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पायलट के अनशन और टीएस सिंह देव के तल्ख तेवर से कांग्रेस की बढ़ी मुश्किलें, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में घमासान जारी

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देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इस समय अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। इसी बीच राजस्थान और छत्तीसगढ़ में छिड़ी अंदरूनी जंग अब खुलकर सामने आ चुकी है। जहां राजस्थान में पूर्व डिप्टी सीएम और दिग्गज कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने अनशन कर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, वहींं छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं। दोनों राज्यों में कांग्रेस के भीतर जो सियासी घमासान मचा हुआ है, वो कांग्रेस की ‘यूज एंड थ्रो’ नीति की देन है। चुनाव के समय कांग्रेस अपने नेताओं से झूठे वादे कर उनका इस्तेमाल करती है और चुनाव खत्म होते ही वादे भूल जाती है। उन्हें सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन देकर धोखा देती रहती है। आखिरकार उनके सब्र का बांध टूट जाता है और गांधीवाद के झंडाबरदार को उसी की भाषा में समझाने की कोशिश करते हैं। 

सचिन पायलट के अनशन ने बढ़ाया सियासी जादूगर का टेंशन

मंगलवार (11 अप्रैल, 2023) को सचिन पायलट ने जयपुर के शहीद स्मारक पर एक दिवसीय अनशन किया। कांग्रेस आलाकमान की चेतावनी के बावजूद जिस तरह सचिन पायलट ने अनशन किया, उससे लगता है कि वो अपना शक्ति प्रदर्शन कर पार्टी को संदेश देना चाहते हैं कि उनकी अनदेखी पार्टी के लिए घातक साबित हो सकती है। उन्होंने संकेत दिया कि वादाखिलाफी और अपमान को अब बर्दाश्त नहीं कर सकते। दरअसल सचिन पायलट अपने अनशन के जरिए एक ऐसी सियासी चाल चली है, जिसने सियासी जादूगर अशोक गहलोत को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। हालांकि गहलोत सरकार के मंत्री और कांग्रेस विधायक सचिन पायलट के अनशन से दूर रहे, लेकिन बड़ी तादाद में उनके समर्थकों की मौजूदगी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का टेंशन बढ़ा दिया है। 

पायलट के बैनर-पोस्टर से सोनिया, राहुल और प्रियंका गायब 

सचिन पायलट के अनशन स्थल के मंच पर लगे पोस्टर सबका ध्यान अपनी तरफ खींच रहे थे। मंच पर लगे पोस्टरों में सिर्फ महात्मा गांधी की फोटो लगी थी। पोस्टरों से सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तस्वीरें गायब थीं। यहां तक कि पायलट के अनशन स्थल पर लगे बैनर में कांग्रेस पार्टी का सिंबल तक नहीं दिखाई दे रहा था। इससे सियासी गलियारे में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। कोई कह रहा है कि सचिन पायलट अब अलग रास्ते पर चल पड़े हैं। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि चुनाव से पहले राजस्थान में कोई बड़ा सियासी खेल हो सकता है। कुछ भी हो लेकिन सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के अघोषित अध्यक्ष राहुल गांधी को जोरदार झटका दिया है। 

पायलट के समर्थन में उतरे छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव

हालांकि सचिन पायलट के इस अनशन को लेकर कांग्रेस के बड़े नेता बयान देने से बचते रहें, लेकिन कांग्रेस का एक खेमा ऐसा था, जो सचिन पायलट के समर्थन में खड़ा था। इस खेमे में कांग्रेस के वैसे नेता शामिल है, जो पार्टी में खुद को पीड़ित और उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। उनमें छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव भी शामिल है। टीएस सिंह देव ने खुलकर सचिन पायलट का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सचिन पायलट ने कोई लक्ष्मण रेखा पार की हो, ऐसा उन्हें नहीं लगता। जब जनता से वोट मांगने जाते हैं तो जनता भी नेताओं से जवाब मांगती है। लोग कहेंगे कि हम कांग्रेस को वोट क्यों दे। पूर्व में भी जो बातें कही थी, वो पूरी नहीं हुई तो फिर से कांग्रेस को वोट क्यों दें।

आलाकमान की वादाखिलाफी की पीड़ा से तड़प रहे हैं टीएस सिंह देव

दरअसल छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव अपनी ही पीड़ा से कराह रहे हैं। समय-समय पर उनका दर्द छलकता रहता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस आलाकमान के प्रति उनकी नाराजगी तल्ख बयानों के रूप में सामने आती रहती है। हालांकि वो सचिन पायलट की तरह खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर नहीं कर रहे हैं, लेकिन वादाखिलाफी की पीड़ा को दबा भी नहीं पाते हैं। दबी जुबान अपनी पीड़ा और बेबसी जाहिर करते हुए कहा कि बंद कमरों में क्या बात होती है, उसे बोलने के लिए हम फ्री नहीं हैं। मीडिया में बार-बार 2.5-2.5 साल सीएम (2.5 साल बघेल सीएम और 2.5 साल सिंह देव सीएम) वाली बात आती रहती है। लेकिन जब ये नहीं हुआ, तो दुख होता है। एक चांस था कि काम करने का मौका मिल सकता था। लेकिन ये पार्टी के अंदर की बात है। 

कांग्रेस के पास पायलट और सिंह देव के ‘मर्ज’ की दवा नहीं! 

सचिन पायलट और टीएस सिंह देव एक ही तरह के ‘मर्ज’ से पीड़ित है। लेकिन कांग्रेस के पास उनके ‘मर्ज’ की दवा नहीं है। अबतक कांग्रेस आलाकमान ने जो भी दवा दी है, वो बेअसर साबित हुई है। इस मामले में टीएस सिंह देव ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान ने सचिन से क्या वादा किया था, इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन सचिन यंग हैं, पीसीसी अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने कठिन चुनौती देकर सरकार बनाई। चर्चा थी अध्यक्ष के नाते उन्हें चांस मिल सकता है, लेकिन वो बातें नहीं हो पाई थीं। इसी तरह छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर सिंह देव और भूपेश बघेल के बीच खींचतान शुरू हो गई। कहा जाता है कि कांग्रेस आलाकमान 2.5-2.5 साल सीएम का फॉर्मूला तय कर संघर्ष को खत्म कर दिया। लेकिन मुख्यमंत्री बनते ही भूपेश बघेल सरकार और पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत करते चले गए। वहीं टीएस सिंह देव को हाशिये पर डालने की लगातार कोशिश होती रही। इसकी वजह से छत्तीसगढ़ में भी राजस्थान की तरह कांग्रेस के भीतर महाभारत जारी है।

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