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मोदी सरकार…आतंक पर वार: आतंकवादियों के स्लीपर सेल PFI के खात्मे के लिए फिर एक्शन में NIA, दिल्ली-राजस्थान और महाराष्ट्र समेत कई ठिकानों पर छापेमारी, पिछले साल बैन लगाकर कसा था शिकंजा

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पीएम नरेन्द्र मोदी सरकार का आतंक और आतंकियों के खिलाफ लगातार जीरो टॉरलेंस की नीति अपना रही है। यही वजह है कि देशभर में ऐसे समाजकंटकों के पर निरंतर प्रहार करने में लगी है। नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने एक बार फिर आतंक के स्लीपर सेल की रही-सही कमर तोड़ने, टेरर फंडिंग को रोकने और आतंकी सोच को नेस्तनाबूत करने के लिए बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। इसके तहत नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी टीमों ने बुधवार को तड़के से ही कई राज्यों में PFI के ठिकानों पर छापेमारी की। टेरर फंडिंग केस में हो रही इस कार्रवाई में इन राज्यों में PFI से जुड़े कई सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। एजेंसी ने पीएफआई के ऊपर यह कार्रवाई देशभर में उसके ठिकानों पर की है। छापेमारी दिल्ली-एनसीआर, महाराष्ट्र, यूपी, राजस्थान और मदुरै आदि कई स्थानों पर चल रही है। पीएफआई को पिछले साल आतंकवाद विरोधी गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम (UAPA) के तहत बैन कर दिया गया था।आतंकियों के हिंसक इरादे, पटना के फुलवारी शरीफ में हुई थी एफआईआर दर्ज
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आज यानी बुधवार (11 अक्टूबर) को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की है। प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के संबंध में एनआईए की छापेमारी दिल्ली के बल्लीमारान इलाके में भी चल रही है। एनआईए सूत्रों के मुताबिक, यह छापेमारी एजेंसी के केस नंबर 31/2022 में की गई है, जो पीएफआई और उसके नेताओं और कैडरों की हिंसक और गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्तता से संबंधित है। सभी आरोपी पटना के फुलवारी शरीफ इलाके में हिंसक और गैरकानूनी गतिविधियों के उद्देश्य से इकट्ठे हुए थे। यह मामला शुरू में 12 जुलाई, 2022 को फुलवारी शरीफ पुलिस स्टेशन में एफआईआर के रूप में दर्ज किया गया था। इसके बाद एजेंसी ने फिर से पिछले साल 22 जुलाई को और केस दर्ज किए।

 

PFI के 19 लोगों के खिलाफ चार्जशीट, इनमें से 12 तो NEC के सदस्य
राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वार प्रतिबंधित संगठन PFI के 12 ठिकानों पर छापेमारी चल रही है। यह सभी ठिकाने उत्तर प्रदेश, दिल्ली-NCR, राजस्थान और महाराष्ट्र में मौजूद हैं। करीब एक महीने पहले NIA ने PFI के 19 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इनमें 19 लोगों में 12 PFI के नेशनल एग्जक्यूटिव काउंसिल (NEC) के सदस्य थे। बुधवार सुबह तड़के से ही शुरू हुई यह छापेमारी अब भी जारी है. PFI से जुड़े संगठनों के ठिकानों पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सहित कई इलाकों में एक साथ यह कार्रवाई की जा रही है। लखनऊ में मदेगंज के बड़ी पकरिया इलाके में एक मोहल्ले के तीन घरों पर बुधवार सुबह NIA की टीम पहुंची।उत्तर प्रदेश से लेकर तमिलनाडु तक कई इलाकों में एनआईए की छापेमारी
NIA की टीम ने पैरा मिलिट्री फोर्स के साथ सुबह-सुबह 5 बजे यहां दस्तक दी। इस छापेमारी में पुरुष पुलिसकर्मियों के साथ महिला पुलिसकर्मियों को भी शामिल किया गया है। बाराबंकी के कुर्सी थाना क्षेत्र के बोरहार गांव में और मोहम्मदपुर खाला क्षेत्र में भी एनआईए ने आज छापेमारी की। इसके अलावा NIA की टीम ने तमिलनाडु में भी मदुरई के कई इलाकों में PFI से जुड़े संगठनों के ठिकानों पर छापेमारी की। बता दें कि PFI को साल 2006 में मनाया गया था. उस समय केरल के नेशनल डेवलमेंट फ्रंट (NDF) और कर्नाटक फ्रंट ऑफ डिग्निटी (KFD) के एक साथ आने से PFI का जन्म हुआ था। PFI के बनने के बाद से ही इसके सदस्य देशभर में कई हत्याओं और हिंसा के मामलों में शामिल रहे हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे और आतंकवादियों से तार जुड़े होने की वजह से केंद्र सरकार ने PFI और उससे जुड़े 8 संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया हुआ है।

