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अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे दिन: मोदी सरकार ने विनिवेश से जुटाई रिकॉर्ड रकम

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से रिकॉर्ड धनराशि प्राप्त करने के बाद सरकार अगले वित्त वर्ष में इससे भी बड़ा लक्ष्य रख सकती है। वित्त वर्ष 2017-18 में अभी तक विनिवेश से 54,337 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं। सरकार ने पहली बार विनिवेश के जरिये इतनी बड़ी रकम जुटाई है। यह एक रिकॉर्ड है। इससे उत्साहित वित्त मंत्री आम बजट 2018-19 में विनिवेश के जरिये लगभग एक लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रख सकते हैं।

वर्ष  प्राप्त राशि करोड़ रुपये
2010-11 22,144
2011-12  13,894
2012-13  23,956
2013-14  15,819
2014-15 24,348
2015-16 23,996
2016-17 46,246
2017-18 54,337

सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों में रणनीतिक हिस्सेदारी बेचकर भी अच्छी खासी रकम जुटाई है। साथ बीमा कंपनियों को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराकर भी धनराशि प्राप्त की गयी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था के लिए हर तरफ से अच्छी खबर आ रही है। आइये हम जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था कितनी मजबूत है।

मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ 5 साल में सबसे ज्यादा
देश में दिसंबर, 2017 में भी मैन्युफैक्चरिंग ऐक्टिविटीज में तेजी का रुख रहा। नये ऑर्डरों और उत्पादन में तेज बढ़ोतरी के दम पर देश के विनिर्माण क्षेत्र ने दिसंबर में तेज उड़ान भरी और इसका निक्कई पीएमआई सूचकांक नवंबर के 52.6 से बढ़कर 54.7 पर पहुँच गया। दिसंबर में उत्पादन वृद्धि की रफ्तार पांच साल में सबसे तेज रही जबकि नये ऑर्डरों में अक्टूबर 2016 के बाद की सबसे तेज बढ़ोतरी दर्ज की गयी। कंपनियों ने नये रोजगार भी दिये और रोजगार वृद्धि दर अगस्त 2012 के बाद के उच्चतम स्तर पर रही।

कोर सेक्टर में दर्ज की गई 6.8 प्रतिशत की रफ्तार
आठ कोर सेक्टरों में नवंबर 2017 के महीने में वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत दर्ज की गई है। यह एक साल में सबसे ऊपरी स्तर पर है। रिफाइनरी, इस्पात और सीमेंट जैसे क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन की वजह से बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर बढ़ी है। एक साल पहले इसी माह में इन उद्योगों की उत्पादन वृद्धि 3.2 प्रतिशत थी। कोर सेक्टरों की वृद्धि दर अक्तूबर, 2016 के बाद सबसे अधिक है। रिफाइनरी, इस्पात तथा सीमेंट जैसे क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन से बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अच्छी रही। इस बार नवंबर में रिफाइनरी उत्पाद की 8.2 प्रतिशत, इस्पात की 16.6 प्रतिशत और सीमेंट क्षेत्र की वृद्धि दर सालाना आधार पर 17.3 प्रतिशत रही। कोर सेक्टरों में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट तथा बिजली उत्पादन को रखा गया है।

भारत विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था होगी
देश की अर्थव्यवस्था में हो रहे ढांचागत बदलाव और नीतिगत सुधार के मद्देनजर बुधवार को एक ऐसी खबर आई जिसने भारतीय इकोनॉमी को लेकर उठ रहे सभी आशंकाओं और सवालों के जवाब दे दिए हैं। वैश्विक वित्तीय सेवा फर्म मॉर्गन स्टैनली ने कहा है कि आगामी 10 सालों में भारतीय की अर्थव्यवस्था 6 खरब डॉलर यानि लगभग 393 खरब रुपये की हो जाएगी। स्टैनली ने यह भी उम्मीद जताई है कि अगले दशक में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की होगी।

