प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरगामी और विजनरी नीतियों इकोनॉमी के मोर्चे पर खुशखबरी लेकर आई हैं। मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर पर निरंतर फोकस करने और हर सेक्टर की इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के चलते भारत की विकास दर दुनियाभर में सबसे तेज है। एक ओर जहां अमेरिका-चीन जैसे देश अब तक कोरोना की मार से उबर नहीं पा रहे हैं, और उनकी विकास दर अभी केवल 4.9 प्रतिशत ही है, वहीं भारत की विकास दर उम्मीदों से भी बढ़िया प्रदर्शन करते हीँ 8.4 प्रतिशत पर पहुंच गई है। भारत के बाद दूसरे नंबर पर तुर्की, जिसकी विकास दर 6.9 प्रतिशत है। कोविडकाल से पहले हमारी जितनी जीडीपी थी, अब उससे भी ज्यादा हो गई है। इससे यह साफ है कि पीएम मोदी के संकल्प के अनुरूप भारत दुनिया की थर्ड इकोनॉमी बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर हो रहा है।इकोनॉमी अब 35.73 लाख करोड़ की हुई, 8 प्रमुख सेक्टर में ग्रोथ
हमारी अर्थव्यवस्था अब 35.73 लाख करोड़ की हुई, कोरोना से पहले 2019 में 35.61 लाख करोड़ की थी। देश की अर्थव्यवस्था तिमाही में 8.4% की दर से बढ़ी है। यह विकास दर सभी अनुमानों से बेहतर रही है। अर्थव्यवस्था में सुधार का सबसे बड़ा कारण खपत और निवेश में सुधार रहा। वैक्सीनेशन, कम ब्याज दरों की वजह से सेंटिमेंट में भी सुधार दिखा। यह लगातार चौथी तिमाही है जब सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की विकास दर पॉजिटिव जोन में रही है। देश के 8 प्रमुख इंडस्ट्रीज की ग्रोथ अक्टूबर में 7.5% पर रही। इसमें सबसे ज्यादा ग्रोथ नेचुरल गैस की रही जो 25.8% थी। कोयले की ग्रोथ 14.6%, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स की 14.4 और सीमेंट की 11.3% ग्रोथ रही। इलेक्ट्रिसिटी, स्टील और फर्टिलाइजर्स में भी ग्रोथ रही। हालांकि कच्चे तेल की ग्रोथ में 2.2% की गिरावट रही।
फिस्कल डेफिसिट 5.47 लाख करोड़ रुपए रहा, एफडी का लक्ष्य 6.8%
फिस्कल डेफिसिट पूरे साल के लक्ष्य की तुलना में अप्रैल से अक्टूबर के बीच 36.3% या 5.47 लाख करोड़ रुपए रहा। कुल खर्च 18.27 लाख करोड़ रुपए रहा। पिछले साल की समान अवधि में फिस्कल डेफिसिट 2020-21 के बजट आकलन का 119.7% रहा था। फिस्कल डेफिसिट का मतलब सरकार का जितना खर्च है उसकी तुलना में इनकम में कमी से है। इस साल के लिए सरकार ने फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य 6.8% रखा है। हालांकि सरकार के लिए यह संभव नहीं है, क्योंकि उसने हाल में मुफ्त राशन का समय बढ़ा दिया है। इससे फिस्कल डेफिसिट बढ़ सकता है। राज्यसभा में सरकार ने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी लगाकर 2020-21 में 3.72 लाख करोड़ रुपये उसने जुटाए हैं।
कोरोना महामारी के कारण 24.4% की दर से गिरी थी अर्थव्यवस्था
2020 में अप्रैल से जून के दौरान देश की अर्थव्यवस्था 24.4% की दर से गिरी थी जबकि तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर से नवंबर के दौरान इसमें 0.4% की बढ़त दिखी थी। जनवरी से मार्च 2021 में GDP 1.6% की दर से बढ़ी जबकि अप्रैल से जून 2021 के दौरान इसमें 20.1% की दर से बढ़त दिखी थी। अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के दौरान विकास दर में 7.3% की गिरावट आई थी। लेकिन अब तीसरी तिमाही में उच्च वृद्धि दर और समूचे वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमान यह संकेत दे रहे हैं कि भारत वैश्विक वृद्धि में गिरावट के दौर में भी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का अपना रूतबा कायम रखेगा। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि दर (GDP Growth Rate) 8.4% रही, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 4.3% थी। वहीं, इसने समूचे वित्त वर्ष (2023-24) के लिए वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 7.6 प्रतिशत कर दिया है।देशभर में विनिर्माण क्षेत्र में 11.6 प्रतिशत की वृद्धि से मिली मजबूती
चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि का यह अनुमान जनवरी में लगाए गए 7.3 प्रतिशत के पिछले अनुमान से बेहतर है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक भी क्रमशः 6.7 प्रतिशत और 6.3 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जता चुके हैं। तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) की वृद्धि को विनिर्माण क्षेत्र में 11.6 प्रतिशत की वृद्धि से मजबूती मिली। इस दौरान सेवा क्षेत्र में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिसंबर तिमाही के जीडीपी आंकड़ों पर कहा, ‘वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत की मजबूत जीडीपी वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत और इसकी क्षमता को दर्शाती है। हमारे प्रयास तेज आर्थिक वृद्धि के लिए जारी रहेंगे जो 140 करोड़ भारतीयों को बेहतर जीवन जीने और एक विकसित भारत बनाने में मदद करेगा।’ तीसरी तिमाही में उच्च वृद्धि दर और समूचे वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमान यह संकेत देता है कि भारत वैश्विक वृद्धि में गिरावट के दौर में भी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा। इसके साथ ही एनएसओ ने राष्ट्रीय खातों के अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए देश की वृद्धि दर के बढ़कर 7.6 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया है। इस साल जनवरी में जारी पहले अग्रिम अनुमान में जीडीपी वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में अर्थव्यवस्था 8.2% की दर से बढ़ी
इसके साथ ही एनएसओ ने चालू वित्त वर्ष की पहली एवं दूसरी तिमाही के लिए भी जीडीपी अनुमान को संशोधित कर क्रमशः 8.2 और 8.1 प्रतिशत कर दिया है। पिछला अनुमान पहली तिमाही के लिए 7.8 प्रतिशत और दूसरी तिमाही के लिए 7.6 प्रतिशत का था। इस तरह चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी है, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 7.3 प्रतिशत बढ़ी थी। मौजूदा कीमतों पर जीडीपी के दिसंबर तिमाही में सालाना आधार पर 10.1 प्रतिशत बढ़कर 75.49 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही में यह 68.58 लाख करोड़ रुपये थी।
घटती आबादी से चीन की अर्थव्यवस्था लगातार दूसरे साल खस्ताहाल
अमेरिकी शोध संस्था एडलैब की एक ताजा रिपोर्ट ने चीन के कर्ज के मकड़जाल का खुलासा किया है। चीन के सत्ताधीश किस तरह छोटे देशों को कर्ज के मर्ज में फंसाकर अपने रणनीतिक और कूटनीतिक हित साधते रहे हैं। सूदखोर चीन भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, श्रीलंका समेत विकासशील देशों पर 1.1 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है। पाकिस्तान तो चीन का पैसा चुकाने के लिए अमेरिका से लेकर सऊदी अरब तक से कर्ज की भीख मांग रहा है। यह अलग बात है कि दुनिया के कुछ देश जहां बढ़ती आबादी को लेकर चिंतित हैं, वहीं चीन अब घटती आबादी से बुरी तरह परेशान है। लगातार दूसरे साल चीन की आबादी घटी है। इसका असर चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है, जो खस्ताहाल हो रही है। पिछले साल चीन की इकोनॉमी 5.2 प्रतिशत पर आ गई। 2016 के बाद पहली बार निर्यात बुरी तरह गिरा है। विदेशी निवेशक व कंपनियां दूर हो रही हैं। एक्सपर्ट कहते हैं, आबादी घटती रही तो वर्कफोर्स घटेगी। इससे चीन की इकोनॉमी बड़े संकट में आ जाएगी।चीन के कर्ज के बोझ तले दबा मालदीव भी अब श्रीलंका का राह पर
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के आंकड़ों के अनुसार, चीन वर्तमान में मालदीव गणराज्य का सबसे बड़ा बाहरी ऋणदाता है, जो इसके कुल सार्वजनिक ऋण का लगभग 20 प्रतिशत है। मालदीव पर चीन का करीब 1.3 अरब डॉलर बकाया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक मुइज्जू ने कर्ज भुगतान के लिए चीन से और मोहलत मांगी है। विशेषज्ञों के मुताबिक मालदीव भी जल्द ही पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका और कई अफ्रीकी देशों की तरह चीन के कर्ज के जाल में पूरी तरह फंस सकता है। मालदीव के पूर्व उपराष्ट्रपति अहमद अदीब का यहां तक कहना है कि मालदीव का पड़ोसी श्रीलंका वास्तव में चीनी कर्ज के जाल में फंसकर ही डिफॉल्टर हो गया था, नई सरकार के हाथों अब मालदीव भी इसी राह पर चलता दिखाई दे रहा है।दूसरे देशों को कर्ज के मकड़जाल में फंसाने का चीन का तरीका क्या है?
