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परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में पीएम मोदी का विद्यार्थियों को मंत्र- कुछ बनने के नहीं, बल्कि कुछ करने के सपने देखें

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के तीसरे संस्करण को संबोधित किया और देश-विदेश से जुड़े विद्यार्थियों के सवालों का जवाब दिया। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हजारों की संख्या में मौजूद विद्यार्थियों और अभिभावकों के सामने प्रधानमंत्री मोदी ने परीक्षा में सफलता के मंत्र बताए और छात्र-छात्राओं के विभिन्न विषयों से जुड़े सवालों का जवाब दिया। इस कार्यक्रम से देशभर के करीब एक हजार से अधिक विश्वविद्यालयों, हजारों डिग्री कॉलेजों और लाखों स्कूलों के 30 करोड़ से अधिक विद्यार्थी लाइव जुड़े थे। कार्यक्रम से 27 देशों के छात्र भी सीधे जुड़े थे। छात्रों के सवालों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने परीक्षे पे चर्चा कार्यक्रम को दिल के सबसे बताते हुए कहा कि विद्यार्थियों को परीक्षा को लेकर किसी भी तरह का तनाव लेने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ”विद्यार्थी कुछ बनने के सपने नहीं देखें, बल्कि कुछ करने के सपने देखें।”

एक छात्र के सवाल के जवाब में प्रधानमंत्र मोदी ने कहा कि परीक्षा के दौरान न तो तनाव लेने की जरूरत है और न ही नर्वस होने की। उन्होंने कहा कि हर परिस्थिति से मोटिवेट होना चाहिए। श्री मोदी ने कहा, ”हम विफलताओं में सफलता की शिक्षा पा सकते हैं। हर प्रयास में हम उत्साह भर सकते हैं। जब आप किसी चीज में विफल हो गए तो इसका मलतब है कि अब आप सफलता की ओर चल पड़े हैं।”

प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों को 2001 में कोलकाता में खेले गए इंडिया-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट मैच में विपरीत परिस्थितियों में द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण की यादगार पारी का उदाहरण दिया। उन्होंने छात्रों को 2002 में वेस्टइंडीज में अनिल कुंबले द्वारा जबड़ा टूटने के बाद भी बॉलिंग करने के उनके जज्बे का भी उदाहरण दिया।

उत्तराखंड के 10वीं के छात्र मयंक के परीक्ष में मार्क्स की चिंता से जुड़े सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा, ”पढ़ाई को मार्क्स से जोड़ना उचित नहीं है। सिर्फ परीक्षा के अंक जिंदगी नहीं है, कोई एक्जामिनेशन पूरी जिंदगी नहीं है, वो एक पड़ाव भर है।“

पढ़ाई के दौरान एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटीज के बीच बैलेंस बनाने और जीवन में एक्ट्रा एक्टिविटीज के महत्व से जुड़े सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि जो हम सीखते हैं उसे डेली कसौटी पर कसना चाहिए और जिंदगी की कसौटी पर कसना चाहिए। विद्यार्थियों को एक्ट्रा एक्टिविटीज के प्रति उदासीन नहीं रहना चाहिए। अगर विद्यार्थी स्कूली जीवन में विविधिताओं वाला जीवन जीने का आदी हो जाता है तो यह भविष्य में बहुत काम आता है। इसलिए पढ़ाई के साथ एक्ट्रा एक्टिविटीज जरूर करना चाहिए।

स्टूडेंट के जीवन में टेक्नोलॉजी के महत्व के बारे में पूछे पर प्रधानमंत्री ने कहा कि ज्ञान को बढ़ाने में टेक्नोलॉजी का उपयोग जरूर करना चाहिए लेकिन हमें टेक्नोलॉजी का गुलाम नहीं होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रतिदिन कुछ समय के लिए टेक्नोलॉजी से दूर रहने का संकल्प दिलाया और घर में एक कमरे को टेक्नोलॉजी फ्री बनाने को कहा।

अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में पूछे गए एक सवालों के जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे कर्तव्य में ही सबके अधिकार समाहित हैं। गांधी जी कहते थे कि मूलभूत अधिकार नहीं होते, मूलभूत कर्तव्य होता है। कर्तव्य में अधिकार संरक्षित हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने विद्यार्थियों से कहा कि क्या हम यह तय नहीं कर सकते कि 2022 तक हमें जो कुछ भी खरीदना होगा, हम लोकल खरीदेंगे, मेक इन इंडिया खरीदेंगे।

कुछ छात्रों ने परीक्षा के समय माता-पिता और शिक्षक द्वारा अच्छे नंबर लाने दबाब बनाने से जुड़े सवाल पूछे। इसके जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पैरेंट्स को अपने बच्चों को प्रेशर नहीं देना चाहिए, बल्कि प्रोत्साहित करना चाहिए। पैरेंट्स और शिक्षकों को मिलकर बच्चों को उनकी ताकत की पहचान करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों को जितन ज्यादा प्रोत्साहित करोगे, परिणाम ज्यादा मिलेंगे। प्रेशर से समस्या को बल मिलेगा।

कुछ बच्चों ने पूछा कि रात के समय पढ़ना अधिक फायदेमंद है, या फिर सुबह के वक्त। इस पर प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों से कहा कि दुनिया में माना गया है कि पढ़ाई के लिए सुबह उत्तम कालखंड होता है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि सुबह ही पढ़ा जाए। जिन बच्चों को रात को पढ़ना अच्छा लगता है, वे रात में पढ़ाई करें। विद्यार्थियों को जिसमें सहूलियत मिले, उन्हें उसी समय पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ संघर्ष टालना चाहिए, प्रकृति खुद आपकी मदद करेगी।

कुछ विद्यार्थियों ने प्रधानमंत्री से पूछा कि जब वे प्रश्नपत्र देखते हैं तो वे याद किया सब कुछ भूल जाते हैं। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि परीक्षा के दौरान सबसे पहले उन प्रश्नों को उत्तर लिखने चाहिए, जो सरल लगते हैं और जिनका उत्तर आता हो। उन्होंने प्रश्नपत्र पढ़ने के बाद दो-चार मिनट तक सहज होने की कोशिश करनी चाहिए, इससे तनाव खत्म हो जाता है। पीएम मोदी ने कहा कि जैसे जब कोई बल्लेबाज मैदान पर जाता है तो क्रीज पर जाने से पहले खुद को सेटल करने की कोशिश करता है, उसी प्रकार विद्यार्थियों को भी करना चाहिए। परीक्षा कक्ष में बोझ लेकर नहीं बल्कि आत्मविश्वास के साथ जाना चाहिए।

12वीं के बाद क्या करियर के ऑप्शन हो इसके बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हर विद्यार्थी को खुद की रुचि, क्षमताओं को पहचानना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कोई काम बुरा नहीं होता है। कंपटीटिव एक्जाम्स की तैयारी के दौरान टेंशन नहीं करना चाहिए, डरना नहीं चाहिए। मनोस्थिति ऐसी होनी चाहिए कि किसी भी हालत में कदम आगे बढ़ाने में प्रायस करेंगे और विफल होंगे तो दोबारा कोशिश करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि परीक्षा को जीवन-मरण का सवाल बनाने की आवश्यकता नहीं है। अपने विकल्पों को खुला रखना चाहिए। आज अवसरों की भरमार है, ऐसे में किसी एक क्षेत्र में खुद को नहीं बांधना चहिए। प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों से एक्जाम वॉरियर किताब पढ़ने को भी कहा, ताकि उनके सभी सवालों को जवाब मिल सके। उन्होंने कहा कि परीक्षा जिंदगी नहीं है….जिंदगी में परीक्षा एक मुकाम है।

   

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