आज लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म-जयंती है। केंद्र की मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद जिस मिशन कश्मीर और पूर्वोत्तर को धार दी, उसके पीछे पीएम मोदी के विजन के साथ ही सरदार पटेल के सिद्धांतों की प्रेरणा भी है। मोदी सरकार के इन कदमों से न सिर्फ जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी और पर्यटकों की संख्या में रिकार्ड तेजी आई है, बल्कि पूर्वोत्तर में आठ हजार से ज्यादा उग्रवादियों ने हथियार डालकर शांति और अमन की राह पकड़ी है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि खुद पीएम मोदी ने पूर्वोत्तर का 50 से अधिक बार दौरा किया है। आजादी के 75 साल में आठ साल में पूर्वोत्तर का इतनी बार दौरा करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। मोदी सरकार का मानना है कि परिवहन और संचार को बढ़ाकर ही इस क्षेत्र में परिवर्तन संभव है और सरकार ने इस संबंध में ठोस कदम उठाए हैं।अनुच्छेद 370 हटने से पटेल का सपना साकार, फेस्टिवल ऑफ यूनिटी सप्ताह शुरू
पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह कई मौकों पर कह चुके हैं कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने से सरदार साहब का सपना साकार हुआ है। इस कदम के बाद ही घाटी का हिंदुस्तान के साथ असल में एकीकरण हुआ। बिखरी रियासतों को एक सूत्र में पिरोने वाले, भारत की एकता और अखंडता के सूत्रधार सरदार पटेल की जयंती पर मोदी सरकार फेस्टिवल ऑफ यूनिटी सप्ताह मना रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के केवड़िया में सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। देश आज (31 अक्टूबर) लौह पुरुष पटेल की 147वीं जयंती मना रहा है। वह भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और पहले गृह मंत्री थे। उनकी जयंती को भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस यानी नेशनल यूनिटी डे के तौर पर मनाया जाता है।सरदार पटेल न होते तो देश की 550 से ज्यादा रियासतें एकजुट न हुई होतीं
गुजरात में पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय एकता दिवस को बहुत विशेष अवसर के रूप में मैं देख रहा हूं। उन्होंने कहा कि अतीत की तरह ही भारत के उत्थान से परेशान होने वाली ताकतें आज भी मौजूद हैं। जातियों के नाम हमें लड़ाने के लिए तरह-तरह के नरेटिव गढ़े जाते हैं। इतिहास को भी ऐसे पेश किया जाता हैं कि जिससे देश जुड़े नहीं। कई बार ये ताकतें तुष्टिकरण के रूप में, कभी परिवारवाद के रूप में, कभी लालच और भ्रष्टाचार के रूप में दरवाजे तक दस्तक देती है। हमें इनसे सतर्क रहना है और हम नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि अगर भारत के पास सरदार पटेल जैसा नेतृत्व न होता तो क्या होता? अगर 550 से ज्यादा रियासतें एकजुट न हुई होती तो क्या होता? हमारे ज्यादातर राजा रजवाड़े त्याग की पराकाष्ठा न दिखाते, तो आज हम जैसा भारत देख रहे हैं हम उसकी कल्पना न कर पाते। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और पूर्वोत्तर तक ये कार्य सरदार पटेल ने ही सिद्ध किए हैं।चीन से बढ़ते तनाव के बीच पूर्वोत्तर में रोजगार और विकास पर विशेष ध्यान
मोदी सरकार चीन के रूख को देखते हुए भारत के पूर्वोत्तर राज्यों पर पर्याप्त ध्यान दे रही है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कई केंद्रीय मंत्रियों को इसी बात पर लगाया कि उन्हें महीने में कम से कम दो बार पूर्वोत्तर भारत का दौरा करना है और वहां की समस्याओं का भी हल करना है। पीएम मोदी ने इस क्षेत्र में रोजगार को बढ़ाने के उद्देश्य से पूर्वोत्तर औद्योगिक विकास योजना 2017 में शुरू की। इसके तहत 3,000 करोड़ रुपये की लागत से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन दिया। पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र विकास के लिये 90 करोड़ की योजना लाए। इस योजना से विशेषकर मणिपुर, त्रिपुरा और असम के पर्वतीय क्षेत्रों को लाभ मिला। पूर्वोत्तर में निवेश को बढ़ावा देने के लिये 2017 में 12वां पूर्वोत्तर व्यापार शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर में सार्वजनिक तथा निजी भागीदारी से संरचना, कौशल विकास, वित्तीय समावेशी आयोजन, पर्यटन, सत्कार एवं खाद्य प्रसंस्करण सम्बंधी सेवा क्षेत्र के विकास पर ध्यान देना है।
