आप इसे कांग्रेस का डबल स्टैंडर्ड नहीं तो और क्या कहेंगे! लेटरल एंट्री को लेकर कांग्रेस आजकल काफी बवाल करने में लगी है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि लेटरल एंट्री स्कीम कांग्रेस ही लेकर आई थी। मनमोहन सरकार के दौरान कांग्रेस के सीनियर लीडर वीरप्पा मोइली इसे लाए थे। अब जब नरेन्द्र मोदी सरकार इसे लागू कर रही है, तो कांग्रेस हो-हल्ला करने लगी है। कांग्रेस के इस रुख पर बीजेपी नेता और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कड़ी फटकार लगाई है। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ‘लेटरल एंट्री मामले पर कांग्रेस का पाखंड जगजाहिर है। इसे यूपीए सरकार ही लेकर आई थी। सेकंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफार्म कमीशन (एआरसी) 2005 में यूपीए सरकार के तहत स्थापित किया गया था। इसकी अध्यक्षता वीरप्पा मोइली ने की थी। यूपीए काल में बने एआरसी ने उन पदों को भरने के लिए विशेषज्ञों की भर्ती की सिफारिश की, जिनके लिए विशेष ज्ञान की जरूरत होती है। एनडीए सरकार ने इस सिफारिश को लागू करने के लिए एक पारदर्शी तरीका बनाया है। यूपीएससी के माध्यम से पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से भर्तियां की जाएंगी।’
Lateral entry
INC hypocrisy is evident on lateral entry matter. It was the UPA government which developed the concept of lateral entry.
The second Admin Reforms Commission (ARC) was established in 2005 under UPA government. Shri Veerappa Moily chaired it.
UPA period ARC…
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) August 18, 2024
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी इस पर राजनीति कर रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा है कि नरेन्द्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ के जरिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के झरिए भर्ती कर खुलेआम एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है।
नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ के ज़रिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं।
केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के ज़रिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है।
मैंने हमेशा…
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 18, 2024
दरअसल में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC- यूपीएससी) ने हाल ही में लेटरल एंट्री के जरिए 45 संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों की भर्ती के लिए एक अधिसूचना जारी की है। लेटरल एंट्री में सरकारी क्षेत्र में निजी क्षेत्र के उन विशेषज्ञों को रखा जाता है जिनका ट्रेक रिकॉर्ड बेहतर होता है। और लगता है कि उनके आने से सरकारी संस्थान भी प्राइवेट की तरह बेहतर काम कर सकेंगे और बेहतर नतीजे दे सकेंगे। एक्सपर्ट लोगों के आने से सरकार किसी योजना को तेजी से लागू कर सकती है। इससे लोगों की ये धारणा बदलने की भी कोशिश होती है कि सरकारी अफसर काम नहीं करते क्योंकि उन्हें नौकरी जाने का डर नहीं होता। लेटरल एंट्री में अफसरों को तीन साल के कॉन्ट्रेक्ट पर रखा जाता है। बेहतर नतीजे देने पर उसे बढ़ाया भी जा सकता है।
कांग्रेसी नेता अब इसको लेकर हंगामा कर रहे हैं। लेकिन आप यह जानकर हैरत में पड़ जाएंगे कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी 1971 में लेटरल एंट्री के जरिए ही आर्थिक सलाहकार बनाए गए थे। बाद में वे वित्त मंत्री और पीएम भी बने थे। इतना ही नहीं कांग्रेस शासनकाल में तकनीकी विशेषज्ञ सैम पित्रोदा, अर्थशास्त्री बिमल जालान, कौशिक बसु, अरविंद विरमानी, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, नंदन नीलेकणि को लेटरल एंट्री के जरिए ही प्रशासन में बड़े पद दिए गए थे।
