भारत में ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसक दुनियाभर में हैं। और अब पाकिस्तान भी पीएम मोदी का मुरीद हो गया जो पिछले 75 सालों से भारत से दुश्मनी मोल लेता रहा है और कश्मीर के नाम पर चार जंग कर चुका है। ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में आयोजित एक कार्यक्रम में मुसलमानों और ईसाइयों सहित विभिन्न धार्मिक समुदायों के सदस्यों ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की है। मेलबर्न में 23 अप्रैल को हुए विश्व सद्भावना कार्यक्रम में एक बार फिर यह साबित हुआ कि पीएम मोदी “दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता” क्यों हैं। इसमें पाकिस्तानी मुसलमान भी विभिन्न धार्मिक समुदायों के साथ शामिल हुए। उन्होंने कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभी समुदायों का सम्मान करने के लिए प्रशंसा की। ऑस्ट्रेलिया में पाकिस्तानी मुसलमानों ने कहा- “मोदी है तो मुमकिन है।” इससे पता चलता है कि पीएम मोदी के दीवाने पाकिस्तान में भी बहुत हैं। वहां के मुस्लिमों ने सद्भावना कार्यक्रम में पीएम मोदी का खूब गुणगान किया है।
पाकिस्तानी मुसलमान भी अब पीएम मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा कर रहे हैं
लेकिन भारत में रहकर भी कुछ लोग मोदी जी की छवि ख़राब करने का सपना देख रहे है pic.twitter.com/tARvFGEl5O— Social Tamasha (@SocialTamasha) April 23, 2023
मेलबर्न में पाकिस्तानियों के मुंह से गूंजा- ‘मोदी है तो मुमकिन है…’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे लोकप्रिय राजनेताओं में से एक हैं। पीएम मोदी को पसंद करने वाले लोग पाकिस्तान में भी हैं। पाकिस्तानी मुसलमानों के कई ऐसे समुदाय हैं जो मोदी की तारीफ करते रहते हैं। अभी ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में एनआईडी फाउंडेशन की ओर से आयोजित ‘विश्व सद्भावना कार्यक्रम’ में पाकिस्तानियों के मुंह से ‘मोदी है तो मुमकिन है…’ का शोर गूंजा है।
ऑस्ट्रेलिया में भारतीय अल्पसंख्यक फाउंडेशन ने किया सद्भावना कार्यक्रम
ऑस्ट्रेलिया में भारतीय अल्पसंख्यक फाउंडेशन (आईएमएफ), एनआईडी फाउंडेशन (दिल्ली) और नामधारी सिख सोसाइटी की ओर से 23 अप्रैल को विश्व सद्भावना कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें दुनियाभर के धार्मिक नेताओं, बुद्धिजीवियों, विद्वानों, प्रचारकों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया। वहीं पर, विभिन्न धार्मिक समुदायों के पाकिस्तानी लोग भी आए. उनमें से काफी लोग अहमदिया मुस्लिम समुदाय के थे।
As leaves of a tree, though diverse, are one at the trunk, so too is the "Religion of Humanity", encompassing values of truth, peace, harmony, pluralism, and unity that underlie all faiths.@NID_Foundation, @Minoritiesfdn is committed to work with Namdhari Sikh society, Australia… pic.twitter.com/u7qK3SjrtN
— Satnam Singh Sandhu (@satnamsandhuchd) April 24, 2023
मोदी में सबको साथ लेकर चलने का करिश्मा
पाकिस्तान के अहमदिया समुदाय मुसलमानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेकर उनकी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मोदीजी द्वारा “सभी समुदायों का सम्मान करना” हमें भा गया है, उनमें सबको साथ लेकर चलने की कुव्वत है। इसलिए हम उनकी प्रशंसा करते हैं। पाकिस्तानी मुसलमानों ने कहा कि पीएम मोदी समुदायों को सद्भाव और शांति को बढ़ावा देने के लिए अन्य समुदायों के साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करके सही काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “पीएम मोदी के पास वह करिश्मा है जहां लोग उनके धार्मिक झुकाव की परवाह किए बिना उनका अनुसरण कर रहे हैं, दैट्स गुड!” उन्होंने कहा, “मैं अपनी तरफ से कहूंगा कि मोदी है तो मुमकिन है।”