PFI के सदस्यों को फैमिली मेंटेनेंस के नाम पर मिलती है 500 करोड़ की मदद
यह बात अब साफ हो चुकी है कि देश में नफरत का माहौल बनाने के लिए एक गहरी साजिश रची जा रही है। उदयपुर व अमरावती हत्याकांड के 3 आरोपियों और बिहार के फुलवारी शरीफ मॉड्यूल में गिरफ्तार लोगों में से ज्यादातर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े हैं। और अब यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या पीएफआई अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठन आईएसआईएस (ISIS) का मॉड्यूल है जहां से उसे फंडिंग मिल रही है। इस बात की जांच नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) कर रही है और इसी सिलसिले में एजेंसी ने पिछले साल 31 जुलाई को देश के 6 राज्यों के 13 जिलों में विभिन्न इलाके में छापेमारी की। छापेमारी के दौरान अनेक आपत्तिजनक दस्तावेज एवं इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद किए गए हैं। दरअसल NIA ने देश के विभिन्न राज्यों में आतंकी गतिविधियों के मामलों में 25 जून 2022 को मामला दर्ज किया गया था, जिसके बाद छापेमारी की जा रही है जिससे आईएसआईएस के मॉड्यूल को क्रैक किया जा सके। एनआईए को मिली जानकारी के अनुसार पीएफआई को हर साल सऊदी अरब, कतर, कुवैत, यूएई और बहरीन से 500 करोड़ रुपए मिलते हैं। इसे फैमिली मेंटेनेंस के नाम पर अलग-अलग खातों में वेस्टर्न यूनियन के जरिए भेजा जाता है। इसके लिए पीएफआई सदस्यों के एक लाख और उनके रिश्तेदार व परिचितों के 2 लाख बैंक खातों का इस्तेमाल किया जाता है। किसी को शक न हो, इसलिए यह रकम हर महीने अलग खातों में आती है।

पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर 5 साल का लगाया प्रतिबंध
देश में पिछले कुछ समय से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसके सहयोगी संगठन देश की एकता और अखंडता के लिए बड़ा खतरा बनते जा रहे थे। देशभर में हिंसा और आतंक की साजिशें रचने वालों में पीएफआई का नाम आ रहा था। कर्नाटक से लेकर राजस्थान तक और दिल्ली से पटना तक कई वारदातों में पीएफआई का कनेक्शन सामने आया था। इसके बाद मोदी सरकार ने इन देश विरोधी संगठनों पर कार्रवाई के लिए सुरक्षा एजेंसियों को खुली छूट दी। देशभर में पीएफआई के ठिकानों पर 22 सितंबर और 27 सितंबर को छापेमारी की गई थी। इस दौरान करीब 350 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जांच एजेंसियों को पीएफआई के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले थे। इसके आधार पर गृह मंत्रालय ने पीएफआई और उसके सहयोगी आठ संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाने का फैसला किया।पिछले साल भी की थी PFI के टेरर फंडिंग के खिलाफ बड़ी कार्रवाई
देश में पिछले कुछ समय से हिंसा और आतंक की साजिशें रचने वालों में पीएफआई का नाम आ रहा है। पिछले साल आतंकवादियों की मदद करने वाले इस संगठन पर करारा प्रहार करने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी और ईडी ने तमिलनाडु, केरल, राजस्थान और उत्तर प्रदेश समेत 12 राज्यों में PFI के ठिकानों पर छापेमारी की थी। छापेमारी में करीब 100 लोगों को गिरफ्तार किया गया। पीएफआई और उससे जुड़े लोगों की ट्रेनिंग गतिविधियों, टेरर फंडिंग के खिलाफ ये अबतक की सबसे बड़ी कार्रवाई थी। इसमें मध्यप्रदेश के इंदौर और उज्जैन में एनआइए ने पीएफआइ के ठिकानों पर मारा छापा गया। लखनऊ समेत पूर्वांचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यूपीएटीएस व एनआईए की छापेमारी में दो संदिग्धों को लखनऊ से हिरासत में लिया गया। बिहार के पूर्णिया में एएनआई ने PFI कार्यालय में तलाशी ली। इस सिलसिले में PFI के राजस्थान हेड आसिफ को केरल से गिरफ्तार कर लिया गया। उदयपुर से 2 और कोटा-बारां से एक-एक संदिग्ध को हिरासत में लिया गया।  इसमें खास बात यह रही कि एनआईए को बच्चों को टेरर ट्रेनिंग देने के इनपुट भी मिले हैं। 
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) क्या है…और क्या हैं इसकी काली करतूतें?
पॉपुलर फ्रट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। ये संगठन दक्षिण भारत में तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बना था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल थे। पीएफआई का दावा है कि इस वक्त देश के 23 राज्यों में यह संगठन सक्रिय है। देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगने के बाद पीएफआई का विस्तार तेजी से हुआ है। कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है। इसकी कई शाखाएं भी हैं। इसमें महिलाओं के लिए- नेशनल वीमेंस फ्रंट और विद्यार्थियों के लिए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे संगठन शामिल हैं। यहां तक कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव के वक्त एक दूसरे पर मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन पाने के लिए पीएफआई की मदद लेने का भी आरोप लगाती हैं।

