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पंजाब में एग्जिट पोल में किसी को नहीं मिल रहा बहुमत, कांग्रेस ने परिणाम से पहले मानी हार, AAP से गठबंधन पर मंथन, पूर्व सीएम भट्ठल के इशारे से गरमाई राजनीति

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पंजाब विधानसभा चुनाव में 53 साल बाद इस बार कोई राजनीतिक पार्टी बहुमत के आंकड़े तक पहुंचती नजर नहीं आ रही। सभी एग्जिट पोल इस ओर इशारा कर रहे हैं कि पंजाब की जनता ने इस बार किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं दिया है। यदि ऐसा होगा तो यह 1969 के बाद दूसरा मौका होगा, जबकि त्रिशंकु विधानसभा बनेगी। पंजाब चुनाव से पहले कांग्रेस और चन्नी जिस केजरीवाल को काला केजरीवाल और नकली सरदार कहकर कोसते रहे, अब नई परिस्थितियों में उसी आम आदमी पार्टी से चुनाव परिणाम के बाद गठबंधन करने पर मंथन कर रहे हैं। इसका खुलासा राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेन्दर कौर भट्टल ने किया है।पंजाब में कांग्रेस हाईकमान की ‘नौटंकी’ से नाराज जनता ने दिया जवाब
इस चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हो सकता है। दरअसल, कांग्रेस की इस हालत के लिए खुद कांग्रेस का हाईकमान ही जिम्मेदार है। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस थिंक टैंक ने जो बेसिर-पैर के प्रयोग किए, उसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ेगा। कांग्रेस हाईकमान ने तो पहले तो नवजोत सिंह सिद्धू और उसके समर्थकों के कहने पर कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया। इसके बाद सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाया तो उसने भी इस्तीफा दे दिया। सिद्धू को जैसे-तैसे मनाकर लाए तो नए-नए आए चरणजीत सिंह चन्नी को राहुल गांधी ने सीएम फेस बनाकर रही-सही कसर भी पूरी कर दी। कांग्रेस की लगातार चल रही इस नौटंकी का जवाब जनता ने चुनाव में दिया है।

एग्जिट पोल :  पंजाब में 53 साल के बाद आएगी त्रिशंकु विधानसभा
पंजाब में हुए विभिन्न एग्जिट पोलों के मुताबिक इस बार पंजाब विधानसभा की 117 सीटों में से आम आदमी पार्टी 38 से 44 सीटें मिल सकती हैं। इससे वह अपने बूते सरकार बनाने के लिए जरूरी 59 से काफी दूर है। अकाली दल-बसपा गठबंधन 30 से 39 सीटों के साथ आप को कड़ी टक्कर दे रहा है, जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को अपनी लड़ाई और राहुल-प्रियंका द्वारा किए गए प्रयोगों का सबसे ज्यादा नुकसान होगा। पिछले विधानसभा चुनाव में 77 सीटें जीतने वाली कांग्रेस को इस बार बमुश्किल 25 सीटें मिलने का अनुमान एग्जिट पोल में लगाया गया है। इसके चलते पंजाब में त्रिशंकु विधानसभा बनने के आसार हैं। इससे पहले 1969 में ऐसा हुआ था, तब 104 सदस्यीय विधानसभा में अकाली दल ने 43 और कांग्रेस ने 38 सीटें जीतीं, जबकि 4 सीटें निर्दलीय व 17 अन्य के खाते में गई थीं।

पंजाब के वोटर किसान आंदोलन चलाने वाले नेताओं को देंगे बड़ा झटका
पंजाब में इस बार मल्टी कॉर्नर फाइट होने की वजह से 30 से ज्यादा सीटों पर विनिंग मार्जिन 3 हजार से कम रह सकता है। इसकी वजह से आखिरी समय में पूरी तस्वीर बदल भी सकती है। एग्जिट पोल के मुताबिक पंजाब के वोटर सबसे बड़ा झटका किसान आंदोलन चलाने वाले नेताओं को देने जा रहे हैं। किसान संगठनों के संयुक्त समाज मोर्चा (SSM) का खाता तक नहीं खुलने जा रहा है। आम आदमी पार्टी को मालवा क्षेत्र में सबसे ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान है। पिछली बार आप को मालवा से 18 सीटें मिली थीं। 23 सीटों वाले दोआबा में अकालियों का प्रदर्शन कुछ कमजोर रह सकता है। हालांकि यहां 8 से 10 सीटों पर उसकी जीत दिख रही है। दोआबा में शिरोमणि अकाली दल को सबसे अधिक उम्मीद BSP के वोट बैंक के सहारे की है। 2017 में शिरोमणि अकाली दल दोआबा में 5 सीटों पर जीता था।

