प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार, 2 जून को इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन-आईएटीए की 81वीं वार्षिक आम बैठक और वर्ल्ड एयर ट्रांसपोर्ट समिट को संबोधित करते हुए कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार बन गया है। भारत में आईएटीए की पिछली वार्षिक आम बैठक 42 साल पहले 1983 में आयोजित की गई थी।
प्रधानमंत्री ने बताया कि उड़ान योजना ने भारतीय नागरिक उड्डयन के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है। इस योजना के तहत लाखों लोगों को सस्ती हवाई यात्रा का मौका मिला है, जिनमें से बहुत से लोग पहली बार हवाई जहाज में बैठे। आज भारत की एयरलाइंस लगातार तेजी से बढ़ रही हैं। हर साल करीब 24 करोड़ लोग हवाई यात्रा कर रहे हैं, जो कई देशों की पूरी आबादी से भी ज्यादा है। अनुमान है कि 2030 तक यह संख्या 50 करोड़ तक पहुंच सकती है। माल ढुलाई में भी भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। अभी हर साल 35 लाख मीट्रिक टन माल हवाई मार्ग से जाता है और दशक के आखिर तक यह आंकड़ा 1 करोड़ मीट्रिक टन तक पहुंच सकता है।
प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि ये आंकड़े सिर्फ नंबर नहीं हैं, बल्कि भारत की अपार संभावनाओं की झलक हैं। 2014 में जहां देश में सिर्फ 74 हवाई अड्डे थे, वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 162 हो गई है। भारतीय एयरलाइंस ने 2,000 से ज्यादा नए विमानों का ऑर्डर दिया है, जिससे साफ है कि यह सेक्टर कितनी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। अब भारत के हवाई अड्डों की सालाना क्षमता 50 करोड़ यात्रियों की हो गई है। भारत उन गिने-चुने देशों में से एक है, जो तकनीक के दम पर हवाई यात्रा को और बेहतर बना रहे हैं। सुरक्षा, सुविधा और पर्यावरण का भी बराबर ध्यान रखा जा रहा है।
डिजी यात्रा ऐप का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारत की डिजिटल ताकत का उदाहरण है। अब एयरपोर्ट पर एंट्री से लेकर बोर्डिंग तक सब कुछ फेशियल वेरिफिकेशन के जरिए हो सकता है, बिना किसी कागज या पहचान पत्र के। यह नवाचार भारत को और भी आगे ले जाएगा और दूसरे देशों के लिए भी मिसाल बनेगा। उन्होंने कहा, “डिजी यात्रा एक सुरक्षित और स्मार्ट समाधान के रूप में सामने आई है, जो वैश्विक दक्षिण के लिए प्रेरणा का एक मॉडल है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नया विमान अधिनियम भारत के विमानन कानूनों को दुनिया के बेहतरीन नियमों के बराबर लाता है। इससे विदेशी निवेशकों के लिए भी भारत आकर्षक बन गया है। विमानन क्षेत्र में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, जिससे नए-नए रोजगार के मौके बन रहे हैं। पायलट, क्रू, इंजीनियर और ग्राउंड स्टाफ की मांग लगातार बढ़ रही है। विमान रखरखाव के क्षेत्र में भी भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। 2014 में जहां 96 एमआरओ (रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल) सुविधाएं थीं, अब इनकी संख्या 154 हो गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। अब भारत सिर्फ एक बड़ा बाजार ही नहीं, बल्कि नीति, नवाचार और समावेशी विकास का भी प्रतीक बन गया है। भारत ने अंतरिक्ष और विमानन संयोजन में भी दुनिया में पहचान बनाई है। पिछले दस सालों में नागरिक विमानन में जो प्रगति हुई है, वह ऐतिहासिक है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत के विमानन क्षेत्र की मजबूती के तीन बड़े आधार हैं। पहला, विशाल और आकांक्षी बाजार, जिसमें करोड़ों लोग हवाई यात्रा करना चाहते हैं। दूसरा, युवा और टैलेंटेड जनसंख्या, जो तकनीक और इनोवेशन में आगे है। तीसरा, सरकार की मददगार नीतियां, जिससे उद्योग को बढ़ने में आसानी हो रही है।
महिलाओं की भागीदारी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में 15 प्रतिशत से ज्यादा पायलट महिलाएं हैं, जो दुनिया के औसत से तीन गुना ज्यादा है। केबिन क्रू में भी महिलाओं की भागीदारी 86 प्रतिशत है, जबकि दुनिया में औसत 70 प्रतिशत है। एमआरओ सेक्टर में भी महिला इंजीनियरों की संख्या बढ़ रही है।