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काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से जुड़े मजदूरों पर पुष्प वर्षा और उनके साथ भोजन कर पीएम मोदी ने किया श्रम का सम्मान

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काशी विश्वनाथ धाम का कायाकल्प करने की जो परिकल्पना की थी, उसे 2000 से अधिक मजदूरों ने अपने अथक परिश्रम से मूर्त रूप प्रदान किया। प्रधानमंत्री मोदी भी उनके परिश्रम को नहीं भूले। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के दौरान 50 से अधिक मजूदर मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी उनके बीच जाकर बैठे, उनके साथ फोटो खिंचवाई और उनसे बातचीत की। मजदूरों के श्रम का सम्मान करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने उन पर पुष्प वर्षा की। इस दौरान हर-हर महादेव की आवाज गूंज रही थी। जब प्रधानमंत्री मोदी पुष्प वर्षा कर रहे थे, उस समय लग रहा था मानो भगवान विश्वकर्मा ने धरती पर अवतार ले लिया है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोद को अपने बीच पाकर मजदूर काफी खुश दिखे। 

पुष्प वर्षा के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण में अपना सहयोग देने वाले मजदूरों के साथ भोजन किया। साख बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने मजदूरों के बीच पंगत में बैठकर भोजन किया। खाने के मेन्यू उनकी पसंद को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था। खाने में उनके लिए गुजराती व्यंजन की व्यावस्था की गई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने खाने की थाली में पापड़, रोटी, दाल, मिक्सवेज, खीर, चावल और मिठाई का स्वाद लिया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी मजदूरों से बात भी करते दिखाई दिए। 

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में जब प्रधानमंत्री मोदी श्रमजीवियों पर पुष्प वर्षा कर रहे थे तब उनमें से कई की आंखें नम हो गईं। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना था कि एक थे शाहजहां जिसने अपने श्रमिकों के हाथ काट दिए और एक यह श्रमिक बन्धु जो काशी की भव्यता दिव्यता के लिए दिन रात एक कर दिए। देश के प्रधानमंत्री मोदी सभी श्रमिकों पर पुष्प वर्षा कर अभिवादन कर रहे है।

देवरिया के दैनिक सीमा रेखा के पत्रकार विकास कुमार ने लिखा, “ये हैं हमारे PM! ये हैं हमारे वोट की ताकत। अपने मत का प्रयोग समझदारी से करें तो PM नहीं, जनसेवक को पाएंगे जो सफाईकर्मी, मजदूर सबका सम्मान करता है। मैं बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं अपने देश के प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का…।”

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से जुड़ी खास बातें

  • हर रोज करीब 2000 मजदूरों ने काम किया है।
  • इसे बनाने में पहले चरण में 339 करोड़ रुपये की लागत आई है।
  • कॉरिडोर का ये पूरा इलाका करीब 5 लाख वर्गफीट में फैला है।
  • इस कॉरिडोर को बनाने के लिए करीब 400 इमारतों का अधिग्रहण किया गया।
  • प्रधानमंत्री मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को तैयार करने में 2 साल नौ महीने का वक्त लगा है।

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