पीएम मोदी के नेतृत्व में सद्भाव बढ़ रहा
लाहौर से ताल्लुक रखने वाले अहमदिया मुस्लिम समुदाय के एक सदस्य डॉ. तारिक बट ने कहा, “मैं व्यक्तिगत रूप से कह सकता हूं कि मेरे बहुत सारे दोस्त भारतीय हैं और मैंने उन्हें आपस में मिलकर कई एक्टिविटीज करते देखा है। मैं खुद उनके कार्यक्रमों में गया हूं। मुझे लगता है कि अब (पीएम मोदी के नेतृत्व में) भारतीय मुसलमानों और पाकिस्तानी मुसलमानों के बीच सद्भाव बढ़ रहा है। उनमें आपसी पहुंच बढ़ रही है। हम मतभेदों की तुलना में अधिक समानताएं लाना चाहते हैं।”
Narendra Modi is the most progressive and secular PM in history of Independent India," says NID chief#NIDFoundation Chief #SatnamSinghSandhu presenting the book 'Heartfelt Legacy of Faith' to Satguru Uday Singh Ji, spiritual head of Namdhari #Sikhs @narendramodi
(Photo/ANI) pic.twitter.com/TVcZoodGD6
— Chandigarh Story (@ChandigarhStory) April 24, 2023
पीएम मोदी ने कहा था- मैं तुम्हारे ही घर का एक हिस्सा हूं
कराची से दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय के एक प्रतिनिधि ताहर शाकिर ने कहा, “हमने हाल ही में एक कार्यक्रम किया था जहां हमारे विश्वविद्यालय का एक नया चैप्टर था- मुंबई के मरोल में अलजामिया-तुस-सैफियाह और मोदीजी खुद आए थे और उनमें से एक जो बातें उन्होंने हमसे कही वो ये थी कि प्लीज बहुत आदरसूचक शब्दों से मत बुलाओ। मैं तुम्हारे घर का एक हिस्सा हूं।’
कार्यक्रम में दिखी ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की झलक
दरअसल सद्भावना कार्यक्रम एनआईडी फाउंडेशन की तरफ से शुरू की गई पहल है। ये पीएम मोदी के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के दृष्टिकोण को देखते हुए पूरी दुनिया को ‘एक परिवार’ के रूप में दुनिया के हर कोने में ले जाती है। कार्यक्रम में एनआईडी फाउंडेशन के मुख्य संरक्षक सतनाम सिंह संधू, ऑस्ट्रेलिया में भारत के उच्चायुक्त राजदूत मनप्रीत वोहरा, ऑस्ट्रेलिया के एंग्लिकन चर्च के बिशप फिलिप जेम्स हगिंस सहित कई गणमान्य लोगों ने भाग लिया।
Religious and spiritual leaders of different communities participate in Sadbhawna, organized by NID Foundation and Namdhari Sikh Society at Melbourne Australia https://t.co/e0PItbcZ2H
— Devdiscourse (@Dev_Discourse) April 24, 2023
विश्व में शांति लाने की कोशिश के लिए पीएम मोदी की सराहना की
दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय के एक प्रतिनिधि ने कहा कि पीएम मोदी ने फरवरी में कैंपस का उद्घाटन किया था। उन्होंने कहा, “अब हमारे बीच अच्छे संबंध हैं और हमने पिछले नौ वर्षों में वास्तव में अच्छे समय का आनंद लिया है और हमारा समुदाय पीएम मोदी का सम्मान करता है। जब वह आएंगे तो हमारा समुदाय सिडनी में उनका अभिवादन करेगा।
पीएम मोदी सभी धर्मों को एक मंच पर ला रहे
एनएसडब्ल्यू, ऑस्ट्रेलिया के एक अहमदिया मुस्लिम इम्तियाज अहमद नवीद ने भी शांति लाने की कोशिश के लिए पीएम मोदी की सराहना की। उन्होंने कहा, “मैं जो भी खबरें देखता हूं, मुझे लगता है कि वह बहुत मेहनत कर रहे हैं, वह सभी धर्मों को एक मंच पर ला रहे हैं, उनकी प्रगति के बारे में बात कर रहे हैं, शांति लाने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे लगता है कि वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के एंग्लिकन चर्च के बिशप फिलिप जेम्स हगिन्स ने कहा कि सद्भावना कार्यक्रम में दोस्ती और प्यार की भावना थी और उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ की।
भारत के खिलाफ बनाए जा रहे नैरेटिव से सहमत नहीं
उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की एक खूबसूरत विशेषता एक दूसरे के त्योहारों और अनुष्ठानों में विभिन्न समुदायों की समावेशी भागीदारी है। उन्होंने यह भी कहा कि वह भारत के खिलाफ बनाए जा रहे नैरेटिव से सहमत नहीं हैं कि अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, भारत में, बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक समुदायों के लिए एक साथ रहना और प्रगति करना आसान बनाती है और भारत आध्यात्मिक और धर्मनिरपेक्ष दोनों है।
मोदी सरकार में मुसलमानों को हर क्षेत्र में हर तरह से सबसे ज्यादा सुविधाएं और सम्मान मिला है।
#WATCH | Padma Shri awardee Shah Rasheed Ahmed Quadari thanked PM Modi after he received the award today
"During Congress rule, I didn't get it (Padma Shri). I thought BJP govt will not give it to me but you proved me wrong, " says Shah Rasheed Ahmed Quadari pic.twitter.com/BKQGMKc10R
— ANI (@ANI) April 5, 2023
पीएम मोदी से बोले कर्नाटक के मुस्लिम कलाकार- आपने मुझे गलत साबित किया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से पद्मश्री प्राप्त करने वाले कर्नाटक के दिग्गज बिदरी शिल्प कलाकार शाह रशीद अहमद कादरी ने 5 अप्रैल 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि उनका गलत साबित हो गया कि भाजपा सरकार उन्हें इस प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान से सम्मानित नहीं करेगी। राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कार देने का समारोह समाप्त होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुरस्कार विजेताओं से बातचीत की। जब मोदी ने कादरी को बधाई दी और हाथ मिलाया तो उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि मैं यूपीए सरकार के दौरान पद्म पुरस्कार की उम्मीद कर रहा था, लेकिन मुझे यह नहीं मिला। जब आपकी सरकार आई तो मैंने सोचा कि अब भाजपा सरकार मुझे कोई पुरस्कार नहीं देगी,’ लेकिन आपने मुझे गलत साबित कर दिया है। मैं आपका तहेदिल से आभार व्यक्त करता हूं।
इस साल पद्म पुरस्कार पाने वाले 5 मुसलमान
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या हर साल पद्म अवॉर्ड्स विजेताओं का ऐलान किया जाता है। पद्म विभूषण, बद्म भूषण और पद्म श्री अवॉर्ड जीतने वाले नागरिकों का 25 जनवरी की शाम को ऐलान किया जाता है। इस बार राष्ट्रपति ने 2023 के लिए 106 पद्म पुरस्कारों के लिए मंजूरी दी है। पुरस्कार पाने वालों में 19 महिलाएं हैं। इसके अलावा पद्म अवॉर्ड जीतने वालों में मुसलमानों की तादाद 5 है। इनमें एक पद्म विभूषम और 4 को पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।
पद्म अवॉर्ड जीतने वाले मुस्लिम:
जाकिर हुसैन- तबला वादक जाकिर हुसैन को पद्म विभूषण से नवाज़ा गया है।
अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन (जोड़ी)- इन्हें आर्ट की कैटेगरी में पद्म श्री से नवाज़ा गया है। ये दोनों राजस्थान के रहने वाले हैं।
दिलशाद हुसैन- इन्हें आर्ट में पद्म श्री से नवाजा गया है। दिलशाद उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं।
