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नई मोदी सरकार सुपरपावर पर सवार, मंत्रालयों के बंटवारे में ‘मोदी मिशन’ की छाप, देश और इकोनॉमी को और मिलेगी मजबूती, विपक्षियों की धारणाएं निर्मूल साबित

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देश में लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनी। मोदी 3.0 की सरकार में मंत्रियों के विभागों का बंटवारे के बाद साफ हो गया है कि सरकार नई है, लेकिन पावर वही है। गृह, रक्षा, वित्त, विदेश, स्वास्थ्य, कृषि और सड़क परिवहन जैसे पावरफुल विभाग भाजपा के पास ही हैं। विभागों के बंटवारे में मोदी मिशन की छाप स्पष्ट है। इससे न सिर्फ विपक्षियों की गठबंधन सरकार के चलते बनाए सारे नैरेटिव और धारणाएं निर्मूल साबित हुए हैं, बल्कि यह देश और इकोनॉमी को तेज रफ्तार और मजबूती देने के प्रधानमंत्री के इरादों को और बल भी देगा। बीते एक दशक में पीएम मोदी की बेहतर नीतियों के चलते ही देश की अर्थव्यवस्था 11वें से 5वें स्थान पर आई है। अब जापान और जर्मनी को पछाड़कर देश की इकोनॉमी को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य है। इससे देश को आर्थिक मजबूती के साथ-साथ रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

मोदी के तीसरे टर्म में भी सबसे पावरफुल टॉप-4 मंत्रालय भाजपा के ही पास
कांग्रेस और इंडी गठबंधन वालों ने बहुत हवा बनाई थी कि गठबंधन के चलते मोदी सरकार दबाव में आएगी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस मिट्टी के बने हैं, उन पर हर दबाव भी दबाव में आ जाता है। एनडीए की गठबंधन सरकार में भी सबसे ताकतवर 4 मंत्रालयों समेत कई में कोई बदलाव नहीं हुआ है। गृह, वित्त, रक्षा और विदेश मंत्रालय के मुखिया वही हैं, जो मोदी 2.0 में थे। प्रधानमंत्री मोदी समेत ये चारों कैबिनेट की सुरक्षा समिति के हिस्से होते हैं, जो सरकार के सभी बड़े फैसले करती है। इनके अलावा सरकार में अहम माना जाने वाला कृषि मंत्रालय इस बाद मध्य प्रदेश से सांसद बने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दिया गया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है।

मोदी की पहली फाइल किसान और पहला फैसला गरीब कल्याण से जुड़ा
मोदी 3.O की मंत्रिपरिषद में जहां तक गठबंधन साथियों की बात है तो टीडीपी के राम मोहन नायडू को एविएशन, हम के जीतन राम मांझी को एमएसएमई, जदयू के ललन सिंह को पंचायती राज, जेडीएस के कुमारस्वामी को भारी उद्योग-स्टील, लोजपा के चिराग पासवान को खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय मिला है। इसके अलावा शिवसेना के प्रतावराव को आयुष और रालोद के जयंत कौशल विकास मंत्री बने हैं। लेकिन राष्ट्र की सुरक्षा, इकोनॉमी की रफ्तार और देश की आर्थिक मजबूती देने वाले पावरफुल विभाग भाजपा के ही पाले में है। प्रधानमंत्री ने इस बार पदभार संभालने के बाद जिस पहली फाइल पर साइन किए, वह पीएम किसान सम्मान निधि की 17वीं किस्त से जुड़ी है और उनकी कैबिनेट ने जो पहला फैसला लिया, वह गरीबों के लिए 3 करोड़ पक्के नए आवास बनाने का है। इससे साफ है कि पीएम मोदी की जन कल्याण और सबका साथ, सबका विकास की नीतियों पूरे जोर-शोर से इस कार्यकाल में भी जारी रहने वाली हैं।

आइए, जानते हैं कि टॉप फाइव को पावरफुल डिपार्टमेंट क्यों माना जाता है। पीएम मोदी ने किन बड़े चेहरों को यह जिम्मेदारी क्यों दी है…

