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विकास से संबंधित समस्याओं और प्राथमिकताओं पर चर्चा का मंच बना वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ- प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ सम्मेलन संबंधित समस्याओं और प्राथमिकताओं पर चर्चा का एक मंच बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार 17 अगस्त को वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ एक ऐसा मंच बना, जहां हमने विकास से संबंधित समस्याओं और प्राथमिकताओं पर खुलकर चर्चा की। और भारत ने ग्लोबल साउथ की आशाओं, आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं पर आधारित जी-20 एजेंडा तैयार किया। एक समावेशी और विकास-केंद्रित अप्रोच से जी-20 को आगे बढ़ाया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण वह ऐतिहासिक क्षण था, जब अफ्रीकन यूनियन ने G-20 में स्थायी सदस्यता ग्रहण की।’

भारत वर्चुअल तौर पर तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। अपने उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा किहा कि ‘आज हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब चारों ओर अनिश्चितता का माहौल है। दुनिया अभी तक कोविड के प्रभाव से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई है। दूसरी ओर युद्ध की स्थिति ने हमारी विकास यात्रा के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। हम क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों का सामना तो कर ही रहे हैं, और अब हेल्थ सिक्योरिटी, फ़ूड सिक्योरिटी, और इनर्जी सिक्योरिटी की चिंताएं भी हैं। आतंकवाद, अतिवाद और अलगाववाद हमारे समाजों के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं।’

उन्होंने कहा कि ‘यह समय की मांग है, कि ग्लोबल साउथ के देश एकजुट होकर, एक स्वर में, एक साथ खड़े रहकर, एक दूसरे की ताकत बनें। हम एक दूसरे के अनुभवों से सीखें। अपनी क्षमताओं को साझा करें। मिलकर अपने संकल्पों को सिद्धि तक लेकर जाएं। मिलकर दो-तिहाई मानवता को मान्यता दिलाएं। और भारत, ग्लोबल साउथ के सभी देशों के साथ अपने अनुभव, अपनी क्षमताएं साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम आपसी व्यापार, समावेशी विकास, सस्टेनेबल डवलपमेंट गोल्स की प्रगति, और महिला नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देना चाहते हैं।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मिशन लाइफ के तहत हम न केवल भारत में, बल्कि पार्टनर देशों में भी रूफटॉप सोलर और रिन्यूएबल पावर जनरेशन को प्राथमिकता दे रहे हैं। हमने वित्तीय समावेशन के अपने अनुभव को साझा किया है। ग्लोबल साउथ के विभिन्न देशों को यूपीआई से जोड़ने की पहल की है। शिक्षा, क्षमता निर्माण और कौशल के क्षेत्रों में हमारी पार्टनरशिप में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। पिछले वर्ष ग्लोबल साउथ यंग डिप्लोमैट फोरम की भी शुरुआत की गई और, ‘दक्षिण’ यानी ग्लोबल साउथ एक्सीलेंस सेंटर, हमारे बीच क्षमता निर्माण, कौशल विकास और नॉलेज शेयरिंग पर काम कर रहा है।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘हेल्थ सिक्योरिटी के लिए हमारा मिशन है – वन वर्ल्ड- वन हेल्थ। और हमारा विजन है – “आरोग्य मैत्री” यानि “Friendship for Health”. हमने अफ्रीका और पैसिफिक आइलैंड देशों में अस्पताल, डायलिसिस मशीनें, जीवन-रक्षक दवाएं और जन औषधि केंद्रों के सहयोग से इस मित्रता को निभाया है। मानवीय संकट के समय, भारत एक प्रथम मदददाता की तरह अपने मित्र देशों की सहायता कर रहा हैं।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां हम उन लोगों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को आवाज दे रहे हैं, जिन्हें अब तक अनसुना किया गया है। मेरा मानना है कि हमारी ताकत हमारी एकता में है, और इस एकता के बल पर हम एक नई दिशा की ओर बढ़ेंगे।

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