 

पीएफआई पर गठन के बाद से ही देश और समाज विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप लगते रहे हैं। कर्नाटक का हिजाब विवाद हो या राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की तालिबानी तरीके से हत्या और करौली दंगा, इनका कनेक्शन पीएफआई से जुड़ा है। यहां तक कि पीएम मोदी के खिलाफ पटना के फुलवारी शरीफ में भी आतंकी साजिश रचने में पीएफआई का नाम आया था….

पटना: फुलवारी शरीफ में आतंकी साजिश का खुलासा, पीएम मोदी थे निशाने पर
पटना में जुलाई में आतंकियों के बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ था। आतंकियों ने पटना के फुलवारी शरीफ के अहमद पैलेस की दूसरी मंजिल को ट्रेनिंग सेंटर बनाया था। इसमें बिहार के बाहर के लोग भी आ रहे थे। अतहर ने पुलिस को बताया कि इस मुहिम में 26 लोग शामिल थे। इन सभी के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। सभी पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) से भी जुड़े थे। इनकी निशानदेही पर 3 संदिग्धों को पकड़ा। इनसे पूछताछ में पता चला है कि 12 जुलाई को यहां आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ये हमला करना चाहते थे। इसके लिए उन्हें 15 दिन से ट्रेनिंग दी जा रही थी। गिरफ्तार आतंकी बीजेपी नेता नूपुर शर्मा की तरह इस्लाम के खिलाफ बयानबाजी करने वालों को मारना चाहते थे। उनके नामों की लिस्ट भी तैयार थी।

कर्नाटक:  शुरू किया हिजाब विवाद, सोशल मीडिया पर चलाया नफरत भरा कैंपेन
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने ही अपनी स्टुडेंट विंग की मदद से कर्नाटक के उडुपी में हिजाब विवाद शुरू किया था। इस बारे में सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि जिन छात्राओं ने हिजाब बैन के खिलाफ याचिका दायर की है, वे कट्‌टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के प्रभाव में ऐसा कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘2022 में PFI ने सोशल मीडिया पर एक कैंपेन चलाया, जिसका मकसद था लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करके उपद्रव फैलाना। ऐसा नहीं है कि कुछ बच्चियों ने अचानक से तय किया कि वे हिजाब जरूर पहनेंगी। ये सब सुनियोजित षड्यंत्र के तहत हुआ है। ये बच्चे वही कर रहे थे, जो PFI उनसे करवा रही थी।’ उन्होंने कहा कि हिजाब विवाद सामने आने से पहले कर्नाटक की छात्राएं शैक्षणिक संस्थाओं में ड्रेस कोड का पालन कर रही थीं। अगर राज्य सरकार ने 5 फरवरी को नोटिफिकेशन जारी करके छात्राओं को ऐसे कपड़े पहनने से न रोका होता जो शांति, सौहार्द्र और कानून व्यवस्था को नुकसान होता। राजस्थान: उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल का सिर तन से जुदा कर बनाया वीडियो
राजस्थान के उदयपुर में 28 जून (मंगलवार) की शाम को दो लोगों ने तालिबानी तरीके से गला काटकर दर्जी कन्हैयालाल की हत्या कर दी थी। कन्हैया ने 10 दिन पहले नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट डाला था। 2 हमलावर दिनदहाड़े दुकान में घुसे और धारदार हथियार से कई वार कर कन्हैया का सिर धड़ से जुदा कर दिया। इस मामले की जांच अब नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) कर रही है। आरोपियों ने हत्या का पूरा वीडियो भी बनाया था और इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर हत्या की जिम्मेदारी ली है। वीडियो में उन्होंने PM नरेंद्र मोदी तक को धमकी दे डाली।