बिमल जालान मुख्य आर्थिक सलाहकार के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर बने। कौशिक बसु और अरविंद विरमानी मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाए गए। रघुराम राजन मुख्य आर्थिक सलाहकार के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर बने। पूर्व आर्थिक सलाहकार मोंटेक सिंह अहलूवालिया योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी बनाए गए। इसके साथ ही इंफोसिस के नंदन नीलेकणि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण-आधार कार्ड के प्रमुख बनाए गए।
सोशल मीडिया के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समय भी संतोष सोढ़ी और वी कृष्णमूर्ति को लेटरल एंट्री के जरिए सचिव बनाया गया था। उन्हीं के समय में डीवी कपूर की भी लेटरल एंट्री हुई थी और आईजी पटेल को पहले सचिव फिर रिजर्व बैंक का गवर्नर बनाया गया था। इंदिरा गांधी के समय मनमोहन सिंह आर्थिक सलाहकार बनाए गए थे। राजीव गांधी के समय केपी नांबियार को सचिव बनाया गया था। सैम पित्रोदा भी राजीव गांधी के समय लेटरल एंट्री से आए थे। ऐसे में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के सवाल उठाने पर लोग सोशल मीडिया पर उन्हें फटकार लगा रहे हैं।
राहुल गांधी को देश की संस्थाओं पर विश्वास नहीं है।
बिना पढ़े बयान देने वाले राहुल गांधी अपने गिरेबान में भी झांके…
देश की संवैधानिक संस्थाओं के खिलवाड़ करने वाली कांग्रेस लेट्रल एंट्री के विषय पर बयानबाज़ी करके फिर एक बार जनता को गुमराह करने की नाकाम कोशिश कर रहे है। pic.twitter.com/wBqyQuzYYW
— Arjun Ram Meghwal (@arjunrammeghwal) August 19, 2024
बालक बुद्धि को एक ही बात कितनी बार समझानी पड़ेगी?
2018 में भी इसी तरह का भ्रम फैलाने का प्रयास किया था। लेकिन जब डॉ. मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया जैसे कई प्रमुख विशेषज्ञ पार्श्व प्रवेशकर्ताओं (lateral entrants) पर सवाल पूछे गए, तो कांग्रेस को जैसे मानो सांप ही सूंघ… https://t.co/bJ0L5qQpfZ
— Amit Malviya (@amitmalviya) August 18, 2024
भारत में लैटरल एंट्री के सबसे बड़े उदाहरण मनमोहन सिंह हैं। वे दिल्ली यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के टीचर थे। इंदिरा गांधी उन्हें उठाकर सीधे सरकार में ले आईं। उन्होंने कभी यूपीएससी सिविल सर्विस की परीक्षा पास नहीं की थी। पर 1976 में उन्हें सीधे, किसी IAS की जगह, देश का फ़ाइनैंस… pic.twitter.com/teKcYnleOT
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 19, 2024
#LateralEntry #लेटरल_एंट्री 👇 pic.twitter.com/PRHJDOfWH4
— Mukhtar Abbas Naqvi (@naqvimukhtar) August 20, 2024
अबे गधे
नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित पांचवी भी नहीं पढ़ी थी वह कभी स्कूल गई ही नहीं
फिर भी बिना यूपीएससी दिए उन्हें मॉस्को लंदन मेक्सिको अमेरिका यूनाइटेड नेशन में भारत का राजदूत नेहरू ने बना दिया
लेटरल एंट्री के जनक नेहरू थे बे
बस फर्क यही है कि नेहरू अपनी बहनों को… https://t.co/26LkuCFu80 pic.twitter.com/OhPjlTWTPR
— 🇮🇳Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) August 20, 2024
2019: Rahul Gandhi favours lateral entry into civil services, selling it as a poll promise.
2024: Rahul Gandhi protesting against lateral entry into civil services.
That is why you should never trust the Congress on serious reforms. They’ll always mislead the nation. pic.twitter.com/8ZucIWPEuT
— Tushar Gupta (@Tushar15_) August 19, 2024
How ridiculous you can be @RahulGandhi ?
Just look at these lateral & direct entries of Congress & let us know who all are Dalits from this group… https://t.co/hbfE7lsuzZ pic.twitter.com/gHwM3CHn5J— Modi Bharosa (@ModiBharosa) August 20, 2024