देश में कोरोना वायरस की दस्तक के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने युद्ध स्तर पर राहत और बचाव के उपाय शुरू कर दिए। इसके तहत देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई, जिससे फैक्ट्रियां अचानक बंद हो गईं। सारी आर्थिक गतिविधायां ठप्प पड़ने से गरीब प्रवासियों के सामने भोजन का संकट उत्पन्न हो गया। ऐसे हालात में प्रधानमंत्री मोदी संकटमोचक के रूप में सामने आए और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 80 कोरोड़ लोगों के लिए मुफ्त राशन की घोषणा की। साथ ही वन नेशन वन राशन कार्ड योजना को तेजी से पूरे देश में लागू करने का फैसला किया। 2021 में अप्रैल से जुलाई के बीच जब कोरोना की दूसरी लहर पीक पर थी, तब बिहार के साथ ही अन्य राज्यों के प्रवासियों के लिए यह योजना वरदान साबित हुई।
राज्यसभा में शुक्रवार 30 जुलाई, 2021 को केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने एक सवाल के जवाब में बताया कि सबसे अधिक बिहार के 15,729 लोगों ने राज्य के बाहर वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना के तहत राशन लिया। जुलाई में दूसरे राज्यों में राशन का उठाव करने वाले बिहारी लोगों की संख्या अप्रैल की 3,249 की तुलना में करीब दोगुनी यानि 6,419 रही। गौरतलब है कि इस योजना का उद्देश्य जहां देश में फर्जी राशन कार्ड के इस्तेमाल को रोकना है, वहीं किसी भी राज्य के राशन कार्डधारी को देश के किसी भी दूसरे राज्य में कोटे का राशन उपलब्ध कराना है। साथ ही गरीब प्रवासी मजदूरों को खाद्य सुरक्षा मुहैया कराना है।
मोदी सरकार की ONORC योजना बनी संजीवनी
प्रवासी बिहारियों को मिला योजना का लाभ |
राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश | प्रवासी बिहारी |
महाराष्ट्र | 3,073 |
दिल्ली | 2,773 |
हरियाणा | 1,838 |
गुजरात | 1,428 |
दादर व नगर हवेली और दमन व दीव | 1,577 |
33 राज्यों और यूटी में लागू हो चुकी है ONORC
मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना की शुरुआत की थी। इस योजना को अबतक 33 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में लागू किया गया है, जिसके दायरे में एनएफएसए के 81 करोड़ लाभार्थियों का करीब 86.7 प्रतिशत आबादी आ जाती है। 23 जुलाई, 2021 तक देश में करीब 4.98 लाख (92.7 प्रतिशत) राशन की दुकानों में ईपीओएस (ePoS) डिवाइस लग चुके थे।