केरल: ईशनिंदा के आरोप में प्रोफेसर का हाथ काटा गया, PFI से जुड़े थे आरोपी
केरल में कॉलेज के प्रोफेसर टीजे जोसेफ कट्‌टरपंथियों के निशाने पर आए थे। प्रोफेसर जोसेफ ने परीक्षा के लिए तैयार क्वेश्चन पेपर में ‘मोहम्मद’ नाम लिखा था। करीब एक दशक पहले जोसेफ पर धार्मिक भावनाएं आहत करने और ईशनिंदा का आरोप लगा। कट्‌टरपंथियों ने उनके दाएं हाथ को काटकर बोले- इस हाथ से तुमने पैगंबर का अपमान किया। इसलिए इस हाथ से अब तुम्हें दोबारा कभी नहीं लिखना चाहिए। यह पहली घटना थी जब भारत में PFI का नाम ईशनिंदा के खिलाफ किसी मामले में जुड़ा था।

उदयपुर, अमरावती और मंगलूरु के तीनों ही हत्याकांड में PFI का कनेक्शन
उदयपुर में 28 जून को दो लोगों ने तालिबानी तरीके से गला काटकर दर्जी कन्हैयालाल की हत्या कर दी थी। इन दोनों कालितों के अजमेर और अन्य स्थानों पर कट्टर इस्लामिक संगठनों से संबंध के सुराग मिले हैं। राज्यों की पुलिस और जांच एजेंसियों को पता चला है कि उदयपुर, अमरावती और मंगलूरु में हुए तीनों ही हत्याकांड में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का कनेक्शन है। उदयपुर के कन्हैया के हत्यारों के न सिर्फ पीएफआई से जुड़े होने के प्रमाण हैं, बल्कि इनके पाकिस्तान के इस्लामिक संगठन दावत-ए-इस्लाम से कनेक्शन थे और इन्होंने कराची में ट्रेनिंग लेने के बाद राजस्थान के कई जिलों में स्लीपर सेल भी बनाए थे। एनआईए जांच कर रही है कि अमरावती और मंगलूरु में पीएफआई से जुड़े लोगों के उदयपुर के हत्यारों या इनके साथियों से कैसे संबंध थे।

आतंकियों को फंडिंग, ट्रेनिंग, इंटर-कनेक्शन की भी गहनता से हो जांच
एक महीने के दौरान इन हत्याओं ने कहीं न कहीं देश में क्राइम के एक नए पैटर्न की ओर इशारा किया है। अब मंगलुरु में हुआ यह हत्याकांड, उदयपुर और अमरावती में हुए मर्डर केस जैसा ही है। तीनों मामलों में आरोपी और पीड़ित भले ही अलग-अलग हों, लेकिन हत्या का तरीका, दिन और वजह लगभग एक जैसी ही हैं। इससे फिर साबित हुआ कि ऐसी वारदात को अंजाम देने वाले एक ही पैटर्न पर चल रहे हैं। पुलिस अधिकारियों के अनुसार इनके इन्वेस्टिगेशन में फंडिंग, ट्रेनिंग, इंटर-कनेक्शन आदि की भी गहनता से जांच होनी चाहिए। ताकि इनके मास्टरमाइंड तक पहुंचा जा सके।

अफगानिस्तान और दुनिया के कुछ देशों में दिखा है इस तरह का नया पैटर्न
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इस तरह का पैटर्न भारत से पहले अफगानिस्तान में देखा गया है। इसके अलावा इंग्लैंड में एक मरीन ऑफिसर का सिर भी इसी पैटर्न पर काटा गया था। लंदन में भी एक स्टैबिंग इसी पैटर्न पर हुई थी। बेहद कट्टरपंथी लोग इस तरह की सजा की वकालत करते आए हैं। इन कट्टरवादी सोच वाले लोगों को यह समझाया जाता है कि इर्शनिंदा करने वालों की एक ही सजा- सिर तन से जुदा। यही वजह है कि इस तरह की घटनाएं और कट्टरवादी सोच के बयान सामने आ रही हैं। उदयपुर के मर्डर में तो बकायदा इस सोच का वीडियो तक जारी किया गया।