पूर्वोत्तर में 8 हजार उग्रवादियों ने हथियार डाले, कश्मीर में भी कम हुईं आतंकी घटनाएं
मोदी सरकार की नीतियों के चलते ही पूर्वोत्तर में उग्रवादी गुटों के कारण हिंसा की आग से पूर्वोत्तर को बचाया जा सका। मोदी सरकार ने सशस्त्र गुटों से बातचीत की पहल शुरू की। 2014 से अब तक लगभग आठ हजार से ज्यादा उग्रवादी हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। 2014 की तुलना में 2021 में उग्रवाद की घटनाओं में 74 प्रतिशत की कमी आई है। इसी अवधि में सुरक्षा बलों में 60 प्रतिशत और आम नागरिकों की जनहानि में 89 प्रतिशत की कमी आई है। पूर्वोतर की तरह कश्मीर भी अब अमन की राह पर है। 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के हटने से पहले के 37 महीनों और बाद के 37 महीनों की तुलना करें तो आतंकी घटनाओं में 34 प्रतिशत और सुरक्षा बलों की मृत्यु के मामलों में 54 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।पूर्वोत्तर के लिए ‘पीएम-डिवाइन’ के तहत 1500 करोड़ रुपए
केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2022-23 पेश करते हुए पूर्वोत्तर के लिए एक नई योजना प्रधानमंत्री विकास पहल-पीएम-डिवाइन की घोषणा की थी। वित्त मंत्री ने कहा कि पीएम-डिवाइन को नॉर्थ-ईस्टर्न काउंसिल के जरिए लागू किया जाएगा। इस नई योजना के लिए 1,500 करोड़ रुपये का प्रारंभिक आवंटन किया जाएगा। यह आवंटन पीएम गतिशक्ति की भावना के अनुरूप बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और पूर्वोत्तर की जरूरतों के आधार पर सामाजिक विकास परियोजनाओं की फंडिंग के लिए है। मंत्री ने कहा कि यह युवाओं और महिलाओं को आजीविका गतिविधियों के लिए सक्षम बनाएगा विभिन्न क्षेत्रों में खाई को पाटेगा।नागालैंड की राजा मिर्च, त्रिपुरा का कटहल पहुंचा विदेश, असम लेमन भी लंदन पहुंची
एपीडा की पहल से त्रिपुरा के कटहल को पहली बार एक स्थानीय निर्यातक के माध्यम से लंदन तथा नागालैंड के राजा मिर्च को लंदन में निर्यात किया गया। इसके अतिरिक्त, असम के स्थानीय फल लेटेकु (बर्मा का अंगूर) को दुबई में निर्यात किया गया तथा असम के पान के पत्तों को नियमित रूप से लंदन में निर्यात किया जा रहा है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के जीआई उत्पादों जैसे कि भुत जोलोकिया, असम लेमन आदि ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ध्यान आकृष्ट किया था। उन्होंने अपने मन की बात कार्यक्रम के दौरान इसका उल्लेख किया। असम लेमन का अब नियमित रूप से लंदन तथा मध्य पूर्व देशों को निर्यात होता है और अभी तक 50 एमटी से अधिक असम लेमन का निर्यात किया जा चुका है। लीची तथा कद्दू की भी कई खेपें एपीडा द्वारा असम से विभिन्न देशों में निर्यात की जा चुकी हैं।
अंतर्राष्ट्रीय सीमा से जुड़े होने से निर्यात की खूब संभावना, कौशल विकास पर भी जोर
एपीडा के अध्यक्ष डॉ. एम अंगमुथु ने कहा कि असम तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र के अन्य राज्यों की लगभग सभी कृषि संबंधी तथा बागवानी फसलों को उगाने के लिए एक अनुकूल जलवायु स्थिति तथा मृदा प्रकार है। चूंकि पूर्वोत्तर क्षेत्र की लगभग सभी सीमाएं भूटान, बांग्ला देश, म्यांमार तथा चीन जैसे देशों के साथ मिली हुई हैं, इस क्षेत्र से निर्यात में वृद्धि होने की संभावनाएं हैं। एपीडा ने क्षेत्र से 80 उभरते उद्यमियों तथा निर्यातकों का क्षमता निर्माण, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) तथा राज्य सरकारों के अधिकारियों, खाद्य प्रसंस्करण में कौशल विकास तथा प्रशिक्षण, बागवानी संबंधी ऊपज पर मूल्य संवर्धन आदि जैसी कई अन्य परियोजनाएं भी आरंभ की हैं। कोविड-19 अवधि के दौरान एपीडा ने अनानास, अदरक, नींबू, संतरा आदि की सोर्सिंग के संबंध में निर्यातकों तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र के एफपीओ/एफपीसी के साथ विभिन्न देशों में स्थित भारतीय दूतावासों के सहयोग से वर्चुअल क्रेता विक्रेता बैठक के माध्यम से अपनी निर्यात योजनाओं को बढ़ावा देना जारी रखा।