शाह रशीद अहमद कादरी- कर्नाटक के रहने वाले हैं, इन्हें भी आर्ट कैटेगरी में सम्मानित किया गया है।
गुलाम मुहम्मद जाज- जम्मू-कश्मीर के रहने वाले गुलाम अहमद को भी आर्ट कैटेगरी में पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।
मोदी सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय के भविष्य को संवारा, उनके विकास और खुशहाली के लिए कई योजनाएं लाकर जीवन को आसान बनाया है। इस पर एक नजर-
अल्पसंख्यकों के मसीहा हैं पीएम मोदी
केंद्र सरकार लगतार कई योजनाओं के माध्यम से अल्पसंख्यक वर्ग को सशक्त बनाने का प्रयास करती रही है। इन समुदायों के उत्थान के लिए कई योजनाओं चलाई जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन का मूल मंत्र है- सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास और सबका प्रयास। 2014 में देश की बागडोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने समाज के सभी वर्गों को साथ में लेकर उनके सर्वांगीण विकास की जो यात्रा शुरू की थी, वो पिछले नौ साल से बिना रूके अनवरत जारी है। मोदी सरकार राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (एनएमडीएफसी) के जरिए लगातार आर्थिक मदद पहुंचाकर धार्मिक अल्पसंख्यकों को स्वावलंबी बना रही है। इसी का परिणाम है कि प्रधानमंत्री मोदी महिला, वंचित, गरीब, पिछड़े और अल्पसंख्यकों के मसीहा बन गए हैं।
अल्पसंख्यकों को स्वरोजगार के लिए 7414 करोड़ की आर्थिक मदद
मोदी सरकार ने एनएमडीएफसी के जरिए 20 लाख अल्पसंख्यकों को स्वरोजगार या आय सृजन के लिए 7414 करोड़ की आर्थिक मदद दी है। इस मदद के सबसे बड़े लाभार्थी मुसलमान है। एनएमडीएफसी के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021 तक 83 प्रतिशत आर्थिक मदद इस समुदाय को मिली है। कोरोना महामारी के दौरान यह संस्था गरीब अल्पसंख्यकों के लिए वरदान साबित हुई। 3 लाख अल्पसंख्यकों को करीब 1350 करोड़ रुपये के लोन दिए गए।
विरासत योजना के तहत कारीगरों को 10 लाख का लोन
एनएमडीएफसी की विरासत योजना के तहत कारीगरों को उपकरण, कच्चे माल और अन्य साधनों की खरीद के लिए मदद दी जाती है। अल्पसंख्यक कारीगर अधिकतम 10 लाख रुपये तक का ऋण प्राप्त कर सकते हैं।
आर्थिक रूप से सक्षम बन रहीं अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाएं
एनएमडीएफसी धार्मिक अल्पसंख्यकों – मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन के लिए कई योजनाएं चलाती है। यह संस्था राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित अपने एजेंसियों के माध्यम से इन योजनाओं को लागू करती है। एनएमडीएफसी पिछड़े इलाकों और दूर-दराज गांवों में रहने वाले अल्पसंख्यकों के लिए मददगार साबित हो रही है। यह संस्था अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने में मदद कर रही है। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जुड़ी महिलाओं को इस संस्था से छोटे ऋण दिए जाते हैं, जो बड़े बैंकों से ऋण लेने में असमर्थ होती है। इसके साथ ही अल्पसंख्यक महिला लाभार्थियों को योजनाओं और ब्याज में विशेष राहत भी दी जाती है। इससे उन्हें व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से स्वरोजगार सृजन और आय बढ़ाने में सहायता मिलती है।
आर्थिक मदद से अल्पसंख्यकों की जिंदगी में आया बदलाव