चीन की कार्यप्रणाली देश के ताकतवर लोगों के साथ डील करना और उनकी बदौलत देश की कमजोरियों का फायदा उठाने की है। चीन अपारदर्शी नियमों, शर्तों और उच्च ब्याज दरों के साथ ऋण देता है, जिससे उधार लेने वाले देश के लिए ऋण चुकाना असंभव हो जाता है। इसके बाद चीन कर्जदार देशों की रणनीतिक संपत्तियां हथिया लेता है। वर्ष 2017 में श्रीलंका को हंबनटोटा बंदरगाह का नियंत्रण एक चीनी फर्म को देना पड़ा क्योंकि वह ऋण नहीं चुका सका। चीन के कर्ज के अहसान का बदला चुकाने के लिए कुछ साल पहले श्रीलंका सरकार पूरी तरह उसके आगे नतमस्तक हो गई। चीन को यहां बड़े-बड़े निर्णाण के ठेके मिले। इसके साथ ही चीन ने बड़ी ब्याज दरों पर श्रीलंका को और कर्ज दिया। चीन को दोस्त मानने वाला पाकिस्तान भी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) का कर्ज चुकाने के लिए संपत्तियां गिरवी रख रहा है।राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ज्यादा बच्चे पैदा करने के आह्वान भी हुआ फेल
दिलचस्प तथ्य यह है कि करोड़ों डॉलर का कर्ज देकर दूसरे देशों को परेशान करने वाले चीन की खुद की हालत भी अब खराब होने की कगार पर है। दुनिया के कई देश जहां बढ़ती आबादी को लेकर परेशान हैं, वहीं, चीन अब घटती आबादी से तनाव में है। लगातार दूसरे साल चीन की आबादी घटी है। चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2023 के अंत तक चीन की कुल आबादी 140.97 करोड़ थी, जो 2022 की 141.18 करोड़ से 20 लाख कम है। 2023 में 90.02 लाख बच्चे पैदा हुए, जो 2022 के 95.6 लाख से कम हैं। इसी अवधि में 1.11 करोड़ लोगों की मौत हुई। राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ज्यादा बच्चे पैदा करने के आह्वान और सरकारी कोशिशों के बावजूद जनसंख्या में कमी आई। स्थिति ऐसी बनी की चीन सरकार की सारी नीतियों तक विफल रो रही हैं।
चीन को पछाड़कर भारत बना सबसे ज्यादा युवा वर्क फोर्स वाला देश
चीन की सरकारी मशीनरी जन्मदर बढ़ाने में सफल नहीं हो पा रही है। शी जिनपिंग की सारी कोशिशें फेल हो रही हैं। पिछले साल में जनसंख्या घटकर करीब 141 करोड़ रह गई है। इसके साथ ही भारत दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी और सबसे बड़ी युवा वर्क फोर्स वाला देश बन गया है। चीन में आर्थिक दबाव के चलते तलाक के केस बढ़े तो सरकार ने एक माह के कूलिंग पीरियड का नियम थोप दिया। यह भी कारगर नहीं रहा। इंडियाना यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में तलाक के 1.5 लाख कोर्ट फैसलों के विश्लेषण से पता चला कि महिलाओं की 40% याचिकाएं घरेलू हिंसा के सबूत होने पर भी खारिज कर दी गई।वन चाइल्ड के बाद 2015 में टू और 2021 में थ्री चाइल्ड पॉलिसी भी फेल
चीन ने बढ़ती जनसंख्या रोकने के लिए 1980 में एक बच्चे की नीति लागू की थी। दूसरा बच्चा होने पर सरकारी नौकरी से हटा दिया जाता था। बच्चे को नागरिकता भी जुर्माना भरने पर मिलती थी। इससे बड़ी संख्या में युवा इकलौती लड़कियों की आबादी बढ़ी। इन्हें शिक्षा व रोजगार के मौके भी मिले। इससे सशक्त महिलाओं का तबका खड़ा हुआ। जब चीन की नीति उस पर ही उल्टी पड़ने लगी है तो नियम बदले हैं। सस्ते घर, टैक्स छूट में छूट दी गई। सरकार ने 2015 में टू चाइल्ड और 2021 में थ्री चाइल्ड पॉलिसी लागू की, लेकिन जन्मदर नहीं बढ़ी। एक्सपर्ट कहते हैं, चीन की सरकार सिर्फ बच्चे पैदा कराना चाहती है। वह पैरेंट्स की बिल्कुल चिंता नहीं करती। महिलाओं को सस्ते घर, टैक्स में छूट, प्रचार अभियान व सरकार समर्थित डेटिंग प्रोग्राम भी जन्मदर बढ़ाने में सफल नहीं रहे।कई मोर्चों पर चीन मुश्किल में और भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत
एक ओर चीन आबादी और इकोनॉमी को लेकर मुश्किल में है, दूसरी ओर भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। मोदी राज में भारत हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। मोदी राज में अर्थव्यवस्था को लेकर दुनिया का भारत पर भरोसा और मजबूत हुआ है। रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल (S&P Global) ने कहा है कि भारत साल 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। इसके साथ यह भी कहा कि वित्त वर्ष 2026-27 में देश की जीडीपी वृद्धि दर सात प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। एसएंडपी की ताजा ‘ग्लोबल क्रेडिट आउटलुक 2024: न्यू रिस्क, न्यू प्लेबुक’ रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है और साल 2026 में इसके सात प्रतिशत पहुंचने की उम्मीद है। एसएंडपी ग्लोबल के अनुसार,भारत 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है और यह अगले तीन सालों में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 के आखिर तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 3,730 अरब अमेरिकी डॉलर रहा है जो भारत 2027-28 तक 5,000 अरब डॉलर के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा।
चीन नहीं, भारत बनेगा एशिया-प्रशांत का विकास इंजन
इसके पहले एसएंडपी ने ‘चाइना स्लोज इंडिया ग्रोथ’ नाम से जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि चीन नहीं, बल्कि भारत एशिया-प्रशांत का विकास इंजन बनेगा। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में उम्मीद जताई है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र का वृद्धि इंजन चीन से हटकर दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया की तरफ स्थानांतरित हो जाएगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वर्ष 2026 तक बढ़कर सात प्रतिशत तक पहुंच जाएगी, जबकि चीन के लिए इसके सुस्त पड़कर 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
S&P ने बढ़ाया वृद्धि दर अनुमान, बढ़ाकर किया 6.4 प्रतिशत
इसके पहले रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर अनुमान को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.4 प्रतिशत कर दिया। रेटिंस एंजेसी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था को घरेलू स्तर पर अच्छा सपोर्ट मिल रहा है। ऐसे में महंगाई और कमजोर निर्यात भी भारत की इकनॉमी के ग्रोथ रेट को कमजोर नहीं कर पाएगा। एजेंसी ने कहा है कि मजबूत घरेलू गति के कारण महंगाई और निर्यात से पैदा होने वाली रुकावटें दूर होती दिख रही है जिसके चलते वृद्धि अनुमान को बढ़ाया गया है।
2031 तक डबल होकर 6.7 ट्रिलियन डॉलर की होगी हमारी इकोनॉमी
एसएंडपी ने कहा है कि भारतीय इकोनॉमी साल 2031 तक बढ़कर डबल हो जाएगी। इसका आकार 3.4 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 6.7 लाख करोड़ डॉलर हो जाएगा। रेटिंग एजेंसी ने अगस्त वॉल्यूम रिपोर्ट ‘लुक फॉरवर्ड इंडिया मोमेंट’ में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर यह जानकारी साझा की है। एजेंसी ने कहा है कि विनिर्माण और सेवाओं के निर्यात और उपभोक्ता मांग के कारण यह तेजी बनी रहेगी। एसएंडपी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि अर्थव्यवस्था लगभग दोगुनी होने से प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ जाएगी। 2031 तक भारत पर कैपिटा जीडीपी 2500 से बढ़कर 4500 डॉलर तक हो जाएगी।
आइए देखते हैं देश की अर्थव्यवस्था और विकास पर विभिन्न संस्थानों और रेटिंग एजेंसियों का क्या कहना है…
UBS ने भारत के वृद्धि दर अनुमान को बढ़ाकर किया 6.3 प्रतिशत
