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इकोनॉमिक सर्वे: बेरोजगारी दर घटी, साल 2018-19 में 5.8 प्रतिशत से गिरकर 2020-21 में 4.2 प्रतिशत पर आई

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, 2023 को संसद में बजट सत्र के दौरान इकोनॉमिक सर्वे पेश किया। आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए उन्होंने बताया कि जहां कोरोना महामारी ने श्रम बाजारों और रोजगार अनुपातों दोनों को प्रभावित किया है। लेकिन केंद्र सरकार के प्रयासों और विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के साथ स्थिति सुधर कर कोरोना के पूर्व के स्तर से आगे आ चुके हैं और बेरोजगारी दर साल 2018-19 में 5.8 प्रतिशत से गिरकर 2020-21 में 4.2 प्रतिशत पर आ चुकी है।

सावधिक श्रम बल सर्वे (पीएलएफएस) में सामान्य स्थिति के अनुसार 2019-20 और 2018-19 की तुलना में ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाओं और पुरूषों दोनों में सुधार आया है। 2018-19 के 55.6 प्रतिशत की तुलना में पुरूषों के लिए श्रम बल सहभागिता दर 2020-21 में 57.5 प्रतिशत पर पहुंच गई है। 2018-19 के 18.6 प्रतिशत की तुलना में महिलाओं के लिए श्रम बल सहभागिता दर 2020-21 में 25.1 प्रतिशत पर पहुंच गई है। 2018-19 के 19.7 प्रतिशत से 2020-21 के 27.7 प्रतिशत की तुलना में ग्रामीण महिला श्रम बल सहभागिता दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

रोजगार के मामले में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 2019-20 के मुकाबले 2020-21 में स्वरोजगार वाले लोगों का हिस्सा बढ़ा। आर्थिक समीक्षा के अनुसार, कार्य के उद्योग पर आधारित, कृषि से जुड़े श्रमिकों का हिस्सा 2019-20 के 45.6 प्रतिशत से मामूली रूप से बढ़कर 2020-21 में 46.5 प्रतिशत पर पहुंच गया, इसी अवधि के दौरान विनिर्माण का हिस्सा 11.2 प्रतिशत की तुलना में मामूली रूप से गिरकर 10.9 प्रतिशत पर आ गया, निर्माण का हिस्सा 11.6 प्रतिशत से बढ़कर 12.1 प्रतिशत हो गया तथा व्यापार, होटल और रेस्तरां का हिस्सा 13.2 से गिरकर 12.2 प्रतिशत हो गया।

रोजगार के हिस्से के लिहाज से खाद्य उत्पाद उद्योग (11.1 प्रतिशत), सबसे बड़ा नियोक्ता रहा जिसके बाद पहने जाने वाले परिधान (7.6 प्रतिशत), मूलभूत धातु (7.3 प्रतिशत) और मोटर वाहन, ट्रेलर तथा सेमी ट्रेलर (6.5 प्रतिशत) का स्थान रहा। राज्यवार तमिलनाडु में फैक्ट्री में कार्यरत व्यक्तियों की सर्वाधिक संख्या (26.6 लाख) रही, जिसके बाद गुजरात (20.7 लाख), महाराष्ट्र (20.4 लाख), उत्तर प्रदेश (11.3 लाख), कर्नाटक (10.8 लाख) के स्थान रहे।

वित्त वर्ष 2022 के दौरान ईपीएफ धारकों की संख्या में वित्त वर्ष 2021 की तुलना में 58.7 प्रतिशत वृद्धि तथा वित्त वर्ष 2019 के महामारी पूर्व वर्ष की तुलना में 55.7 प्रतिशत वृद्धि रही। वित्त वर्ष 2023 में ईपीएफओ के तहत जोड़े गए शुद्ध औसत मासिक ग्राहक अप्रैल-नवम्बर, 2021 के 8.8 लाख की तुलना में अप्रैल-नवम्बर, 2022 में 13.2 लाख तक पहुंच गए।

31 दिसम्बर, 2022 तक, ई-श्रम पोर्टल पर कुल 28.5 करोड़ से अधिक असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का पंजीकरण किया जा चुका है। कुल में से महिला पंजीकरणों की संख्या 52.8 प्रतिशत थी और कुल पंजीकरणों में से 61.7 प्रतिशत 18-40 वर्ष के आयु समूह के थे। राज्य वार कुल पंजीकरणों में से लगभग आधे उत्तर प्रदेश (29.1 प्रतिशत), बिहार (10.0 प्रतिशत) तथा पश्चिम बंगाल (9.0 प्रतिशत) के थे। कृषि क्षेत्र श्रमिकों ने कुल पंजीकरणों में 52.4 प्रतिशत का योगदान दिया जिसके बाद स्थानीय एवं घरेलू श्रमिक (9.8 प्रतिशत) और निर्माण श्रमिक (9.1 प्रतिशत) का स्थान रहा।

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