Home समाचार आतंकवाद को समूल खत्म करने का संकल्प कर चुकी है मोदी सरकार

आतंकवाद को समूल खत्म करने का संकल्प कर चुकी है मोदी सरकार

आंतंकवाद पर सख्ती का असर देख रही है दुनिया, एक रिपोर्ट

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बंदूक के दम पर दुनिया खत्म करने की हसरत लिए आतंकवादी हर रोज कत्लोगारत की नई कहानियां लिख रहे हैं। लेकिन आतंकवादियों की हसरत अधूरी ही रह जाएगी। दुुनिया के अधिकतर देश जहां आतंकवाद पर पीएम नरेंद्र मोदी के साथ हैं, वहीं देश में मोदी सरकार की सख्त नीतियों से आतंकवाद पर नकेल कसने की सिलसिला शुरू हो चुका है। कश्मीर में इसी सिलसिले में टेरर फंडिंग नेटवर्क का खुलासा हुआ है और एनआइए ने सात अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया है। दरअसल आतंकियों के लिए धन मुहैया कराए जाने की ये कहानी कश्मीर में बढ़ रही कट्टरता और आतंक से जुड़ती है। ऐसे में इन सात अलगाववादियों की गिरफ्तारी से टेरर फंडिंग पर लगाम लगाने और इसके नेटवर्क को ध्वस्त करने में सफलता मिलेगी।

हुर्रियत नेताओं के नापाक मंसूबे
अलगावादी संगठनों के जिन नेताओं को एनआइए ने गिरफ्तार किया है उनके नाम और कनेक्शन दोनों ही चौकाने वाले हैं। गिरफ्तार हुए 7 नेताओं में फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, नईम खान, शाहिद-उल-इस्लाम, अल्ताफ फंटूस, मेहराजुद्दीन, अयाज अकबर और पीर सैफुल्ला शामिल हैं। अल्ताफ शाह जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान के साथ मिलाने की पैरवी करने वाले हुर्रियत के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली गिलानी के दामाद हैं। वहीं, शाहिद इस्लाम मीरवाइज उमर फारूक के करीबी सहयोगी हैं। अकबर, गिलानी की अगुवाई वाले हुर्रियत के प्रवक्ता हैं।

एनआईए ने दर्ज किया एफआईआर
एनआईए ने अपने एफआईआर में पाकिस्तान के जमात-उद-दावा व प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद को आरोपी के रूप में नामजद किया है। इसके अलावा हुर्रियत, हिजबुल मुजाहिदीन तथा दुख्तरान-ए-मिल्लत जैसे संगठनों को भी नामजद किया है। जाहिर तौर पर इन सभी नेताओं का हुर्रियत नेताओं से डायरेक्ट कनेक्शन टेरर फंडिंग के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश कर सकती है। टेरर फंडिंग में नेताओं की गिरफ्तारी पीएम मोदी की उस आक्रामक नीति का एक और उदाहरण है जो उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ अपनाई है। पीएम मोदी का प्रयास आतंकवाद को मानवता का दुश्मन ठहराने का है और वे इसमें बहुत हद तक सफल भी होते जा रहे हैं।

अलगाववादियों से बात नहीं की नीति
मोदी सरकार ने पहले साल ही साफ कर दिया था कि देश विरोधी तत्वों से वो कोई बात नहीं करेगी। ये संदेश कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के लिए भी था। पाकिस्तानी उच्चायुक्त के डिनर में अलगाववादी नेताओं को न्योता देने के मामले पर भी मोदी सरकार ने साफ विरोध जता कर पाकिस्तान को कश्मीर मामले से दूर रहने के लिए आगाह कर दिया था। पाकिस्तान परस्तों को साफ संदेश है कि पहले मुख्यधारा में शामिल हों, फिर अपनी बात रखें, क्योंकि अब उनकी हेकड़ी के दिन लद चुके हैं। उन्हें भारतीय संविधान के दायरे में रहकर ही कोई भी मांग सरकार के सामने रखनी पड़ेगी, अन्यथा कानून के दायरे में ही अंजाम भुगतने को भी तैयार रहें।

अच्छे और बुरे आतंकवाद का फर्क भूल चुकी है दुनिया
अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, नार्वे, कनाडा, ईरान जैसे देशों ने आतंक के खिलाफ एकजुटता का वादा भी किया है। सभी देशों ने एक सुर में अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर हमले की निंदा की। जाहिर है पीएम मोदी के प्रयासों से दुनिया अब यह समझने लगी है कि आतंकवाद को जड़ मूल से समाप्त करना ही पड़ेगा, वरना यह किसी भी देश को नहीं छोड़ेगा।

जी-20 में पीएम मोदी ने दिये थे 11 सूत्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को सबसे बड़ी चुनौती बताया और इसपर रोक लगाने के लिए 8 जुलाई, 2017 को जी-20 देशों के सम्मेलन में 11 सूत्रीय एक्शन प्लान पेश किया था। पीएम मोदी के इस प्लान की दुनिया ने सराहना की थी।

11 सूत्री एक्शन प्लान

1- आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अनिवार्य है। ऐसे देशों के अधिकारियों का जी-20 सम्मेलन में प्रवेश पर प्रतिबंध जरूरी।

2- संदिग्ध आतंकवादियों की सूची का जी-20 देशों के बीच आदान-प्रदान और ऐसे आतंकवादियों और उनके समर्थकों के खिलाफ साझी कार्रवाई अनिवार्य हो।

