वैश्विक डिजिटल सुविधाएं देनी चाहिए, जिससे राष्ट्रीय संप्रभुता और अखंडता बरकरार रहे। डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर एक ब्रिज होना चाहिए, बाधा नहीं। ग्लोबल गुड के लिए, भारत अपना डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी दुनिया से साझा करने के लिए तैयार है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत के लिए “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” एक प्रतिबद्धता है। यही प्रतिबद्धता हमारी “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य”, और “एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड” जैसी पहल में भी दिखाई देती है। भारत पूरी मानवता के हितों की रक्षा और वैश्विक समृद्धि के लिए मनसा-वाचा-कर्मणा से काम करता रहेगा।