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पिछड़े और दलित बाहुल्य गांवों को संवारेगी मोदी सरकार, 27 हजार गांवों के कायाकल्प की योजना

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दलितों और जनजातियों को विकास की मुख्यधार में लाने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं। उनकी सरकार ने एससी/एसटी के लोगों की कई मांगों को पूरा करते हुए कुछ बड़े फैसले लिए हैं। इस दिशा में मोदी सरकार ने एक और बड़ा कदम बढ़ाया है। अब पीएम आदर्श ग्राम योजना के तहत विकास की दौड़ में पिछड़े और दलित बाहुल्य गांवों को संवारा जाएगा। इस मुहिम में 2024-25 तक देश के करीब 27 हजार ऐसे गांवों के कायाकल्प की योजना है, जहां मौजूदा समय में दलितों की आबादी पांच सौ या इससे अधिक है। फिलहाल इसके तहत तेजी से काम शुरु हो गया है।

10 हजार गांवों के विकास का खाका तैयार

मोदी सरकार ने करीब दस हजार गांवों के विकास का खाका तैयार कर लिया है। इनमें से सात हजार से ज्यादा गांवों के विकास के लिए पैसा भी जारी कर दिया गया है। इनमें से दो हजार से ज्यादा गांव अकेले उत्तर प्रदेश के हैं।

46 हजार से ज्यादा गांवों तक होगा योजना का विस्तार

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के मुताबिक फिलहाल यह योजना यहीं नहीं रूकने वाली है, इसके दायरे में जल्द वह गांव भी आएंगे, जहां दलितों की आबादी पचास फीसदी है। मौजूदा समय में देश भर में ऐसे गांवों की संख्या 46 हजार से ज्यादा है। इनमें उत्तर प्रदेश के करीब दस हजार गांव और पश्चिम बंगाल के 7928 गांव शामिल है।

हर गांव के विकास के लिए 21 लाख रुपए होंगे खर्च

खासबात यह है कि योजना के तहत सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से जहां प्रत्येक गांवों को 21 लाख रुपए दिए जाते हैं। साथ ही गांवों के विकास को लेकर केंद्र और राज्य की ओर से चलाई जाने वाली योजनाओं को भी एकीकृत कर इनसे जोड़ा गया है।

योजना बनाने वाली कमेटी में दलित सभासदों की बाहुल्यता

योजना की खासियत यह है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से मिले पैसे को सिर्फ गांवों के सार्वजनिक विकास कार्यो पर ही खर्च किया जा सकता है। वहीं गांवों की योजना बनाने वाली कमेटी में दलित सभासदों की बाहुल्यता होना जरूरी है। मंत्रालय की मानना है कि इस पहल से वह अपनी जरूरत के मुताबिक गांवों को संवारने को लेकर अपनी राय रख सकेंगे।

आदर्श गांव में इंटरनेट और हर घर को मिलेगा साफ पानी

सरकार ने फिलहाल दलित बाहुल्य गांवों को संवारने के लिए जो पैमाना तय किया है, उसके तहत प्रत्येक गांवों को इंटरनेट से जोड़ा जाएगा। साथ ही प्रत्येक घर तक नल-जल की पहुंच भी रहेगा। जिसके तहत सभी को साफ पानी दिया जाएगा। मंत्रालय के मुताबिक हालांकि समय के मुताबिक आदर्श गांव की परिभाषा बदलती रहती है, लेकिन वह इन गांवों को जो प्लान कर रहे है, उसके तहत उन्हें इस तरह की सभी बुनियादी सुविधाओं से जोड़ा जाएगा, जो कि सम्मानजनक जीवन जीने के लिए जरूरी हो।

केंद्र की मोदी सरकार एससी एसटी समाज के लोगों के हितों की रक्षा करने का संकल्प कई बार व्यक्त कर चुकी है। आइये मोदी सरकार के एससी/एसटी के कल्याण के कार्यों को देखते हैं-

