कोरोना संकट काल में जब देश को एकजुट होकर इस महामारी से लड़ने की जरूरत है। कांग्रेस राजनीति करने से बाज नहीं आ रही है। कोरोना शुरू होने के समय से ही कांग्रेस का नकारात्मक रवैया रहा है। कांग्रेसी राज्यों ने पहले लॉकडाउन का विरोध किया, टीकाकरण पर सवाल उठाए लेकिन जब राज्य में मामले बढ़ने लगे तो उन्होंने अपने राज्यों में लॉकडाउन के साथ टीके भी लगवाए। कोरोना संकट काल के एक साल के दौरान कांग्रेसी राज्यों ने हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर कोई काम नहीं किया। इसके उलट अपनी नाकामी पर से ध्यान हटाने के लिए कांग्रेसी नेताओं ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाने शुरू कर दिए।
कांग्रेसी राज्य किस तरह से काम करते है इसका नमूना आप राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़ से देख सकते हैं। राजस्थान को पिछले साल पीएम केयर्स फंड से करीब डेढ़ हजार वेंटिलेटर मिले। लेकिन अभी तक ये वेंटिलेटर इंस्टॉल तक नहीं हुए हैं, जबकि कई जगह स्टॉफ को सही ट्रेनिंग ना मिलने से वे इसे ठीक से चला नहीं पा रहे हैं जिससे कारण वे वेंटिलेटर को लेकर शिकायत कर रहे हैं। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, गहलोत सरकार का कहना है कि इन 1500 वेंटिलेटरों में से 230 खराब हैं। लेकिन कांग्रेस सरकार की कार्य प्रणाली आप इससे समझ सकते है कि कोरोनो संकट काल में लगातार रोज हो रही मौतों के बाद भी साल भर से ना तो रिपेयरिंग हुई है, ना ही इन्हें बदला गया है।
पंजाब
कोरोना की दूसरी लहर में एक तरह जहां पंजाब में बुनियादी ढांचे की कमी के कारण बड़ी संख्या में लोग मर रहे हैं, वहीं सैकड़ों वेंटिलेटर गोदाम में धूल फांक रहे हैं। केंद्र सरकार ने पिछले साल राज्य के लिए 290 वेंटिलेटर भेजे थे, लेकिन अभी तक इन वेंटिलेटर को डिब्बे से निकाला भी नहीं गया है। पंजाब सरकार ने इन वेंटिलेटर को राज्य के अस्पतालों में भेजे ही नहीं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार राज्य के मेडिकल कॉलेजों और अन्य अस्पतालों से इसकी कोई मांग नहीं की गई, इसलिए ये पड़े हुए हैं। बताया जा रहा है कि अस्पतालों के पास इन वेंटिलेटर को चलाने लायक प्रशिक्षित लोग नहीं हैं। साल भर से कांग्रेस सरकार लोगों को इसे चलाने के लिए प्रशिक्षित भी नहीं कर पाई। ट्रिब्यून की खबर के अनुसार आपको यह जानकर भी ताजज्बु होगा कि पांच साल पहले लुधियाना के सिविल अस्पताल में 10 वेंटिलेटर भेजे गए थे, लेकिन पांच साल तक इसका इस्तेमाल ही नहीं किया गया। कांग्रेस सरकार की इससे बड़ी लापरवाही और क्या हो सकती है।
झारखंड
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार भी भगवान भरोसे चल रही है। कोरोना संकट काल में भी सरकार सक्रिय नहीं दिख रही है। राज्य के सात जिलों में 60 वेंटिलेटर धूल फांक रहे हैं। कहीं यह अब तक डिब्बों में बंद है तो कहीं कपड़े से ढंककर छोड़ दिया गया है। प्रधानमंत्री केयर फंड से मिले वेंटिलेटर जिन अस्पतालों को दिया गया उसने इसका उपयोग करने की जहमत ही नहीं उठाई। अगर इन वेंटिलेटर का इस्तेमाल किया गया होता तो सैकड़ों लोगों की जान बचाई जा सकती थी।
दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार सिमडेगा के 10 वेंटिलेटर में से 5 को रांची भेज दिया गया, जबकि 5 टेक्निशियन नहीं होने के कारण बेकार पड़े हैं। गुमला में भी 21 वेंटिलेटर टेक्निशियन नहीं होने के कारण उपयोग में नहीं हैं। रामगढ़ में भी डॉक्टर-टेक्निशियन की कमी के कारण 12 वेंटिलेटर इन्स्टॉल ही नहीं किए गए हैं। चतरा को मिले 11 वेंटिलेटर में से 5 को रांची भेज दिया गया। बाकी 6 को कोविड वार्ड में इन्स्टॉल किया गया, पर संचालित करने के लिए टेक्निशियन नहीं हैं।
छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में भी पीएम केयर्स फंड से मिले वेंटिलेटर का यही हाल है। केंद्र सरकार की ओर से मिले वेंटीलेटर का इस्तेमाल ही नहीं किया गया। छत्तीसगढ़ के कई जिलों में कोरोना महामारी से हालत काफी खराब है, लेकिन वेंटिलेटर का उपयोग नहीं किया गया है। लोग वेंटिलेटर की कमी के कारण परेशान हैं लेकिन राज्य सरकार राजनीति में व्यस्त है।