अगले दशक में दोगुनी होगी भारत की इकोनॉमी
मॉर्गन स्टैनली के अनुसंधान (भारत) के प्रमुख रिद्धम देसाई के अनुसार भारत में हो रहा डिजिटलीकरण जीडीपी की वृद्धि दर को 0.5-0.75 प्रतिशत बढ़ाएगा। 2026-27 तक भारत की अर्थव्यवस्था 6 खरब डॉलर की ओर बढ़ेगी और उच्च मध्यम आय की स्थिति हासिल कर लेगी। अगले 10 सालों में भारत का उपभोक्ता क्षेत्र भी बढ़कर करीब 1.5 खरब डॉलर पहुंच सकता है।

दहाई अंकों में पहुंच जाएगी भारत की विकास दर
मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट के अनुसार आने वाले दशक में भारत की वास्तविक और सांकेतिक जीडीपी की सालाना वृद्धि दर क्रमश: 7.1 प्रतिशत और 11.2 प्रतिशत हो जाएगी। यह भारत को 6.1 खरब डॉलर के बाजार पूंजीकरण के साथ दुनिया के पांच शीर्ष इक्विटी बाजार में शामिल करने की दिशा में अग्रसर करेगा। इसी के साथ 2027 तक भारत 1.8 खरब डॉलर की बाजार पूंजी के साथ सूचीबद्ध वित्तीय सेवा क्षेत्र में दुनिया का तीसरी सबसे बड़ा देश होगा।

तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था में भारत चौथे नंबर पर
10 जुलाई 2017 को जारी विश्व बैंक की सूची के अनुसार, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाली सूची में भारत का स्थान चौथा है। विश्व बैंक के पूर्वानुमान के अनुसार साल 2017 में भारत की जीडीपी 7.2 प्रतिशत रहेगी। विश्व बैंक के अनुसार इसका सबसे बड़ा कारण, नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद स्टैंडअप इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया जैसे प्रोजेक्ट के कारण देश के बुनियादी ढांचे में भारी निवेश को माना जा रहा है।

7.5 का ग्रोथ रेट हासिल करेगा भारत
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुमान के अनुसार भारत 7.5 की विकास दर हासिल करेगा। मूडीज के इंवेस्टर सर्विस सर्वे में पता चला है कि भारत की विकास दर अगले 12 से 18 महीने के दौरान 6.5 से 7.5 प्रतिशत के दायरे में रहेगी। सर्वेक्षण में 200 से ज्यादा मार्केट पार्टिसिपेंट्स ने भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि संभावना को लेकर विश्वास व्यक्त किया। सर्वे में शामिल सभी लोगों का मानना था कि जीएसटी के लागू होने से 12 से 18 माह में आर्थिक वृद्धि बढ़ेगी और आर्थिक वृद्धि की रफ्तार अगले 3-4 साल में बढ़कर 8 प्रतिशत के आसपास पहुंच जाएगी।

IMF ने कहा अर्थव्यवस्था में आएगी तेजी
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत की विकास दर में 2017-2018 तक तेजी आने की उम्मीद जताई। आईएमएफ ने 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7.8 फीसदी की दर से विकास करने का अनुमान व्यक्त किया है। आईएमएफ ने अपनी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में कहा है कि भारत की विकास दर में 2017 और 2018 तक तेजी आने की उम्मीद है, जो अप्रैल, 2017 में जताए गए अनुमान के अनुकूल है।

औसत 7.3 की दर से तीन साल में जीडीपी
पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है। पश्चिमी दुनिया के अधिकतर देशों में जीडीपी ग्रोथ रेट 2 प्रतिशत के आसपास ही है। वहीं नोटबंदी के बावजूद भारत का ग्रोथ रेट 2016-17 में 7.1 रही। हालांकि पिछले साल की 7.6 प्रतिशत की तुलना में कुछ कमी हुई पर बीते तीन सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो भारत की विकास की औसत रफ्तार अभी भी स्थिर बनी हुई है। मोदी सरकार में पिछले तीन सालों सकल घरेलू उत्पाद की औसत वृद्धि दर 7.3 रही है।