आप से मिलकर सरकार बनाने पर विचार करेंगे : पूर्व मुख्यमंत्री भट्टल
कांग्रेस ने चुनाव परिणाम आने से पहले ही एक तरह से हार मान ली है। पार्टी को लगता है कि 10 मार्च को आने वाले परिणाम में राज्य में उसे स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने जा रहा है। इसे देखते हुए परिणाम के बाद किसी पार्टी के गठबंधन कर सत्ता में वापसी के सपने देखे जाने लगे हैं। हैरानी की बात यह है कि पूरे चुनाव प्रचार अभियान के दौरान जिस केजरीवाल और उनकी पार्टी तो कांग्रेस और उसके नेता कोसते रहे। अब उसी के साथ गठबंधन के ख्वाब संजोए जा रहे हैं। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल ने कहा है कि चुनाव के बाद अगर किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर सरकार बनाने पर विचार कर सकती है। इस बयान के बाद कांग्रेस में राजनीति गरमा गई है।

दिल्ली में आप को समर्थन के बाद कांग्रेस का सूपड़ा साफ
आम आदमी पार्टी से गठबंधन पर मंथन कर रही कांग्रेस यह भूल रही है कि पार्टी आप से समझौता करने की गलती पहले भी कर चुकी है। भट्टल विरोधी खेमे के नेताओं का कहना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में जो गलती एक बार हो गई, उसे दोहराया नहीं जा सकता है। भट्ठल के इस बयान ने कांग्रेस की दुखती रग पर हाथ रख दिया है, क्योंकि 2013 में कांग्रेस पार्टी ने अपना समर्थन देकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनाई थी। यह सरकार तो जल्द ही टूट गई, लेकिन कांग्रेस का दिल्ली में सूपड़ा साफ हो गया था। 2015 और 2020 में दिल्ली में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल पाया, जबकि 2013 में 28 सीटों से शुरू होकर आप 67 और उसके बाद 62 सीटों तक पहुंची। पंजाब के विधानसभा चुनाव में भी आप के निशाने पर कांग्रेस ही रही है।

 

केजरीवाल ने सीएम चन्नी को ‘नकली केजरीवाल’ बताया था

केजरीवाल ने झूठे वादे कर दिल्ली में सरकार बना ली, अब वही केजरीवाल पंजाब के लोगों को भी झांसा देने की कोशिश में है। पंजाब में घूम-घूम कर लोगो से झूठे वादों की झड़ी लगाई जा रही है। पंजाब के सीएम को नकली बताकर केजरीवाल खुद को बड़ा मसीहा साबित करने की कोशश में है। वोटरों को लुभाने के लिए अरविंद केजरीवाल ने सीएम चन्नी को ‘नकली केजरीवाल’ बता दिया है।

केजरीवाल ने कहा है कि ‘वे जो भी वादे पंजाब के लोगों से करते हैं, वही वादे चन्नी लोगों से कर रहे हैं’, केजरिवाल का कहना है कि उन्होंने बिजली को लेकर वादा किया तो पंजाब की चन्नी सरकार भी उसी राह चल पड़ी। लेकिन महज एलान हुआ, पंजाब सरकार के फैसले का लाभ आम लोगों तक नहीं पहुंच रहा है। केजरीवाल ने पंजाब के लोगों से पूछा है कि क्या ‘पंजाब में किसी के भी पास जीरो बिजली बिल आया है’। मोहल्ला क्लिनिक के वादे को लेकर भी केजरीवाल ने पंजाब सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि ‘‘मैंने मोहल्ला क्लिनिक की बात की तो नकली केजरीवाल ने भी ऐलान कर दिया.’

केजरीवाल ने अब तक पूरे नहीं किए दिल्ली के लोगों से किए वादे

अरविंद केजरीवाल की सरकार ने दिल्ली के लोगों से जो झूठे वादे किए , वो आज तक पूरे नहीं हुए। दिल्ली की लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि सरकार महज झूठे वादों और सरकारी खजाने से प्रचार के बदौलत चल रही है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार जो वादे करती है, उसे कभी पूरा नहीं करती। लेकिन झूठ पर पर्दा डालने की तमाम कोशिशों के बाद भी , केजरीवाल सरकार की सच्चाई सामने आ ही जाती है। दिल्ली में केजरीवाल सरकार के बड़े झूठ पर नजर डालिए, साल 2019 और 2020 में आप सरकार ने महज 28 बेरोजगारों को ही नौकरी दी, जबकि इसके लिए कोरोना महामारी से प्रभावित लोगों को नौकरी देने के लिए एक जॉब पोर्टल भी लॉन्च किया गया था और नियुक्तियों को लेकर विभिन्न प्रचार माध्यमों से बड़े बड़े दावे किए गए थे। साफ है कि पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी और केजरीवाल दोनों ही आम जनता को बरगला कर वोटों की खेती करने की कोशिश में है।

वोटों के लिए लगा रहे झूठे वादों की छौंक!

