प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि 20 साल पहले हमने एक छोटा-सा बीज बोया था, वो आज विशाल और वाइब्रेंट वटवृक्ष बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने 27 सितंबर को गुजरात के दौरे पर हैं। वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट के 20 साल पूरे होने पर अहमदाबाद में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ’20 साल पहले हमने एक छोटा-सा बीज बोया था। आज वो इतना विशाल और वृहद वाइब्रेंट वट वृक्ष बन गया है। वाइब्रेंट गुजरात समिट के 20 साल पूरे होने पर आज आपके बीच आकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। मुझे याद है, बरसों पहले मैंने एक बार कहा था वाइब्रेंट गुजरात ये सिर्फ ब्रांडिंग का आयोजन भर नहीं है, बल्कि इससे बढ़कर बांडिंग का आयोजन है। दुनिया के लिए ये सफल समिट एक ब्रांड हो सकती है, लेकिन मेरे लिए ये एक मजबूत बॉन्ड का प्रतीक है। ये वो बॉन्ड है जो मेरे और गुजरात के 7 करोड़ नागरिकों से, उनके सामर्थ्य से जुड़ा है। ये वो बॉन्ड है, जो मेरे लिए उनके असीम स्नेह पर आधारित है।’
20 वर्ष पहले मैंने कहा था कि Vibrant Gujarat केवल Branding का नहीं, बल्कि Bonding का आयोजन है।
दुनिया के लिए ये सफल समिट एक Brand हो सकती है, लेकिन मेरे लिए ये एक मजबूत Bond का प्रतीक है।
ये वो Bond है जो मेरे और गुजरात के 7 करोड़ नागरिकों और उनके सामर्थ्य से जुड़ा हुआ है।
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समिट को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज मुझे स्वामी विवेकानंद जी की भी एक बात याद आ रही है। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि हर काम को तीन चरणों से गुजरना पड़ता है। पहले लोग उसका उपहास उड़ाते हैं, फिर उसका विरोध करते हैं और फिर उसे स्वीकार कर लेते हैं। और खासकर तब, जब वो आइडिया उस समय से आगे का हो। 20 वर्ष एक लंबा कालखंड होता है। आज की जेनरेशन के युवा साथियों को पता भी नहीं होगा कि 2001 में आए भीषण भूकंप के बाद गुजरात की स्थिति क्या थी। भूकंप से भी पहले गुजरात लंबे समय तक अकाल की भयंकर स्थिति से जूझ रहा था। इसके बाद जो भूकंप आया, उसमें हजारों लोगों की मौत हो गई। लाखों लोग इससे प्रभावित हुए, उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा। अकाल और भूकंप के अलावा उसी समय गुजरात में एक और बड़ी घटना हुई। माधवपुरा मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक कोलेप्स हो गया, इसकी वजह से 133 और कोऑपरेटिव में ये तूफान छा गया। पूरे गुजरात के आर्थिक जीवन में हाहाकार मचा हुआ था। एक तरह से गुजरात का फाइनैंशियल सेक्टर संकट में आ गया था। उस समय मैं पहली बार विधायक बना था, मेरे लिए ये भूमिका भी नई थी, शासन चलाने का कोई अनुभव नहीं था। लेकिन चुनौती बहुत बड़ी थी। इसी बीच एक और घटना घट गई। गोधरा की हृदय विदारक घटना हुई और उसके बाद की परिस्थितियों में गुजरात हिंसा की आग में जल उठा। ऐसे विकट हालात की शायद ही किसी ने कल्पना की होगी। मुख्यमंत्री के तौर पर भले उस समय मेरे पास ज्यादा अनुभव नहीं था लेकिन मेरा गुजरात पर, अपने गुजरात के लोगों पर अटूट भरोसा था।’
#WATCH आज मुझे स्वामी विवेकानंद की बात याद आ रही है। हर काम को तीन चरणों से गुजरना पड़ता है, पहले लोग इसका उपहास उड़ातें है, फिर विरोध करते हैं, बाद में उसे स्वीकार कर लेते हैं।2001 में आए भीषण भूकंप से भी पहले गुजरात लंबे समय तक अकाल की स्थिति से जूझ रहा था। भूकंप से लाखों लोग… pic.twitter.com/LmYR0ytaH8
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उन्होंने कहा कि जो लोग एजेंडा लेकर चलते हैं, वो उस समय भी घटनाओं का अपने तरीके से एनालैसिस करने में जुटे हुए थे। ये कहा गया कि गुजरात से युवा, गुजरात से उद्योग, गुजरात से व्यापारी सब बाहर चले जाएंगे, पलायन कर जाएंगे और गुजरात तो ऐसा बर्बाद होगा ऐसा बर्बाद होगा कि देश के लिए बहुत बड़ा बोझ बन जाएगा। दुनिया में गुजरात को बदनाम करने की साजिश रची गई। एक निराशा का माहौल खड़ा करने की कोशिश की गई। कहा गया कि गुजरात कभी भी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाएगा। उस संकट में भी मैंने संकल्प लिया कि चाहे परिस्थितियां जैसी भी हों, गुजरात को इससे बाहर निकाल कर ही रहूंगा।
#WATCH जो लोग एजेंडा लेकर चलते थे वे उस समय भी घटनाओं का अपने तरीके से आंकलन करने में जुटे हुए थे। कहा गया कि गुजरात से युवा, व्यापारी, उद्योग सब पलायन कर जाएंगे… दुनिया में गुजरात को बदनाम करने की साजिश रची गई। कहा गया गुजरात कभी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाएगा। उस संकट में… https://t.co/6HDtgNcMGr pic.twitter.com/i0M6eQoros
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प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर कहा कि आज दुनिया वाइब्रेंट गुजरात की सफलता देख रही है। लेकिन वाइब्रेंट गुजरात का आयोजन ऐसे माहौल में किया गया था, जब तत्कालीन केंद्र सरकार गुजरात के विकास को लेकर बेरुखी दिखाती थी। विदेशी निवेशकों को धमकाया जाता था कि गुजरात मत जाओ, इतना डराने के बाद भी विदेशी निवेशक गुजरात आए। 2009 में वैश्विक मंदी के समय भी इस समिट का आयोजन किया गया था।
आज दुनिया Vibrant Gujarat की सफलता देख रही है।
लेकिन Vibrant Gujarat का आयोजन ऐसे माहौल में किया गया था, जब तत्कालीन केंद्र सरकार गुजरात के विकास को लेकर बेरुखी दिखाती थी।
विदेशी निवेशकों को धमकाया जाता था कि गुजरात मत जाओ, इतना डराने के बाद भी विदेशी निवेशक गुजरात आए।
2009… pic.twitter.com/yRL3dMZ2p9
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प्रधानमंत्री ने कहा कि वाइब्रेंट गुजरात की सफलता की चर्चा के बीच, मैं ये भी कहूंगा कि ये रुकने का समय नहीं है। पिछले 20 वर्षों से अगले 20 वर्ष ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। जब वाइब्रेंट गुजरात के 40 साल पूरे होंगे, तब भारत अपनी स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष के निकट पहुंचा होगा। यही समय है जब भारत को एक ऐसा रोडमैप बनाना होगा, जो उसे 2047 तक एक विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में हम उसको दुनिया के सामने प्रस्थापित करें। मुझे विश्वास है, आप सभी भी इस दिशा में जरूर काम करेंगे, जरूर कदम उठाऐंगे, जरूर आगे आएंगे।