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Diplomacy: चालबाज चीन पर मोदी सरकार का रणनीतिक प्रहार, LAC के पास ‘इंफ्रा वार’ की मजबूत दीवार

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चालबाज चीन अपनी भारत विरोधी तिकड़मों से बाज नहीं आ रहा है। कभी वह भारत के चिर-विरोधी पाकिस्तान को आर्थिक मदद देकर उकसाता है, तो कभी नेपाल को भारत से दूर करने के लिए अपने पैसों से नेपाल में तेल की खोज करता है। कभी वह नाम बदलने की ओछी हरकत करता है तो कभी एलएसी के पास अंडरग्राउंड बंकर व आर्मर्ड वाहनों की सुरक्षा के लिए शैल्टर बनाने के कुत्सित प्रयास करता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगातार तीसरी बार केंद्र की सत्ता संभालने के बाद बिल्कुल साफ कर दिया कि चीन को अब उसी की भाषा में जवाब दिया जाएगा। यही वजह है कि चालबाज चीन पर रणनीतिक प्रहार करने के लिए मोदी सरकार वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मजबूती के साथ ‘इंफ्रा वार’ की तैयारी में जुटी है। लद्दाख क्षेत्र में पेंगोंग लेक के पास चीन के नए निर्माणों की सैटेलाइट तस्वीरें सामने आने के बाद भारत और अधिक सतर्कता से कदम उठा रहा है।एलएसी के पास सड़क, सुरंग और हवाई पट्टी को किया जा रहा विकसित
भारतीय इलाकों में घुसपैठ की नीयत से चीन के निर्माण के कार्यों के जवाब में भारत के द्वारा भी एलएसी पर सड़क, सुरंग और हवाई पट्टियों का ढांचा विकसित किया जा रहा है। इसे सैन्य जरूरतों के साथ क्षेत्रीय विकास से भी जोड़ा गया है। माना जा रहा है कि एलएसी पर भारत की परियोजनाओं से चीन चिढ़ा हुआ है। वह भारत के दावे वाले क्षेत्र में बंकर व अन्य निर्माण कर रहा है। लद्दाख क्षेत्र में पेंगोंग लेक के पास चीन के नए निर्माणों की सैटेलाइट तस्वीरें सामने आने के बाद भारत सतर्क है। चीन की तिकड़में के बीच भारत ने एलएसी पर परियोजनाओं को तेजी से पूरा किया है। इनमें पैंगोंग के उत्तरी तट पर फिंगर 4 की ओर ब्लैक-टॉप वाली सड़क व तेरह हजार फीट से ऊपर दुनिया की सबसे लंबी डबल लेन सेला टनल रोड परियोजना प्रमुख है।

27 हजार करोड़ की लागत से अभेद्य सुरक्षा दीवार बनेगा फ्रंटियर हाईवे
चीन के मुकाबले के लिए लगभग 27 हजार करोड़ रुपए की लागत से बनाया जा रहा एनएच-913 के रूप में फ्रंटियर हाईवे एलएसी के निकट अभेद्य सुरक्षा दीवार साबित होगा। यह हाइवे बॉमडिला से शुरू होकर नाफ्रा, हुरी और मोनिगोंग से गुजरेगा। मोनिगोंग भारत-तिब्बत सीमा का सबसे निकटतम इलाका है। एनएच-913 एलएसी के निकट जिदो व चेन्क्वेंती से भी गुजरेगा और म्यांमार सीमा पर विजयनगर में खत्म होगा। इस पर सेना के त्वरित मूवमेंट के लिए के लिए कुल 2,178 किलोमीटर लंबे छह अंतर- राजमार्ग गलियारे बनाए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार प्रोजेक्ट का काम तेजी से हो रहा है।

