प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर अपने हाथों में लेते हुए कहा था कि ‘न्यूनतम सरकार और अधिकतम सुशासन’ उनकी प्राथमिकता होगी। बीते 46 महीनों के दौरान संसद के विधायी कार्यों को ही देखें तो यह बात सही साबित होती है। वर्तमान सरकार के नेतृत्व में संसद ने जहां 1970 से लटके पड़े ऐतिहासिक बांग्लादेश भूमि हस्तांतरण विधेयक को पारित किया वहीं वस्तु एवं सेवा कर और रीयल एस्टेट विधेयक को भी कानून का शक्ल दिया। इसके साथ ही मोदी सरकार का कार्यकाल विधायी कार्यों के मामले में भी पिछली यूपीए सरकार से अधिक प्रभावशाली रहा है।
संसदीय कार्य अवधि के उपयोग के मामले में भी सरकार ने अच्छा काम किया है। 2014, 2015,2016 और 2017 के बजट सत्र, 2015 का शीतकालीन सत्र, 2016 के मानसून सत्र में 100 प्रतिशत कामकाज हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नेतृत्व वाली सरकार के दौरान विधायी कामकाज का लेखा जोखा देखें और वर्तमान नरेन्द्र मोदी सरकार से तुलना करें, तो ये स्पष्ट है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में बेहतरीन कार्य हुए हैं।
मोदी सरकार Vs मनमोहन सरकार
- संसद के कामकाज पर नजर रखने वाली संस्था पीआरएस के अनुसार मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली 15वीं लोकसभा की प्रोडक्टिविटी महज 61 प्रतिशत रही है, जो कि आजादी के बाद अब तक की सबसे कम थी।
- 16वीं लोकसभा में 2018 के बजट सत्र के पहले भाग तक की औसत प्रोडक्टिविटी देखें तो यह 91.16 प्रतिशत है।
- राज्यसभा में 16वीं लोकसभा के कार्यकाल के दौरान 2018 के बजट सत्र के पहले चरण तक 69.83 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी रही है।
- 15वीं राज्यसभा की प्रोडक्टिविटी देखें तो पांच वर्षों के 15 सत्रों में औसतन 62.33 प्रतिशत रही है।
- संपूर्ण सत्र की दृष्टि से देखें तो 16वीं लोकसभा में वर्ष 2017 के शीतकालीन सत्र ( कुल 11 सत्र) तक 87.27 की औसत प्रोडक्टिविटी के दर से कार्य हुए।
- राज्यसभा में पोडक्टिविटी दर बीते 46 महीनों में 67.45 का रहा जो कि बीते 15वीं लोकसभा के कार्यकाल की तुलना में अधिक है।
- अगर दोनों ही सदनों की संयुक्त कार्यवाही का औसत निकालें तो प्रोडक्टिविटी दर (2017 के शीतकालीन सत्र तक) 77.36 प्रतिशत प्रति सत्र रही है।
सत्रवार ब्योरा | लोकसभा | राज्यसभा |
बजट सत्र, 2014 | 103 | 106 |
शीतकालीन सत्र, 2014 | 98 | 58 |
बजट सत्र, 2015 | 122 | 102 |
मानसून सत्र, 2015 | 48 | 09 |
शीतकालीन सत्र,2015 | 98 | 50 |
बजट सत्र, 2016 | 121 | 91 |
मानसून सत्र, 2016 | 101 | 96 |
शीतकालीन सत्र, 2015 | 16 | 18 |
बजट सत्र, 2017 | 108 | 86 |
मानसून सत्र, 2017 | 67 | 72 |
शीतकालीन सत्र, 2017 | 78 | 54 |
बजट सत्र, प्रथम चरण-2018 | 134.61 | 96.31 |
कुल 12 सत्र | 91.16% प्रोडक्टिविटी | 69.83% प्रोडक्टिविटी |
मई, 2017 तक के आंकड़ों पर गौर करें तो ये तथ्य निकलकर आते हैं कि मोदी सरकार के कामकाज का प्रतिशत बीती 14वीं और 15वीं दोनों ही लोकसभा की तुलना में अधिक हैं।
