पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) नफरत फैलाने के अपने एजेंडे में सफल रहे इसके लिए किस तरह वह मुस्लिम समाज को दकियानूसी सोच में ढकेल रहा है इसकी बानगी हिजाब विवाद में भी देखी जा सकती है। कर्नाटक में उडुपी के जिस कॉलेज पी.यू.सी. से यह सारा विवाद शुरू हुआ उसने 2013 में ड्रेस कोड तय किया था। इसमें हिजाब के लिए कोई जगह नहीं थी। सभी छात्र-छात्राएं आराम से इसका पालन कर रहे थे। यही नहीं 2014 में इलाके के दूसरे कॉलेजों ने भी यूनिफॉर्म तय किए थे। 2021 तक सब तय यूनिफॉर्म में स्कूल-कॉलेज आते रहे। 2022 में बकायदा एक अभियान चलाया गया। अचानक कई मुस्लिम लड़कियां हिजाब पहन कर कॉलेज आने लगीं। इस अभियान के पीछे विवादित संगठन PFI था। दरअसल दुनिया के कुछ मुल्कों को यह रास नहीं आ रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत इतनी तेजी से तरक्की कैसे कर रहा है। उन्हीं देशों ने पहले स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (SIMI) को खड़ा किया और जब उसकी पोल खुल गई एवं प्रतिबंध लग गया तो PFI को खड़ा किया गया। लेकिन उन लोगों को शायद यह पता नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश अन्य प्रधानमंत्रियों की तरह नहीं हैं जो फैसले लेने में ही सालों-साल गुजार दें। मोदी सरकार में देश को अस्थिर करने वाली शक्तियों के लिए कोई जगह नहीं है। इसी वजह से एक दिन पहले ही PFI के देशभर में 100 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की गई जिससे देशद्रोही तत्वों का देश से खात्मा किया जा सके।
आप करते रहिए हिजाब का समर्थन… बताते रहिए मुस्लिम बच्चियों के लिए ज़रूरी… ईरान की राजधानी तेहरान में कार पर खड़े होकर इस लड़की ने हिजाब उतार हवा में लहरा दिया… ईरान की हर लड़की हिजाब उतार फेंकने को तैयार है
शाबाश लड़की, शाबाश ? pic.twitter.com/v8SY2UBvdF— Shalini Kapoor Tiwari (@ShaliniKTiwari) September 23, 2022
सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब पर फैसला सुरक्षित रखा
कर्नाटक के उडुपी से शुरू हुआ हिजाब विवाद PFI, अर्बन नक्सल एवं लेफ्ट लिबरल गैंग की शह पर देश के कई हिस्सों में फैल गया। मामले को कोर्ट में ले जाया गया। 15 मार्च को कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य के स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म के पालन के सरकारी आदेश को सही ठहराया। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि लड़कियों का हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। इसके खिलाफ 20 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गईं। इन पर 7 सितंबर से जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच ने सुनवाई शुरू की। सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब विवाद पर सुनवाई पूरी कर अब अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने 10 दिनों तक चली लंबी सुनवाई के बाद जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि अब हम इस फैसले पर अपना होमवर्क और रीडिंग करेंगे। जस्टिस हेमंत गुप्ता 16 अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं ऐसे में यह माना जा रह है कि फैसला उससे पहले ही सुना दिया जाएगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन, कपिल सिब्बल,सलमान खुर्शीद, देवदत्त कामत और संजय हेगड़े समेत 20 से ज्यादा वकीलों ने इस मामले पर हुई बहस में हिस्सा लिया। वहीं इस मामले में सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज और कर्नाटक के एडवोकेट जनरल प्रभुलिंगा नवाडगी पेश हुए।
ये ईरान में हिजाब के विरोध में प्रदर्शन कर रही
और मै इसका समर्थन करती हूँ।??? pic.twitter.com/obcVJy7784
— बिंदिया राजपूत (Ziddi) ?? (@Thakurain_Bindu) September 23, 2022
मुस्लिम समाज से कहा गया- बेटियों को हिजाब में भेजें
सुप्रीम कोर्ट में हिजाब विवाद पर सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार की तरफ से जवाब देते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात को गलत बताया कि राज्य सरकार ने स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पर रोक लगाई है। मेहता ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने शिक्षण संस्थानों में लगातार बिगड़ते अनुशासन को देखा और स्कूल-कॉलेजों को ड्रेस कोड तय करने के लिए कहा। मेहता ने बताया कि 2021 तक सब छात्राएं तय यूनिफॉर्म में स्कूल-कॉलेज आती रहीं। 2022 में बकायदा एक अभियान चलाया गया। अचानक कई मुस्लिम लड़कियां हिजाब पहन कर कॉलेज आने लगीं। इस अभियान के पीछे विवादित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया था। उन्होंने कहा कि 2022 में बकायदा अभियान चला कर मुस्लिम परिवारों को उकसाया गया कि वह अपनी बेटियों को हिजाब में स्कूल भेजें। मेहता ने यह भी कहा कि स्कूल-कॉलेज में पहने जाने वाले कपड़ों से समानता और राष्ट्रीय एकता का भाव विकसित होना चाहिए। अलगाव पैदा करने की कोशिशों पर रोक लगनी ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि ईरान समेत कुछ इस्लामिक देशों में हिजाब की अनिवार्यता के खिलाफ मुस्लिम महिलाएं संघर्ष कर रही हैं।
#औवेसी देख रहा मुस्लिम महिलाओं का हिजाब स्वाहा महोत्सव….