चीन चार साल से रच रहा है साजिश, अब सामने आई नई तस्वीरें
आपको गलवान में चीन द्वारा की गई नौटंकी तो याद ही होगी। करीब चार साल पहले भारतीय सेना द्वारा पिटाई के बाद से ही चीन ने सैमजुंगलिंग से गलवान घाटी सड़क बनाकर अपनी कथनी-करनी में फर्क साबित किया है। ऐसी भी रिपोर्ट हैं कि उसने इसके साथ ही एलएसी के पास नए बंकर, अंडरग्राउंड शैल्टर, रडार साइट और गोला-बारूद भंडार बनाए हैं। हाल ही एक अमरीकी एजेंसी की ओर से गत 30 मई को ली गई सैटेलाइट तस्वीर में सामने आया है कि चीन ने पूर्वी लद्दाख की पैंगोग लेक के निकट अपने सिरजाप अड्डे के आगे गोला बारूद व ईंधन स्टोर करने के लिए कई अंडरग्राउंड बंकर व आर्मर्ड वाहनों की सुरक्षा के लिए शैल्टर बनाए हैं। यह एलएसी से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर है। लेकिन भारतीय सैना एलएसी पर चीन की हरकतों और चीन की किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।नेपाल को रिझाने के लिए अपने पैसों से तेल खोज रहा चीन
इतना ही नहीं चीन नेपाल पर भी डोरे डालने में लगा है। भारत और नेपाल के संबंधों को लेकर चिंतित चीन अब पेट्रोलियम और गैस के नाम पर नेपाल को भारत से दूर पर जुटा हुआ है। चीन की चालबाजी के बाद चार दशक में पहली बार नेपाल में चीन का पहला पेट्रोलियम और गैस का खोजी अभियान शुरू हुआ है। इसके तहत नेपाल और चीन मिलकर पश्चिमी नेपाल में संयुक्त ड्रिलिंग अभियान चला रहे हैं। चीन की मदद से ड्रिलिंग ऑपरेशन सीएनपीसी की सिबू ड्रिलिंग एंड इंजीनियरिंग कंपनी कर रही है। इसकी अनुमानित लागत करीब 2.40 अरब रुपए है। इसके लिए 4,000 मीटर में से 300 मीटर से ज्यादा की ड्रिलिंग हो चुकी है। चीन का दावा है इससे नेपाल ईंधन के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट पर करीब 25 चीनी इंजीनियर और कई नेपाली वर्कर काम कर रहे हैं।

तिब्बत की 30 जगहों का नाम बदलकर चीन को उसी की भाषा में जवाब
लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद पीएम मोदी ने कहा था तीसरे कार्यकाल में देश बड़े फैसलों का एक नया अध्याय लिखेगा। भारत ने चीन को उसी की भाषा में जवाब देने की रणनीति तेज कर दी है। चीन जिस तरह से अरुणाचल प्रदेश के 30 स्थानों के नाम बदलकर अपना बताने की चाल चली थी, ठीक उसी तरह अब भारत तिब्बत के 30 स्थानों का नाम बदलकर उसे जवाब देगा। भारत अपने LAC के अंदर के इलाकों का नाम बदल कर वेबसाइट पर डालेगा। बताया जाता है कि विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय की पहली बैठक में तिब्बत के 30 इलाकों के नाम बदले जाने का फैसला किया गया। भारत के इस कदम को जवाबी कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे चालबाज चीन अपनी नापाक नीति पर सोचने को विवश होगा और दोबारा ऐसा करने से पहले कई बार सोचेगा।भारत जल्द जारी करेगा चीन के साथ LAC का नया मैप
लोकसभा चुनाव में NDA की जीत के बाद भारत ने चीन के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन को काउंटर करने के लिए भारत अब तिब्बत की 30 से ज्यादा जगहों के नाम बदलने जा रहा है। भारतीय सेना जल्द ही जगहों की लिस्ट के साथ चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का नया मैप जारी करेगी। दरअसल, चीन ने अप्रैल में अरुणाचल प्रदेश की 30 जगहों के नाम बदले थे। चीन की सरकार इन इलाकों को अपना क्षेत्र बताती है। ड्रैगन की इसी हरकत का जवाब देने के लिए भारत सरकार ने यह फैसला लिया है।

