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इथियोपिया की संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने रचा इतिहास: ‘ग्लोबल साउथ’ की बुलंद आवाज बना भारत

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज, 17 दिसंबर को इथियोपिया की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित कर इतिहास रच दिया। यह सम्मान पाने वाले वह पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। उन्होंने जब इथियोपिया की संसद को संबोधित करना शुरू किया, तो वहां के सांसदों ने एक विशेष लय में काफी देर तक तालियां बजाकर गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। इतना ही नहीं, संबोधन के दौरान सांसदों ने 50 से अधिक बार तालियां बजाकर उनका अभिनंदन किया।

संसद में अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज आपके सामने खड़ा होना मेरे लिए बहुत गर्व की बात है। शेरों की धरती इथियोपिया में होना बहुत अच्छा लग रहा है। मुझे घर जैसा महसूस हो रहा है क्योंकि मेरा गृह राज्य गुजरात भी शेरों का घर है। प्रधानमंत्री मोदी के मुस्कुराते हुए यह कहते ही सभी सांसद एक बार फिर से जोर से ताली बजाने लगे।

इस दौरान, प्रधानमंत्री ने इथियोपिया की संसद के स्पीकर और देश के कई सीनियर नेताओं के साथ बातचीत भी की। पीएम मोदी ने इससे जुड़ी तस्वीरों को सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर साझा किया और कहा कि इथियोपिया की संसद में अपने संबोधन के बाद इथियोपिया के मंत्रियों और सांसदों से बातचीत करके मुझे बहुत खुशी हुई। इस दौरान सभी सांसद करीब 7 मिनट तक लगातार ताली बजाते रहे।

इसके पहले, इथियोपिया के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-इथियोपिया’ से सम्मानित होने के बाद संसद को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने साफ कर दिया कि आज का भारत ‘ग्लोबल साउथ’ की वह आवाज है जिसे दुनिया अब नजरअंदाज नहीं कर सकती। अफ्रीकी संघ का मुख्यालय अदीस अबाबा की धरती से उन्होंने संदेश दिया कि भारत अब केवल एक दर्शक नहीं, बल्कि दुनिया की दिशा तय करने वाला राष्ट्र है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की प्रगति केवल अपनी सीमाओं तक सीमित नहीं है। उन्होंने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के सिद्धांत का जिक्र करते हुए याद दिलाया कि कैसे कोविड महामारी के दौरान भारत ने इथियोपिया की मदद कर मानवता के प्रति अपना धर्म निभाया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और इथियोपिया के सदियों पुराने सभ्यतागत संबंधों को अब ‘रणनीतिक साझेदारी’ में बदल दिया गया है। उन्होंने कहा कि दोनों देश ‘प्राचीन ज्ञान’ और ‘आधुनिक महत्वाकांक्षा’ का संगम हैं। इथियोपिया के निर्माण में भारतीय शिक्षकों और व्यापारियों के योगदान को याद कर उन्होंने विश्वास और सहयोग की नई नींव रखी।

भाषण का सबसे प्रभावी क्षण वह था जब पीएम ने दोनों देशों की आत्मा को जोड़ा। उन्होंने कहा, “भारत का राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ और इथियोपिया का राष्ट्रगान, दोनों ही अपनी मिट्टी को ‘मां’ पुकारते हैं।” 1941 में इथियोपिया की आजादी के लिए भारतीय सैनिकों के बलिदान को याद दिलाते हुए उन्होंने संदेश दिया कि यह रिश्ता केवल कूटनीति का नहीं, बल्कि लहू का है।

प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के 11 वर्षों के ट्रैक रिकॉर्ड को मजबूती से रखा। उन्होंने बताया कि पिछले दशक में भारत-अफ्रीका के बीच 100 से अधिक उच्च-स्तरीय दौरे हुए, जो पिछली सरकारों की तुलना में भारतीय विदेश नीति की बढ़ती सक्रियता और परिणामोन्मुखी दृष्टिकोण का प्रमाण है।

पीएम ने जोर देकर कहा कि भारत, अफ्रीका को केवल एक बाजार के रूप में नहीं, बल्कि एक सक्षम साझेदार के रूप में देखता है, जिसके तहत 10 लाख प्रशिक्षकों को तैयार किया जाएगा। डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) और इनोवेशन के क्षेत्र में भारत की सफलता को साझा कर उन्होंने यह दिखाया कि भारत आज दुनिया को ‘सॉल्यूशन’ दे रहा है।

इसके साथ ही उन्होंने गर्व से कहा कि भारत की अध्यक्षता में ही अफ्रीकी संघ को G20 की स्थायी सदस्यता मिली। प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि भारत और इथियोपिया जैसे देशों को ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज बुलंद करने के लिए एकजुट होना होगा। साथ ही, उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में इथियोपिया की एकजुटता की सराहना करते हुए सुरक्षा और स्थिरता का साझा विजन पेश किया।

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