यूपीए सरकार से काफी ज्यादा है ग्रोथ रेट
यूपीए सरकार के अंतिम तीन सालों की अर्थव्यवस्था की गति पर गौर करें तो ये 2011-12 में 6.7, 2012-13 में 4.5 और 2013-14 में 4.7 प्रतिशत थी। वहीं बीते तीन साल के मोदी सरकार के कार्यकाल पर गौर करें तो 2014-15 में 7.2, 2015-16 में 7.6 थी, वहीं 2016-17 में 7.1 है। जाहिर है बीते तीन सालों में जीडीपी ग्रोथ रेट 7 से ज्यादा रही है। जबकि यूपीए के अंतिम तीन सालों के औसत जीडीपी ग्रोथ रेट 5.3 ही रही है।

रिकॉर्ड स्तर पर विदेशी मुद्रा भंडार
प्रधानमंत्री मोदी की सरकार बनने के बाद देश में विदेशी मुद्रा भंडार में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में इस साल कई रिकॉर्ड बने हैं। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक 22 दिसंबर को समाप्‍त सप्‍ताह के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.53 अरब डॉलर बढ़कर 404.921 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा भंडार ने 400 अरब डॉलर का स्‍तर पहली बार इस साल सितंबर के पहले हफ्ते में पार किया था।

विदेशी ऋण में 2.7 प्रतिशत की कमी
केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का विदेशी ऋण 13.1 अरब डॉलर यानि 2.7% घटकर 471.9 अरब डॉलर रह गया है। यह आंकड़ा मार्च, 2017 तक का है। इसके पीछे प्रमुख वजह प्रवासी भारतीय जमा और वाणिज्यिक कर्ज उठाव में गिरावट आना है। रिपोर्ट के अनुसार मार्च, 2017 के अंत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और विदेशी ऋण का अनुपात घटकर 20.2% रह गय, जो मार्च 2016 की समाप्ति पर 23.5% था। इसके साथ ही लॉन्ग टर्म विदेशी कर्ज 383.9 अरब डॉलर रहा है जो पिछले साल के मुकाबले 4.4% कम है।

शेयर बाजार 34 हजार के पार
1, नवंबर, 2017 को मोदी सरकार में एक और रिकॉर्ड तब बना जब 26 दिसंबर, 2017 को मोदी सरकार में एक और रिकॉर्ड तब बना जब शेयर बाजार के इतिहास में सेंसेक्स पहली बार 34000 के पार पहुंच गया। जाहिर है यह भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों के भरोसे को दिखाता है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान अप्रैल 2014 में सेंसेक्स करीब 22 हजार के आस-पास रहता था।

बेहतर हुआ व्यापार संतुलन
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जुलाई 2013-14 में अनुमानित व्‍यापार घाटा 62448.16 मिलियन अमरीकी डॉलर का था, वहीं अप्रैल-जनवरी, 2016-17 के दौरान 38073.08 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। जबकि अप्रैल-जनवरी 2015-16 में यह 54187.74 मिलियन अमेरिकी डॉलर के व्‍यापार घाटे से भी 29.7 प्रतिशत कम है। यानी व्यापार संतुलन की दृष्टि से भी मोदी सरकार में स्थिति उतरोत्तर बेहतर होती जा रही है और 2013-14 की तुलना में लगभग 35 प्रतिशत तक सुधार आया है।

टैक्स पेयर्स की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी
5 अगस्‍त, 2017 तक ई-रिटर्न भरने की संख्‍या पिछले वर्ष इसी अवधि तक भरे गए 2.22 करोड़ ई-रिटर्न की तुलना में बढ़कर 2.79 करोड़ हो गई यानि 57 लाख की वृद्धि। एक साल के भीतर टैक्स पेयर्स की संख्या में 25.3 प्रतिशत की वृद्धि बड़ी बात कही जा सकती है। इसके अतिरिक्त पूरे वित्‍त वर्ष 2016-17 के दौरान दायर सभी रिटर्न की कुल संख्‍या 5.43 करोड़ थी जो वित्‍त वर्ष 2015-16 के दौरान दायर रिटर्नों से 17.3 प्रतिशत अधिक है।

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