भारत को साल 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प अब सिर्फ सरकारी फाइलों, घोषणाओं या नीतिगत दस्तावेजों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह एक जन आकांक्षा बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अनुसार, यह संकल्प अब एक जन आकांक्षा का रूप ले चुका है, यानी यह देश के 140 करोड़ लोगों का साझा सपना बन गया है।
शनिवार 30 दिसंबर को नीति आयोग में आयोजित एक अहम बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के दिग्गज अर्थशास्त्रियों और आर्थिक विशेषज्ञों के साथ संवाद किया। इस विशेष संवाद का विषय ‘आत्मनिर्भरता और संरचनात्मक परिवर्तन: विकसित भारत का एजेंडा’ रखा गया था। बैठक में प्रधानमंत्री ने साफ किया कि समाज की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अब हमें अपनी संस्थागत क्षमता और इंफ्रास्ट्रक्चर को नए सिरे से तैयार करना होगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने अर्थशास्त्रियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज का भारत बदल रहा है। शिक्षा से लेकर उपभोग के तरीकों तक, हर जगह एक नई ऊर्जा दिख रही है। लोग अब सिर्फ बुनियादी सुविधाओं से संतुष्ट नहीं हैं, बल्कि वे वैश्विक स्तर की सुविधाएं और अवसर चाहते हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि 2047 तक विकसित भारत की यात्रा के लिए हमें अपनी नीतियों और बजट को इसी विजन के साथ जोड़ना होगा। उन्होंने बताया कि जिस तरह से समाज की जरूरतें बदल रही हैं, उसके लिए हमें अपनी संस्थाओं को और अधिक मजबूत और सक्रिय बनाने की जरूरत है।

बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने मिशन-आधारित सुधारों पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत को ग्लोबल वर्कफोर्स और अंतरराष्ट्रीय बाजारों का केंद्र बनाने के लिए हमें वैश्विक स्तर की क्षमता विकसित करनी होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि दीर्घकालिक विकास को बनाए रखने के लिए हर क्षेत्र में सुधारों की गति को तेज करना होगा। उन्होंने कहा कि नीति निर्माण में अब दूरदर्शिता की जरूरत है, ताकि भारत आने वाले दशकों में दुनिया की अर्थव्यवस्था का नेतृत्व कर सके।
इस चर्चा में शामिल हुए देश के जाने-माने अर्थशास्त्रियों ने भी अपने विचार साझा किए। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में उत्पादकता बढ़ाने के लिए घरेलू बचत को बढ़ावा देना और अत्याधुनिक तकनीक को अपनाना बेहद जरूरी है। अर्थशास्त्रियों ने बुनियादी ढांचे को और मजबूत करने की वकालत की।

चर्चा का एक बड़ा हिस्सा आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI) और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) पर केंद्रित रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि एआई के जरिए विभिन्न क्षेत्रों की कार्यक्षमता को कई गुना बढ़ाया जा सकता है, जिससे भारत की आर्थिक रफ्तार को और गति मिलेगी।
बैठक में मौजूद विशेषज्ञों ने 2025 को भारत के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष बताया। उन्होंने कहा कि बीते समय में हुए अभूतपूर्व सुधारों की वजह से भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में बना हुआ है। आने वाले साल में इन सुधारों को और मजबूत किया जाएगा, जिससे नए अवसर पैदा होंगे और देश की आर्थिक नींव और अधिक ठोस होगी।

नीति आयोग में आयोजित इस हाई-प्रोफाइल बैठक में शंकर आचार्य, अशोक के भट्टाचार्य, एन आर भानुमूर्ति, अमिता बत्रा, और मोनिका हालन जैसे करीब 20 दिग्गज अर्थशास्त्री शामिल थे। इनके अलावा निवेश और बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भी अपने इनपुट दिए।
इन विशेषज्ञों ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है और अगर हम तकनीक और बेहतर बुनियादी ढांचे के तालमेल के साथ आगे बढ़े, तो 2047 का लक्ष्य हासिल करना तय है।









