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मुलायम सिंह यादव का समाजवाद बन गया परिवारवाद, अखिलेश यादव बन गए ब्रांड एंबेसडर

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आजादी के बाद नेहरू-गांधी परिवार से शुरू हुआ परिवारवाद आज लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है। कोरोना वायरस की तरह इसने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया है। इससे देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश काफी संक्रमित है। जहां मुलायम सिंह यादव ने एक समाजवादी के तौर पर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। उन्होंने दावा किया था कि वे डॉ. लोहिया के उच्चे आदर्शों पर चलकर जनता की सेवा करेंगे। लेकिन वे अपने परिवार की सेवा में लग गए और परिवारवाद को ही अपना आदर्श बना लिया।

यूपी का सबसे बड़ा सियासी परिवार

मुलायम सिंह यादव का परिवार आज उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा सियासी परिवार है, जिसमें 60 लोगों के पास छोटे-बड़े राजनीतिक पद हैं। इनमें से 20 लोग तो जिला पंचायत अध्यक्ष, विधायक और सांसद है। मुलायम सिंह यादव ने समय-समय पर अपने परिवारवालों की लगातार एंट्री विभिन्न राजनैतिक पदों जैसा कि ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष, विधायक, सांसद, और यहां तक कि मुख्यमंत्री पद पर भी करवाई। इसे परिवारवाद की समाजवाद पर एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा सकता है। इससे पता ही नहीं चलता कि देश में लोकतंत्र है या राजतंत्र।

लोकतंत्र के लिए अभिशाप बना परिवारवाद 

परिवारवादी पार्टियों के शासन में जहां प्रतिभा और युवाओं के साथ अन्याय होता है, वहीं थोपे गए अकुशल लोग समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं और जनता की जगह अपने परिवार का विकास करते हैं। जिस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं, उसी तरह राजनीति के परिवारवादी वायरस से भी लड़ते आ रहे हैं। इसी का नतीजा है कि इस वायरस के संक्रमण से प्रधानमंत्री मोदी और उनका परिवार बचा हुआ है। दुनिया की चकाचौंध से दूर सादगी से जी रहा प्रधानमंत्री मोदी का परिवार उम्मीदों और आशाओं से भरे भारतीय लोकतंत्र के लिए एक मिसाल है।

मुलायम सिंह यादव का सियासी कुनबा

1 – मुलायम सिंह यादव – सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री

2 – अखिलेश यादव – सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री

3 – डिम्पल यादव – कनौज से दो बार सांसद

4 – रामगोपाल यादव – राज्यसभा सांसद

5 – अक्षय यादव – पूर्व सांसद

6 – धर्मेंद्र यादव – पूर्व सांसद

7 – तेजप्रताप यादव – पूर्व सांसद

8 – शिवपाल सिंह यादव- विधायक और पूर्व मंत्री

9 – अरबिंद यादव – एमएलसी

10 – अंशुल यादव – जिला पंचायत अध्यक्ष, इटावा

11 – मृदुला यादव – ब्लॉक प्रमुख, सैफई  

12 -प्रेमलता यादव – जिला पंचायत सदस्य

13 – आदित्य यादव – इटावा जिला सहकारी बैंक का अध्यक्ष

14- डॉ. अनुभा यादव – इटावा जिला सहकारी बैंक की निदेशक

15- अनुराग यादव – राष्ट्रीय सचिव समाजवादी युवजन सभा

परिवारवादियों का अगुवा बने अखिलेश

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव में परिवारवादी पार्टियों और नेताओं का अगुवा बन गए हैं। समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के बीच गठबंधन परिवारवाद को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। जिस तरह अखिलेश यादव अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। उसी तरह जयंत चौधरी अपने दादा और पिता की विरासत को बचाये रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। दोनों एक-दूसरे के अस्तित्व को बचाने के लिए मिलकर काम कर रहे है। अखिलेश यादव ने परिवारवाद की मजबूती के लिए अपने चाचा शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया। इसके अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेताओं को अपने साथ जोड़ा, जिन्होंने अपने बेटे को विधायक बनाने के लिए बीजेपी का साथ छोड़ दिया।

जानिए किस तरह बढ़ा मुलायम का सियासी कुनबा

अब आपको विस्तार से बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव ने किस तरह अपने सियासी कुनबे को आगे बढ़ाना शुरू किया। मुलायम सिंह यादव के बाबा का नाम मेवाराम था। मेवाराम के दो बेटे थे। सुघर सिंह और बच्चीलाल सिंह। सुघर सिंह के पांच बेटे हुए। इनमें मुलायम सिंह यादव, रतन सिंह, राजपाल सिंह यादव, अभय राम सिंह और शिवपाल सिंह यादव। भाइयों में मुलायम सिंह तीसरे नंबर और शिवपाल सिंह सबसे छोटे हैं। मुलायम सिंह यादव ने दो शादी की है। मुलायम सिंह यादव की पहली पत्नी मालती देवी के बेटे अखिलेश यादव हैं। अखिलेश यादव ने डिंपल यादव से शादी की है। मुलायम की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता है। प्रतीक यादव मुलायम की दूसरी पत्नी साधना सिंह के बेटे हैं। प्रतीक बिजनसमैन हैं। अपर्णा यादव की शादी प्रतीक यादव से हुई है। इस तरह अपर्णा मुलायम सिंह यादव की दूसरी बहू हैं। मुलायम के भाई, बेटे, भतीजे के अलावा अब इस कुनबे की तीसरी पीढ़ी भी राजनीति के मैदान में है। 