तिब्बत के नए नामों की लिस्ट जल्द ही सार्वजनिक होगी
तिब्बत के इलाकों का नाम बदलने के लिए काफी रिसर्च की गई। भारतीय भाषा में पुराने नामों को आधार बनाकर इन जगहों के नए नाम रखे गए हैं। भारतीय सेना की इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर डिवीजन को इलाकों के नाम बदलने का जिम्मा सौंपा गया था। नामों को लेकर तिब्बत के स्थानीय लोगों की राय ली गई है साथ ही और इस पर व्यापक शोध भी किया गया है। जानकारी के मुताबिक, तिब्बत के नए नामों की लिस्ट को जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा। रिपोर्ट में ये बताया गया कि भारतीय सेना ने पिछले कुछ हफ्तों में अरुणाचल प्रदेश के उन इलाकों का दौरा भी किया, जिन्हें चीन अपना बताता है। इस दौरान पत्रकारों के जरिए क्षेत्रीय लोगों से भी बात की गई। उन्होंने चीन के दावों को खारिज करते हुए खुद को भारतीय नागरिक कहा।

चीन ने अरुणाचल प्रदेश की 30 जगहों के नाम बदले थे
चीन ने 1 अप्रैल को अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताकर वहां की 30 जगहों के नाम बदल दिए थे। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, इनमें 11 रिहायशी इलाके, 12 पर्वत, 4 नदियां, एक तालाब और एक पहाड़ों से निकलने वाला रास्ता था। हालांकि, इन जगहों के नाम क्या रखे गए, इस बारे में जानकारी नहीं दी गई। इन नामों को चीनी, तिब्बती और रोमन में जारी किया था।

चीन ने 7 साल में चार बार अरुणाचल की जगहों के नाम बदले
पिछले 7 सालों में ऐसा चार बार हुआ, जब चीन ने अरुणाचल की जगहों के नाम बदले। चीन ने अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे। अरुणाचल में बढ़ते चीनी दखल और यहां की जगहों के नाम बदले जाने पर भारत का रुख साफ रहा है। भारत अरुणाचल को अपना हिस्सा मानता है। अप्रैल 2023 में विदेश मंत्रालय ने कहा था- हमारे सामने चीन की इस तरह की हरकतों की रिपोर्ट्स पहले भी आई हैं। हम इन नए नामों को सिरे से खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा था, है और रहेगा। इस तरह से नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलेगी।

गलवान में झड़प के बाद से भारत-चीन के रिश्ते सामान्य नहीं

दरअसल, चीन ने कभी अरुणाचल प्रदेश को भारत के राज्य के तौर पर मान्यता नहीं दी। वह अरुणाचल को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है। उसका आरोप है कि भारत ने उसके तिब्बती इलाके पर कब्जा करके उसे अरुणाचल प्रदेश बना दिया। भारत और चीन के बीच गलवान में मई 2020 में हुई हिंसक झड़प के बाद से रिश्ते तनावपूर्ण हैं। दोनों देशों के बीच इस विवाद को लेकर 20 से अधिक बार सैन्य वार्ता हो चुकी है। हालांकि, अभी विवाद पूरी तरह से झुलसा नहीं है. ऐसे में भारत के इस कदम से दोनों के बीच रिश्तों में और तनाव आने की आशंका है।