गृह मंत्रालय: प्रधानमंत्री के बाद सबसे ताकतवर माना जाता है गृह विभाग
प्रधानमंत्री के बाद सबसे ताकतवर गृह विभाग माना जाता है, जो पिछली बार की तरह इस बार भी अमित शाह के पास ही है। जब देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति नियुक्त किए जाते हैं तो इसकी अधिसूचना जारी करने का काम गृह मंत्रालय करता है। प्रधानमंत्री के अलावा कैबिनेट मंत्री और राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति और इस्तीफे की अधिसूचना भी गृह विभाग जारी करता है। अगर देश के प्रधानमंत्री किसी भी वजह से अपने ऑफिस में मौजूद नहीं हैं तो कैबिनेट की सुरक्षा समिति (CCS) के सदस्य यानी गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री कैबिनेट के सबसे ताकतवर मंत्री माने जाते हैं। प्रधानमंत्री अगर लंबे समय के लिए अनुपस्थित हों या विदेश चले जाएं तो गृह मंत्री इन बाकी मंत्रियों की सहमति से कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं। देश की सुरक्षा और आतंकवाद, नक्सलवाद रोकना गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख सीमाई इलाके हैं। आतंकवादी घटनाओं के चलते यह इलाका अस्थिर रहता है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की सुरक्षा से जुड़े सारे निर्णय गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की गोली के शिकार हुए लोगों को मुआवजा देना हो, या कश्मीरी प्रवासियों के लिए पुनर्वास की योजनाएं बनाना हो, सारा काम गृह मंत्रालय के जम्मू-कश्मीर और लद्दाख मामलों के विभाग के तहत होता है। पाकिस्तान के साथ हमारे देश की सीमा को लाइन ऑफ कंट्रोल कहते हैं। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में इस सीमा की सुरक्षा और किसी भी तरह के आतंकवाद से जुड़े मामले यही विभाग देखता है।

गृह मंत्रालय के जरिए राज्यों पर नियंत्रण रखती है केंद्र सरकार
केंद्र और राज्यों के बीच आपसी सहयोग बनाए रखने की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय की होती है। अगर किन्हीं दो राज्यों के बीच विवाद की स्थिति है तो उसे भी गृह मंत्रालय की देखरेख में निपटाया जाता है। मसलन, उत्तरी कर्नाटक के बेलगावी, कारवार और निपानी जैसे इलाकों को लेकर कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच काफी पुराना सीमा विवाद है। इसे सुलझाने के लिए हाल ही में अमित शाह की मौजूदगी में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई थी। राज्यों में अगर किसी मुद्दे पर बड़े पैमाने पर कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो गृह मंत्रालय, राज्य के प्रशासन और पुलिस को निर्देश दे सकता है। यानि आंतरिक सुरक्षा के मामले में गृह मंत्रालय को राज्य की शक्तियों में दखल देने का अधिकार है। वहीं राज्यों की पुलिस भले ही राज्य सरकार के अधीन काम करती है, लेकिन देश का गृह मंत्रालय, किसी भी राज्य में तैनात IPS अधिकारियों को तलब कर सकता है। इसके अलावा गृह मंत्रालय किसी राज्य की पुलिस के लिए नए सुधार कानून भी बना सकता है।

वित्त मंत्रालय: देश की इकोनॉमी की है मजबूत रीढ़, इसी के तहत राज्यों के आर्थिक मामले
एक बार फिर वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी निर्मला सीतारमण को दी गई है। देश की पूरी अर्थव्यवस्था चलाना एक तरह से वित्त मंत्रालय का ही काम है। किसी एक छोटी संस्था या संगठन में जिस तरह एक कोषाध्यक्ष कमाई और पैसे से जुड़े सभी निर्णय लेता है, उसी तरह देश का वित्त मंत्रालय भी केंद्र और एक हद तक राज्यों के आर्थिक मामलों को देखता है। वित्त मंत्रालय को मिनिस्ट्री ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स भी कहा जाता है। वित्त मंत्रालय के अंदर आर्थिक मामलों का एक विभाग भी है। यही डिपार्टमेंट हर साल देश का केंद्रीय बजट तैयार करता है, जिसे वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किया जाता है। राज्यों को खर्च के लिए पैसा भी वित्त मंत्रालय देता है। इसके अलावा वित्त मंत्रालय के तहत वित्त आयोग बनाया गया है। जो यह तय करता है कि केंद्र की टैक्स से होने वाली कमाई में से कितना हिस्सा राज्यों को दिया जाना है। वित्त आयोग यह भी तय करता है कि किसी योजना के लिए राज्य सरकार को कितना पैसा अनुदान के तौर पर दिया जाएगा और कितना कर्ज के रूप में दिया जाएगा। वित्त मंत्रालय का RBI, सरकारी-प्राइवेट बैंकों और ED पर सीधा कंट्रोल है। देश के उद्योग-धंधों पर नियंत्रण करना, टैक्स से जुड़ी आर्थिक नीतियां और फाइनेंस से जुड़े कानून बनाना, सरकारी कर्मचारियों, जजों की पेंशन और सैलरी के मुद्दे देखना वित्त मंत्रालय के ही काम हैं। एक तरह से पूरे देश का पैसा वित्त मंत्रालय के ही निर्देशों पर खर्च होता है, इसलिए इसे गृह मंत्रालय के बाद दूसरे नंबर पर सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालय माना जाता है।