पुलिस और जांच एजेंसियों को तीनों हत्याकांड में PFI कनेक्शन मिला

  1. तीनों हत्याओं को करने से पहले तीनों को ही अज्ञात लोगों ने धमकी दी थी।
  2. तीनों मामलों में हमला करके मौत के घाट उतारने से पहले रैकी की गई थी।
  3.  तीनों ही हत्याएं करने के लिए आतंकियों ने मंगलवार का दिन चुना।
  4.  तीनों की हत्या नुपूर शर्मा के समर्थन में पोस्ट लिखने की वजह के हुई थी।
  5.  तीनों हत्याकांड में शामिल आरोपी बेहद कट्टर विचारधारा को मानने वाले थे।
  6.  तीनों ही वारदातों में हत्यारों ने निर्ममता के साथ धारदार हथियार का प्रयोग किया।
  7.  तीनों की ही हत्या पूरी तरह सुनियोजित थी और इसमें एक से ज्यादा हत्यारे शामिल थे।
  8.  तीनों ही निर्दोष हिंदुओं का बिजनेस था. एक दर्जी, दूसरा दवा विक्रेता और तीसरा अपनी शॉप चलाता था।
  9.  तीनों ही हत्याकांड में इस्लामिक संगठन PFI का कनेक्शन मिला है और तीनों मामलों की जांच एनआईए कर रही है।
  10.  तीनों की हत्याओं को शाम के वक्त अंजाम दिया गया। कुछ साल पहले जयपुर में बम विस्फोट मंगलवार के दिन शाम को हुए थे।

 

राजस्थान: उदयपुर में तालिबानी मर्डर से शुरू हुआ रिलीजियस हेट क्राइम
राजस्थान के उदयपुर के टेलर कन्हैयालाल की निर्मम हत्या से शुरू हुआ रिलीजियस हेट क्राइम अमरावती होते हुए मंगलूरु तक जा पहुंचा है। हिंदुओं की हत्या के केस की पड़ताल में एनआईए (NIA) को पता चला है कि इनके कई फैक्ट क़ॉमन हैं। जिस तरह कन्हैयालाल ने बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नुपूर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी, वैसा ही दोनों अन्य पीड़ितों ने भी किया था। राष्ट्रीय इंवेस्टिगेशन एजेंसी अब यह जांच रही है कि तीनों हत्याओं का आपस में कोई कनेक्शन तो नही है। अमरावती और मंगलूरु के हत्यारों के तार उदयपुर के गिरोह के साथ तो नहीं जुड़े हुए हैं, क्योंकि तीनों में ही पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का कनेक्शन आ रहा है।

महाराष्ट्र: अमरावती के केमिस्ट उमेश को चाकुओं से गोदकर मौत के घाट उतारा
महाराष्ट्र के अमरावती में दवा व्यापारी उमेश कोल्हे की हत्या उनकी शॉप से कुछ दूर पर हुई थी। रात तकरीबन 10 बजे घात लगाकर बैठे तीन आरोपियों ने उन्हें बीच सड़क पर रोका और फिर चाकू से गले पर वार कर मौत के घात उतार दिया। उमेश ने भी सोशल मीडिया पर BJP की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट लिखी थी। इस मामले की जांच भी NIA कर रही है और फिलहाल अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।कर्नाटक: दुकान के पास भाजयुमो नेता प्रवीण को कुल्हाड़ी से काट डाला
अब 26 जुलाई को मंगलुरु के बेल्लारे में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के शहर अध्यक्ष प्रवीण नेट्टारू (32) की उनकी पोल्ट्री शॉप के बाहर धारदार हथियार से काट कर हत्या हुई थी। वे दुकान बंद कर सिर्फ 50 कदम ही आगे बढ़े थे कि एक बाइक पर सवार तीन लोग वहां पहुंचे और प्रवीण पर हमला बोल दिया। पुलिस के मुताबिक, हमलावरों ने हत्या के लिए कुल्हाड़ी का भी इस्तेमाल किया था। प्रवीण ने 29 जून को टेलर कन्हैया लाल की हत्या के विरोध में सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली थी। इसमें उन्होंने एक स्केच भी शेयर किया था। वहीं, प्रवीण नेट्टारू मर्डर केस NIA को सौंपने की संस्तुति राज्य सरकार की ओर से की जा चुकी है। माना जा रहा है कि जल्द केंद्रीय जांच एजेंसी इस मामले में भी केस दर्ज कर सकती है।

 

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