एससी/एसटी एक्ट को मिली मजबूती

मोदी सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989 यानी एससी एसटी एक्ट को मजबूती प्रदान की। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च, 2018 को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एक्ट 1989 से जुड़ा एक अहम फैसला दिया था जिसमें यह कहा गया कि एससी-एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न की जाए और अग्रिम जमानत को मंजूरी दी जाए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ देशभर में दलितों ने आंदोलन किया था। मोदी कैबिनेट ने अदालत के इस फैसले को पलट दिया। कैबिनेट के फैसले के बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार एससी-एसटी लोगों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के केस में एफआईआर दर्ज करने से पहले कोई प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं होगी। अभियुक्‍त की गिरफ्तारी करने के लिए कोई पूर्व अनुमति की जरूरत नहीं होगी।

सरकार ने SC-ST कर्मचारियों की मांगी जानकारी 

केंद्र सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने एक सर्वे शुरू किया है। इसमें इपीएफओ में अंशदान के करने वाली विभिन्न कंपनियों के अनुसूचित जाति और जनजाति से ताल्लुक रखने वाले कर्मचारियों की जानकारी मांगी गई है। निजी क्षेत्र की कंपनियों को भी इसमें शामिल किया गया है। यह सर्वे नीति आयोग द्वारा संचालित किया जा रहा है। शुरूआत में इसमें सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों यानी पीएसयू को शामिल किया गया था, लेकिन अब इसके दायरे में निजी कंपनियां भी आएंगी। क्षेत्रीय प्रॉविडेंट फंड कार्यालयों की ओर से कंपनियों से एक खास फॉर्मेट में एससी-एसटी कर्मचारियों से जुड़ी जानकारियां मांगी गई हैं। पीएफ खाते में कंपनी की ओर से दिया जाने वाला अंशदान पहले की तरह जारी रहेगा, वहीं सरकार SC/ST कर्मचारियों की ओर से ईपीएफओ में अंशदान करेगी। 

दलित युवाओं के उद्यम और रोजगार की व्यवस्था की गई

दलित युवाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए केन्द्र सरकार की तरफ से कई योजनाएं प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल के प्रथम वर्ष से ही चलायी जा रही हैं। केन्द्र सरकार State Scheduled Castes Development Corporations (SCDCs) को धन देती है जो दलित परिवारों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए कई योजनाओं के तहत लोन देती है।  इस समय 23 राज्यों और 4 केन्द्र शासित क्षेत्रों में यह योजना चल रही है, जहां दलित आबादी की उपस्थिति अच्छी खासी है।

देश में दलित युवाओं के लिए पहली बार वेंचर कैपिटल फंड की शुरुआत हुई

प्रधानमंत्री मोदी ने दलित युवाओं को स्टार्ट अप शुरू करने के लिए देश में पहली बार वेंचर कैपिटल फंड की शुरुआत की। Venture Capital Fund for Scheduled Castes को मोदी सरकार ने 16 जनवरी 2015 को शुरू किया। इस योजना को IFCI Venture Capital Fund Ltd. नियंत्रित करता है। यह कोष दलित युवाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देता है। यह उन दलित उद्यमियों की सहायता करता है जो नवाचार के जरिए समाज में कुछ नया करना चाहते हैं। इसमें उन कंपनियों को 20 लाख से 15 करोड़ का लोन दिया जाता जिसमें 50 प्रतिशत या उससे अधिक दलित स्वामित्व होता है।

दलितों को उद्योग-धंधे लगाने के लिए सहायता 

प्रधानमंत्री मोदी ने दलित समाज को आर्थिक रुप से मजबूत करने के लिए कई योजनाओं की तरह मुद्रा योजना की भी शुरुआत की। 31 मार्च 2017 तक के आंकड़े के मुताबिक दलितों के लिए 2, 25 00, 194 मुद्रा खाते खुले, जो कुल मुद्रा खातों का 57 प्रतिशत है। इस माध्यम से समुदाय के लोगों को 67,943.39 करोड़ का लोन आवंटित किया गया। साथ में ही उद्यमियों को हर संभव मदद देने के लिए अनुसूचित जाति/जनजाति हब की स्थापना की गई। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी नीति बनाई है कि सार्वजनिक उपक्रम अपनी खरीदारी का 4 प्रतिशत सामान अनुसूचित जाति/जनजाति उद्यमियों से खरीदें।