इस्लामिक देश #ईरान में खुलेआम हिजाब स्वाहा किए जा रहे है।
#हिजाब_स्वाहा_महोत्सव ? RT pic.twitter.com/D3FQw86450— Vishal Hindu (@President_vh) September 23, 2022
बच्चों ने नहीं कहा-मुझे हिजाब पहनना है, वे साजिश का हिस्सा थे
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पीएफआई ने सोशल मीडिया पर एक अभियान शुरू किया था जिसका मकसद “लोगों की धार्मिक भावनाओं” के आधार पर आंदोलन शुरू करना था। पीएफआई को व्यापक रूप से एक कट्टर मुस्लिम संगठन माना जाता है और सांप्रदायिक हिंसा की कई घटनाओं के लिए उस पर दोषारोपण किया गया है। मेहता ने कहा कि पीएफआई ने इस साल की शुरुआत में हिजाब को लेकर सोशल मीडिया में अभियान शुरू किया था और लगातार सोशल मीडिया संदेश भेजे जा रहे थे जिनमें छात्राओं से “हिजाब पहनने’’ के लिए कहा जा रहा था। उन्होंने कहा कि 2022 में, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया नामक एक संगठन द्वारा सोशल मीडिया पर एक अभियान शुरू किया गया था और इस संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की गई तथा बाद में आरोपपत्र भी दाखिल किया गया। मेहता ने कहा, “यह कुछ बच्चों का स्वतःस्फूर्त कार्य नहीं है कि हम हिजाब पहनना चाहते हैं। वे एक बड़ी साजिश का हिस्सा थे और बच्चे दी गई सलाह के अनुसार काम कर रहे थे।” उन्होंने कहा कि पिछले साल तक कर्नाटक के स्कूलों में किसी भी छात्रा ने हिजाब नहीं पहना था।
ईरान में मुस्लिम महिलाएँ हिजाब के विरोध में हिजाब को जला रहीं हैं,अपने बालों को काट रहीं है,सड़कों पर जुलूस निकाल रहीं हैं।
भारत में हमारे शहज़ादे उसी हिजाब को समर्थन देकर क्या साबित करना चाहरे?