- 15वीं लोकसभा में इसके पिछली सभी लोकसभाओं के कार्यकाल के मुकाबले सबसे कम काम हुआ था।
- प्रश्नकाल की सफलता दर 14वीं लोकसभा में 15 प्रतिशत थी और 15वीं लोकसभा में 12 प्रतिशत थी, जबकि मौजूदा लोकसभा में 30 मई, 2017 तक 21 प्रतिशत सफलता दर्ज की गई थी।
- 14वीं लोकसभा में 242 और 15वीं लोकसभा में 243 दिन बैठकें हुई थीं, जबकि 16वीं में 30 मई, 2017 तक कुल 226 बैठकें हो चुकी थीं।
- 14वीं लोकसभा में 1138 घंटे और 15वीं लोकसभा में कुल 1070 घंटे बैठकें हुई थीं, जबकि 16वीं लोकसभा में 30 मई, 2017 तक 1246 घंटे।
- 14वीं लोकसभा में 307 घंटे हंगामे की भेंट चढ़े और 15वीं लोकसभा में 496 घंटे, लेकिन 16वीं लोकसभा में 30 मई, 2017 तक सिर्फ 178 घंटे ही व्यवधान में बर्बाद हुए।
- प्रश्नकाल के दौरान 14वीं लोक सभा में 4421 सवालों में से 671 का जवाब दिया जा सका। 15वीं लोकसभा में 4360 सवालों में से केवल 522 के जवाब ही मिल सके, जबकि 16वीं लोकसभा में 30 मई, 2017 तक कुल पूछे गए 4260 सवालों में से 921 के जवाब दिए गए।
आइये हम पिछले 46 महीनों में हुए कार्यों का लेखा-जोखा देखते हैं कि किस सत्र में कितने कार्य हुए और कौन-कौन से महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए-
बजट सत्र – 2017
- संसद का बजट सत्र 2017 अनेक दृष्टि से एतिहासिक रहा। भारत के विधायी इतिहास में पहली बार संसद ने 31 मार्च तक सभी वित्तीय कामकाज पूरा किया।
- लोकसभा में 113.27 प्रतिशत और राज्य सभा में 92.43 प्रतिशत काम हुआ, सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों द्वारा 18 विधेयक पारित किए गए।
- बाधा के कारण लोकसभा में 8 घंटे और राज्य सभा में 18 घंटे का नुकसान हुआ, लेकिन लोकसभा की 19 घंटे की बैठक और राज्य सभा की 7 घंटों की बैठक से इसकी भरपाई की गई।
- सर्वसम्मति से वस्तु और सेवा कर के सहायक अधिनियमों को पारित करना बड़ी उपलब्धि रही।
- इसके अतिरिक्त शत्रु सम्पत्ति (संशोधन एवं वैधता) विधेयक 2017 को भी संसद के दोनों सदनों ने पारित कर दिया।
सामाजिक क्षेत्र से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण विधेयक भी पारित किए गए-
- पारिश्रमिक का भुगतान (संशोधन) विधेयक 2017
- मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक 2017
- मानसिक स्वास्थ्य देखभाल विधेयक 2017
- कर्मचारी क्षतिपूर्ति (संशोधन) विधेयक 2017
मानसून सत्र – 2017
- संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में करीब 78 प्रतिशत और राज्यसभा में करीब 80 प्रतिशत कामकाज हुआ।
- दोनों सदनों में 9 अगस्त को ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर विशेष चर्चा हुई।
- लोकसभा में 17 विधेयक पेश हुए, जिनमें 14 पास हुए, वहीं राज्यसभा में 9 विधेयक पेश हुए और सभी पारित किए गए।
- मानसून सत्र में 71 घंटे कामकाज हुआ और 30 घंटे का समय विपक्ष द्वारा किए गए व्यवधानों के कारण बर्बाद हुआ।
