तथाकथित बुद्धिजीवियों का दम अब धर्मनिरपेक्षता के मुखौटे में घुटने लगा है। यही वजह है कि वे मोदी राज में अपना मुखौटा उतार कर अपना असली चेहरा दिखा रहे हैं। उनमें हिन्दुओं और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कितना जहर भरा हुआ है, इसका अंदाजा उनके बयान और उनके लिखे शब्दों से लगाया जा सकता है। ऐसे तथाकथित बुद्धिजीवियों में उर्दू के मशहूर और विवादित शायर मुनव्वर राणा भी शामिल है। उन्होंने फिर से एक विवादित ट्वीट किया है। मुनव्वर राणा ने भाजपा नेता संबित पात्रा को सम्बोधित करते हुए भारत में रहने वाले लोगों को लेकर लिखा है कि भारत में 35 करोड़ इंसान और 100 करोड़ जानवर रहते हैं। इसके साथ ही लिखा है, “मैं झूठ के दरबार में सच बोल रहा हूँ, हैरत है कि सर मेरा क़लम क्यूँ नहीं होता।”
मैं झूट के दरबार में सच बोल रहा हूं,
हैरत है कि सर मेरा क़लम क्यूं नहीं होता।
~@MunawwarRana— Munawwar Rana (@MunawwarRana) May 13, 2020
सोशल मीडिया पर लोगों ने लगाई लताड़
मुनव्वर राणा के इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें खूब ट्रोल किया। कई ट्विटर यूजर्स ने लिखा कि शायर साहब का धंधा बंद हो गया तो आजकल एजेंडा चलाने वाले गैंग में शामिल हो गए हैं।
जितनी ज़हालत पेलने की आजादी हिन्दुस्तान में मिली है,
यदि इतनी जहालत किसी शरियत कानून वाले मुल्क में करते तो तेरी सर कलम वाली ख्वाहिश भी पूरी हो जाती!!
शुक्र मना तू दुनिया की सबसे सहिष्णु हिंदुओं के बीच रह रहा है, जिन्होने कुत्तों को भी भौंकने की आजादी दे रखी है!!
— Arvind Kumar (@ArvindMishraIND) May 13, 2020
शायर साहब का धंधा बंद हो गया तो आजकल पैड एजेंटा चलाने वाली गैंग को जॉइन कर लिया है, क्या करे पापी पेट का जो सबाल है
— कुंवर अजयप्रताप सिंह (@iSengarAjayy) May 13, 2020
आपने तो आंखे खोल दी आज,100 करोड़ वालों इतनी गालियां ठीक हैं याऔर भी खानी हैं इन जैसों से
तुम कितना भी सम्मान दो लेकिन ये केवल 35 करोड़ की ही बात करेंगे 100करोड़ की नहीं,
अब जब तुम सीधे 35 और 100करोड़ में बंटवारा कर रहे हो तो आगे ज्ञान देने मत आना धर्मनिरपेक्ष और साम्प्रदायिक में— अभिषेक सिंह भदौरिया?? (@Abhi_Bhadawar) May 13, 2020
लेकिन तुम्हारे इस ट्वीट ने सबित कर दिया,
2014 तक #अवॉर्ड बाटने वाले कौन तो थे, किसको और किस लिए दिया जाता था।
जब 135 करोड़ में जानवर और इंसान खोज सकते हो,तो आतंक करने वाले का भी धर्म खोजकर बताना।
— ?️im (@Advice03431142) May 13, 2020
ट्विटर पर आने का सबसे बड़ा फायदा यही है कि पता चला जाता है आप जैसे लोगों में असलियत में कितना ज़हर है।
— Sailor (@sailorsmoon) May 13, 2020
याद रखा जाएगा
बाप बोले: भारत मे 35 कऱोड इंसान, 100 कऱोड जानवर
बेटी बोले: हम पहले मुसलमान हैं बाद में कुछ और ।
जब शिक्षा का केंद्र मदरसा और दिमाग मे मौलवी का ज्ञान भरा हो तो जहर इसी तरह निकलता है #मुनव्वर_राणा#जय_श्री_राम ?? pic.twitter.com/V8M023pB2P— Gokul Ojha? (@gocool4u) May 14, 2020
