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हाथरस में कांग्रेस की साजिशों के खुलासे के बाद सोशल मीडिया पर ‘धर्मनिरपेक्षता’ का कुछ यों उड़ रहा मजाक

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रिपब्लिक चैनल के कई खुलासों और स्टिंग ऑपरेशन से एक बार फिर साबित हो गया कि हाथरस में जारी हंगामे और हिंसा की कोशिशों के पीछे कांग्रेसी नेताओं का हाथ है। इस स्टिंग के चर्चा में आते ही लोगों ने इसे हाथों-हाथ लेना शुरू कर दिया। लोग इस बात की खूब चर्चा कर रहे हैं कि बलात्कार की घटनाएं तो यूपी के हाथरस और बलरामपुर दोनों जगहों पर हुईं, लेकिन कांग्रेस की रुचि सिर्फ हाथरस में ही क्यों है। दरअसल, ऐसा इसलिए है क्योंकि हाथरस में पीड़िता दलित समाज से आती है, जबकि आरोप सवर्ण हिन्दुओं पर लगे हैं। इस घटना से कांग्रेस को हिन्दू समाज को बांटने में मदद मिल रही है। दूसरी ओर, बलरामपुर में भी दलित लड़की से बलात्कार हुआ और आरोपियों ने उसकी जघन्य हत्या कर दी, बलात्कार और हत्या का यह आरोप अल्पसंख्यक समुदाय पर लगा। यही वजह है कि कांग्रेस हाथरस की घटना पर तो मुखर है, लेकिन बलरामपुर की घटना पर मौन साधे है। आखिर कांग्रेस तो जानी ही जाती है अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण के लिए। 

खेल धर्मनिरपेक्षता का!

सोशल मीडिया पर संविधान में ‘धर्मनिरपेक्षता’ शब्द जोड़े जाने को लेकर भी कांग्रेस का मजाक उड़ाया जा रहा है। लोग कह रहे हैं कि यह शब्द तो मूल रूप से संविधान में था ही नहीं, कांग्रेसी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसे इमरजेंसी के दौरान संविधान में जोड़ने की पहल की। आप भी देखिए आखिर कैसे लोग उड़ा रहे हैं धर्मनिरपेक्षता को लेकर कांग्रेस का मजाक।             

  

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