रक्षा मंत्रालय: तीनों सेनाओं, NDA जैसे संस्थानों के सर्वेसर्वा होते हैं रक्षा मंत्री
गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी जैसे देश की अंदरूनी सुरक्षा सुनिश्चित करना है, उसी तरह बाहरी सुरक्षा यानी दूसरे देशों से देश की सीमाएं और देश के हित सुरक्षित रखना, रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी है। हालांकि, कई मामलों में गृह मंत्री और रक्षा मंत्री मिलकर काम करते हैं। मसलन जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई, तब आर्म्ड पुलिस फोर्सेज के अलावा देश की सेना को भी अलर्ट मोड पर रखा गया। आर्म्ड पुलिस फोर्सेज गृह मंत्रालय के तहत आती हैं, जबकि सेना अल्टीमेटली रक्षा मंत्रालय के निर्देशों पर काम करती है। देश की तीनों सेनाएं, उनके प्रमुख, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ का मुख्यालय, रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करते हैं। देश की सुरक्षा से जुड़ी नीतियां बनाना और सेना को इससे जुड़े निर्देश देने का अधिकार रक्षा मंत्रालय का है। देश की जरूरत के हिसाब से नए हथियारों और सेना के साजो-सामान की खरीद-फरोख्त और मैन्यूफैक्चरिंग, रक्षा मंत्रालय के ही तहत होती है। इसके लिए डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (DRDO) बनाया गया है। बाहरी चुनौतियों से निपटने के अलावा रक्षा मामले में आत्मनिर्भरता लाना, हथियारों का आयात घटाकर निर्यात बढ़ाना और सेना की सभी जरूरतें पूरी करना भी रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी है।

विदेश मंत्रालय: दूसरे देशों से द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े अहम निर्णय की जिम्मेदारी
किसी दूसरे देश से भारत के द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े अहम निर्णय विदेश मंत्री लेते हैं। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र जैसे संस्थानों में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय करता है। इस मंत्रालय का सारा काम ही दूसरे देशों के साथ हमारे संबंधों और आपसी सहयोग पर टिका है, इसलिए दुनिया के ज्यादातर लोकतांत्रिक देश, विदेशों में अपने दूतावास बनाते हैं। भारतीय दूतावासों में तैनात भारतीय राजदूत और राजनयिक भी अपनी तैनाती के देशों से जुड़ा सारा कामकाज देखते हैं। संयुक्त राष्ट्र, SAARC, BIMSTEC जैसे मल्टी-नेशनल ऑर्गनाइजेशंस में भारत का पक्ष रखने की जिम्मेदारी विदेश मंत्रालय की है। SAARC जैसे कई संगठन भौगोलिक आधार पर बने हैं। कई संगठन मुद्दों के आधार पर होते हैं। इन संगठनों के सम्मेलनों में भारत की भागीदारी तय करना विदेश मंत्रालय का काम है। अगर किसी गैर-सूचीबद्ध (जिनका समय तय नहीं होता) चार्टर्ड विमान को भारत की हवाई सीमाओं में उड़ान भरनी है तो उसे विदेश मंत्रालय ही मंजूरी देता है। इसके अलावा विदेश मंत्रालय ही सबसे पहले दूसरे देशों के साथ सीमा, व्यापार और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों का निर्णय लेता है। हालांकि, इन योजनाओं पर अंतिम मुहर प्रधानमंत्री लगाते हैं।

कृषि मंत्रालय: देश की आधी से ज्यादा आबादी खेती से जुड़ी,  इसकी जिम्मेदारी बेहद अहम
भारत गांवों में बसता है, इस तर्ज पर कहें तो देश की अर्थव्यवस्था में खेती की बेहद अहम भूमिका है। वोट बैंक के नजरिए से भी किसान एक बड़ा वर्ग है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश की 54.6% जनसंख्या खेती और उससे जुड़े कामों में लगी हुई है। इसलिए कृषि मंत्रालयों को अहम मंत्रालयों में से एक माना जाता है। इस मंत्रालय की जिम्मेदारी शिवराज सिंह चौहान को दी गई है। देश में खेती से जुड़ी जनगणना करना कृषि मंत्रालय का काम है। जनगणना से आए आंकड़ों के आधार पर कृषि मंत्रालय किसानों के लिए लाभ की योजनाएं बनाता है। कृषि मंत्रालय के निर्देशों और सिफारिशों के आधार पर ही कृषि लागत और मूल्य आयोग और सहकारिता विभाग फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP तय करते हैं। फसलों की पैदावार और बिक्री से जुड़ी हुई सभी समस्याओं का निपटारा करना भी कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी है। इसके अलावा किसानों को सिंचाई के साधन और फसलों के बीज दिलाने का काम भी कृषि मंत्रालय का है। देश में पैदा होने वाली फसलें दूसरे देशों को जिस कीमत पर बेची जाती हैं, वह भी कृषि मंत्रालय ही तय करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने शपथ लेने के अगले ही दिन यानी 10 जून को सबसे पहले पीएम किसान सम्मान निधि की फाइल पर साइन किए, इसके तहत 9.3 करोड़ किसानों के लिए 20,000 करोड़ रुपए जारी किए गए।

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