3- आतंकवादियों से संबंधित प्रभावकारी सहयोग के लिए कानूनी प्रक्रिया को आसान बनाना, जिससे उनका प्रत्यर्पण आसानी से किया जा सके।

4- अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को तुरंत अपनाया जाए।

5- UNSCR और अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रक्रियाओं को प्रभावी तरीके से अमल में लाया जाए।

6- कट्टरता के कार्यक्रमों पर जी-20 देशों द्वारा साझे प्रयास की रणनीतियों को आपस में साझा करना।

7- FATF और अन्य प्रक्रियाओं द्वारा आतंकवादियों को मिलने वाली मदद और उनके सोर्स पर प्रतिबंध के साथ उसे खत्म करना।

8- FATF की तरह ही हथियारों तक पहुंत पर रोक के लिए WEATF का गठन किया जाए।

9- जी-20 देशों के बीच आतंकवादी गतिविधियों पर केंद्रित साइबर सिक्योरिटी क्षेत्र में ठोस सहयोग।

10- जी-20 में आतंकवाद पर रोक के लिए सभी देशों के बीच एक तंत्र का गठन।

11- जी-20 के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच तालमेल को लेकर ठोस कदम उठाना।

आतंकवाद का संरक्षक देश घोषित हुआ पाकिस्तान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के चलते आखिरकार अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को आतंकवादियों की शरणस्थली वाले देशों की सूची में डाल ही दिया है। भारत लंबे समय से इसकी मांग करता आया था। इसके कुछ दिन पहले ही अमेरिका ने आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन पर पाबंदी लगाया था। अब इस बात में कोई शक नहीं कि पाकिस्तान के खिलाफ एक के बाद एक हो रही कड़ी कार्रवाई से उसके हौंसले पस्त होंगे और वहां से चल रही भारत विरोधी गतिविधियों की कमर टूटेगी।

बॉर्डर पर सेना को मिली खुली छूट
पाकिस्तान से आने वाले आतंकवाद पर रोक लगाने के लिए सेना हर कदम पर कुछ ठोस कर रही है। बीते दिनों इसी सिलसिले में घुसपैठ में मददगार नौगाम और नौशेरा में पाकिस्तानी सैन्य चौकियों को ध्वस्त कर दिया गया। पहली बार सेना ने कार्रवाई का वीडियो भी जारी किया। जाहिर है ये भारत की सैन्य कूटनीति के बदलाव की कहानी कहती है। पिछले साल सर्जिकल स्ट्राइक का खुला ऐलान और अब पाकिस्तानी बंकरों को ध्वस्त करने का वीडियो जारी कर भारत ने स्पष्ट संदेश दे दिया कि कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की चोरी छिपे युद्ध वाली नीति अब नहीं चलने वाली।

पत्थरबाजों पर नकेल कसने की छूट
कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी की साजिश की सच्चाई दुनिया के सामने पहले ही आ चुकी है। ये साफ है कि पत्थरबाजों को अलगावादी नेताओं द्वारा फंडिंग की जाती है और बेरोजगार नौजवानों को गुमराह कर पत्थरबाजी करवाई जाती है। पाकिस्तान इसके लिए बाकायदा फंडिंग भी करता है। लेकिन अब अलगाववादियों पर एक्शन के साथ पत्थरबाजों के खिलाफ एक्शन की भी छूट है। पत्थरबाज को जीप के बोनट पर बांधने वाले मेजर गोगोई को सम्मान देने जैसे कदम मोदी सरकार की नीति को साफ बता रहे हैं।

‘खोजो और मारो’ का अभियान
11 जुलाई को अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर हमले के बाद अब कश्मीर में आतंकियों को जिंदा पकड़ने की बाध्यता को खत्म करते हए ‘खोजो और मारो’ की नयी नीति बनाई गई है। सरकार की इस नयी नीति से आतंक के खिलाफ केंद्र सरकार के कठोर संकल्प का पता चलता है। ‘खोजो और मारो’ अभियान के साथ ही साथ दूसरी रणनीति भी शुरू हो चुकी है, ये रणनीति है आबादी में ‘घेरो, जंगल में मारो’। सरकार का मानना है कि इस रणनीति के तहत कश्मीर घाटी में आतंकियों का सफाया कर पाने में कामयाब हो पाएगी। जाहिर पीएम मोदी की ये सख्त नीति आतंक के खात्मे के लिए एक बड़ी पहल है।

68 खूंखार आतंकियों की सूची सौंपी
आतंक के सफाये के इस मास्टरप्लान में पाकिस्तान के रहने वाले अबु दुजाना और अबु हमास, जीनत-उल इस्लाम, वसीम अहमद उर्फ ओसामा का नाम शामिल है। इसमें विदेशी मूल के आतंकियों के सफाए की रणनीति बनाई गई है। इंटेलिजेंस ब्यूरो ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को घाटी में सक्रिय 68 आतंकियों की लिस्ट सौंपी दी है। घाटी में छिपे 68 आतंकवादी सुरक्षा एजेंसियों की हिट लिस्ट में है।

अब तक मारे गए 110 आतंकी
मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि आतंक को चाहे देश के भीतर से समर्थन हो या फिर बाहर से सख्त एक्शन होते रहेंगे। बीते छह महीने में 110 से अधिक आतंकियों को मारा जा चुका है। इतना ही नहीं पाकिस्तान की हिंसात्मक कार्रवाई का जवाब भी भारत की तरफ से उसी अंदाज में दिया जा रहा है। सेना को इस नीति पर चलने की छूट दी गई है कि देश के दुश्मनों को मारने के समय वो गोलियों की चिंता न करें।

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