पंजाब की जनता नकली केजरीवाल और झूठे केजरीवाल दोनों की हकीकत जानती है। महज चुनावी फायदे के लिए अरविंद केजरीवाल पंजाब के चुनावों में वादों का छोंक लगा रहे हैं ,  ‘दिल्‍ली फॉर्मूले’ के साथ पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल लोगों पर हवा- हवाई सौगातों की बरसात कर रहे हैं। मुफ्त बिजली-पानी और इलाज का वादा किया जा रहा है। दिल्‍ली के सीएम के पंजाब में हर घर को 300 यूनिट मुफ्त बिजली, 24 घंटे बिजली आपूर्ति और सरकारी अस्पतालों में इलाज और दवाएं मुफ्त मुहैया कराने का वादा कर चुके हैं। लेकिन मुफ्त सेवाओं के वादों की लिस्‍ट अभी खत्म नहीं हुई है, केजरीवाल का नया वादा है, पंजाब में महिलाओं के खाते में हर महीने 1000 रुपए। पंजाब ही नहीं केजरीवाल दूसरे राज्यों में भी अपने झूठे वादों की टोकरी लेकर घूम रहे हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गोवा में भी केजरीवाल ने दिल्‍ली मॉडल से लोगों को लुभाने की कोशिश की है। लेकिन केजरीवाल वादों की छड़ी लगाते वक्त ये बताना भूल जाते हैं कि दिल्ली की तरह खर्च को लेकर वाकी राज्यों के हाथ खुले नहीं है और आम लोगों को ही सरकार के मुफ्त के सौगातों की कीमत चुकानी पड़ेगी। 

केजरीवाल को अलगाववादियों की मदद लेने में भी कोई परहेज नहीं

पंजाब में विधानसभा चुनाव से चार दिन पहले कवि और पूर्व आप नेता कुमार विश्वास ने सनसनीखेज खुलासा किया है। कुमार विश्वास ने दावा किया कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को अलगाववादियों की मदद लेने में भी कोई परहेज नहीं है। एक ऐसा आदमी जिसे एक समय में मैंने ये तक कहा था कि अलगाववादियों का साथ नहीं लीजिए। तो उन्होंने कहा था कि नहीं-नहीं हो जाएगा। पंंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी भी कह चुके हैं कि आप संयोजक का सपना दिल्ली के बाद पंजाब का मुख्यमंत्री बनने का है। उन्होंने सिर्फ चुनाव के लिए ही भगवंत मान को सीएम का चेहरा घोषित किया है।

आप संयोजक अरविंद केजरीवाल अलगाववादियों के समर्थक
आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता कुमार विश्वास ने बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री और अपने पूर्व साथी अरविंद केजरीवाल पर बड़ा सनसनीखेज आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल पंजाब में अलगाववादियों के समर्थक थे। कुमार विश्वास ने कहा कि केजरीवाल ने एक बार उनसे कहा था कि वे या तो पंजाब के मुख्यमंत्री बनेंगे या स्वतंत्र राष्ट्र खालिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बनेंगे।

मैंने अलगाववादियों का साथ देने को मना किया तो वो बोले, कोई बात नहीं
देश के चर्चित कवि कुमार विश्वास ने दावा किया कि केजरीवाल को अलगाववादियों की मदद लेने में भी कोई परहेज नहीं है। पंजाब कोई राज्य नहीं है। पंजाब एक भावना है। पूरी दुनिया में पंजाबियत एक भावना है। ऐसे में एक ऐसा आदमी जिसे एक समय मैंने ये तक कहा था कि अलगाववादियों का साथ नहीं लीजिए। तो उन्होंने कहा था कि नहीं-नहीं हो जाएगा।

 

केजरीवाल का फॉर्मूला : भगवंत मान और फूल्का का लड़वाकर सीएम बनूंगा
उन्होंने दावा किया कि केजरीवाल ने खुद के मुख्यमंत्री बनने का फार्मूला भी बताया था। उस वक्त केजरीवाल ने कहा था कि मैं भगवंत मान और एचएस फूल्का को लड़वा दूंगा और मैं पहुंच जाऊंगा। आज भी वो उसी पथ पर हैं। एक दिन केजरीवाल ने कहा था कि आप चिंता मत करिए मैं एक दिन स्वतंत्र सूबे का मुख्यमंत्री बनूंगा। जब मैंने अलगाववाद की बात कही तो उन्होंने कहा कि तो क्या हो गया, अगर ऐसा होता तो स्वतंत्र देश का प्रधानमंत्री बनूंगा।

चन्नी भी कह चुके, मान की जगह खुद सीएम बनना चाहते हैं केजरी
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी कह चुके हैं कि आप संयोजक का सपना दिल्ली के बाद पंजाब का मुख्यमंत्री बनने का है। उन्होंने सिर्फ चुनाव के लिए ही भगवंत मान को सीएम का चेहरा घोषित किया है। यदि पंजाब में आप की सीटें आ जाती हैं तो वे भगवंत मान को हटाकर सीएम बन सकें। चन्नी ने कहा कि हालांकि केजरीवाल का पंजाब सीएम बनने का सपना कभी पूरा नहीं होगा, क्योंकि पंजाब में आम आदमी पार्टी बुरी तरह हार रही है।

 

 

 

 

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