आख़िरकार शिक्षण संस्थानों में यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड(UCC)के होने से दिक़्क़त क्या है? https://t.co/OCWI1K1OiV pic.twitter.com/2IxWB80RX0
— Sherlyn Chopra (शर्लिन चोपड़ा)?? (@SherlynChopra) September 21, 2022
ईरान में मुस्लिम महिलाएं जला रही है हिजाब
ईरान में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन उग्र हो गया है। ईरानी महिलाएं एंटी हिजाब क्रांति पर आर-पार के मूड में नजर आ रही हैं। महसा की हिजाब नहीं पहनने के लिए गिरफ्तारी हुई थी और पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी। जिसके बाद से महिलाएं हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। ईरान में महिलाओं का प्रदर्शन उग्र हो गया है और महिलाएं अपना हिजाब उतार रही हैं। वहीं प्रदर्शन के दौरान कई जगहों पर महिलाएं सड़कों पर अपना हिजाब जलाती हुई नजर आई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं ने अलाव जलाकर अपने हिजाब को जला दिया। उत्तर-पश्चिमी शहर साकेज की 22 वर्षीय कुर्द महिला महसा अमिनी की तीन दिनों तक कोमा में रहने के बाद अस्पताल में मौत हो गई। वह तेहरान में अपने भाई के साथ थी, जब उसे पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उस पर कानून तोड़ने का आरोप लगाया था, जिसमें बताया गया कि महिलाओं को अपने बालों को हिजाब या हेडस्कार्फ और अपने हाथों और पैरों को ढीले कपड़ों से ढकने की आवश्यकता है। ऐसी खबरें सामने आई थीं कि पुलिस ने अमिनी के सिर पर डंडों से प्रहार किया और उसके सिर को वाहन पर पटक दिया, जिससे वह कोमा में चली गई। ईरान में 16 सितंबर से शुरू हुआ हिजाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। महिलाओं के साथ पुरुष भी प्रदर्शन में शामिल है। अब ये 15 शहरों में फैल गया है।
ईरान एक कट्टर इस्लामिक देश है॥ वहाँ महिलाएँ हिजाब नहीं पहनने के लिए आंदोलन कर रही है वहीं भारत में हिजाब पहनने के लिए कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया जा रहा है॥
इसे कहते हैं उल्टी गंगा बहना॥ #IranProtest
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) September 20, 2022
ईरान में हिजाब के विरोध में महिलाओं ने काटे बाल
ईरान में इन दिनों हिजाब को लेकर महिलाएं विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। कुछ महिलाओं ने तो इसके विरोध में अपने बाल तक काट दिए हैं। ईरानी नागरिक महसा अमिनी की पुलिस कस्टडी में मौत के बाद हिजाब विवाद और तेज हुआ है। बता दें कि ईरान में 9 वर्ष से अधिक उम्र की लड़कियों और महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य किया गया है।
जब बात हद से गुजर जाए तो ईरान हो जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के दर्जन भर हिजाबी समर्थक वकीलों को समझना चाहिए कि भारत ईरान जैसा कट्टर इस्लामिक देश नहीं बन सकता। इरान की महिलाओं ने भी हिजाब के खिलाफ जिहाद छेड़ दिया है। pic.twitter.com/CvUGnsuGFY— P.N.Rai (@PNRai1) September 23, 2022
हिजाब एक बंधन था, उसे हटा दिया : राइटर मसीह
विंड इन माय एयर की राइटर मसीह अलीनेजाद ने कहा कि मुझे घर से निकलने पर हिजाब पहनना पड़ता था। लड़कियों को हिजाब के बंधन में देख अफसोस होता था। मैंने हिजाब को हटाकर खुद को पाया है। अब ईरान में महिलाएं पीछे नहीं हटेंगी।
मैंने हिजाब उतार फेंका: अजम जंगरावी
अजम जंगरावी अब ब्रिटेन में रहती हैं। उन्होंने इस मामले में कहा कि हिजाब पहनने से मुझे लगता था कि मैं दोयम जिंदगी जी रही हूं। मैं खुद से कहती थी कि मैं ऐसा कर सकती हूं। मुझे खुद में एक ताकत का अहसास हो रहा था। मैंने हिजाब फेंक दिया।
ईरान में 1979 से अनिवार्य हुआ था हिजाब
ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद 9 वर्ष से अधिक उम्र की ईरानी महिलाओं और लड़कियों के लिए सार्वजनिक रूप से हिजाब अनिवार्य है। कई ईरानी महिलाओं ने वर्षों से शासन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है और सरकारी आदेश के खिलाफ अपने मन के कपड़े पहनने पर जोर दिया है। ईरान में हिजाब पहनने से इनकार करने पर महिलाओं को जेल या फिर भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
इरानी महिलाओं को सलाम।कट्टरपंथियों ने डंडे के बल पर हिजाब जरूरी किया लेकिन मानसिक रूप से दबा नही पाए।सड़क पर उतर कर पुरुष सत्ता को चुनौती दी।अब तक 31 शहीद हो गए हैं। भारत की महिलाएं मानसिक रुप से कमज़ोर,स्वयं के लिए क्या लड़ेगी,ईरान की महिलाओं का समर्थन तक नहीं दिया।
— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) September 23, 2022
फ्रांस, रूस सहित कई मुस्लिम देशों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध
फ्रांस और बेल्जियम में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध हैं। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोला सारकोजी ने हिजाब पर प्रतिबंध लगाया था। फ्रांस में नियम के उल्लंघन पर जुर्माने का भी प्रावधान है। वहीं, बेल्जियम ने जुलाई 2011 में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया था। साथ ही रूस में 2012 में सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब पहनने पर बैन लगाया था इसके अलावा नीदरलैंड्स और चीन में भी हिजाब पहनने पर रोक है। अगर मुस्लिम देशों की बात की जाए तो सीरिया और इजिप्ट जैसे देशों के विश्वविद्यालयों में पूरा चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगा रखा है। कोसोवो में लड़कियां हिजाब पहन कर स्कूल नहीं जा सकतीं। इसके अलावा ट्यूनीशिया, मोरक्को अज़रबैजान, लेबनान और सीरिया जैसे देशों में हिजाब को लेकर कड़े नियम बनाए गये हैं।
अरब देश ईरान में महिलाएं हिजाब विरोधी आंदोलन चला रही है और पप्पू हिजाब को बढ़ावा दे रहा है pic.twitter.com/7NWVQM319f
— Arun Yadav ?? (@beingarun28) September 20, 2022
हिजाब के खिलाफ इतने बड़े मुस्लिम देश ईरान मे क्रांति हो रही है ओर भारत के बुद्धिजीवी देश को सीरिया बनाने के लिए क्रांति कर रहे है ??
— Janardan Mishra (@janardanspeaks) September 21, 2022
केरल में हिजाब के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने खूब हल्ला मचाया था!
ईरान में हिजाब के खिलाफ महिलाएं सड़कों पर हैं मगर पुरा मीडिया जगत शांत है!
— Anuradha Gupta (@anuradhagupta25) September 19, 2022
ये लिब्रांडु क्या खाते हैं ?
Odd Day
भारत में लड़कियों को हिजाब पहनना चाहिये
Even Day
ईरान में लड़कियों को हिजाब नहीं पहनना चाहिये pic.twitter.com/AtLH9u9Edo— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) September 19, 2022
ईरान की महिलाएं हिजाब फेंक रही है लेकिन भारत में कुछ लोग इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं।
भारत में इनको पेंगुइन बनना है। pic.twitter.com/zuH7WmAnvG
— हिदू सम्राट संजीत कुमार?? (@VhpSanjeet1108) September 23, 2022
ईरान में महिलाएं हिजाब बुर्का जैसी पिछड़ी सोच और नारी उत्पीड़न के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं हैं
हिजाब बुर्का जला रही है
लेकिन
अपने देश में नारी सशक्तिकरण का शोर मचाने वाले नेता और कट्टरवादी,
महिलाओ को काले तिरपाल से ढक के रखना चाहते है ll pic.twitter.com/SYkxtmHyF5— श्रृष्टि सनातनी (@sanatani_shri) September 23, 2022
हिजाब जलाती ईरान की महिलाएं। #MahsaAmini की हत्या के विरोध में ईरानी महिलाओं ने जलाया हिजाब।
दुनियांभर से मिल रहा है समर्थन। pic.twitter.com/a2RZ2paF29
— Hitesh Shankar (@hiteshshankar) September 18, 2022
ईरान में हिजाब के ख़िलाफ़ महिला बीच चौराहे पर बाल काट कर विरोध कर रही है और लोग उसके समर्थन में नारे लगा रहा हैं pic.twitter.com/W1if5jU4NB
— Rohit Ranjan (@irohitr) September 21, 2022
एक ईरान है जहाँ महिलाएं हिजाब के खिलाफ सड़क पर उतर गयी है कि हिजाब महिलाओं की आज़ादी के खिलाफ है और वो सड़क पर इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं है और यहाँ देखिये स्कूल कॉलेज और यूनिवर्सिटी में भी हिजाब पहनने की ज़िद पर बिठाई जा रहीं है बेटियां
— Preeti Pandey?? (@_PreetiPandey) September 23, 2022
यहाँ हिजाब पहनने की जिद नही जेहाद है । यहाँ सरकार द्वारा आजादी देने के बावजूद मजहबी मानसिकता और पिछड़ेपन के कारण कुछ औरतो ने गुलामी को ही अपना अस्तित्व स्वीकार कर लिया है । वहां ईरान की बहादुर महिलाए गुलामी की सारी जंजीर टोडकर आजाद होना चाहती है ।
— Rajendra Malviya (@rkm14nov1967) September 23, 2022