डॉ अंबेडकर फाउंडेशन से दलितों का कल्याण

प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ अंबेडकर फाउंडेशन के माध्यम से देश के दलितों में पुनर्जागरण की चेतना को जगाने का भरपूर काम किया और इसके तहत कई काम किये गये- 

  • बाबा साहेब की 125 वीं जयंती का भव्य आयोजन 
  • डा. अंबेडकर अंतराष्ट्रीय केन्द्र की स्थापना रिकार्ड दो सालों में 195 करोड़ की लागत से की गयी। 
  • वर्ष 2015 से 14 अप्रैल को समरसता दिवस के रुप में मनाने का निर्णय । 
  • 30 सितंबर 2015 को 125 वीं जयंती के अवसर पर डाक टिकट जारी किया । 
  • 125 वीं जयंती के उपलक्ष्य में हर वर्ष 26 जनवरी को संविधान दिवस मनाने का निश्चय किया । 
  • महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने लंदन 10, किंग हेनरी रोड पर स्थित उस भवन को खरीद लिया जहां अंबेडकर ने रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त की थी।
  • 06 दिसंबर 2015 को 125 वीं जयंती के अवसर पर दस रुपये और 125 रुपये के सिक्के जारी किए गये।
  • डां अंबेडकर चिकित्सा सहायता योजना के तहत  2.5 लाख रुपये सालाना की आमदनी वाले परिवारों को मुफ्त मेडिकल सुविधा देने की योजना है जिनकी आय 2.5 लाख रुपये सालाना है।

बाबासाहेब से जुड़े पंच तीर्थस्थलों का विकास
कांग्रेस ने संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के देश के प्रति योगदान को हमेशा दबाने का काम किया, लेकिन मोदी सरकार ने डॉ अंबेडकर से जुड़े कई ऐसे मंचों को जनसामान्य के लिए उपलब्ध कराने का काम किया है जिनसे वे सामाजिक समरसता के पुरोधा रहे बाबासाहेब के जीवन और उनके विचारों से पूरा लाभ उठा सकें। केंद्र की सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने बाबासाहेब अंबेडकर से जुड़े पांच स्थानों को पंच तीर्थ के तौर पर विकसित किया है। ये पंच तीर्थ हैं:

1)मध्य प्रदेश के महू में बाबासाहेब की जन्मभूमि 

2)लंदन में डॉक्टर अंबेडकर मेमोरियल- उनकी शिक्षाभूमि 

3)नागपुर में दीक्षाभूमि 

4)मुंबई में चैत्यभूमि

5) दिल्ली में नेशनल मेमोरियल- उनकी महापरिनिर्वाण भूमि। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डॉ अंबेडकर से जुड़े पांच तीर्थस्थलों को लेकर कहा था: ‘’ये स्थान, ये तीर्थ, सिर्फ ईंट-गारे की इमारत भर नहीं हैं, बल्कि ये जीवंत संस्थाएं हैं, आचार-विचार के सबसे बड़े संस्थान हैं।‘’ 

जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के लिए संग्रहालयों का निर्माण
मोदी सरकार जनजातीय समुदाय से जुड़े महापुरुषों से जुड़े संग्रहालयों के निर्माण पर भी काम कर रही है। सरकार जनजातीय संग्रहालयों का निर्माण उन राज्यों में कर रही है जहां ये लोग रहे, अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया और सिर झुकाने से इनकार किया। सरकार ऐसे राज्यों में प्रतीक रूप में जनजातीय संग्रहालय बनाएगी जिससे आने वाली पीढ़ियां यह जान सकें कि किस प्रकार हमारी ये जनजातियां देश के लिए बलिदान देने में आगे रही थीं।

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