जम्मू-कश्मीर में युगांतरकारी फैसले के अब सामने आ रहे हैं सुखद परिणाम
पूर्वोत्तर के बाद यदि कश्मीर की बात करें तो अनुच्छेद 370 को खत्म करने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ही युगांतरकारी फैसला ही था, जिसके सुखद परिणाम अब सामने आ रहे हैं। तीन साल पहले लिए ऐतिहासिक फैसले का ही कमाल है कि जम्मू-कश्मीर अब सचमुच ही ‘स्वर्ग’ बनने की दिशा में अग्रसर है। शांति-अमन के बीच जम्मू-कश्मीर की वादियां न सिर्फ देशी-विदेशी पर्यटकों को आवाज देकर बुला रही हैं, बल्कि दुनियाभर से इस साल आए 1.62 करोड़ पर्यटकों ने भी 75 साल का रिकार्ड तोड़कर धरती के स्वर्ग के साथ कदम से कदम मिलाए हैं। काबिले जिक्र है कि तीन साल पहले मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35ए हटाने का अप्रत्याशित, अविश्वसनीय और अकल्पनीय फैसला लिया था। तब राज्यसभा में बहुमत न होने के बावजूद पीएम मोदी ने साबित कर दिखाया कि जो वो ठान लेते हैं, उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। उनका फैसला रंग ला रहा है।अमन-शांति के बीच आतंकी घटनाएं कम, युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुले
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खात्मे के चलते इस पूरे क्षेत्र और खासकर घाटी में बेहद सकारात्मक बदलाव आए। स्थानीय युवाओं के आतंक से न जुड़ने और सुरक्षा बलों द्वारा ज्यादा चौकस रहने का ही सुपरिणाम है कि जम्मू-कश्मीर से आतंकियों के हौंसले पस्त हो रहे हैं। आंकड़ों में बात करें तो अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद आतंकवादी हमले करीब एक तिहाई से भी कम रह गए हैं। इसी प्रकार आतंकवाद विरोधी अभियानों में केंद्रीय सुरक्षा बलों की मौत के मामलों में भी कमी आई है। पत्थरबाजी की घटनाएं लगभग खत्म ही हो गई हैं। इन सबसे देशी-विदेशी पर्यटकों ने कश्मीर घाटी की ओर रुख किया तो युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी खुल गए।
Since January 2022, 1.62 crore tourists have visited Jammu and Kashmir, which is the highest in 75 years of Independence: Directorate of Information & Public Relations (DIPR), Government of J&K
— ANI (@ANI) October 6, 2022
जम्मू-कश्मीर ने बनाया सर्वकालिक रिकॉर्ड, नौ माह में ही आए 1.62 करोड़ पर्यटक
जम्मू-कश्मीर सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों में बताया गया है कि जनवरी-2022 से लेकर अब तक जम्मू-कश्मीर में एक करोड़ 62 लाख पर्यटक विजिट कर चुके हैं। इसमें सुखद आश्चर्य यह है कि आजादी के बाद यानी पिछले 75 सालों में इतनी अवधि में इनते ज्यादा पर्यटक आज तक नहीं आए हैं। पीएम मोदी के बड़े और विजनरी निर्णय के घाटी पर्यटकों का अमृतकाल मना रही है। अभी पर्यटन का सीजन गुलजार है, ऐसे में आने वाले समय में यहां काफी पर्यटकों के आने और नए रिकॉर्ड बनने की उम्मीद की जा रही है।डल लेक से पहलगांव, ट्यूलिप गार्डन से कश्मीर की बर्फीली वादियों का लुत्फ उठा रहे पर्यटक
पर्यटन अधिकारियों के मुताबिक धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में पर्यटकों ने 75 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इस बार एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन, डल लेक, पहलगांव और कश्मीर की वादियों और बर्फ का पर्यटक खूब लुत्फ उठा रहे हैं। कश्मीर की डल झील के किनारे जबरवान पहाड़ियों से घिरे ट्यूलिप गार्डन में 15 लाख से ज्यादा फूल हैं। इसे मार्च से पर्यटकों के लिए खोला गया है। पर्यटन को बढ़ावा मिलने, रोजगार के अवसर बढ़ने से कश्मीर की इकोनॉमी भी बेहतर हुई है।