तिब्बत था स्वतंत्र राष्ट्र, चीन ने 1949 में किया हमला
तिब्बत पर कभी मंगोलिया का शासन रहा तो कभी चीनी राजवंशों ने इस पर शासन किया लेकिन साल 1912 से तिब्बत एक स्वतंत्र राष्ट्र था। लेकिन हमेशा से तिब्बत चीन की आंखों में खटकता रहा। चीन ने मौका देखकर तिब्बत पर कब्जा करने की नियत से हमला किया। साल 1949 में चीनी सैनिक तिब्बत पर चढ़ाई कर दी। सैनिकों ने पूर्वी तिब्बत के राज्यपाल के मुख्यालय पर अधिकार कर लिया। 11 नवंबर 1950 को तिब्बतियों ने संयुक्त राष्ट्र में अर्जी लगाई। लेकिन इस मुद्दे को टाल दिया गया। तिब्बतियों ने इसका विरोध किया। इसके बाद 9 सितंबर 1951 को चीनी सैनिकों ने ल्हासा में मार्च किया। आखिरकार धर्मगुरु दलाई लामा ने 17 बिंदुओं वाले एक समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया। इसके साथ ही तिब्बत आधिकारिक तौर पर चीन का हिस्सा बन गया।

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से चलती है तिब्बत की निर्वासित सरकार
वर्ष 1951 के बाद भी तिब्बत पर चीन का अत्याचार जारी रहा। इसके बाद दलाई लामा 1959 में भारत के धर्मशाला में पहुंचकर शरण लिया। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से तिब्बत की निर्वासित सरकार चलती है। तिब्बत की निर्वासित सरकार के लिए चुनाव होता है। इस चुनाव में दुनियाभर के तिब्बती शरणार्थी वोटिंग करते हैं। वोट डालने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होता है। चुनाव के जरिए लोग राष्ट्रपति चुनते हैं, जिनको सिकयोंग कहा जाता है। संसद का कार्यकाल 5 साल का होता है। तिब्बती संसद का मुख्यालय हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में है। साल 1914 में शिमला समझौते के तहत मैकमोहन रेखा को अंतरराष्ट्रीय सीमा माना गया लेकिन 1954 में नेहरू तिब्बत को एक समझौते के तहत चीन का हिस्सा मान लिया।

PM Modi के कार्यकाल में भारत की प्रगति से बौखलाया चीन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आर्थिक विजन और उनकी सरकार के क्रांतिकारी सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत, तीव्र और आकर्षक बना दिया है। आज विश्व की अन्य अर्थव्यस्थाओं की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था विकास के रास्ते पर तीव्र गति से दौड़ रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद इतनी मजबूत हो चुकी है कि कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी चुनौतियां भी प्रभावित नहीं कर सकीं। मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों ने देश में बिजनेस फ्रेंडली माहौल तैयार किया, जिससे भारत दुनिया के बड़े निवेशकों के लिए सर्वाधिक आकर्षक बाजार बन चुका है। बाजार में खपत और डिमांड को देखते हुए निवेशक चीन को छोड़कर भारत की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं। इसका परिणाम है कि निवेश के मामले में चीन को पीछे छोड़कर भारत आगे निकल चुका है। भारत को लेकर चीन इससे भी बौखलाया हुआ है। इसी वजह से भारत को कमजोर करने के लिए वह तरह-तरह की चालें चलता रहता है।

पीएम मोदी ने कहा था- देश बड़े फैसलों का एक नया अध्याय लिखेगा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि तीसरे कार्यकाल में देश बड़े फैसलों का एक नया अध्याय लिखेगा। लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए को मिली जीत के बाद 4 जून को दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ’10 साल के बाद, लगातार तीसरी बार जनता जनार्दन का प्यार हमारा हौसला बढ़ाता है। हमारे संकल्प को नई मजबूती देता है। हमारे विरोधी एकजुट होकर भी उतनी सीटें नहीं जीत पाए, जितनी इस लोकसभा चुनाव में अकेले बीजेपी ने जीती है। मैं देशवासियों को दुबारा दुहराना चाहता हूं। आप 10 घंटे काम करेंगे तो मोदी 18 घंटे काम करेगा। आप दो कदम चलेंगे तो मोदी चार कदम चलेगा। हम भारतीय मिलकर चलेंगे, देश को आगे बढ़ाएंगे। तीसरे कार्यकाल में देश बड़े फैसलों का एक नया अध्याय लिखेगा और ये मोदी की गारंटी है।’

 

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