ब्रोकरेज कंपनी यूबीएस (UBS) ने मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि के अनुमान को बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है। यूबीएस की भारत में मुख्य अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन ने कहा कि भारत की घरेलू आर्थिक गतिविधियां उम्मीद से बेहतर चल रही हैं। निकट भविष्य में वृद्धि की गति को मौजूदा त्योहारी सीजन के दौरान उच्च घरेलू खर्च, तेज ऋण वृद्धि और कड़े चुनावी कैलेंडर से पहले ग्रामीण समर्थक सामाजिक योजनाओं के लिए सरकारी खर्च से समर्थन मिलेगा। उन्होंने ये भी कहा कि भारत की वृद्धि वित्त वर्ष 2025-26 में 6.2 प्रतिशत और 2026-27 में 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
सबसे बड़ी और तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत
मोदी सरकार की नीतियों के कारण भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इस बात पर ब्रोकरेज कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने भी मुहर लगा दी है। मॉर्गन स्टेनली की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत साल 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी डॉलर के आधार पर भारत की सांकेतिक जीडीपी वृद्धि वित्त वर्ष 2025 तक बढ़कर 12.4 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी और यह चीन, अमेरिका और यूरो क्षेत्र से बेहतर प्रदर्शन करेगी। यह वित्त वर्ष 2024 में सात प्रतिशत रहेगी। उच्च विकास दर के कारण भारत की अर्थव्यवस्था मजबूती से बढ़ेगी। मॉर्गन स्टेनली ने कहा है कि उम्मीद है कि 2027 तक सांकेतिक जीडीपी पांच लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगी, जिससे भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
साल 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत- जेपी मॉर्गन
जेपी मॉर्गन ने भी कहा है कि अब भारत के विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में ज्यादा देर नहीं है। जेपी मॉर्गन के एशिया प्रशांत इक्विटी रिसर्च के मैनेजिंग डायरेक्टर जेम्स सुलिवन की मानें तो भारत 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने यह भी कहा है कि 2030 तक भारत की जीडीपी दोगुनी से ज्यादा 7 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी। बिजनेस न्यूज चैनल CNBC-TV18 के साथ एक इंटरव्यू में सुलिवन ने कहा कि अगले कुछ सालों में भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ेगी और इसका शेयर बाजार अच्छा प्रदर्शन करेगा। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि लंबी अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़े संरचनात्मक बदलाव होंगे। सुलिवन ने कहा कि अगले कुछ महीनों में निर्यात में भी तेजी आने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि अभी जो 500 अरब डॉलर से कम का निर्यात है वो बढ़कर एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है।
2027-28 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा-आईएमएफ
यही भरोसा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को भी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने एक रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर जो अनुमान व्यक्त किया, उसके मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था, जो अभी लगभग 3.75 ट्रिलियन डॉलर की है, वित्त वर्ष 2027-28 तक 5 ट्रिलियन डॉलर को पार कर जाएगी। भारत 5.2 ट्रिलियन डॉलर के साथ विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसकी वैश्विक अर्थव्यवस्था में 4 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। इस दौरान अमेरिकी अर्थव्यवस्था 31 ट्रिलियन डॉलर के साथ शीर्ष पर रहेगी और वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसकी हिस्सेदारी 24 प्रतिशत होगी। इसके बाद चीन 25.7 ट्रिलियन डॉलर के साथ दूसरे स्थान पर रहेगा और वैश्विक जीडीपी में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी।