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चुनाव बाद पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर अब 114 SC/ST प्रोफेसरों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, TMC पर कार्रवाई की मांग

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पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर बुद्धजीवियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। अब इस मामले में अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST) वर्ग के 114 प्रोफेसरों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा है। इस पत्र में टीएमसी पर कार्रवाई की अपील की गई है। इस पत्र के मुताबिक चुनाव के बाद बंगाल में भड़की हिंसा ने 11 हजार से अधिक लोगों को बेघर कर दिया है। इनमें अधिकांश अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग से हैं। पत्र के मुताबिक 40,000 से ज्यादा लोग इस हिंसा से प्रभावित हुए और 1627 बर्बर हमले दर्ज किए गए।

इन प्रोफेसरों ने पत्र में लिखा है कि हिंसा के दौरान 5000 से अधिक घर जला दिए गए, लोगों को मारा गया, औरतों से रेप किया गया और जमीन पर कब्जा कर लिया गया। हिंसा में 26 लोग मारे गए। इसके बाद 2000 से अधिक लोगों ने असम, झारखंड और ओडिशा में शरण ली है। तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने पुलिस के साथ मिलकर अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों पर अत्याचार किया। प्रोफेसरों ने राष्ट्रपति से अपील की है कि वे इस मामले में दखल दें और एससी-एसटी वर्ग के लोगों को पश्चिम बंगाल में सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने में मदद करें। इस तबके के लोगों को अपना जीवन दोबारा शुरू करने के लिए आश्वासन की आवश्यकता है।

प्रोफेसरों ने पत्र में लिखा है कि पीड़ितों को अपने घर दोबारा बनाने, जीवन पटरी पर लाने और अनाथ बच्चों की मदद की भी आवश्यकता है। उनके लिए मेडिकल और अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएं, साथ ही उनकी सुरक्षा की व्यवस्था हो। सेंटर फॉर सोशल डेवलपमेंट यानि सीएसडी के बैनर के तहत यह पत्र लिखा गया है।

आपको बता दें कि इससे पहले भी शिक्षाविदों, महिला वकीलों और रिटायर्ड अधिकारियों ने पत्र लिख कर बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा पर आक्रोश जताते हुए जांच की मांग की थी।

पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद भड़की हिंसा की एसआईटी से जांच की मांग, देश के 600 शिक्षाविदों ने लिखा पत्र

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद टीएमसी के गुंडों ने जो हिंसा की थी, उससे पूरा बंगाल ही नहीं बल्कि पूरा देश शर्मशार हो गया था। ममता बनर्जी की प्रचंड जीत के बाद टीएमसी के गुंडों ने इतना उत्पात मचाया कि हजारों की संख्या में भाजपा समर्थकों और कार्यकर्ताओं को राज्य छोड़कर जाना पड़ा था। इसको लेकर देश के 600 शिक्षाविदों ने पत्र लिखकर न सिर्फ ममता बनर्जी को चेताया है, बल्कि उनसे राजनैतिक विद्रोहियों के खिलाफ हिंसा का माहौल बनाकर संवैधानिक मूल्यों के साथ खिलवाड़ न करने को भी कहा है। पत्र लिखने वालों में प्रोफेसर, वाइस चांसलर, डायरेक्टर, डीन और पूर्व वाइस चांसलर जैसे बड़े शिक्षाविद शामिल हैं। शिक्षाविदों ने अपने पत्र में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एसआईटी से बंगाल हिंसा की जांच कराए जाने की माँग की है। साथ ही उन्होंने स्वतंत्र एजेंसियों से पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जाँच करने के लिए कहा है।

शिक्षाविदों द्वारा लिखा गया पत्र

शिक्षाविदों ने अपने पत्र में ममता बनर्जी सरकार से पश्चिम बंगाल में बदले की सियासत बंद करने की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि TMC से संबंधित आपराधिक किस्म के लोग उसकी विपरीत विचारधारा वाले लोगों पर हमले कर रहे हैं। पत्र में यह भी कहा गया है कि हजारों लोगों की संपत्ति को क्षति पहुंचाने के साथ ही उनके साथ लूट-पाट भी की गई है। पत्र में शिक्षाविदों ने कहा है कि बंगाल में TMC को वोट नहीं करने वाला समाज का एक बड़ा तबका दहशत में जीने को मजबूर है। टीएमसी के लोगों की हिंसा का शिकार लोग असम, झारखंड और ओडिशा में पनाह ले रहे हैं।

पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले शिक्षाविदों ने बंगाल के उन लोगों के लिए चिंता प्रकट की है, जिन्हें स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल करने पर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस का गुस्सा झेलना पड़ा। शिक्षाविदों ने पत्र में कहा कि, “हम समाज के कमजोर वर्गों को लेकर चिंतित हैं, जिन्हें भारत के नागरिक के रूप में अपने अधिकार का प्रयोग करने के कारण सरकार द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है।”

आपको बता दें कि इससे पहले भी बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच की मांग हो चुकी है।

बंगाल हिंसा की SIT से जांच की उठी मांग, 146 रिटायर्ड अधिकारियों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, 2093 महिला वकीलों ने की सीजेआई से मामले में संज्ञान लेने की अपील

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद तृणमूल कांग्रेस के गुंडों का तांडव जारी है। बीजेपी कार्यकर्ताओं पर लगातार हमले हो रहे हैं, जिसकी वजह से हजारों कार्यकर्ता राज्य छोड़कर दूसरे राज्यों में शरण लेने को मजबूर हुए हैं। इसको देखते हुए 146 सेवानिवृत्त अधिकारियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर SIT से जांच की मांग की है। उधर 2093 महिला वकीलों ने भी भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना को पत्र लिखकर मामले में संज्ञान लेने की अपील की है।

सेवानिवृत्त अधिकारियों ने अपने पत्र में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक टीम गठित कर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। साथ ही कहा गया है कि बंगाल चूंकि संवेदनशील सीमा वाला राज्य है इसलिए इस केस में राष्ट्रविरोधी तत्वों से निपटने के लिए इसे NIA को सौंपा जाना चाहिए।

उधर महिला वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश को लिखे अपने पत्र में हिंसा की निंदा करते हुए राज्य की स्थिति के बारे में जानकारी दी है। वकीलों ने स्थानीय पुलिस की स्थानीय गुंडों से मिलीभगत होने के आरोप लगाए। इसमें कहा गया है कि पीड़ितों की एफआईआर तक नहीं दर्ज की गई और राज्य में संवैधानिक ढांचा पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है।

इसके अलावा निष्पक्ष जांच के लिए बंगाल से बाहर पुलिस अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाने की मांग की गई है और केस के जल्द निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन का आग्राह किया गया है। इसमें बंगाल के डीजीपी को हर स्तर पर शिकायतें दर्ज कराने की प्रणाली विकसित करने और विभिन्न चैनलों के जरिए आने वाली शिकायतों का विवरण प्रतिदिन सुप्रीम कोर्ट भेजने का निर्देश देने की मांग भी की गई है।

गौरतलब है कि सेवानिवृत्त अधिकारियों ने अपने पत्र में मीडिया रिपोर्टों का हवाला दिया है। इसमें बंगाल के 23 जिलों में से 16 जिलों के बुरी तरह राजनीतिक हिंसा से प्रभावित होने और 15000 से ज्यादा हिंसा के मामले प्रकाश में आने की बात कही गई है। बताया गया है कि हिंसा में महिलाओं समेत दर्जनों लोग मारे गए हैं। इसके अलावा 4-5 हजार लोग घर-बार छोड़कर असम, झारखंड और ओडिशा में शरण लिए हैं। 

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