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कृषि कानूनों पर विपक्ष के रवैये को पीएम मोदी ने बताया ‘बौद्धिक बेईमानी’ और ‘राजनीतिक छल’

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे विपक्ष की जमकर खिंचाई की है। उन्होंने विपक्ष पर दोहरा मानदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ पार्टियां चुनाव से पहले बड़े-बड़े वादे करती हैं। फिर जब वक्त आता है तो यू-टर्न ले लेती हैं। अपने किए वादों को लेकर गनगढ़ंत और झूठी बातें फैलाती हैं। विपक्ष के इस रवैये की आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कृषि कानूनों पर विपक्ष ‘बौद्धिक बेईमानी’ और ‘राजनीतिक छल’ कर रहा है। ओपन मैगजीन को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि नागरिकों को लाभ पहुंचाने के लिए कड़े और बड़े फैसले लेने की जरूरत है। ये फैसले दशकों पहले ही लिए जाने चाहिए थे। 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के लोग जिन चीजों के हकदार हैं, जो फायदे उन्हें दशकों पहले मिलने चाहिए थे, वे अब तक उन तक नहीं पहुंचे हैं। भारत को ऐसी स्थिति में नहीं रखा जाना चाहिए, जहां उसके नागरिकों को अपना हक पाने के लिए इंतजार करना पड़े। हमें उन्हें उनका हक देना चाहिए। इसके लिए बड़े फैसले लेने चाहिए और जरूरत पड़ने पर कड़े फैसले भी लेने चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे लोग वही हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा था कि ठीक वही काम करने को कहा था, जो हमारी सरकार ने किया है। ये वही लोग है, जिन्होंने अपने घोषणा पत्र में लिखा था कि वे वही सुधार लागू करेंगे, जो हम लाए हैं। हमारी सरकार छोटे किसानों को हर तरह से सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों के किसान नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, जो फिलहाल लागू नहीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार शुरू से ही कह रही है कि वह विरोध करने वाले किसान संगठनों के साथ बैठकर उन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है, जिन पर असहमति है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कई बैठकें भी हुई हैं, लेकिन अब तक किसी ने भी किसी खास बिंदु पर असहमति नहीं जताई है कि हमें इसे बदलना चाहिए। 

प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष से रचनात्मक आलोचना के साथ आने की अपील की और कहा कि सिर्फ ‘मोदी की सफलता को रोकने’ के लिए पार्टियों को विवाद नहीं खड़ा करना चाहिए। उन्होंने कहा, “मैं सभी से आग्रह करना चाहता हूं कि मुद्दा यह नहीं है कि मोदी सफल होता है या विफल, मुद्दा ये होना चाहिए कि हमारा देश सफल होता है या नहीं। ये चीजें राजनीति से परे हैं जिनके लोगों और हमारे देश पर वास्तविक परिणाम होते हैं।”

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