Home इतिहास के झरोखे में नरेन्द्र मोदी ‘मन की बात: ए सोशल रिवोल्यूशन’ पर NDTV ने फैलाई FAKE खबर!

‘मन की बात: ए सोशल रिवोल्यूशन’ पर NDTV ने फैलाई FAKE खबर!

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फेक न्यूज को लेकर देश में चर्चा गरम है। झूठे और मनगढ़ंत खबरें फैलाने में जहां बेहद कम पहुंच वाले अखबार और वेबसाइट्स शामिल हैं, वहीं इसमें नामचीन अखबार और वेबसाइट्स की भी मिलीभगत है। बीते दिनों इंडियन एक्सप्रेस, एशियन एज जैसे अखबारों के एक के बाद एक चार ‘फेक’ खबरें फैलाई थी। जब उन खबरों की सच्चाई सामने आई तो उन संस्थाओं के पास कोई जवाब नहीं था।

इस खुलासे के दो दिन भी नहीं बीते कि एनडीटीवी ने एक और ‘फेक’ खबर फैला दी। इस बार हर महीने आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले ‘मन की बात’ की कड़ियों को संकलित कर लिखी गई किताब को लेकर झूठी खबरें फैलाई गई है। 

‘मन की बात’ किताब पर फैलाया झूठ
दरअसल वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे अरुण शौरी के एक झूठ को एनडीटीवी ने इतना तवज्जो दे दिया कि उसे प्रधानमंत्री पद की प्रतिष्ठा तक का ख्याल नहीं रहा। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक अरुण शौरी ने राजेश जैन ने कहा, ”मैं ‘मन की बात’ पर लिखी गई किताब ‘मन की बात: ए सोशल रिवोल्यूशन’ का लेखक नहीं था और किताब पर लेखक के रूप में अपना नाम देखकर चकित था।” जाहिर है इसमें कुछ ऐसा नहीं था जो खबर बन सके, लेकिन एनडीटीवी ने इल मसले को बिना समझे ही एक फर्जी खबर बना दी और उसे फैला भी दिया। 

एनडीटीवी ने फैलाई फर्जी खबर
एनडीटीवी ने अपने खुलासे में 25 मई, 2017 को पीआईबी की एक प्रेस रिलीज को आधार बनाते हुए कहा कि राजेश जैन पुस्तक के लेखक हैं। दरअसल एक लिपिकीय त्रुटि के आधार पर इतने बड़े मीडिया हाउस ने गलत रिपोर्टिंग की, ताकि ‘फेक’ न्यूज और ‘मीडिया एथिक्स’ पर चल रही चर्चा को खत्म किया जा सके।

दरअसल पूरा वाकया कुछ यूं है कि 25 मई, 2017 को पीआईबी की ओर से एक प्रेस रिलीज जारी की गई थी। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात पर लिखी गई किताब ‘मन की बात: अ सोशल रेवोल्यूशन’ थी, जिसका लेखक राजेश जैन को बताया गया था।  गौरतलब है कि जैन प्रधानमंत्री मोदी के सहायक रह चुके हैं।

एनडीटीवी को दिए अपने इंटरव्यू में वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे अरुण शौरी ने कहा, ”सबकुछ सामान्य था, सिर्फ एक जानकारी के, राजेश जैन का ‘मन की बात’ पर लिखी गई किताब से कोई लेना देना नहीं है।”

एनडीटीवी के इस दावे की पोल खुल तब गई जब राष्ट्रपति भवन में आयोजित उस दिन के कार्यक्रम के वीडियो से जाहिर हो गई जो उस दिन रिकॉर्ड की गई थी। राजेश जैन स्वयं कह रहे हैं कि उन्होंने यह किताब नहीं लिखी है, बल्कि इसे ब्लूक्राफ्ट टीम द्वारा संकलित की गई है। राजेश जैन उस दिन ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के निदेशक के तौर पर बात कर रहे थे।

जब यह पता लगाया गया कि आखिर ऐसी गलतफहमी कैसे हुई, तो 24 मई 2017 की The Hindu की प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया कि राजेश जैन इस पुस्तक के लेखक हैं। हालांकि 5 घंटे बाद ही इस भूल को The Hindu ने सुधार लिया और उसके लिए खेद भी प्रकट किया था। आप उस अखबार का स्क्रीन शॉट देख सकते हैं।

इस बात की अन्य स्त्रोतों से भी पुष्टि की गई। अमेजन वेबसाइट पर किताब ऑनलाइन बिक रही है और यहां भी लेखक के रूप में राजेश जैन का जिक्र नहीं है और इसे ब्लू क्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन द्वारा संकलित बताया गया है।

भ्रम फैलाने का चल रहा धंधा
जाहिर है किसी भी स्तर पर कहीं कोई भ्रम नहीं है, लेकिन एनडीटीवी ने एक झूठी खबर को रचने की कोशिश की जिसमें वह नाकाम रहा है।  जनसत्ता, इंडियन एक्सप्रेस, एशियन एज जैसे अखबार और वेबसाइट्स भी इस पूरे नेक्सस में शामिल हैं इस बात का खुलासा पहले हो चुका है। 

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