एनएमडीएफसी कारोबार करने और शिक्षा के लिए आय और शैक्षणिक योग्यता के आधार पर ऋणों का वितरण करती है और ब्याज में राहत देती है। कारोबार के लिए 20 लाख से 30 लाख तक 6 से 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज दर पर आर्थिक मदद दी जाती है। इसके अलावा आर्थिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यक छात्रों को रोजगार-उन्मुख तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के लिए ऋण दिया जाता है। इसके तहत व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने और शिक्षा को जारी रखने के लिए भारत में 20 लाख रुपये और विदेश जाकर शिक्षा ग्रहण करने के लिए 30 लाख दिए जाते हैं। निम्न आय वर्ग वाले छात्रों को 3 प्रतिशत और अन्य छात्रों को 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज देना पड़ता है। एनएमडीएफसी से मिली आर्थिक मदद और शिक्षा ऋण ने देश के कई इलाकों में लोगों की जिंदगी बदल दी है।
मोदी सरकार में अल्पसंख्यकों के वित्तीय समावेशन को बढ़ावा
मोदी सरकार एनएमडीएफसी के जरिए योजनाओं और आर्थिक मदद से अल्पसंख्यक लाभार्थियों के वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रही है। कमजोर और निम्न आय वर्ग के लोगों को उनकी जरूरत के मुताबिक समय पर वित्तीय सुविधाएं उपलब्ध करा रही है, जो पूर्व की सरकारों में आर्थिक मदद से वंचित थे। पहले कई गरीब अल्पसंख्यक सूदखोरों के चंगुल में फंस जाते थे लेकिन अब मोदी सरकार आसान ऋण देकर सूदखोरों के चंगुल से उन्हें बचा रही है। इससे लाखों अल्पसंख्यक परिवारों की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई। अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अब बेहतर जिंदगी जीने के साथ ही अपने बच्चों को अच्छी और ऊंच शिक्षा दिलाने में सक्षम हो रहे हैं। यह उन लोगों के लिए बड़ा झटका है, जो मोदी सरकार पर अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते थे और अल्पसंख्यक समुदाय को सिर्फ वोटबैंक समझते थे।
मोदी सरकार हज़ यात्रा पर जाने वालों के लिए भी कई सुविधा का इंतजाम कर रही है। इस पर एक नजर-
हज़ यात्रा के लिए एक लाख चालीस हजार लोगों का चयन
केंद्र सरकार ने इस वर्ष औचक डिजिटल चयन प्रक्रिया के माध्यम से 1.40 लाख से अधिक हज यात्रियों का चयन किया है। इनमें 10,000 से अधिक 70 वर्ष से अधिक आयु के लोग हैं और 4,000 से अधिक महिलाएं हैं। औचक डिजिटल चयन प्रक्रिया के लिए सरकार को कुल 1.84 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अनुसार, इस वर्ष भारत को 1.75 लाख हज यात्रियों का कोटा आवंटित किया गया था। लगभग 35,000 हज यात्रियों का कोटा निजी ऑपरेटरों को दिया गया है। हज यात्रियों के लिए चिकित्सा बीमा अनिवार्य होगा।
कैशलेस हजः हज यात्रियों को अब कैश ले जाने की जरूरत नहीं
हज यात्रा पर जाने वालों के अच्छी खबर है। सरकार ने इस साल से ‘कैशलेस हज’ पर जोर देने का फैसला किया है और इसी प्रयास के तहत हज यात्रियों को विदेशी मुद्रा के उपयोग के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा एक कार्ड मुहैया कराया जाएगा। पहले की व्यवस्था के तहत हजयात्रियों को 2100 सऊदी रियाल (करीब 45 हजार रुपये) भारतीय हज समिति के पास जमा कराने होते थे जो उन्हें सऊदी अरब के मक्का और मदीना में खर्च करने के लिए उपलब्ध कराए जाते थे।
केशलैश सुविधा की जानकारी देने के लिए टेलीफोन हेल्पलाइन
मंत्रालय हज यात्रियों को केशलैस सुविधा के लिए स्टेट बैंक के साथ सहयोग कर रहा है। बैंक सभी अप्रवासी केंद्रों पर हज यात्रियों को यह सुविधा उपलब्ध कराएगा। मंत्रालय ने बताया कि स्टेट बैंक केशलैश सुविधा के बारे में जानकारी देने के लिए टेलीफोन हेल्पलाइन स्थापित करेगा।
हज पर जाने वालों को मिलेगा ‘फॉरेक्स कार्ड’
