प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 फरवरी को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में जवाब दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि माननीया राष्ट्रपति ने दोनों सदनों को अपने दूरदर्शी संबोधन में राष्ट्र को सटीक दिशा दी है। उन्होंने कहा कि माननीया राष्ट्रपति के संबोधन ने भारत की ‘नारी शक्ति’ को प्रेरित किया है और भारत के जनजातीय समुदायों में गर्व की भावना उत्पन्न करते हुए उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने राष्ट्र के ‘संकल्प से सिद्धि’ का विस्तृत खाका प्रस्तुत किया।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि तरह-तरह की चुनौतियां आ सकती हैं, लेकिन 140 करोड़ भारतीयों के दृढ़ संकल्प से देश हमारे रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं को पार कर सकता है। उन्होंने कहा कि सदी में एक बार आने वाली आपदा और युद्ध के दौरान देश को सटीक ढंग से संभालने से हर भारतीय आत्मविश्वास से भरा हुआ है। व्यापक उथल-पुथल के इस दौर में भी भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 से पहले के दशक की ओर ध्यान दिलाया और कहा कि 2004 से 2014 के बीच के साल घोटालों से भरे रहे और साथ ही देश के कोने-कोने में आतंकी हमले हो रहे थे। इस दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट देखी गई और वैश्विक मंचों पर भारत की आवाज बहुत ही कमजोर हो गई। वह युग ‘मौके में मुसीबत’ वाला था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आलोचना एक ‘शुद्धि यज्ञ’ की तरह है। रचनात्मक आलोचना के बजाय कुछ लोग बाध्यतावश आलोचना करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों के दौरान, हमने ऐसे आलोचक देखे हैं जो रचनात्मक आलोचना के बजाय निराधार आरोप लगाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह की आलोचना उन लोगों को सही नहीं मालूम होगी जो पहली बार बुनियादी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह एक राजवंश के बजाय, 140 करोड़ भारतीयों के परिवार के सदस्य हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “140 करोड़ भारतवासियों का आशीर्वाद मेरा ‘सुरक्षा कवच’ है।”