वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना महामारी के कारण पैदा आर्थिक सुस्ती से लड़ने और उपभोक्ता मांग को बढ़ावा देने के लिए लगभग 73 हजार करोड़ रूपये के उपायों की घोषणा की है। मांग बढ़ाने में सहायक इस प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा करते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा, ‘ऐसे संकेत मिले हैं कि सरकारी कर्मचारियों के साथ-साथ संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की भी बचत में अच्छी-खासी वृद्धि हुई है और हम विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के लोगों को प्रोत्साहित करना चाहते हैं, ताकि कम भाग्यशाली व्यक्तियों का भी भला हो सके।’ वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि यदि प्रोत्साहन उपायों की बदौलत विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ती है, तो इसका सकारात्मक प्रभाव उन लोगों या कारोबारियों पर भी पड़ेगा जो कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और जो अपने व्यवसाय को निरंतर जारी रखने के लिए विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग बढ़ने का इंतजार बड़ी बेसब्री से कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि नये प्रस्तावों के तहत मांग में वृद्धि के लिए एलटीसी वाउचर और फेस्टिवल एडवांस दिया जाएगा। वित्तमंत्री ने बताया कि केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा पूंजीगत व्यय के लिए अतिरिक्त 37 हजार करोड रूपये दिये जायेंगे। उन्होंने बताया कि सरकारी कर्मचारियों को एलटीसी की 2018-21 ब्लॉक अवधि के लिए दस दिन की छुट्टी के बदले नकद भुगतान किया जाएगा और पात्रता के अनुसार यात्रा किराया दिया जाएगा। श्रीमती सीतारामन ने बताया कि इस योजना के लाभार्थी को एलटीसी भुगतान की राशि और यात्रा किराये की तीन गुणा राशि से वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के बारे में जीएसटी इनवॉयस देना होगा।
वित्तमंत्री सीतारमण ने बताया कि इस नये प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार को लगभग 5,675 करोड़ रूपये खर्च करने होंगे। अगर राज्य सरकारें भी इन प्रस्तावों को इसी प्रकार लागू करती हैं तो 28 हजार करोड़ रूपये की उपभोक्ता मांग का सृजन हो सकता है।
उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत सरकारी कर्मचारी त्योाहार से पहले दस हजार रूपये ले सकेगा जिस पर ब्याज नहीं लगेगा। उन्होंने बताया कि यदि पचास प्रतिशत राज्य इस योजना को लागू करते हैं तो मांग क्षेत्र में लगभग आठ हजार करोड़ रूपये की वृद्धि की संभावना है। पूंजीगत व्यय के तहत उपयोग के लिए राज्यों को विशेष सहायता के बारे में वित्तमंत्री ने बताया कि विशेष ब्याज मुक्त ऋण का भुगतान पचास वर्ष में करना होगा। इसके लिए 12 हजार करोड़ रूपये दिए जायेंगे। सहायता योजना के तहत पूर्वोत्तर राज्यों और उत्तरी राज्यों – हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को दो हजार पांच सौ करोड रूपये दिये जायेंगे।