- सत्र में 2017-18 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों (सामान्य) और वर्ष 2014-15 के लिए अतिरिक्त अनुदान की मांगों और इससे संबंधित विनियोग विधेयक पारित किए गए।
- कृषि क्षेत्र की स्थिति और भीड़ द्वारा हिंसा तथा पीट-पीटकर हत्या की कथित घटनाओं से उत्पन्न स्थिति के विषयों पर अल्पकालिक चर्चाएं भी हुईं।
- इसके अलावा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से देश के विभिन्न भागों में बाढ़ के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।
- मानसून सत्र में 380 तारांकित प्रश्न सूचीबद्ध किए गए जिनमें से 63 प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए।
- सदस्यों ने शून्यकाल में लोक महत्व के करीब 252 मुद्दे उठाए। संसद की स्थायी समितियों ने 44 रिपोर्टें पेश कीं। इस दौरान 28 निजी विधेयक भी पेश किए गए।
- सदन ने आईआईआईटी विधेयक-2017, नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) विधेयक-2017, कम्पनी विधेयक-2016, बैंकिंग विनियमन विधेयक-2017 और नाबार्ड विधेयक-2017 पारित किए।
शीतकालीन सत्र – 2017
- लोकसभा की उत्पादकता 91.58 प्रतिशत और राज्यसभा की उत्पादकता 56.29 प्रतिशत रही। संसद के दोनों सदनों द्वारा 13 विधेयक पारित किए गए।
- सत्र के दौरान, 14 विधेयक लोक सभा में प्रस्तुत किए गए। लोक सभा ने 13 और राज्य सभा ने 9 विधेयक पारित किए। 13 विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किए गए।
- विधायी कार्य तथा राष्ट्रीय महत्व के विविध मुद्दों पर विचार-विमर्श में सभी राजनीतिक दलों की व्यापक भागीदारी के लिहाज से यह एक सफल सत्र रहा।
मानसून सत्र – 2016
- विपक्ष के हंगामें के कारण प्रोडक्टिविटी के लिहाज से मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में 48 प्रतिशत और राज्यसभा में महज 9 प्रतिशत ही रहा।
- मानसून सत्र में 11 अगस्त तक संसद के दोनों सदनों में 7 विधेयक पेश हुए जिनमें चार पास हो गए।
बजट सत्र- 2016
- 2016 में बजट सत्र प्रोडक्टिविटी के लिहाज से बेहतर रहा। लोकसभा में 121 प्रतिशत, जबकि राज्यसभा में 91 प्रतिशत कामकाज हुए।
- बजट सत्र में 26 फरवरी को रेल बजट पेश किया गया था। 29 फरवरी को सामान्य बजट पेश किया गया। इसके साथ ही वित्त विधेयक भी पेश किया गया।
- 2016-17 के बजट में जहां एक तरफ छोटे आयकरदाताओं को 6,600 करोड़ रुपये की राहत दी वहीं अति धनी व्यक्तियों पर अधिभार तीन प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव किया।
- संसद के 25 अप्रैल से शुरू हुए बजट सत्र के दूसरे चरण में वित्त विधेयक तथा दिवाला संबंधी विधेयक सहित कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित किये गये।
- बजट सत्र में लोकसभा ने 14 घंटे और राज्यसभा ने 10 घंटे अधिक काम किया। हंगामे के कारण राज्यसभा में 19 घंटे काम बाधित रहा।
- कई सत्रों के बाद लोकसभा में पहली बार ऐसा हुआ कि हंगामे के कारण किसी भी दिन पूरे समय के लिए सदन की बैठक स्थगित नहीं की गयी।
