Home बिहार विशेष विपक्षी एकता के नाम पर भ्रष्टाचार से समझौता कर रहे हैं नीतीश

विपक्षी एकता के नाम पर भ्रष्टाचार से समझौता कर रहे हैं नीतीश

बिहार की राजनीति में नीतीश की नौटंकी के क्या हैं मायने? एक रिपोर्ट

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तेजस्वी के तेवर… लालू की ललकार… और नीतीश की नौटंकी… बिहार में फिलहाल यही सारा कुछ देखने को मिल रहा है। मंगलवार को कैबिनेट मीटिंग के बाद अलग से तेजस्वी-नीतीश की मुलाकात हुई तो लगा कि सुलह हो गई और अब महागठबंधन पर कोई खतरा नहीं है। लेकिन बुधवार की सुबह होते ही जेडीयू का बयान आया कि तेजस्वी से नीतीश का मिलना महज औपचारिकता थी, और पार्टी अपने स्टैंड पर कायम है। लेकिन जेडीयू ने यह जाहिर नहीं किया कि वे तेजस्वी से इस्तीफे की मांग पर कायम हैं या फिर सफाई की मांग पर। बहरहाल जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस के बीच इस मसले पर क्या खिचड़ी पक रही है ये पता नहीं चल पा रहा है। लेकिन इतना साफ है कि तेजस्वी पर कार्रवाई में देरी कर नीतीश महागठबंधन को बचाने और विपक्षी एकता के नाम पर भ्रष्टाचार से समझौता करते दिख रहे हैं।

तेजस्वी मुलाकात से घट गया नीतीश का कद
जेडीयू नेता अपने स्टैंड पर कायम रहने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन तेजस्वी के इस्तीफे के सवाल पर उनकी बोलती बंद हो गई है। यहां तक कि मीडिया से सामना न हो इसलिए मंगलवार को नीतीश ने मीडिया कर्मियों को खुद तक पहुंचने से रोकने का हुक्म भी दे दिया था। बहरहाल तेजस्वी-नीतीश की बड़ी मशक्कत के बाद मुलाकात हो गई, लेकिन सूत्रों की मानें तो पहले तेजस्वी नीतीश से मिलना ही नहीं चाहते थे, फिर काफी मान-मनौव्वल के बाद तेजस्वी नीतीश से मिलने को राजी हुए। जाहिर है सवाल उठ रहे हैं कि क्या नीतीश भ्रष्टाचार के आरोप में घिर चुके एक जूनियर नेता के आगे नतमस्तक नहीं हो गए? क्या तेजस्वी से मुलाकात करने का मान-मनौव्वल कर नीतीश ने अपना कद नहीं घटा लिया?

जीरो टॉलरेंस पर अब नहीं बोल पाएंगे नीतीश कुमार
भ्रष्टाचार पर ‘ZERO TOLERANCE’ का राग अलाप रहे जेडीयू के नेताओं का अंदाज अब बदला -बदला सा है। रमई राम ने पहले ही कह दिया था कि हमने इस्तीफा मांगा ही नहीं था। केसी त्यागी ने भी यही बात दोहराई थी। तो क्या भ्रष्टाचार पर ‘ZERO TOLERANCE’  का दावा दिखावा मात्र है? अगर ऐसा ही है तो इतने दिनों तक बिहार की राजनीति को उलझा कर रखने का मकसद क्या सिर्फ बिहार की सत्ता में अपना वर्चस्व कायम रखने की कवायद मात्र थी?  ऐसे बहुतेरे सवाल हैं, लेकिन इन सबके बीच ये भी साफ हो गया है कि भ्रष्टाचार पर ‘ZERO TOLERANCE’ की दुहाई देने वाले नीतीश कुमार अब इस पर फिर कभी दोबारा नहीं बोल पाएंगे।

समझौतावादी-अवसरवादी का तमगा लिए घूमेंगे नीतीश
होटल के बदले भूखंड मामले में सीबीआई के छापे को लेकर जेडीयू-आरजेडी में ठनी हुई थी। लेकिन नीतीश-तेजस्वी की मुलाकात के साथ ही मामले के खत्म होने की बात कही जा रही है। हालांकि इन दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई इस बारे में बातें बाहर नहीं आ सकी हैं, लेकिन इसे यह दिखाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है कि जदयू, राजद और कांग्रेस का महागठबंधन अटूट है। जाहिर तौर पर दोनों की मुलाकात के बाद महागठबंधन टूटने का खतरा या सरकार के गिरने का खतरा फिलहाल टल गया है। लेकिन इस कवायद के बीच नीतीश पर समझौतावादी-अवसरवादी होने का तमगा जरूर लग गया है।

भ्रष्टाचार की गोद में खेल रहे नीतीश बिहार को ले डूबेंगे
अब जबकि साफ है कि महागठबंधन को कोई खतरा नहीं है और नीतीश कुमार सत्ता के शीर्ष पर विराजमान रहेंगे, तो ये भी जाहिर होना चाहिए कि क्या अब भ्रष्टाचार की बात नहीं होगी। क्योंकि यह तो तय है कि लालू एंड फैमिली भ्रष्टाचार के मामले में बुरी तरह फंसी हुई है। तेजस्वी यादव पर तो एफआईआर भी दर्ज है। तेज प्रताप यादव भी अवैध तरीके से पेट्रोल पंप लेने के मामले में फंसे हुए हैं। दोनों यादव बंधु और बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी भी बेनामी संपत्ति के मामले में बुरी तरह से घिरी हुई हैं। लालू की बेटी और सांसद मीसा भारती से तो कई बार पूछताछ भी हो चुकी है। जाहिर है ये पूरा परिवार भ्रष्टाचार के आकंठ डूबा है, लेकिन नीतीश कुमार का कुर्सी मोह है कि जाने का नाम ही नहीं ले रहा। ऐसे में सवाल यही कि क्या नीतीश फिर एक बार बिहार को ले डूबेंगे?

क्या संकट वाकई में खत्म हो गया या सिर्फ टला है!
कई जानकारों का ऐसा मानना है कि बिहार में सियासी संकट खत्म हो गया है। लेकिन यह भी तय है कि महागठबंधन की गांठें अभी ढीली होनी शुरू हो चुकी हैं। दरअसल विपक्ष की एकता दिखाने की कवायद में नीतीश कुमार, सोनिया गांधी और लालू यादव भले ही कितने ही समझौते कर लें। अवसरवाद के आसरे थोड़े दिनों शासन भी चला लें, लेकिन आरजेडी के कुशासन के खिलाफ रहे और गैर कांग्रेसवाद का झंडा बुलंद करने वाले नीतीश कुमार क्या आगे भी सहज रह पाएंगे? 

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