पड़ी लताड़ तो दी सफाई
जब ट्विटर पर लोगों ने मुनव्वर राणा की लताड़ लगायी, तो उन्हें अपनी गलती और लोगों के आक्रोश का अहसास हुआ। इसके बाद राणा ने एक ट्वीट कर सफाई दी, जिसमें उन्होंने ट्वीट को तोड़ मरोड़ कर हव्वा बनाने का आरोप लगाया।
जिस तरह से हमारे ट्वीट को तोड़ मरोड़ कर हव्वा बनाया जा रहा है वो सरासर ग़लत है।
यहां 35 करोड़ वो लोग हैं जो ख़ुशहाल हैं, और 100 करोड़ लोगों से मुराद वो भारतवासी हैं, जो खाने-पीने और ओढ़ने-बिछाने जैसे हर बुनियादी हुक़ूक़ से महरूम हैं। https://t.co/ok0q8CMLKX— Munawwar Rana (@MunawwarRana) May 13, 2020
अपने आकाओं की खोली पोल
मुनव्वर राणा ने इस ट्वीट से अपने गैंग के आकाओं की पोल खोल दी है, जिन्होंने करीब 60 साल तक गरीबी हटाने के नाम पर देश पर राज किया। जब देश में 100 करोड़ लोग बीपीएल है, जो हर बुनियादी हुक़ूक़ से महरूम हैं। तो मुनव्वर राणा जैसे तथाकथित बुद्धिजीवियों को गांधी परिवार को पत्र लिखकर सवाल पूछना चाहिए कि 100 करोड़ बीपीएल के लिए कौन जिम्मेदार है ? मुनव्वर राणा जैसे लोगों को आज गरीबी दिखाई दे रही है। जब अपने आकाओं से पुरस्कार ले रहे थे, क्या उस समय गरीबी और गरीब नहीं थे ? पुरस्कार पाने की लालसा ने ऐसे शायरों और बुद्धिजीवियों की आंखों पर पर्दा डाल दिया था। आज मोदी सरकार को श्रेय दिया जाना चाहिए, जिसने इनकी आंखों से पर्दा हटाकर कांग्रेस शासन की नाकामियों को देखने पर मजबूर कर दिया है। कांग्रेस की नाकामियों के कारण ही देश की जनता ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाकर उनके हाथों में देश की बागडोर सौंपी है।
जहरबयानी में जुटे मुनव्वर राणा
इससे पहले भी मुनव्वर राणा कई बार अपनी हरकतों और ट्वीट को लेकर सुर्खियों में आ चुके हैं। जब तबलीगी जमात के कारण कोरोना के मामलों में अचानक भारी तेजी आ गई, तो मुनव्वर राणा जैसे लोग खामोश रहे। कोरोना से लड़ने के लिए इनकी तरफ से ऐसी कोई पहल नहीं, जो यह विश्वास दिलाए कि देश से कोरोना को समाप्त करने को लेकर ये गंभीर हों। यहां तक कि इस स्थिति में भी ये मजहब के पहलुओं को ढूंढ़ने में लगे रहे।
जो भी ये सुनता है हैरान हुआ जाता है,
अब कोरोना भी मुसलमान हुआ जाता है।Jo bhi ye suntaa hai hairaan huaa jaata hai,
Ab corona bhi Musalman hua jaata hai.— Munawwar Rana (@MunawwarRana) April 1, 2020
असहिष्णुता के नाम पर लौटाया साहित्य अकादमी पुरस्कार
साहित्यकारों की एक छोटी जमात ने देश में ऐसा समां बांधा मानो पूरे देश में असहिष्णुता का माहौल है। इन्होंने साहित्यकार कलबुर्गी की हत्या और दादरी में अखलाक के मारे जाने को असहिष्णुता के माहौल का प्रतीक बताया। कलबुर्गी की हत्या के बहाने हंगामा खड़ा किया गया कि देश में वैचारिक आजादी खतरे में है। ये साहित्यकार असहिष्णुता का राग छेड़ते हुए साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने लगे। इनमें मुनव्वर राणा भी शामिल थे।