- कामकाज के लिहाज से संसद का मानसून सत्र बेहतरीन रहा। इसमें लोकसभा में जहां 101 प्रतिशत कामकाज हुआ वहीं राज्यसभा में 96 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी रही।
- सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संबंधी संविधान के 122वें संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से राज्यसभा में पारित कराने में सफलता मिली।
- दोनों सदनों में पारित अन्य महत्वपूर्ण विधेयकों में भारतीय चिकित्सा परिषद संशोधन विधेयक 2016, दंत चिकित्सक संशोधन विधेयक 2016, बाल श्रम रोकथाम एवं नियमन संशोधन विधेयक 2016, बेनामी लेनदेन रोकथाम विधेयक 2015 और ऋण वसूल से संबंधित संशोधन विधेयक शामिल थे।
शीतकालीन सत्र – 2016
- शीतकालीन सत्र नोटबंदी के मामले को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध तथा हंगामे की भेंट चढ़ गया।
- लोकसभा में 21 बैठकों में मात्र 19 घंटे कार्यवाही हुई और करीब 92 घंटे का समय नष्ट हुआ। राज्यसभा में 22 घंटे काम हुआ और 86 से अधिक समय बर्बाद हो गए।
- लोकसभा में वर्ष 2016-17 के अनुदान की अनुपूरक मांगों और वर्ष 2013-14 के अनुदान की अतिरिक्त मांगों को भी मंजूरी मिली और संबंधित विनियोग विधेयक पारित हुए।
- दोनों सदनों ने दिव्यांगों से जुड़े एक महत्वपूर्ण विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया और नि:शक्त व्यक्ति अधिकार विधयेक को संसद की मंजूरी मिली।
बजट सत्र-2015
- संसद के कामकाज पर नज़र रखने वाली सस्था पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार 16वीं लोकसभा का पहला साल संसदीय काम के लिहाज से अच्छा रहा।
- पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार विगत 15 साल के संसद के कामकाज के घंटों के मुताबिक पिछले बजट सत्र में सबसे ज़्यादा काम हुआ।
- बजट सत्र में लोकसभा में 122 प्रतिशत काम हुआ वहीं राज्यसभा ये आंकड़ा 102 प्रतिशत था।
- सत्र के समाप्त होने तक लोकसभा में प्रश्नकाल के लिए निर्धारित समय का 84 प्रतिशत इस्तेमाल हुआ और राज्यसभा में 80 प्रतिशत।
- सत्र के दौरान 20 बिल लाए गए जिनमें से पांच बिल स्टैंडिंग कमिटी को भेजे गए। पांच बिल को अध्यादेश की जगह पारित करवाया गया।
- अध्यादेश की जगह कुल 39 प्रतिशत बिल पास हुए जबकि 14वीं और 15वीं लोकसभा में अध्यादेश की जगह कुल बिल का 11 प्रतिशत और आठ प्रतिशत पास हुए।
मानसून सत्र – 2015
- विपक्ष के हंगामे के कारण प्रोडक्टिविटी के नजरिये से मानसून सत्र ज्यादा उत्पादक नहीं रहा। इस सत्र में लोकसभा में सिर्फ 48 प्रतिशत और राज्यसभा में महज 9 प्रतिशत की काम हो सके।
- हंगामे के बावजूद सरकार ने 19 विधेयक पारित करवा लिया, हालांकि योजना 33 विधेयक पारित करवाने की थी।
- महत्वपूर्ण विधेयकों में ‘परमाणुवीय नुकसान के लिए असैन्य दायित्व विधेयक, 2010’ और ‘नालंदा विश्वविद्यालय विधेयक’ दोनों सदनों से पारित करवा लिया गया।
शीतकालीन सत्र-2015
