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हमारे संतों ने हजारों वर्षों से एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना का पोषण किया है- प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 4 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी में साईं हीरा ग्लोबल कन्वेंशन सेंटर का उद्घाटन किया। सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि आज उनके मिशन का विस्तार हो रहा है और देश को साईं हीरा ग्लोबल कन्वेंशन सेंटर के नाम से एक नया प्रमुख सम्मेलन केन्द्र मिल रहा है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि नया केन्द्र आध्यात्मिकता और आधुनिकता के वैभव का अनुभव कराएगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र में सांस्कृतिक विविधता और वैचारिक भव्यता शामिल है और यह आध्यात्मिकता और शैक्षणिक कार्यक्रमों पर चर्चा का केन्द्र बिंदु बन जाएगा जहां विद्वान और विशेषज्ञ एक साथ मिलेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि संतों को बहते पानी की तरह माना जाता है क्योंकि वे अपने विचारों को कभी नहीं छोड़ते और अपने व्यवहार से कभी नहीं थकते। उन्होंने कहा, “संतों का जीवन निरंतर परिवर्तन और उनके प्रयासों से परिभाषित होता है।” उन्होंने कहा कि किसी संत का जन्मस्थान उसके अनुयायियों का निर्धारण नहीं करता है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा, भक्तों के लिए, उनमें से कोई एक सच्चा संत बन जाता है और वह उनकी मान्यताओं और संस्कृतियों का प्रतिनिधि बन जाता है। उन्होंने कहा कि सभी संतों ने भारत में हजारों वर्षों से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को पोषित किया है। भले ही श्री सत्य साईं बाबा का जन्म पुट्टपर्थी में हुआ था, उनके अनुयायी दुनिया भर में पाए जा सकते हैं और भारत के हर राज्य में उनके संस्थानों और आश्रमों तक पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि भाषा और संस्कृति से परे सभी भक्त प्रशांति निलयम से जुड़े हुए हैं और यही इच्छा भारत को एक सूत्र में पिरोकर इसे अमर बनाती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी विचार तब सबसे प्रभावी होता है, जब वह कार्य के रूप में आगे बढ़ता है। श्री मोदी ने समाज के नेताओं द्वारा अच्छे आचरण के महत्व पर जोर दिया, क्योंकि समाज उनका अनुसरण करता है। उन्होंने कहा कि श्री सत्य साईं का जीवन इसका जीवंत उदाहरण है। “आज भारत भी अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता देते हुए आगे बढ़ रहा है। आजादी की सदी की ओर बढ़ते हुए हमने अमृत काल को ‘कर्तव्य काल’ का नाम दिया है। इन प्रतिज्ञाओं में हमारे आध्यात्मिक मूल्यों के मार्गदर्शन के साथ-साथ भविष्य के संकल्प भी शामिल हैं। इसमें विकास भी है और विरासत भी।”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, जहां आध्यात्मिक महत्व के स्थानों का कायाकल्प हो रहा है, वहीं भारत प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्था में भी अग्रणी है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत अब दुनिया की शीर्ष 5 अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है जो दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप ईको-सिस्टम में सहयोग कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत डिजिटल टेक्नोलॉजी और 5जी जैसे क्षेत्रों में दुनिया के अग्रणी देशों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया में होने वाले वास्तविक समय के 40 प्रतिशत ऑनलाइन लेनदेन भारत में हो रहे हैं और भक्तों से पूरे पुट्टपर्थी जिले को डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदलने का आग्रह किया। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि सभी मिलकर इस संकल्प को पूरा करें तो श्री सत्य साईं बाबा की अगली जयंती तक पूरा जिला डिजिटल हो जाएगा।

प्रधानमंत्री ने सेवा की शक्ति पर सत्य साईं को उद्धृत किया। प्रधानमंत्री मोदी ने उनके उस सहज भाव को याद किया, जिसके साथ श्री सत्य साईं गहरे संदेश देते थे। उन्होंने ‘सभी से प्रेम करो, सभी की सेवा करो’; ‘हमेशा मदद करो, कभी चोट नहीं पहुंचाओ’; ‘बातें कम, काम ज़्यादा,’ ‘प्रत्येक अनुभव एक सबक है- प्रत्येक हानि एक लाभ है’। जैसी कालजयी शिक्षाओं को याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “इन शिक्षाओं में संवेदनशीलता के साथ-साथ जीवन का गहरा दर्शन भी है।” प्रधानमंत्री ने गुजरात में आए भूकंप के दौरान उनके मार्गदर्शन और मदद को याद किया।

प्रधानमंत्री ने ‘प्रेम तरु’ पहल पर प्रकाश डाला जहां अगले 2 वर्षों में 1 करोड़ पेड़ लगाने का संकल्प लिया गया है। उन्होंने सभी से ऐसी पहलों का समर्थन करने के लिए आगे आने का आग्रह किया, चाहे वह वृक्षारोपण हो या प्लास्टिक मुक्त भारत का संकल्प हो। उन्होंने लोगों से सौर ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा के विकल्पों से प्रेरित होने का भी आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने आंध्र के लगभग 40 लाख छात्रों को श्रीअन्न रागी-जावा से बना भोजन उपलब्ध कराने की सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट की पहल की सराहना की। श्री अन्न के स्वास्थ्य लाभों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि अन्य राज्य भी इस तरह की पहल से जुड़ेंगे तो देश को काफी लाभ होगा। “श्री अन्न में स्वास्थ्य भी है, संभावनाएं भी हैं। हमारे सभी प्रयासों से वैश्विक स्तर पर भारत की क्षमता बढ़ेगी और भारत की पहचान मजबूत होगी।”

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