मंत्रालय के सूत्रों ने बताया, अब हजयात्रियों को राशि हज कमिटी के पास जमा कराने की कोई जरूरत नहीं होगी। एसबीआई (SBI) के माध्यम वे सीधे इस पैसे का उपयोग कर सकते हैं। उन्हें एक ‘फॉरेक्स कार्ड’ (Forex Card) दिया जाएगा। ऐसे में उन्हें नकदी ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब वे अपनी जरूरत के हिसाब से पैसा खर्च कर सकते हैं। अधिकारी ने बताया कि डिजिटल भारत में ‘कैशलेस हज’ पर जोर है। हमारी कोशिश है कि हजयात्रियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधा मिले और उनका खर्च भी कम हो।
इस साल 4.3 हजार महिलाएं बिना पुरुष साथी के हज पर जाएंगी
देश में इस साल 4314 महिलाओं ने मेहरम (नजदीकी पुरुष रिश्तेदार) के बिना हज यात्रा पर जाने के लिए आवेदन किया है। पिछले साल अक्टूबर में सऊदी अरब ने महिलाओं को बड़ी राहत देते हुए यह छूट देने की घोषणा की थी। सऊदी किंगडम ने फैसला किया है कि हज और उमराह के लिए महिलाओं को अब पुरुष गार्जियन या महरम के साथ की जरूरत नहीं है। अब बिना महरम के भी महिलाएं हज या उमराह कर सकती हैं। इसके बाद भारत ने इस साल से ही महिलाओं को बिना पुरुष साथी के हज यात्रा की अनुमति दे दी है।
The Shehla Rasheeds, Arfa Khanums, Swara Bhaskers & Saba Naqvis don't represent REAL INDIA. Meet the Muslim women who are elated with PM @narendramodi's effort of #TripleTalaqSeAzaadi. We spoke to women across the board and these are the reactions we got!
(Via @ManishaAmbekar1) pic.twitter.com/4yFSkVhysj— Priti Gandhi – प्रीति गांधी (@MrsGandhi) July 31, 2019
तीन तलाक बिलः महिलाओं के हक में मजबूती से खड़ी है मोदी सरकार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आधी आबादी के हक की लड़ाई में हमेशा सबसे आगे रहे हैं। 2014 में जब पीएम मोदी ने पहली बार देश की बागडोर संभाली थी, तभी से महिला सशक्तिकरण, महिलाओं को समाज में सम्मान दिलाना, महिलाओं की आर्थिक उन्नति, महिलाओं की शिक्षा उनके एजेंडे की प्राथमिकता में रहा है। आज जिस तीन तलाक बिल को संसद के दोनों सदनों को मंजूरी मिली है और 1400 साल पुरानी इस कुप्रथा से करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को मुक्ति मिली है, उसकी शुरुआत भी मोदी सरकार ने 2014 के बाद ही कर दी थी।
मोदी सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय के भविष्य को संवारा
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर अल्पसंख्यकों को लेकर कई बार सवाल खड़े करने का प्रयास होता रहता है। विपक्षी पार्टियां एवं कुछ कट्टरपंथी यह फेक नैरेटिव गढ़ने में जुटे रहते हैं कि देश में मुसलमान डरा हुआ है। दरअसल यह चूरण पाकिस्तान में पिछले 75 सालों से बांटा जाता रहा है कि भारत के मुसलमानों पर जुल्मो-सितम है, उन्हें नमाज पढ़ने की आजादी नहीं है, भारत के मस्जिदों में नमाज नहीं होता, अजान नहीं होता आदि-आदि। लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है इससे पाकिस्तान भी अच्छी तरह अवगत है क्योंकि वह भी जानता है कि अगर भारत में मुसलमानों पर जुल्मो-सितम होता तो सभी मुसलमान पाकिस्तान आ गए होते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यानी पाकिस्तान 75 सालों से झूठा नैरेटिव गढ़ता रहा और उसी नक्शे कदम पर चलते हुए देश की विपक्षी पार्टियां और कुछ कट्टरपंथी देश में यह नैरेटिव गढ़कर पीएम मोदी को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं। जबकि इससे इतर मोदी सरकार ने पिछले नौ सालों में सबका साथ सबका विकास को चरितार्थ करते हुए अल्पसंख्यकों को कई योजनाओं की सौगात देकर उनके जीवन को आसान बनाने का काम किया है।