- कामकाज के लिहाज से लोकसभा में 102 प्रतिशत तो राज्यसभा में 46 प्रतिशत काम हुआ। लोकसभा में 87 प्रतिशत प्रश्नकाल हुआ तो राज्यसभा में महज 14 प्रतिशत ही प्रश्नकाल हुआ।
- दोनों सदनों को मिलाकर कुल नौ बिल पास हुए। राज्यसभा में छह बिल तो बिना बहस के पास कर दिए गए। वहीं लोकसभा ने भी छह विधेयक पारित किए।
- राज्यसभा के 232वें सत्र की शुरुआत 7 जुलाई को हुई और समापन 14 अगस्त को।
- सत्र में कुल 140 घंटे से अधिक कामकाज हुआ और 34 घंटे कार्य बाधित भी किए गए।
- विभिन्न राज्यों के 17 नव निर्वाचित प्रतिनिधियों ने सदन की सदस्यता की शपथ ली।
- सत्र के दौरान 12 सरकारी विधेयकों को पारित किया गया या लोकसभा को लौटाया गया।
- कुल 27 बैठकें हुईं जिनमें आम बजट और रेल बजट पर चर्चा कर उन्हें लोकसभा में लौटाया गया।
- इसी सत्र में उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक आयोग बनाने के लिए दो ऐतिहासिक विधेयकों को पारित किया गया।
- सदन में बिजली, गृह मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा हुई।
- आंध्रप्रदेश पुनर्गठन संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान विधेयक, प्रतिभूति कानून संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग और इससे संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा हुई।
बजट सत्र – 2014
- पिछले दस सालों में इस संसद सत्र में दूसरी बार सबसे अधिक काम हुआ।
- 2005 के मॉनसून सत्र में संसद ने उपलब्ध समय का 110 प्रतिशत इस्तेमाल किया था।
- 16वीं लोकसभा के दूसरे सत्र के कामकाज का 33 प्रतिशत समय बजट पर बहस में व्यतीत हुआ।
- इस सत्र में लोकसभा में छह विधेयक पारित किए गए जिनमें जजों की नियुक्ति, तेलंगाना के गठन और ट्राई में संशोधन से जुड़े विधेयक थे।
- 14वीं और 15वीं लोकसभा के पहले बजट सत्र के दौरान उपलब्ध समय का 36 फीसदी और 50 प्रतिशत वक्त बजट पर बहस करने में लगाया गया।
- 12 प्रतिशत समय कानूनों पर बहस करने में दिया गया, जो कि पिछली दोनों लोकसभाओं के पहले बजट सत्रों की तुलना में ये कहीं बेहतर था।
शीतकालीन सत्र – 2014
- विपक्ष के हंगामे के कारण शीतकालीन सत्र के दौरान 179 घंटे बर्बाद हो गए, केवल 20 प्रतिशत ही कामकाज हो सका।
- लोकसभा में 91. 80 घंटे (85 प्रतिशत) जबकि राज्य सभा में 86.33 घंटे (81 प्रतिशत) समय बर्बाद हो गया।
- 2013 के शीतकालीन सत्र के बाद इस सत्र में सबसे ज्यादा समय की बर्बादी हुई। कांग्रेस के 2010 में शीतकालीन सत्र में भी 130.38 घंटे (94 प्रतिशत) जबकि राज्य सभा में 112.22 घंटे (98 प्रतिशत) समय बर्बाद हो गया था।
बजट सत्र – 2018
- 2018 का बजट सत्र का पहला चरण बेहद संक्षिप्त रहा, इसमें लोकसभा में बेहतरीन प्रोडक्टिविटी रही, वहीं राज्यसभा में बढ़िया कामकाज हुआ है। बजट सत्र का दूसरा चरण 5 मार्च से शुरू हो चुका है और यह 9 अप्रैल तक चलेगा। मोदी सरकार जितने संजीदा तरीके से विधायी कामकाज कर रही है इससे तो यही उम्मीद बंधती है कि बीते कई लोकसभाओं के कार्यकाल के रिकॉर्ड मोदी सरकार के दौरान टूट जाएंगे।