आइए जानते हैं मुलायम सिंह यादव और उनके भाइयों का परिवार किस तरह उत्तर प्रदेश की सियासत में दखल रखता है… 

अभय राम यादव : मुलायम के पांच भाइयों में अभयराम सबसे बड़े हैं। धर्मेंद्र यादव उनके बेटे हैं। धर्मेंद्र तीन बार सांसद रह चुके हैं। सबसे पहले 2004 में मैनपुरी से लोकसभा सदस्य चुने गए थे। इसके बाद 2009 और फिर 2014 में बदायूं से जीत हासिल की। 2019 लोकसभा चुनाव में वह हार गए।

रतन सिंह यादव : मुलायम सिंह के पांच भाइयों में रतन सिंह दूसरे नंबर पर हैं। मैनपुरी के पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव रतन सिंह के पौत्र हैं। तेज प्रताप के पिता रणवीर सिंह हैं। तेज प्रताप ने इंग्लैंड की लीड्स यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट साइंस में एमएससी की है। तेज प्रताप की शादी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी से हुई है। मतलब तेज प्रताप लालू के दामाद भी हैं।

मुलायम सिंह यादव : लोहिया आंदोलन में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने वाले मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को हुआ था। पांच भाइयों में मुलायम तीसरे नंबर पर हैं। उन्होंने चार अक्टूबर 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की। मुलायम सिंह यादव तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री और भारत के रक्षा मंत्री रह चुके हैं। वर्तमान में आजमगढ़ संसदीय सीट से सांसद हैं। मुलायम सिंह के दो बेटे हैं- अखिलेश यादव और प्रतीक यादव।

अखिलेश यादव : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मुलायम सिंह यादव के बड़े बेटे हैं और समाजवादी पार्टी का चेहरा हैं। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के साथ-साथ वर्तमान में आजमगढ़ से सांसद हैं। आजमगढ़ में भी अखिलेश के पिता मुलायम सिंह का ही वर्चस्व रहा करता था। उन्होंने विरासत में यह सीट अपने बेटे को दी।

प्रतीक यादव : प्रतीक यादव राजनीति से दूर रहते हैं। वह जिम संचालित करते हैं। उनकी पत्नी अपर्णा यादव जरूर राजनीति में कदम रख चुकी हैं। अपर्णा ने 2017 में सपा के टिकट पर लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ी थीं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है।

राजपाल सिंह यादव : मुलायम के पांच भाइयों में चौथे नंबर पर राजपाल सिंह यादव का नाम आता है। राजपाल मुलायम से छोटे हैं। राजपाल के बेटे अंशुल भी सक्रिय राजनीति में हैं। अंशुल लगातार दूसरी बार निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए हैं। राजपाल की पत्नी प्रेमलता यादव भी राजनीति में हैं। 2005 में प्रेमलता ने राजनीति में कदम रखा था। प्रेमलता ही मुलायम सिंह यादव परिवार की पहली महिला हैं, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा था। इसके बाद शिवपाल सिंह यादव की पत्नी सरला यादव, अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव और प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव ने राजनीति में कदम रखा।

शिवपाल सिंह यादव : मुलायम के सबसे छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव हैं। कहा जाता है कि राजनीति में मुलायम सिंह यादव की अगर किसी ने सबसे ज्यादा मदद की है तो वह शिवपाल सिंह यादव ने की हैं। सार्वजनिक मंच से खुद मुलायम इस बात का जिक्र कर चुके हैं। मुलायम ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनके छोटे भाई शिवपाल ने उनके लिए पोस्टर तक चिपकाया हैं। 2017 विधानसभा चुनाव से पहले जब मुलायम के बड़े बेटे अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव के बीच अनबन हुई तो शिवपाल ने अलग पार्टी बना ली। शिवपाल जसवंतनगर सीट से विधायक भी हैं। उनके बेटे आदित्य यादव भी सक्रिय राजनीति में हैं। वह उत्तर प्रदेश प्रादेशिक कोऑपरेटिव फेडरेशन (यूपीपीसीएफ) के अध्यक्ष हैं। इस बार वह भी विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा सकते हैं।

प्रो. रामगोपाल यादव : मुलायम सिंह यादव के चाचा बच्चीलाल सिंह के बेटे प्रो. रामगोपाल यादव हैं। बच्चीलाल के दो बच्चे हैं। बेटा प्रो. रामगोपाल और बेटी गीता यादव। प्रो. रामगोपाल भी राजनीति में सक्रिय हैं। 2004 में उन्होंने मुलायम सिंह यादव के लिए मैनपुरी सीट छोड़ दी थी। मौजूदा समय में वह राज्यसभा के सांसद हैं। प्रो. रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं। वह 2014 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर फिरोजाबाद से सांसद चुने गए थे। 2019 लोकसभा चुनाव में हार गए।

 

 

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